TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 3 अशोक का शस्त्र त्याग

Telangana TSBIE TS Inter 2nd Year Hindi Study Material उपवाचक 3rd Lesson अशोक का शस्त्र त्याग Textbook Questions and Answers.

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक 3rd Lesson अशोक का शस्त्र त्याग

लघु प्रश्न (లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
सम्राट अशोक के बारे में आप क्या जानते हैं ? उनके बारे में तीन – चार वाक्य लिखिए ।
उत्तर:
सम्राट अशोक युद्ध – पिपासी होने के कारण, चार साल से कलिंग से युद्ध करते रहने पर भी जीत न पाते हैं । कलिंग की राजकुमारी पद्मा पुरुष वेष में शस्त्र सज्जित करके विशाल स्त्री सेना से अशोक- सेना के सम्मुख आती है । स्त्रियों पर शस्त्र प्रयोग शात्र विरूद्ध होने के कारण अशोक विचलित होकर शस्त्र त्याग करते हैं । अपने सभी सरदारियों के साथ अशोक बौद्ध भिक्षु बनजाते हैं और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का पालन शक्तिभर करने की प्रतिज्ञा करते हैं ।

प्रश्न 2.
अशोक ने शस्त्रों का त्याग क्यों किया ?
उत्तर:
अशोक स्वयं अपनी सेना का संचालन करते समय शत्रु- कलिंग की सभी सेना महिलाएँ हैं । उसकी संचालन करनेवाली राजकुमारी पद्मा भी स्त्री है। स्त्रियों पर शस्त्र चलाना शास्त्र – विरुद्ध है । इसे दृष्टि में रखने और स्त्री – सेना को देखकर अपना हृदय परिवर्तित होने के कारण अशोक ने शस्त्रों का त्याग किया ।

अशोक का शस्त्र त्याग Summary in Hindi

लेखक परिचय

बंशीधर श्रीवास्तव का जन्म बिहार में हुआ था। इनकी सही जन्मतिथि एवं निधन तिथि का विवरण अनुपलब्ध हैं । पाठ्यपुस्तक में भी इनकी सूचना नहीं दी गई । श्रीवास्तव जी के पिता का नाम रूपनारायण था। इनकी शिक्षा- दीक्षा उच्चस्तर तक पूरी तरह हिंदी में ही हुई । इन्हें हिंदी भाषा और साहित्य में विशेष रुचि थी ।

इन्होंने आजीवन गाँधीजी के वचनों का पालन किया । इसी कारण से इनकी रचनाएँ शांति, अहिंसा, धर्म, न्याय आदि गाँधीवादी विचारधारा से मंडित हैं । इनकी सृजन क्षमता में भाषा की सरलता, शब्दों का चयन तथा सुंदर सूक्तियों का प्रयोग प्रशंसनीय है । “इनकी प्रमुख रचनाओं में उल्लेखनीय हैं- नयी तालीम का ध्रुवतारा, खादी और गोसेवा, विकास का सच्चा अर्थ, ईश्वर अल्ला तेरे नाम, देवनागरी लिपि की लोकप्रियता, विश्व हिंदी विद्यापीठ, शोषण और पोषण आदि ।

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 3 अशोक का शस्त्र त्याग

प्रस्तुत ऐतिहासिक एकांकी, ‘अशोक का शश्त्र त्याग’ में युद्ध पिपासी, महान सम्राट अशोक के शस्त्र – त्याग द्वारा युद्ध के दुष्परिणाम एवं अहिंसा के महत्व के साथ – साथ कलिंग की राजकुमारी के शैर्य और साहस को महिला-शक्ति के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है । इस दृष्टि से यह एक सफल एकांकी है ।

सारांश

चार सालों से मगध और कलिंग के बीच युद्ध चल रहा है। कलिंग के महाराज मारे गए तथा उनके सेनापति पहले ही कैद हो चुके हैं । फिर भी कलिंग – दुर्ग के फाटक बंद हैं । दूसरे दिन, युद्ध पिपासी अशोक स्वयं कलिंग – दुर्ग के फाटक के सामने सेना का सचालन करता है और सेना को उत्साहित करता हैं । कुछ देर बाद सहसा दुर्ग का फाटक खुल जाता है ।

शस्त्र सज्जित स्त्रियों की विशाल सेना फांटक के बाहर निकलने लगती है । सेना के आगे पुरुष वेष में कलिंग महाराज की पुत्री पद्मा साक्षात् चंडी दिखाई देती है । अशोक सहित उसकी सारी सेना आश्चर्य में डूब जाती है । वीरांगना पद्मा वीर रस से प्लावित भाषाण से सेना को भड़काती है । अशोक के पूछने पर पद्मा अपना परिचय देते हुए उसे ललकारती है कि जब तक मैं हूँ, मेरी ये वीरांगनाएँ हैं, कलिंग के भीतर कोई पैर नहीं रख सकता । मेरे पिता के हत्यारे से द्वंद्व युद्ध करना चाहती हूँ । अशोक दुविधा में पड़जाता है कि स्त्रियों पर शस्त्र चलाना शास्त्रसम्मत नहीं है ।

इसलिए बह अपना निर्णय प्रकट करता है कि मैं शस्त्र नहीं चलाऊँगा मैं स्त्री- वध नहीं करूँगा मैं यह पाप नहीं करूँगा । वह आगे अपनी सेना को आशा देता है कि वे स्त्रियों पर हाथ न उठाना । इस पर व्यंग्य करती हुई पद्मा पूछती है कि क्या शास्त्र निरपराधियों की हत्याकरने को कहता है; लाखों माताओं की गोद सूनी करने को कहता है; लाखों स्त्रियों की माँग का सिंदूर पोंछ डालने को कहता है । वह आगे कहती है कि मैं तुमसे शास्त्र सीखने नहीं आई हूँ, शस्त्र चलाने आई हूँ । कलिंग की स्त्रियाँ तुमसे कुछ नहीं चाहती केवल युद्ध चाहती हैं ।

अशोक सिर झुकाकर तलवार नीचे फेंक देता है और अपने सैनिकों से भी तलवारें फेंकवा देता है । वह आगे कहता है कि काट लीजिए मेरे सिर को । मैं हथियार नहीं उठाऊँगा । मेरी प्रतिज्ञा अटल है । इसपर पद्मा यह कहते हुए अपनी स्त्री सेना के साथ दुर्ग में चली जाती है कि तो जाइए महाराज ! स्त्रियाँ भी निहत्थे पर वार नहीं करेंगी ।

अंत में, अशोक और उसके सभी सरदार पीलेवस्त्र धारणकर बौद्ध भिक्षु से दीक्षा पाते हैं और बौद्ध धर्म के सिद्धांत अहिंसा, करुणा, शांति, लोक कल्याण – के मार्ग पर आजीवन चलने की प्रतिक्षा करते हैं ।

अशोक का शस्त्र त्याग Summary in Telugu

సారాంశము

నాల్గు సంవత్సరాల నుండి కళింగ మగధ రాజ్యాల మధ్య యుద్ధం జరుగుతూనే ఉంది. కళింగరాజ్య మహారాజు యుద్ధంలో చనిపోయారు. ఆయనే సేనాపతి అంతకుముందే బందీ అయినాడు. అయినా కళింగదుర్గం మహాద్వారం మూసే ఉంచబడింది. మర్నాడు యుద్ధ పిపాసి అయిన అశోకుడు స్వయంగా ఆ మహాద్వారం ముందు సైన్యాన్ని నడిపిస్తూ, వారిని ఉత్సాహపరుస్తూ ఉంటాడు. కొంతసేపటికి మహాద్వారం అకస్మాత్తుగా తెరుచుకొంటుంది.

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 3 अशोक का शस्त्र त्याग

శస్త్రధారులై స్త్రీల విశాల సైన్యం మహాద్వారం నుండి వెలుపలకు వస్తూ ఉంటుంది. సైన్యం ముందు పురుష వేషంలో కళింగ రాకుమారి పద్మ సాక్షాత్ చండీలా దర్శనమిస్తుంది. అశోకునితో పాటు, అతని సైన్యమంతా ఆశ్చర్య చకితులవుతారు. వీరాంగన పద్మ వీరరసప్లావితమైన ఉపన్యాసంతో ఉత్తేజపరుస్తూ ఉంటుంది. అశోకుడు అడిగిన మీదట పద్మ తన పరిచయాన్ని తెల్పుతూ, నేను, నా ఈ వీరాంగనలు బ్రతికున్నంత వరకు కళింగరాజ్యంలో పలకాలు మోపలేరని హూంకరిస్తుంది.

నా తండ్రి హంతకుడితో ద్వంద్వయుద్ధం చేయాలని అనుకొంటున్నా. అశోకుడు సందిగ్ధంలో పడ్డాడు. ఎందుకంటే స్త్రీలపై శస్త్ర ప్రయోగం శాస్త్రవిరుద్ధం. నేను శస్త్ర ప్రయోగం చేయలేను. నేను స్త్రీలను వధించలేను. ఆ పాపం నేను చేయలేనంటూ సైన్యాన్ని కూడ, స్త్రీలపై శస్త్రాలు ఎక్కు పెట్టవద్దని ఆజ్ఞాపిస్తాడు. అటుపిమ్మట పద్మ, శాస్త్రం నిరపరాధుల్ని హత్యచేయమని చెప్పిందా; లక్షలమంది తల్లులకు గర్భశోకం కల్గించమందాం; లక్షల స్త్రీల మాంగల్యాన్ని తెంపేయమందా అని నిలదీస్తుంది. నేను నీతో శాస్త్రం నేర్చుకోవటాన్కిరాలేదు శస్త్రప్రయోగం చేయటాన్కి వచ్చా. కళింగరాజ్య స్త్రీలు నీతో యుద్ధం చేయాలని కోరుకొంటున్నారు; మరేమీ కోరటంలేదు అని గర్జిస్తుంది.

అశోకుడు నతమస్తకుడై కరవాలాన్ని క్రింద పడేస్తాడు. తన సైనికుల్ని కూడ తమ తమ కత్తుల్ని క్రింద పడేయమని ఆజ్ఞాపిస్తాడు. ఇదిగో నా శిరస్సు నరికేయి. నేను ఆయుధాల్ని ముట్టను. నా ప్రతిజ్ఞ భీషణం, తిర్గులేనిది అంటాడు పద్మతో. అయితే వెళ్ళంగి, మహాప్రభో, స్త్రీలుకూడ నిరాయుధుల్ని వధించదు, అంటూ తన విశాల స్త్రీసేనతో పద్మదుర్గంలో పలికి వెళ్ళిపోతుంది.

చివరగా, అశోకుడు తన సేనాధి కారులతో పాటు పసుపు వస్త్రాల్ని ధరించి బౌద్ధబిక్షువుతో దీక్ష తీసుకొని బౌద్ధ ధర్మ సిద్ధాంతాలైన – అహింస, దయ, శాంతి, ప్రజా సంక్షేమాలతో కూడిన మార్గాన్ని ఆ జీవనం అనుసరిస్తానని ప్రతిజ్ఞ చేస్తారు.

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