Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material Grammar वाक्य संरचना, कारक Questions and Answers.
TS Inter 1st Year Hindi Grammar वाक्य संरचना, कारक
అర్ధవంతమైన పద సముదాయాన్నిवाक्य (Sentence) అంటారు. రచన దృష్ట్యా वाक्य నాలుగు రకాలు అవి –
- साधारण वाक्य
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- संक्षिप्त वाक्य
1) साधारण वाक्य :
వాక్యంలో ఒక उद्देश्य (subject) ఒక विधेय (predicate) కలిగి ఉన్న వాక్యాన్ని साधारण वाक्य అంటారు. साधारण वाक्य లో పై రెండిటికి ప్రాధాన్యత ఉంటుంది.
उदा :
1) मजदूर काम कर रहा है ।
2) चिड़िया उड़ रही है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘मजदूर’, ‘चिड़िया’ उद्देश्य है, वाक्यों का शेष भाग विधेय है ।
साधारण वाक्य లో ఈ దిగువ పదాలు उद्देश्य (Subject) రూపంలో వస్తాయి.
संज्ञा – गोपाल पढता है ।
सर्वनाम – यह सब दौडता है ।
विशेषण – वह मोटा आदमी है ।
क्रियार्थक संज्ञा – खेलना तबीयत के लिए अच्छा है ।
वाक्यांश – आपस में लड़ना बुरा है ।
साधारण वाक्य లో సర్వసాధారణంగా कर्ता ఉంటుంది. అది వాక్యం ఆరంభంలో ఉంటుంది. కాని అప్పుడప్పుడు దాని స్థానంలో कर्म, करण, संप्रदान, మొదలైన అంశాలు రావచ్చు.
कर्म कारक – गोपाल को कलम दो ।
करण कारक – इन बातों से काम नहीं चलता ।
संप्रदान कारक – लड़को के लिए में रोटी लाया ।
2) मिक्ष वाक्य :
ఒక ముఖ్య ఉపవాక్యం, దానికి అనుబంధమైన ఒకటి లేక ఒకటి కంటే ఎక్కువ ఉపవాక్యాలు ఉన్న వాక్యాన్ని मिश्र वाक्य అంటారు.
उदा :
1) जिसने वचन दिया था, उसने धोखा दिया ।
2) मुझे मालूम है कि वह हमेशा बातें करता रहता है काम कूछ नहीं करता ।
आश्रित उपवाक्य మూడు రకాలుగా ఉంటాయి.
i) संज्ञा उपवाक्य : ముఖ్య ఉపవాక్యపు संज्ञा గాని లేని संज्ञा वाक्यांश కు గాని బదులుగా ఉపయోగించబడే ఉపవాక్యాన్ని ‘संज्ञा उपवाक्य’ అంటారు. उदाहरण : मुगलों का इतना सौभाग्य कहाँ था कि उन्हें विजय मिले । పై వాక్యంలో ‘उन्हें विजय मिले’ అశ్రిత ఉపవాక్యం. ఇది ముఖ్య ఉపవాక్యము ‘विजय मिलना’ అనే संज्ञा उपवाक्य బదులుగా వచ్చింది. ముఖ్య ఉపవాక్యంలో ఈ ‘संज्ञा उपवाक्य’ యొక్క ప్రయోగం గమనించండి.
क्या मुगलों को विजय, मिलने का सौभाग्य था ?
ii) विशेषण उपवाक्य : ముఖ్య ఉపవాక్యపు ఏదైనా संज्ञा యొక్క విశిష్టతను చెప్పే ఉపవాక్యాన్ని ‘विशेषण उपवाक्य’ అంటారు.
उदाहरण : जो लोग साहसी होते हैं, वे जीतते हैं । ఈ వాక్యంలో साहसी అనే ‘विशेषण’, लोग (संज्ञा) యొక్క విశిష్టతను తెలియజేస్తుంది.
iii) क्रिया – विशेषण उपवाक्य : ముఖ్య ఉపవాక్యపు क्रिया యొక్క విశిష్టతను తెలియపరిచే ఉపవాక్యాన్ని क्रिया – विशेषण उपवाक्य అంటారు.
उदाहरण: जब रात हुई डाकू टूट पडे ।
పై వాక్యంలో ‘जब रात हुई’ क्रिया – विशेषण उपवाक्य ఇది ముఖ్య ఉపవాక్యపు ‘रात’ क्रिया विशेषण స్థానంలో ప్రయోగించబడింది. मिश्र वाक्य లో ముఖ్య ఉపవాక్యపు సంబంధం आश्रित उपावाक्य
తో ఉన్నట్లే आश्रित उपवाक्य యొక్క సంబంధంతో ముఖ్య ఉపవాక్యం కూడా వచ్చే అవకాశం ఉంది.
उदाहरण : बच्चे ने कहा कि जिस दुकान में गया था उसमें रोटी नहीं मिली ।
ఈ వాక్యంలో ‘जिस दुकान में गया था’ అనే ఉపవాక్యం ‘रोटी नही मिली’ అనే संज्ञा उपवाक्य యొక్క विशेषण उपवाक्य అవుతుంది.
పై मिश्र वाक्य లో ప్రధాన ఉపవాక్యం ఒకటే, ఇతర రెండూ आश्रित उपवाक्य లే అని గమనించాలి.
3) संयुक्त वाक्य :
రెండు అంతకు మించి साधारण లేక मिश्र वाक्य కలిగిన వాక్యాన్ని ‘संयुक्त वाक्य’ అంటారు संयुक्त वाक्य లో साधारण, मिश्र वाक्य రెండూ ఉండవచ్చు.
उदाहरण : 1) हम स्टेशन पहुँचे और गाडी आयी ।
2) वे जल्दी आये पर मंत्री को देख नहीं सके ।
‘संयुक्त वाक्य ‘ లో వచ్చే వాక్యాలు అన్ని స్వతంత్ర వాక్యాలే. आश्रित वाक्य కానే కావు. దీనిలో ఒకటి ప్రధాన వాక్యం అయితే మిగతావి समानाधिकरण वाक्य గా ఉంటాయి. समानाधिकरण वाक्य నాలుగు రకాలు అవి –
अ) संयोजक :
1) हम आगे बढ़ गये और वे पीछे रह गये ।
2) एक दौड रहा है और दूसरा चल रहा है ।
పై వాక్యాలలో రెండేసి ఉపవాక్యాలు ఒకదానితో ఒకటి కలుస్తున్నాయి. వాటి పరస్పర కలయిక తెలియపరుస్తున్నాయి. కనుక వాటిని ‘संयोजक’ అంటారు.
आ) विभाजक :
1) हम जायेंगे या वे यहाँ आयेंगे ।
2) उन्हें बहुत समझाया या तो सुने या न सुने ।
పై వాక్యాలలో ‘या’ వలన ఈ ఉపవాక్యాలు వేరవుతున్నాయి. ‘ వీనిలో భావ, ఆలోచన, క్రియ సంబంధమైన విభజన ఉన్నది. కనుక దీనిని ‘विभाजक’ అంటారు.
इ) विरोधार्थक :
1) मैं सब कुछ जानता हूँ पर कमप्यूटर नहीं !
2) वह होशियार है किन्तु पढ़ता नहीं ।
పై వాక్యాలలో ‘परे’, किन्तु మొదలైన పదాలు పరస్పర విరోధాన్ని తెలియజేస్తున్నాయి. కనుక వాటిని ‘विरोधार्थक’ అంటారు.
ई) परिणाम बोधक :
1) छात्र ने खुब पढ़ा इसलिए पास हुआ ।
2) वह कमजोर था अंत : हार गाया ।
పై వాక్యాలలో ఏదేని పరిణామం గోచరిస్తుంది. ‘इसलिए’, ‘अतः’ ద్వారా ఈ పరిణామం వ్యక్తమౌతుంది. కనుక వీటిని ‘परिणाम बोधक संयुक्त वाक्य’ అంటారు.
4) संक्षिप्त वाक्य :
- बैठिए ।
- सुना है ।
- कहते हैं ।
- जैसे आपकी मर्जी ।
- जो आप समझे ।
- जो उचित हो ।
పై వాక్యాలలో కొన్ని పదాలు లోపించాయిలోపించిన శబ్దాలు అత్యావశ్యకమే అయినా, వాటిలేమి కారణంగా అర్ధంలో మాత్రం ఏ లోటు లేదు.
సహజంగా అర్ధమయ్యే శబ్దాల్ని వదిలివేసి ఏ వాక్యాన్ని సంక్షిప్తం చేస్తామో, ఆ వాక్యాన్ని ‘संक्षिप्त वाक्य’ అంటారు. संक्षिप्त वाक्य టెలిగ్రామ్ లో ఎక్కువగా వాడబడతాయి. అతి తక్కువ పదాలతో అత్యధిక భావాన్ని వ్యక్తం చేయటానికి ‘संक्षिप्त वाक्य’ బాగా ఉపయోగపడతాయి .
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद : అర్ధం, నిర్మాణం, దృష్ట్యా వాక్యాలు 8 రకాలు, అవి –
1) निषेधार्थक जिस वाक्य से किसी बात के न होने अथवा किसी विषय के अभाव का बोध हो, उसे ‘निषेधार्थक’ वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) वे काम नहीं करते ।
2) हमें रोटी नहीं चाहिए ।
2) विधानार्थक : जिस वाक्य से किसी बात का होना प्रकट हो, उसे ‘विधानार्थक’ वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) भारत में भिन्नता में एकता है ।
2) कॉलेज में छात्र पढते हैं ।
3) आज्ञार्थक : जिस वाक्य से आज्ञा, आदेश, अनुदेश, उपदेश, देने का बाध हो, उसे ‘अज्ञार्थक’ वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) तुम कल उससे मिलो ।
2) राम तुम खुब पढ़ो ।
4) प्रश्नार्थक : जिस वाक्य से किसी विषय के संबंध में प्रश्न पूछने का बोध हो, उसे ‘प्रश्नार्थक’ वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) मजदुर क्या काम कर रहा है ?
2) ये लोग कहाँ के रहनेवाले हैं ।
5) इच्छार्थक : जिस वाक्य से किसी इच्छा था आशीर्वाद के भाव प्रकट हो, उसे इच्छार्थक वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) जुग जुग जियो ।
2) भगवान तुम्हें सदा सुखी रखे ।
6) सन्देहार्थक : जिस वाक्य से किसी कार्य के संभव होने (या) असंभव अथवा सन्देह का बोध हो, उसे ‘संदेहार्थक’ वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) खेल में न जाने कौन जीत जाएगा ।
2) तुम्हें नौकरी मिले या नहीं क्या मालुम ।
7) संकेतार्थ : जिस वाक्य से संकेत के अर्थ का बोध हो, उसे संकेतार्थ वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) अगर वह उद्योग करता तो सफल होता ।
2) हम जल्दी जाते तो गाड़ी पकड़ पाते ।
8) विस्मयादि बोधक : जिस वाक्य में विस्मय, आश्चर्य आदि अर्थ प्रकट हो, उसे ‘विस्मयादि बोधक’ वाक्य कहते हैं ।
उदा :
1) अरे तुम्हे क्या हो गया ।
2) ओहो । तुम आ गये ।
वाक्य रचना संबंधी त्रुटियाँ : హిందీ వ్రాసేటప్పుడు అజాగ్రత్త కారణంగా కొన్ని తప్పులు దొర్లుతాయి. కొంచెం జాగ్రత్త పాటిస్తే ఆ తప్పులు నివారించవచ్చు. వ్రాసేటప్పుడు వాక్య నిర్మాణంపై దృష్టి పెట్టాలి. వాక్యంలో శబ్దాలను సరైన క్రమంలో వాడకపోతే వ్యక్తపరచాలనుకున్నా అర్ధంకాక వేరొక అర్ధం ధ్వనిస్తుంది.
उदा : मैं ने टहलतें हुए बाग में एक आम देखा ।
ఈ వాక్యం क्या बाग टहलता है ? అనే ప్రశ్న ఉదయిస్తుంది. అందు కోసం ఇలా వ్రాయాలి.
“जब मैं बाग में टहल रहा था तब एक आम देखा” ।
वाक्य के प्रकार (Types of Sentences)
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
अर्थ के आधार पर वाक्य निम्नलिखित आठ प्रकार के होते हैं ।
- विधानवाचक वाक्य ( Assertive sentence)
- निषेधवाचक वाक्य (Negative sentence)
- प्रश्नवाचक वाक्य (Interrogative sentence)
- संकेतवाचक वाक्य (Conditional sentence)
- संदेहवाचक वाक्य (Sentence indicating doubt)
- इच्छावाचक वाक्य (Illative sentence)
- आज्ञावाचक वाक्य (Imperative sentence)
- विस्मयादिवाचक वाक्य (Exclamatory sentence)
वाक्य रचना संबंधी त्रुटियाँ : हिन्दी लिखते समय असावधानी के कारण कुछ त्रुटियाँ हो जाया करती हैं । यदी थोड़ी-सी सावधानी रखी जाय तो इन त्रुटियों से बचा जा सकता है ।
जैसे :
- लिंग, वचन के अनुसार क्रिया रूप लिखना चाहिए ।
- काल के अनुरूप धातु-क्रिया रूप बदलना चाहिए ।
- वाक्य संरचना कर्ता – कर्मा-क्रिया रूप में होना चाहिए ।
- मेरे को, तेरे को के स्थान पर मुझे, मुझे शब्दों का प्रयोग करें ।
- वाक्य में भाव के अनुसार कारक चिह्नों का प्रयोग करें ।
शुध्द अशुध्द वाक्यों के उदाहरण :
1) अशुद्ध : राम रावण मारा ।
शुद्ध : राम ने रावण के मारा ।
2) अशुद्ध : वह घर को चला गया ।
शुद्ध : वह घर चला गया ।
3) अशुद्ध: मेरे को बुला रहा है ।
शुद्ध : वह मुझे बुला रहा है ।
4) अशुद्ध : तुम तेरे भाई के साथ खेल ।
शुद्ध : तुम अपने भाई के साथ खेलो ।
5) अशुद्ध : आप तुम्हारा रुपया ले लो ।
शुद्ध : आप अपने रुपये ले लीजिए ।
6) अशुद्ध : आप अच्छी महापुरुष है ।
शुद्ध : आप महापुरुष है ।
7) अशुद्ध : वह सबसे श्रेष्ठतम है ।
शुध्द : वह सबसे श्रेष्ठ है ।
8) अशुद्ध : वह शिक्षा दिया ।
शुद्ध : उसने शिक्षा दी ।
9) अशुद्ध : वे गाँव जाता है ।
शुद्ध : वह गाँव जाता है ।
10 ) अशुद्ध : वह धीरे चला गया ।
शुद्ध : वह धीरे से चला गया ।
11) अशुद्ध : यदि काम करोगे इसलिए पैसा मिलेगा ।
शुद्ध : यदि काम करोगे तो पैसा मिलेगा ।
12) अशुद्ध : उनका प्राण चला गया ।
शुद्ध : उनके प्राण चले गये ।
13) अशुद्ध : मैं चाय पीते हैं ।
शुद्ध : मैं चाय पीता है ।
14) अशुद्ध : उसका होश उड़ गया ।
शुद्ध : उसके होश उड़ गए ।
15) अशुद्ध : कल परिणाम निकलेगी ।
शुद्ध : कल परिणाम निकलेगा ।
16) अशुद्ध : मोहन ने पुस्तक लिखा ।
शुद्ध : मोहन ने पुस्तक लिखी ।
17) अशुद्ध : वह खेल खेला ।
शुद्ध : उसने खेल खेला ।
18) अशुद्ध : अध्यापक ने विद्यार्थी पढ़ाया ।
शुद्ध : अध्यापक ने विद्यार्थी को पढ़ाया ।
19) अशुद्ध : उसने खेलना चाहिए ।
शुद्ध : उसको खेलना चाहिए ।
20) अशुद्ध : खाना खाके आओ ।
शुद्ध : खाने केलिए आओ ।
21) अशुद्ध : वह पढ़ते हैं ।
शुद्ध : वे पढ़ते हैं ।
22 ) अशुद्ध : मैं मेरे गाँव जाऊँगा ।
शुद्ध : मैं अपने गाँव जाऊँगा ।
23) अशुद्ध : तुम तुम्हारी गाड़ी को यहाँ रखो।
शुद्ध : तुम अपनी गाड़ी को यहाँ रखो
24) अशुद्ध: मेरे को कुछ न बोलो ।
शुद्ध : मुझे कुछ न बोलो ।
25) अशुद्ध : आप और आपके बेटे को मैं जानता हूँ ।
शुद्ध : आप को और आपके बेटे को मैं जानता हूँ ।
कारक (CASE)
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों से जाना जाता है, उसे कारक कहते हैं ।
जैसे : राम ने रावण को तीर से मारा ।
नीचे दिये गये वाक्यों में रेखांकित शब्द कारक चिह्न कहलाते है । ललिता ने रवि को पत्र लिखा ।
आप लागों से उसने क्या मांगा ।
मुझको उसके बारे में कुछ नहीं मालुम ।
उनसे पत्र नहीं मिलने से अविनाश बहुत परेशान है ।
अरे! यह क्या हुआ ?
कारकों का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता । अतः कारक को समझने के लिए विभक्ति के बारे में जानना आवश्यक है ।
जिन चिह्नों द्वारा संज्ञा की अवस्था प्रकट होती है । उसे विभक्ति कहते हैं । अर्थात् वाक्य की क्रिया अथवा दुसरे शब्दों के साथ संज्ञा का सम्बन्ध जिन चिह्नों से जाना जाता है उन्हें विभक्ति कहते हैं ।
‘ने’, ‘को’, ‘से’, ‘के लिए’, ‘का’, ‘कि’, ‘के’, ‘रा’, ‘री’, ‘रे’, ‘ना’, ‘नी’, ‘में’, ‘पर’, आदि सभी चिह्न विभक्तियाँ कहीं जाती है ।
कारक के आठ प्रकार हैं ।
1) कर्ता कारक – इस कारक का चिह्न ‘ने’ है ।
उदाहरण :
अ) रवि ने दूध पिया ।
आ) मैं ने चिट्टी लिखी ।
इन वाक्यों में संज्ञा या सर्वनाम का रुप ‘ने’ से क्रिया करनेवाला का ज्ञान हुए हैं । अतः इसे कर्ता कारक कहते हैं । हिन्दी में ने प्रत्यय का प्रयोग भूतकाल में होता है ।
2) कर्म कारक – इस कारक का चिह्न ‘को’ है ।
उदाहरण :
अ) इस पुस्तक को वहाँ रख दो ।
आ) रामू कुत्ते को मार रहा है ।
इन वाक्यों में यह स्पष्ट है कि रखी जानेवाली पुस्तक है और मारा जाने वाले कुत्ता है । इस प्रकार इस कारक चिह्न ‘को’ से वाक्य के कर्म का पता चलता है अतः यह कर्म कारक है ।
3) करण कारक – इस कारक का चिह्न से है । इसके द्वारा साधन का बोध होता है ।
जैसे –
अ) मैं ने पत्र से उसे मारा ।
आ) मैं पेन्सिल से लिखता हूँ ।
इन वाक्यों में ‘पत्र’ ‘से’ और ‘पेन्सिल से’ इनके द्वारा साधान का बोध होता है । अतः संज्ञा व सर्वनाम का वह रुप जिससे क्रिया के साधन का बोध होता करण कारक कहते हैं ।
4) सम्प्रदान कारक – इस कारक का चिह्न ‘को’, केलिए हैं ।
जैसे-
अ) मोहन राकेश केलिए मिठाई लाया ।
आ) आप रामू को दस रुपये दीजिए ।
इन वाक्यों में यदि प्रश्न करें तो मिठाई किसके लिए लाया ? ‘राकेश के लिए’ उत्तर है । इसी तरह ‘दस रुपये किस को ‘ तो उत्तर है राम का । इस प्रकार हम देखते हैं कि क्रिया जिस के लिए की जाती है उसका बोध करानेवाले संज्ञा या सर्वनाम के रूप को सम्प्रदान कारक कहा जाता है ।
5) अपादान कारक संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिससे क्रिया के विभाग की सीमा का पता चलता है उसे अपादान कारक कहा जाता है।
जैसे –
अ) पेड़ से फल गिरा ।
आ) यह बस बासर से जाती है ।
क्रिया से प्रश्न करें कि फल कहाँ से गिरा ? उत्तर – पेड से अभं इस वाक्य में किसी वस्तु का उसके स्थान से अलग होने का बोध होता है ।
6) सम्बन्ध कारक – इस कारक का चिह्न हैं- का, के, की, रा, री, रे, आदि ।
जैसे: –
अ) शीला का घर
आ) प्रभाकर की घड़ी
इ) मेरा विश्वविद्यालय
ई) ललिता के बच्चे
उ) तुम्हारे पैसे
ऊ) मेरी पुस्तकें
संज्ञा का संबंध का, के, की, रा, रे, री, चिह्नों के माध्यम से दूसरी संज्ञाओं से रहा है । अतः संज्ञा के जिस रूप से उसका सम्बन्ध वाक्य की दूसरी संज्ञा से प्रकट हो, उसे ‘सम्बन्ध कारक’ कहते हैं ।
7) अधिकरण कारक – संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के स्थान का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं ।
जैसे – अ) जंगल में पशु-पक्षी रहते हैं ।
आ) पेड़ पर चिड़ियाँ बैठी हैं ।
क्रिया के आधार का बोध ‘में’ और ‘पर’ से हुआ है । अतः ‘में’, और ‘पर’ अधिकरण कारक के चिह्न हैं ।
8) सम्बोधन कारक – सम्बोधन कारक चिह्न हैं- ‘हे’, ‘अरे !’, आदि ।
जैसे – अ) अरे किरण !
आ) हे भगवान !
इ) ओ रामू !
ई) ओह ! कितनी ठंडी है ?
कारक के ये सभी रुप किसी को पुकारने । बुलाने, अपनी व्यथा या पीड़ा सुनाने के लिए प्रकट होते हैं । अतः इन्हें सम्बोधन कारक कहते हैं ।
अंग्रेजी में कारकों को Prepositions कहते हैं और ये शब्द के प्रारंभ में आते हैं । लेकिन हिन्दी में इनका प्रयोग शब्द के बाद में किया जाता है । इसलिए इनको परसर्ग (Post positions) कहते हैं । हिन्दी में कारकों का प्रयोग महत्वपूर्ण है ।
‘ने’ का विशेष प्रयोग होता है। ‘को’, ‘से’ और ‘में’ का प्रयोग अनेक अर्थों में होता है ।
अभ्यास
रिक्त स्थानों की पूर्ति सही कारक चिह्ननों से कीजिए ।
1) राजु ने पढ़ाई की ।
2) वाह ! कितना सुंदर दृश्य है ।
3) मेज पर पुस्तक है ।
4) वह बस से गिर पड़ा ।
5) सोमू को पुस्तक चाहिए ।
6) वह बहुत दूर से आता है ।
7) घर को अनाज चाहिए ।
8) वह रामू से लड़ता है ।
9) किसान मिट्टी में बीज बोता है ।
10) वह पेड़ से फल तोड़ते लगा ।
11) राम कलम से लिखता है ।
12) पिता पुत्र को समझता है ।
13) मेरा घर दिल्ली में हैं ।
14) डाल पर पिड़िया बैठी है ।
15) नोकर ने काम किया ।
16) रमेश की बेटी बीमार है ।
17) आशा ने गीत गाया ।
18) हे, भगवान ! अब मैं क्या करूँ ।
19) यह पूस्तक संगीत की है ।
20) मैं तुम से बड़ा हूँ ।
21) राम ने रोटी खायी है ।
22) मैं भारत का निवासी हूँ ।
23) सीता घर से निकलती है ।
24) मेज पर पूस्तकें रखी हैं।
25) बच्चे को खाना खिलाओ ।
26) राम गोपाल से होशियार है ।
27) चीता, घोड़े से तेज दौड़ता है ।
28) चोर ने चाकू से मारा ।
29) मेरी कलम जेब में है ।
30) अध्यापक केलिए कूर्सी लाओ ।