TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 1 अंधेर नगरी

Telangana TSBIE TS Inter 2nd Year Hindi Study Material उपवाचक 1st Lesson अंधेर नगरी Textbook Questions and Answers.

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक 1st Lesson अंधेर नगरी

लघु प्रश्न (లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
गोबरधनदास के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
गोबरधनदास गुरू महंत का एक शिष्य है । वह बहुत बडा लोभी हैं। गुरू महंत के साथ देशाटन करते हुए अंधेर नगरी पहुँचता है । वहाँ हर चीज टके सेर मिलती है । गुरूजी मना करने के बाद भी वहीं रहना चाहता हैं । भिक्षा में पैसे मिले तो मिठाई लाकर खाता है । एक दिन किसी दीवार टूटने से एक बकरी दबकर मर जाती है । फरियादि के अनुसार राजा दीवार बनानेवाले कोतवाल को फाँसी देने का आदेश देता हैं । गोबर धनदास मोटा आदमी होने के वजह से सिपाही उसको पकड लेते हैं । तब गुरू की दुहाई देता है । गुरू आकर कहता है कि इस शुभ घडी में मरनेवाला सीधे स्वर्ग जाएगा । यह सुनते ही हर आदमी फाँसी पर चढने तैयार होता है । आखिर राजा खुद फाँसी पर चढकर मर जाता है। गुरू महंत और शिष्य उस नगरी से भाग निकलते हैं ।

प्रश्न 2.
“अंधेर नगरी’ एकांकी के अंत में फाँसी पर कौन चढा ? और क्यों ?
उत्तर:
“अंधेर नगरी’ एकांकी के अंत में चौपट राजा खुद फाँसी पर चढता है और मरजाता है । क्यों कि गुरू महंत ने गोबरधनदास को बचाने के लिए कहा कि इस शुभ घडी में मरनेवाला सीधे स्वर्ग जाएगा। सीधे स्वर्ग जाने की लालच में राजा फाँसी पर चढा । गोबर धनदास मोटा आदमी होने के वजह से सिपाही उसको पकड लेते हैं ।

अंधेर नगरी Summary in Hindi

लेखक परिचय

आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह श्री भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म सन् 1850 में हुआ था । इनका मूल नाम “हरिश्चंद्र’ था, “भारतेंदु” उनकी उपाधि थी । हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारंभ भारतेंदु माना जाता है । इन्होंने अपनी रचनाओं में देश की गरीबी, पराधीनता का चित्रण किया है । हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में भी इनका योगदान रहा। यह एक मौलिक नाटक है ।

साहित्यिक परिचय : भारतेंदु बहुमुखी प्रतिभा संपन्न थे । वे एक उत्कृष्ट कवि, व्यंग्यकार सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार एवं कुशल वक्ता भी थे । इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं सत्य हरिश्चंद्र, चंद्रावली, भारत दुर्दशा, नीलदेवी, अंधेर नगरी, प्रेम जोगनी, वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति । इन्होंने “हरिश्चंद्र पत्रिका”, “कविवचन सुधा’ और बालविबोधिनी पत्रिकाओं का संपादन भी किया । केवल पैंतीस वर्ष की आयु तक इन्होंने अनेक दिशाओं में काम किया । इनका निधन सन् 1885 में हुआ था ।

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 1 अंधेर नगरी

कवि परिचय : आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह श्री भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म सन् 1850 में हुआ था । इनको आधुनिक काल के प्रवक्त माना जाता है । इसलिए इस युग को “भारतेंदु युग’ भी कहा जाता है । इनका मूल नाम ‘ हरिश्चंद्र’ था, भारतेंदु उनकी उपाधि थी । इन्होंने अपनी रचनाओं में देश की गरीबी, पराधीनता का चित्रण किया ।

सारांश

‘अंधेर नगरी’ हास्यात्मक एकांकी है । एकांकी हमें यह सबक देता है कि मूर्खों का संग कभी हमारा भला नहीं करता । एकांकीकार भारतेंदु हरिश्चंद्र हिन्दी के बहुमुखी साहित्यकार हैं ।

गुरू महंत एक बार देशाटन करते हुए अपने दो शिष्य गोबर्धनदास और नारायणदास के साथ किसी शहर में आते हैं । उस शहर का नाम अंधेर नगरी है और वहाँ हर चीज़ टके सेर मिलती है। तब गुरु बताते हैं कि यहाँ रहने से आफ़त होगी । लेकिन शिष्य गुरु की बात नहीं मानते । वे वहीं रहना चाहते हैं । गुरू महंत यह कहकर चले जाते हैं कि आफत के समय मेरी याद करना ।

एक दिन किसी दीवार के टूटने से एक बकरी दबकर मर जाती है । राजा के पास इसकी शिकायत आती है, तब कल्लु बनिया बुलाया जाता है । क्यों कि बह टूटी दीवार कल्लु बनिये की थी । कल्लू वनिया कहता है कि यह कारीगर का कसूर है। कारीगर चूनेवाले को, चूनेवाला भिश्ती को, भिरती कसाई को, कसाई गडरिये को और गडरिया कोतवाल को अपराधी बताते हैं । आखिर कोतवाल को दोषी ठहराकर उसे फाँसी की सजा दी जाती है ।

फांसी का फंदा बड़ा निकलता है और कोतवाल दुबला है, तो राजा आदेश देता है कि कोतवाल के बदले किसी मोटे आदमी को फाँसी पर बढ़ाया जाए ।

शिष्य गोवर्धनदास काफ़ी मोटा था, इसलिए सिपाही गोबर्धनदास को कड़ लेते हैं । जब सारी बातें मालूम होती हैं तब गोबर्धनदास को बड़ा छतावा होता है । वह गुरू की दुहाई देता है । गुरु आते हैं और कहते हैं के इस शुभ घडी में मरनेवाला सीधे स्वर्ग जाएगा ।

यह सुनते ही हर आदमी फाँसी पर चढने तैयार होता है । लेकिन ग़जा के होते हुए यह भाग्य दूसरे को कहाँ मिलेगा ? राजा खुद फाँसी पर ढ़ता है और मर जाता है । गुरू महंत और शिष्य उस शहर से भाग नेकलते हैं ।

इस एकांकी में भारतेंदु ने चौपट राजा के माध्यम से राजनीतिक भ्रष्टाचार, दूरदृष्टि हीनता और कौशल हीनता को प्रकट किया है ।

विशेषताएँ : इस एकांकी में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए उसे अपने ही कर्मों द्वारा नष्ट होते दिखया गया है ।

अंधेर नगरी Summary in Telugu

కవి పరిచయం

ఆధునిక హిందీ సాహిత్య పితామహుడు శ్రీ భారతేండు హరిశ్చంద్రుడు 1850 సం॥లో జన్మించారు. ఈయన్ని ఆధునిక కాల ప్రవర్తకుడు అని, ఈయన కాలాన్ని “భారతేందు యుగం” అని పిలవబడుతుంది. ఈయన అసలు పేరు “హరిశ్చంద్ర్” భారతేందు ఆయన బిరుదు. ఈయన తన రచనల్లో దేశ పేదరికం, పరాధీనతను చిత్రీకరించారు.

సారాంశము

“అంధేర్ నగరీ” హాస్యాత్మక ఏకాంకి మూర్ఖులతో స్నేహం మనకు మంచిని చేయదని ఈ ఏకాంకి మనకు గుణపాఠం నేర్పుతుంది. ఈ పాఠ రచయిత “భారతేందు హరిశ్చంద్” బహుముఖ సాహిత్యవేత్త.

ఒకసారి గురు మహంత్ దేశాటన చేస్తూ తన ఇద్దరు శిష్యులైన గోబర్ ధన్ దాస్ మరియు నారాయణ దాస్తో కలిసి “అంధేర్ నగరీ” అనే పట్టణానికి వస్తారు. అక్కడ ప్రతి వస్తువు “సేరు అర్ధణా” కే లభిస్తుంది. ఇక్కడ ఉండటం ప్రమాదమని గురువు చెప్తారు. అయినా శిష్యులు ఆయన మాట వినక అక్కడే నివసించాలని అనుకుంటారు. సరేనంటూ ఆపద సమయంలో నన్ను గుర్తు చేసుకోమని చెప్పి గురుమహంత్ వెళ్ళిపోతారు.

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 1 अंधेर नगरी

ఒకరోజు ఏదో ఒక గోడ కూలిపోవడంతో దాని క్రింద ఒక మేక పడి చనిపోతుంది. ఈ విషయమై రాజు వద్దకు ఫిర్యాదు చేయబడుతుంది. అందుకు ఆ గోడ యజమాని కల్లు అనే పేరు గల వైశ్యుడు / వ్యాపారిని పిలవబడుతాడు. ఈ తప్పు గోడకట్టిన (తాపీ మేస్త్రి) కార్మికునిదని చెబుతాడు. ఈ విధంగా గోడ నిర్మాణ కార్మికుడు సున్నం కలిపినవాడు తప్పని, ఇతను నీటిని తెచ్చేవాడిని (బిశ్రీ), బిశ్రీ కసాయివాడిని, కసాయి గొర్రెల కాపరిని, గొర్రెల కాపరి పోలీస్ ఇన్స్పెక్టర్ని దోషులుగా చెప్పబడుతుంది. చివరకు పోలీస్ ఇన్ స్పెక్టర్ని దోషిగా నిర్ణయించి ఉరిశిక్ష విధించడమైనది.

ఉరితాడు ఉచ్చు పెద్దగా ఉండటం మరియు పోలీస్ ఇన్స్పెక్టర్ బలహీనంగా ఉండటంతో రాజు పోలీస్ ఇన్స్పెక్టర్కి బదులుగా ఎవరైనా బలంగా లావుగా ఉన్న వ్యక్తికి ఉరి వేయవలసినదిగా ఆదేశిస్తాడు.

గురు మహంత్ శిష్యుడు గోబర్ ధన్దాస్ చాలా లావుగా ఉంటాడు. అందువల్ల రాజుగారి సైనికులు గోబర్ ధన్ దాసుని పట్టుకెళతారు. అప్పుడుగానీ అన్ని విషయాలు తెలుసుకొన్న గోబర్ ధన్ దాసు చాలా పశ్చాత్తాప పడతాడు. గురువు గారిని సహాయం (రక్షింపమని) వేడుకుంటాడు. గురువుగారు వచ్చి అక్కడి వారినందరిని ఉద్దేశించి “ఈ శుభఘడియలో ఎవరైతే మరణిస్తారో వారు సూటిగా స్వర్గానికి వెళతారు” అని చెప్తారు.

ఈ మాట వినడంతోనే ప్రతి ఒక్కరు ఉరిశిక్షకు సన్నద్దం అవుతారు. అయితే రాజుగారంతటివారే ఉండగా వేరే ఎవరికో ఈ అదృష్టం ఎలా దక్కుతుంది. కాబట్టి రాజుగారే స్వయంగా ఉరిశిక్షకు పాత్రుడవుతారు మరియు మరణిస్తారు. ఇంతటితో గురు మహంత్ మరియు శిష్యులు ఆ పట్టణం నుండి (అంధేర్ నగరీ నుండి) పారిపోతారు.

ఈ పాఠంలో ఏకాంకీకార్ భారతేందు చౌపటేరాజుగారి ద్వారా చెడిపోయిన రాజకీయాలు, దూరదృష్టి లేకపోవడం, నేర్పరితనం తేకపోవడాన్ని ప్రకటించారు.

విశేషత : ఈ పాఠంలో వివేకంలేని, నిరంకుశ పాలనా వ్యవస్థను హేళన చేస్తూ తానే స్వయంగా నష్టపోవడాన్ని చూపించడం జరిగింది.

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