TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 2 गाँव का ईश्वर

Telangana TSBIE TS Inter 2nd Year Hindi Study Material उपवाचक 2nd Lesson गाँव का ईश्वर Textbook Questions and Answers.

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक 2nd Lesson गाँव का ईश्वर

लघु प्रश्न (లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
रतन कौन है ? उसके बारे में तीन – चार वाक्य लिखिए ।
उत्तर:
रतन शिवपाल का शिक्षित जेष्ठ पुत्र जो शहर में नौकरी करता घर चलाने के लिए हर महीना पैसा भेजता है । उसमें विनय विवेक, वात्सल्य, उदात्त भाव आदि कूट कूट कर भरे रहते हैं। अपनी छोटी बहन केशर को, बेमेल विवाह से बचाने की भरसक कोशिश करता है। शहर में उसे पढ़ाकर सयानी कर योग्य युवक से शादी कराना चाहता है। सचमुच रतन घर का, गाँव का और समाज का रतन है ।

प्रश्न 2.
‘गाँव का ईश्वर’ प्रकांकी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
‘अशिक्षा से ग्रामीण प्रांतों में कई दुष्परिणाम होते रहते हैं । उनमें बेमेल विवाह, बाल्यविवाह, लडकियों को समान अधिकार न देना, शिक्षित संतान की भावनाओं को प्राथमिकता न देना, बडों की पसंद को छोटों की पसंद बनाकर थोपना, बड़ा आदमी चाहे कैसे भी हो, गाँव का ईश्वर समझना आदि हैं। इन बिंदुओं की ओर पाठकों की दृष्टि आकृष्ट कर इन दुष्परिणामों को दूर कराने की कोशिश करना ही इस एकांकी का मुख्य उद्देश्य है ।

गाँव का ईश्वर Summary in Hindi

लेखक परिचय

डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल का जन्म सन् 1927 में हुआ था । तथा निधन सन् 1987 में हुआ था । वे न केवल श्रेष्ठ नाटककार थे, बल्कि एकांकीकार, कहानीकार, उपन्यासकार और समीक्षक भी थे। वे संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किए गए तथा साहित्य कला परिषद एवं हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत किए गए ।

लक्ष्मीनारायण लाल जी के प्रमुखनाटक हैं- अंधाकुआँ, मादा केक्टस, सुंदर रस, सुखा सरोवर आदि । इनके एकांकी संग्रह हैं – पर्वत के पीछे, नाटक बहुरूपी, ताजमहल के आँसू, मेरे श्रेष्ठ एकांकी आदि । इनके आनेवाला कल, लेडी डॉक्टर डाकू आए थे, मेरी प्रतिनिधि कहानियाँ आदि प्रसिद्ध कहानी संग्रह हैं । इनके उपन्यासों के अंतर्गत धरती की आँखें, बया का घोंसला और सांप, काले फूल का पौधा, अपना-अपना राक्षस आदि प्रसिद्ध हैं । आधुनिक हिंदी कहानी, आधुनिक हिंदी नाटक और रंगमंच आदि इनके समीक्षा – ग्रंथ हैं ।

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 2 गाँव का ईश्वर

आपकी रचनाओं में मध्यवर्गीय नागरिक जीवन, ग्रामीण जीवन, मानवीय संबंध, प्रेमकी विभिन्न मनोदशाएँ आदि प्रतिबिंबित हैं ।

प्रस्तुत एकांकी ‘गाँव का ईश्वर’ गाँव की अशिक्षा से होनेवाले बेमेल विवाह अंध विश्वास आदि दुष्परिणामों को दर्शानेवाला सफल पुकांकी है ।

सारांश

ग्रामीण शिवपाल के परिवार में उसकी पत्नी, रतन जतन नामंक दो बेटे तथा केशर नामक बेटी हैं। बेटी पूरे तेरह साल की भी नहीं है। शिवपाल उस नादान बेटी केशर का बेमेल विवाह दोबार विवाहित एक विधुर बूढ़े से करने की कोशिश करता है । वह किसीका नहीं सुनता। यह विवाहं केशर को पसंद नहीं है । वह पिता को अपनी अनिच्छा बताने से डरती है । उसका बड़ा भाई रतन शिक्षित और शहर में रहकर नौकरी करता है । उसकी कमाई से घर चलता है । वह भी इस विवाह का विरोध करता है । इस कारण शिवपाल रतन से नाराज होता है और गालियाँ देता रहता है । रतन की माँ उसका खंडन करती है ।

एक ओर विवाह की तैयारियाँ होती रहती हैं। सभी सगे – संबंधी आ जाते हैं । कोलाहल मच जाता हैं। लेकिन रतन नहीं आपाता है । कुछ बुजुर्ग रतन और शिवपाल के बारेमें बातचीत करते रहते हैं । इतने में मुहूर्त के पहले रतन आता है । वह बुजुर्गों और माँ का चरणस्पर्श करता है । पिता का अभिवादन करता है । सभी सगे-संबंधियों को कपड़े और बच्चों को मिठाई, खिलौने लाता है । बहन को विवाह संबंधी वस्त्र और आभूषण लाता है ।

साथ साथ पैसा भी लाता है । फिर भी रतन और केशव खुश नहीं हैं । अकेले रतन केशव से कहता है कि मेरी दुन्तारी मुन्नी ! चल, भाग चल ! मैं तुझे इसी तरह शहर ले जाऊँगा, छिप जाऊँगा तुझे लेकर। शहर में तुझे पढ़ाऊँगा, सयानी करूँगा, और जब जीवन के प्रति तेरा दृष्टिकोण निश्चित हो जाएगा, तब तेरी शादी करूँगा ठीक तेरे ही योग्य । नहीं तो यह घर, यह गाँव, यहाँ का ईश्वर तुझे इसी तरह जिंदा गाड़ देगा इसी धरती । इस तरह कई प्रकार वह समझ – बुझाता, उत्साह भरने की कोशिश करता है । लेकिन बेबस केशर, ऐसा नहीं भइया, कहते हुए सिसकती उसके पैरों से लिपट जाती हैं । रतन भी रो पड़ता है ।

विफल होकर निस्सहाय रतन चुपचाप घर छोड़कर राहर लौट जाता है । माँ और बेटी से पड़ती हैं। पिता गाली देता है। बाकी लोग आश्चर्यपूर्ण दुःख से एक- दूसरे को देखते ही रह जाते हैं ।

गाँव का ईश्वर Summary in Telugu

సారాంశము

గ్రామీణుడైన శివపాల్ కుటుంబంలో అతని భార్య, రతన్, జతన్ అనే పేరుగల ఇరువురు కుమారులు, కేశర్ అనే పేరుగల ఒక కుమార్తె ఉంటారు. శివపాల్ తన 13 ఏళ్ళు కూడ లేని అమాయకపు కూతురు కేశర్ వివాహం రెండు పెళ్ళిళ్ళయి భార్యలు చనిపోయిన వృద్ధునితో చేయటాన్కి ప్రయత్నిస్తాడు.

TS Inter 2nd Year Hindi उपवाचक Chapter 2 गाँव का ईश्वर

అతను ఎవరి మాట వినని, మొండిఘటం. కేశర్కి ఈ సంబంధం ఇష్టం లేదు. కాని తండ్రికి ఈ మాట చెప్పటాన్కి భయపడ్తుంది. తన పెద్దన్న రతన్ విద్యావంతుడు. పట్టణంలో ఉంటూ ఉద్యోగం చేస్తుంటాడు. అతని సంపాదనతో ఇల్లు గడుస్తుంది. అతను కూడా ఈ వివాహాన్ని వ్యతిరేకిస్తాడు. రతనంటే శివపాల్కు పడదు; అతడంటే కోపడతాడు, తిడుతుంటాడు. రతన్ తల్లి ఖండిస్తూ ఉంటుంది.

ఒకవైపు పెళ్ళి పనులు ముమ్మరంగా జరుగుతాయి. బంధుమిత్రులు వస్తారు. ఇల్లంతా సందడి. కాని రతన్ ఇంకా రాలేదు. కొందరు పెద్దలు, తండ్రి-పెద్దకొడుకు రతన్ గురించి మాట్లాడు కొంటూ ఉంటారు. ఇంతలో ముహూర్తానికి ముందుగ రతన్ వచ్చిపెద్దలకు, తల్లికి పాదాభివందనంచేస్తాడు. తర్వాత ఆలస్యంగా వచ్చిన తండ్రికి అభివాదం చేస్తాడు.

బంధువు లందరికి కొత్త బట్టలు, పిల్లలకు మిఠాయి ఆట వస్తువులు, చెల్లకి పెళ్ళిబట్టలు-నగలు తీసుకువస్తాడు. అంతేకాకుండా అవసరమైన డబ్బు తీసుకొస్తాడు. అయినా రతనక్కు, చెల్లికి సంతోషముండదు. ఒంటరిగా ఉన్నపుడు చెల్లికి హితబోధ చేస్తుంటాడు-నా ముద్దులమున్నా! రా, నాతో వచ్చేయ్, పారిపోదాం, పట్నానికి తీసుకుపోతా, ఎవరికి కనపడకుండా ఉందాం, పట్నంలో నిన్ను చదివిస్తా, తెలివైనదానిగా తయారుచేస్తా, జీవితం మీద అవగాహన కల్గినపుడు నీకు సరిజోడైన యువకునితో పెళ్ళిచేస్తా.

ఒప్పుకోకపోతే ఈ యిల్లు, ఈ పల్లె, ఇక్కడ దేవుళ్ళు- ఈ పెద్దలు నిన్ను ఇదే విధంగా ఈ నేలలో బతికుండగానే పాతరేస్తారు. ఈ విధంగా పరిపరివిధాల నచ్చజెప్తూ ప్రోత్సహిస్తూ ఉంటాడు. కాని నిస్సహాయురాలు కేశర్, వద్దన్నయ్యా, అలా కాదు అంటూ ఎక్కెక్కి ఏడుస్తూ అన్న కాళ్ళను చుట్టేసుకొంటుంది. రతన్ కూడ ఏడ్వటం మొదలెట్టాడు.

చివరకు విఫలంచెంది దిక్కుతోచక రతన్ మెల్లగా ఎవరికీ తెలియకుండా ఇల్లు విడచి పట్నం వెళ్ళిపోతాడు. తల్లి, కూతురు భోర్మని ఏడుస్తుంటారు. తండ్రి తిట్లు లంకించుకొంటాడు. మిగిలిన జనం ఆశ్చర్యం చెంది దుఃఖంతో ఒకరిముఖాలు ఒకరు చూసుకొంటూ ఉంటారు.

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