TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 6 तेलंगाना के दर्शनीय स्थल

Telangana TSBIE TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 6th Lesson तेलंगाना के दर्शनीय स्थल Textbook Questions and Answers.

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 6th Lesson तेलंगाना के दर्शनीय स्थल

दीर्घ प्रश्न (దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
‘तेलंगाना के दर्शनीय स्थल’ पाठ का सारांश पाँच छह वाक्यों में लिखिए ।
उत्तर:
सन् 2014 को गठित तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद हैं। इस राज्य का कण कण दर्शनीयस्थल – सा प्रतीत होता है । यह जलसंपदा, खनिज संपदा और प्रकृतिक सुषमा से शोभित है। इसके अलावा ऐतिहासिक भवनों से, विविध धर्मों के मंदिरों से मंडित है । हैदरावाद से लेकर आदिलाबाद तक का हर स्थान अपनी अपनी अलग विशिष्टता से दीपित है । वास्तव में तेलंगाना धरती अपर स्वर्ग है तथा इस धरती की भीनी भीनी और मीठी- मीठी सुगंध भारत-माता के अंग-अंग को सुरभित करती है ।

लघु प्रश्न (లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
तेलंगाना की राजधानी क्या है ? उसके बारे में लिखिए ।
उत्तर:
तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद है, जो ऐतिहासिक नगर है । इसे भाग्यनगर, मोती का शहर तथा गंगा-जमुना तहजीब का नगर भी कहते हैं । इसके दर्शनीय स्थल हैं गोलकोंडा, चारमीनार, मक्का मस्जिद, कुतुबशाही गुंबद, पैगाह गुंबद, तारामती बारादरी, फलकनुमा महल और चौमोहल्ला महल, जिनमें सजीवता एवं उत्कृष्टता दिखाई देती हैं । इनके अलावा, सालारजंग संग्रहालय, नेहरु चिड़ियाघर, हाइटेक सिटी, हुस्सैन झील आदि भी देखने लायक हैं ।

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 6 तेलंगाना के दर्शनीय स्थल

प्रश्न 2.
तेलंगाना के किसी एक मनपसंद दर्शनीय स्थल के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
तेलंगाना के मनपसंद दर्शनीय स्थल अनेक हैं, जिनमें हैदराबाद एक है। तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद है, जो ऐतिहासिक नगर है । इसे भाग्यनगर, मोती का शहर तथा गंगा-जमुना तहजीब का नगर भी कहते हैं । इसके दर्शनीय स्थल हैं गोलकोंडा, चारमीनार, मक्का मस्जिद, कुतुबशाही गुंबद, पैगाह गुंबद, तारामती बारादरी, फलकनुमा महल और चौमोहल्ला महल, जिनमें सजीवता एवं उत्कृष्टता दिखाई देती हैं । इनके अलावा, सालारजंग संग्रहालय, नेहरु चिड़ियाघर, हाइटेक सिटी, हुस्सैन झील आदि भी देखने लायक हैं ।

एक वाक्य प्रश्न (ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
मक्का मस्जिद कहाँ है ?
उत्तर:
हैदराबाद में है ।

प्रश्न 2.
भद्राचलम में किसका मंदिर है ?
उत्तर:
श्री सीताराम मंदिर है ।

प्रश्न 3.
डायोसिस चर्च कहाँ है ?
उत्तर:
मेदक में है ।

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प्रश्न 4.
कोलनुपाका में किनका प्रसिद्ध मंदिर है ?
उत्तर:
जैन धर्मावलंबियो का आराध्य मंदिर है ।

संदर्भ सहित व्याख्याएँ (సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు)

प्रश्न 1.
इस राज्य का कण-कण दर्शनीय स्थल – सा प्रतीत होता है। एक बार जो इस राज्य की सुंदरता को देख लेता है, उसे यह राज्य स्वर्ग का आभास देता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह उद्धरण संपादक मंडल द्वारा संपादित ‘तेलंगाना के दर्शनीय स्थल’ नामक पाठ के आरंभिक अनुच्छेद से दियागया है । यह उद्धरण तेलंगाना की सुंदरता का वर्णन करते समय संपादक – मेडल द्वारा कहा जाता है ।

व्याख्या : संपादक – मंडल कहते हैं कि तेलंगाना राज्य का हर कण देखने लायक स्थान की तरह लगता है । जो व्यकित इसकी सुंदरता को एकबार देख लेता है, उसको यह तेलंगाना राज्य स्वर्ग – सा लगता है ।

विशेषता : संपादक मंडल द्वारा तेलंगाणा राज्य को अपर – स्वर्ग कहा गया ।

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प्रश्न 2.
वास्तव में तेलंगाना धरती की भीनी भीनी सुगंध माँ भारती के अंग – अंग को सुरभित करती है
उत्तर:
संदर्भ : यह कथन संपादक – मंडल द्वारा लिखित ‘तेलंगाना के दर्शनीय स्थल’ नामक पाठ के अंतिम वाक्या है । संपादक मंडल कहते हैं कि तेलंगाना राज्य का हर एक प्रांत पर्यटकों को अपनी ओर खीचं लेता है । इस संदर्भ में संपादक मंडल द्वारा यह वाक्य कहा गया ।

व्याख्या : वस्तुत: तेलंगाना जमीन की मीठी-मीठी खुशबू भारत-माता के प्रत्येक अंग को सुगंधित करती है । अर्थात् तेलंगाना विशाल भारत की कीर्ति में चार चाँद लगाता है ।

विशेषता: भाषा कवितामय एवं श्तवणा नंदमय है ।

तेलंगाना के दर्शनीय स्थल Summary in Hindi

सारांश

तेलंगाना 14 जून, 2014 को स्थापित भारत का 29 वाँ राज्य है । इसकी राजधानी हैदराबाद है । इस राज्य की सुंदरता असीम, अवर्णनीय तथा वैभवशाली है । इस राज्य का कण कण दर्शनीय स्थल – सा प्रतीत होता है। चलिए, इस राज्य के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सैर पर्यटन की अनुभूति को प्राप्त करेंगे ।

हैदराबाद : हैदराबाद तेलंगाना राज्य की राजधानी है । यह एक ऐतिहासिक नगर है । कुली कुतुबशाही और निजाम शासकों के द्वारा बसाया श्रेष्टतम नगर है । इसे भाग्य नगर तथा मोती का शहर भी कहते हैं । यहाँ के ऐतिहासिक दर्शनीय स्थलों में चारमीनार, गोलकोंडा, मक्का मसजिद, सालारजंग संग्रहालय, हुसेनसागर, टाँकबंड, नेहरु चिडियाघर, हाइटेक सिटी आदि देखने लायक हैं ।

मेड्चल – मलकाजगिरी : मेडचल मलकाजगिरी जिला के मुख्यालय है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 27 कि.मी. है। यहाँ पर स्थित कीसर गुट्टा शिव भक्तों का प्रमुख मंदिर है ।

रंगारेड्डी : रंगारेड्डी जिला का नाम संयुक्त आंध्र प्रदेश के उप- मुख्य मंत्री तथा स्वतंत्र तेलंगाना आंदोलन के सेनानी कोंडा वेंकट रंगारेड्डी का नाम पर पड़ा। इस जिले में हिमायत सागर रामोजी फिल्मसिटी, चेवेल्ला, कंदुकूर और शादनगर प्रमुख पर्यटन स्थल हैं ।

यादाद्रि – भुवनगिरि: हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 50 कि.मी. है। यहाँ वैष्णव धर्मावलंबियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल यादगिरी गुट्टा है । चालुक्य नरेशों द्वारा निर्मित भुवनगिरी का किला अद्भुत कलाखंड है। एक ही शिला से निर्मित इसकी ऊँचाई लगभग 700 फीट है ।

संगारेड्डी : तेलंगाना के उत्तर पश्चिमी हिस्से में स्थित संगारेड्डी हैदराबाद से 66 कि.मी. दूरी पर है। इस जिले में बी. एच.ई.एल. बी. डी. एल और आई.आई.टी भारत भर में प्रसिद्ध हैं ।

विकाराबाद : तेलंगाना के पश्चिम हिस्से में स्थित विकाराबद हैदराबाद 76 कि.मी. दूरी पर है। इस जिले में अनंतगिरी की पहाडियाँ और अनंत पद्मनाभ स्वामी का मंदिर है । इसके अतिरिक्त रामलिंगेश्वर, भूकैलाश, कोडंगल वेंकटेश्वर, एकांबेश्वर भगवान का मंदिर दर्शनीय हैं ।

मेदक : हैदराबाद से मेदक की दूरी लगभग 77 कि.मी. है। मेदक शब्द तेलुगु भाषा के मेतुकु शब्द से बना है। मेतुकु का अर्थ है – धान । इस जिले में धान की पैदावर अधिक होने के कारण आगे चलकर इस प्रांत का नाम मेदक पड गया । यहाँ का डायोसिस चर्च का पूरे एशिया में प्रसिद्ध है । जोगिनाथ मंदिर, एडुपायला दुर्गा भवानी मंदिर प्रसिद्ध हैं ।

सिद्दिपेट : हैदराबाद से सिद्दिपेट की दूरी लगभग 87 कि.मी. है। अधिक जनसंख्या की दृष्टि से यह जिला महत्वपूर्ण है । शरभेखर मंदिर, रामसमुद्रम मिनी टैंकबंड, बोटिंग पांइट आदि पर्याटक स्थाल हैं ।

जनगाँव : जनगाँव का दूसरा नाम जनगाम भी है । जनगाँव शब्द की उत्पत्ति “जैनगाँव से हुई है । कहा जाता है कि किसी समय यहाँ जैन धर्मावलंबियों की संख्या अधिक थीं । हैदराबाद से जनगाँव की दूरी लगभग 87 कि.मी. है । ऐतिहासिक दृष्टि से कोलनुपाका सर्वप्रसिद्ध तीर्थ व पर्याटन स्थल हैं । जैनों की आराध्य स्थल होने के कारण दूर दूर भक्त आते हैं । विश्व प्रसिद्ध पीतल कारीगरी के लिए “पेंबर्ती” यहीं पर स्थित है । कहा जाता है कि जनगाँव में प्रभु श्रीरामचंद्र स्वर्ण हिरण (मारिच) की खोज में निकले थे ।

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 6 तेलंगाना के दर्शनीय स्थल

नलगोंडा : नलगोंडा दक्षिण तेलंगाण का प्रांत है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 95 कि.मी. हैं। नलगोंडा – नल्ला और कोंडा शब्दों से हुई है । नल्ला का अर्थ काला और कोंडा का अर्थ पहाड । अर्थात् काले पहाडों का प्रांत । कृष्णा, मूसी, आले, पेद्दवागु पालेरू जैसी नदियाँ यहाँ से होकर गुजरती हैं । पानगल में त्रिकुटालयम (सोमेश्वर स्वामी का मंदिर) प्रसिद्ध शैव क्षेत्र है । नागर्जुन सागर, नंदिकोंडा, बौद्ध संग्रहालय प्रसिद्ध हैं ।

महबूब नगर : पहले यह पालमुरु के नाम से जाना जाता है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 110 कि.मी. है। यह प्रांत शातवाहन चालुक्य और गोलकोंडा शासकों के आकर्षण केंद्र बना रहा। यह प्रसिद्ध मंदिर की धरती है । यहाँ पर 700 वर्ष पुराना पिल्ललमर्री नामक बरगद पेड है। कोयलसागर बाँध सबका मन मोह लेती है ।

कामारेड्डी : कुछ समय पूर्व तक यह निजामाबाद जिले का अंग था । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 110 कि.मी. है। यहाँ स्थित पोचाराम परियोजना (project) राज्य में प्रसिद्ध है । यह सुंदर पर्याटक जलक्रीडा क्षेत्र है। सर्दी के दिनों में कोऊल झील विदेशी पक्षियों का केंद्र बनता है । दोमकोंडा और कोऊल किला ऐतिहासिक स्थल हैं ।

राजन्ना सिरसिला : इस जिले के नाम में राजन्ना शब्द प्रभु राजराजेश्वर तथा सिरिसिल्ला हथकर उद्योग का प्रतीक है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 133 कि.मी. है । यहाँ से बहनेवाली मानेरू नदी सुंदर लगती है । प्रसिद्ध शैव क्षेत्र वेमुलवाडा यहीं पर स्थित है । इसे तेलंगाना का दक्षिण कासी भी करते हैं। लक्ष्मीनरसिंहस्वामी का मंदिर तथा सिरिसिल्ला टेक्स्टाइल पार्क महत्वपूर्ण पर्याटक स्थल हैं ।

नागरकर्नूल : तेलंगाना के दक्षिणी प्रांत के इस स्थान की दूरी हैदराबाद से लगभग 33 कि.मी. है। इसका इतिहास 500 वर्ष पुरानी है । यहाँ पर नागार्जुन सागर श्रीशैलम बाघ (Tiger) संरक्षण केंद्र है । यह क्षेत्र उमामहेश्वर स्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । सोमशिला परियोजना एवं श्रीशैलम बाँध की दर्शन के लिए प्रतिदिन संख्या में पर्याटक आते हैं ।

सूर्यापेट : तेलंगाना के दक्षिणी प्रांत में स्थित इसकी दूरी हैदराबाद से लगभग 137 कि.मी. है। यह प्रांत कृष्णा नदी की कृपा से दक्षिण भारत में सिमेंट उद्योग का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। दूसरी ओर नागार्जुन सागर बाँध के द्वारा प्राप्त जल से यहाँ की कृषि की सुंदरता दिखाई देती है । उडुगोंडा लक्ष्मीनारसिंह स्वामी, अर्वपल्ली और मट्टपल्ली लक्ष्मीनारसिंह स्वामियों के मंदिर, सूर्यापेट वेंकटेश्वर स्वामी, मिर्याला सीतारामचंद्र स्वामियों के मंदिर देखने योग्य हैं ।

वनपर्ति : तेलंगाना के दक्षिण प्रांत में स्थित वनपर्ति की दूरी – हैदराबाद से लगभग 147 कि.मी. है । निजाम के शासन काल में वनपर्ति संस्थान के नाम से प्रसिद्ध था । यह संस्थान तेलंगाना के प्राचीन संस्थानों में एक है । वनपर्ति महल देखने लायक पर्याटक स्थान है। इसे मुस्तफा महल भी कहा जाता है। आगे चलकर इस महल को पॉलिटेकनीक विश्वविद्यालय के रूप में बदल दिया गया । यहाँ से कुछ दूर पर श्रीरंगपुर प्रांत है । यहाँ श्रीरंगनायकस्वामी मंदिर है ।

वरंगल (ग्रामीण तथा शहरी) : तेलंगाना के प्रमुख नगरों में वरंगल एक है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 147 कि. मी. है। काकतीय शासनकाल में यह नगर उनकी राजधानी हुआ करती थी। इसीको ओरुगल्लू या एकशिलानगर के नाम से भी जाना जाता है । यहाँ पर स्थित हजार खंभा मंदिर, भद्रकाली मंदिर, पद्माक्षी मंदिर आदि देखने योग्य हैं ।

करीमनगर : इसका वास्तविक नाम एलगंडाला है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 158 कि. मी. है । निजाम शासक सैयद करीमुल्ला शाह साहेब किलादार नाम से करीमनगर नाम पडा । मानेरु यहाँ पर बहनेवाली प्रमुख नदी है। एलगंडाला किले की विशेषता यह है कि इस में दो पत्थरों की बडी दीवारें, दो मस्जिदें, दो मंदिर, कारागृह, कुएँ तथा अन्य महत्वपूर्ण निर्माण देखने को मिलते हैं। लोअर मानेरू बाँध के पास राजीव गाँधी हिरण उद्यान है । शिवराम उद्यान भी देखने योग्य हैं ।

नारायण पेट : वर्ष 2019 में नवनिर्मित जिलों में यह प्रमुख है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 165 कि. मी. है। सन् 1630 में मराठा सम्राट शिवाजी यहाँ आकर जुलाहों की विशेषता देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे । उन्हीं के प्रभाव से मराठा लोग यहाँ आकर बस गए। नारायण पेट की सूती और रेशमी साडियों में तेलंगाना – महाराष्ट्र संस्कृति का प्रभाव दिखायी देता है । नारायणपेट की साडियाँ बहु प्रसिद्ध हैं ।

निजामाबाद : यह तेलंगाना का तीसरा सबसे बड़ा नगर है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 170 कि.मी है । हैदराबाद राज्य के चौथे शासक निजामुल मुल्क के नाम पर इस प्रांत का नाम निजामाबाद पडा । यह नगर धार्मिक सद्भावना तथा सौहार्द का प्रतीक है । निजामाबाद का किलार अशोक सागर झील पर्याटको को अकर्षित करते हैं । अलीसागर हिरण उद्यान और झील तथा मल्लाराम जंगल मनोरंजन का एक अच्छा विकल्प है ।

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 6 तेलंगाना के दर्शनीय स्थल

जगित्याल : हैदराबाद से लगभग 186 कि. मी. दूरी पर स्थित जगित्याला गोदावरी नदी की सुंदर देन है । श्रीरामसागर परियोजना बाँध पर्याटकों के आकर्षण केंद्र है। ओदेला में मल्लिखार्जुन स्वामी और कमानपुर में श्री वराहास्वामी के मंदिरों के लिए विख्यात है । गोदावरी के तट पर बसे धर्मपुरी में श्री लक्ष्मीनारसिंह स्वामी, का मंदिर, कोटिलिंगाला ग्राम में कोटेश्वर स्वामी, का मंदिर, आंजनेयस्वामी मंदिर भी हु प्रसिद्ध हैं ।

पेद्दपल्लि : हैदराबाद से लगभग 192 कि. मी. पर पेद्दपल्लि स्थित है । यह उत्तर और दक्षिण भारत को जोडनेवाला प्रमुख रेल्वे केंद्र है । एन. टी. पी. सी रामगुंडम में स्थित है । गोदावरी नदी से प्राप्त जल की वजह से उत्पन्न कपास अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है । रामगिरी किला यहाँ की ऐतिहासिक इमारत है । पेद्दापल्ली को भारत का प्रथम ISO 14001 प्रामाणित इकाई होने का गौरव प्राप्त है ।

जोगुलांबा – गवाल : हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 192 कि. मी. है । गवाल किले का निर्माण 17 वीं शताब्दी में पेदसोमा भूपालुडु ने करवाया । गवाल विश्वप्रसिद्ध हथकरद्या जरी साडियों के लिए प्रसिद्ध है । जूराला कृष्णा नदी पर बनाया गया सुंदर बाँध है । आलमपुर के पास तुंगभद्रा नदी के तट पर जोगुलांबा देवी का शक्तिपीठ मंदिर है। जोगुलांबा देवी शक्ति पीठ आठारह (18) शक्तिपीठों में से एक है ।

मुलुगु : वर्ष 2019 में भूपालपल्ली जिले के कुछ भागों को अलग कर बनाया गया जिला ही मुलुगु है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 193 कि. मी. है। इसी प्रांत में विश्वप्रसिद्ध जनजाति उत्सव सम्मक्का सारक्का जातरा या मेडाराम जातरा का आयोजन प्रति दो वर्ष में एक बार किया जाता है ।

खम्मम : हैदराबाद से खम्मम की दूरी लगभग 200 कि. मी. है । खम्मम शब्द का उद्भव पहाडी स्तंभाद्री से हुआ है। यहाँ पर नरसिंह स्वामी का मंदिर है । शहर का नाम पहले स्तंभाद्र बाद में खंभाद्री, खंभमेट्टु तथा अंत में खम्मम होगया । यह शहर [कृष्णा नदी की सहायक नदी] मुन्नेर नदी के तट पर बसा है । खम्मम किले का निर्माण 950 ई. में. काकतीय शासकों ने किया । जमलापुरम नामक छोटा सा गाँव में भगवान वेंकटेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर है । कुसुमांची में गणपेश्वरालयम और मुक्केटश्वरालयम जैसे प्रसिद्ध शैव मंदिर हैं ।

महबूबाबाद : हैदराबाद से महबूबाबाद की दूरी लगभग 212 कि. मी. है । तेलुगु भाषी इस प्रांत को मनुकोटा कहते हैं । मनुंकोटा शब्द का उद्भव तेलुगु के म्रनु यानी पेट तथा कोटा यानी किला शब्द से हुआ है । इसका अर्थ है – पेडवाला किला आगे चलकर महबूब नामक शासक के नाम पर महबूबाबाद पड गया । यहाँ का बय्यारम मंडल लोह खनिज का प्रचुर उत्पादक है । वीरभद्रस्वामी मंदिर में वीरभद्र की मूर्ति क्रोधी भंगिमा के साथ त्रिनेत्री तथा दस हाथों वाले हैं ।

भूपालपल्ली : (आचार्य जयशंकर) : हैदराबाद से भूपालपल्ली की दूरी लगभग 216 कि. मी. है। इस जिले का नाम तेलंगाना राज्य आंदोलन के सिद्धांतकर्ता प्रो. जयशंकर के नाम पर रखा गया है। इस प्रांत में कई सारे आध्यात्मिक दर्शनीय स्थल है । यहीं पर स्थित कालेश्वरम दक्षिण का त्रिवेणी संगम कहलाता है । यहाँ पर गोदावरी, प्राणहिता और भूतल में बहनेवाली अंतर्वाहिनी का संगम होता है। रामप्पा मंदिर काकतीय नरेशों की कलाप्रियता का उदाहरण है। यहाँ पर रामप्पा और लकनावरम झील प्रकृति की सुंदर छटा बिखेरती है ।

निर्मल : हैदराबाद से निर्मल की दूरी लगभग 222 कि. मी. है। यह प्रांत गोदावरी नदी के कारण अत्यंत उपजाऊ है। यह प्रांत बाँस और लकडी के बने खिलौने के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं । प्रकृति एवं शिक्षा प्रेमी इस जिले के ज्ञान सरस्वती बासरा के लिए सदा याद करते हैं। गोदावरी के तट पर स्थित बासरा पर्याटकों को अपनी और आकर्षित करता है ।

मंचिरियाल : मंचिरियाल, हैदराबाद से 256 कि. मी दूरी पर स्थित है । यह प्रांत गोदावरी और प्राणहिता नदियों के आशीर्वाद से हरा भरा है । यह प्रांत सिंगरेणी कोयला खदान और सिमेंट उत्पादन के कई कारखानों के लिए प्रसिद्ध हैं । इस जिले के चेन्नूर में मगर मछ संरक्षण उद्यान का केंद्र है । घने जंगलों के बीच बसा कवाल बाध संरक्षण केंद्र बहुत ही सुंदर है । गुडेम श्री सत्यनारायण स्वामी का मंदिर पूजनीय और दर्शनीय है ।

भद्राद्रि कोत्तागुड़ेम : भद्राद्रि कोत्तागुड़ेम, हैदराबाद से 284 कि. मी. की दूरी पर स्थित है । भद्राचलम गोदावरी के तट पर बसा अत्यंत मनोहर तीर्थस्थान है । कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध है । किन्नरसानी, पर्णशाला आदि आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं । किन्नरसानी परियोजना बाँध किन्नरसानी सहायक नदी पर बना है। पुराणों के अनुसार रानण द्वारा सीता की अपहरणस्थली के रूप में दुम्मुगुडेम प्रसिद्ध हैं ।

आसिफाबाद : यह एक जनजाति जिला है । हैदराबाद से इसकी दूरी 291 कि.मी. है । कोमरमभीम नामक जनजाति युवक द्वारा की गई जल, जंगल, जमीन आंदोलन में जनजाति को न्याय मिल सका । इसलिए इस प्रांत को आसिफाबाद कोमरमभीम जिला भी कहा जाता है । पेद्दवागु एक परियोजना है, जो प्राणहित नदी की सहायक नदी पेद्दवागु पर निर्मित है । वट्टी वागु व कोमरमभीम परियोजनाएँ, सप्तगुंडा, पिट्टगुंड और मिट्टेवाटर जलप्रपात तथा सिरपुर कागजनगर आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं ।

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 6 तेलंगाना के दर्शनीय स्थल

आदिलाबाद : हैदराबाद से आदिलाबाद की दूरी लगभग 305 कि. मी. है। इस प्रांत का नाम वीजापुर के शासक अली आदिल शाह के नाम पर पडा । इस प्रांत को दक्षिण भारत का प्रवेश द्वारा कहा जाता है । सहयाद्री पर्वत श्रेणियों तथा उत्तर पश्चिम मानसून के प्रभाव से यह प्रांत हमेशा आनंददायी रहता है । कडेम बाँध, पापहरेश्वर मंदिर, जैनाथ मंदिर तथा कलवा नरसिंह स्वामी मंदिर यहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं ।

इस तरह तेलंगाना राज्य का प्रत्येक प्रांत अपनी मनोहरी छटा से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है ।

तेलंगाना के दर्शनीय स्थल Summary in Telugu

సారాంశము

छेई 14 జూన్ 2014న స్థాపించబడిన తెలంగాణ రాష్ట్రం భారతదేశానికి 29వ రాష్ట్రం. దీని రాజధాని హైదరాబాద్. ఈ రాష్ట్ర సౌందర్యం అంతులేని, వర్ణించనలవికాని మరియు వైభవోపేతమైనది. ఈ రాష్ట్రంలో అణువణువు దర్శించదగినది. ఈ రాష్ట్రంలోని ప్రముఖ దర్శనీయ స్థలాల విహార పర్యటన అనుభూతులను తెలుసుకుందాం.

హైదరాబాద్ : హైదరాబాద్ తెలంగాణ రాష్ట్ర రాజధాని. ఇది ఒక చారిత్రాత్మక నగరం. కులీకుతుబ్షాహీ మరియు నిజాం పాలకులు నిలిపిన శ్రేష్టమైన నగరం. దీనిని భాగ్యనగరం మరియు ముత్యాల నగరం అని కూడా పిలవబడుతుంది. ఇక్కడి చారిత్రాత్మక దర్శనీయ ప్రదేశాలు చార్మినార్, గోల్కొండ, మక్కామసీద్, సాలార్జంగ్ మ్యూజియం, హుసేన్ సాగర్, ట్యాంక్ బండ్, నెహ్రూజులాజికల్ పార్కు, హైటెక్సిటీ మొదలయిన ప్రదేశాలు చూడదగినవి.

మేడ్చల్ – మల్కాజిగిరి : మేడ్చల్ మల్కాజిగిరి జిల్లా ముఖ్య కేంద్రం. ఇది హైదరాబాద్ నుండి సుమారు 27 కి. మీ. దూరంలో ఉంటుంది. ఇక్కడి కీసరగుట్ట శివభక్తుల ప్రముఖ మందిరం.

రంగారెడ్డి : రంగారెడ్డి జిల్లా పేరును సంయుక్త ఆంధ్రప్రదేశ్ ఉపముఖ్యమంత్రి మరియు స్వతంత్ర తెలంగాణ రాష్ట్ర ఆందోళన సేనాని అయిన కొండా వెంకట రంగారెడ్డి గారి పేరున పెట్టడం జరిగింది. ఈ జిల్లాలో హిమయత్సాగర్, రామోజీ ఫిల్మ్ సిటీ, చేవెళ్ళ, కందుకూరు మరియు షాద్నగర్ ప్రముఖ పర్యాటక ప్రదేశాలు.

యాదాద్రి – భువనగిరి : యాదాద్రి – భువనగిరి హైదారాబాద్ నుండి సుమారు 50 కి. మీ. దూరంలో ఉంటుంది. వైష్ణవ భక్తుల ప్రసిద్ధ పుణ్యక్షేత్రం యాదగిరి గుట్ట. ఇక్కడనే ఉంది చాళుక్య రాజుల ద్వారా నిర్మింపబడిన భువనగిరి కోట. ఒక అద్భుత కళాఖండం. ఒకే శిలమీద నిర్మించబడినది. దీని ఎత్తు సుమారు 700 అడుగులు.

సంగారెడ్డి : ఇది (సంగారెడ్డి జిల్లా) తెలంగాణ ఉత్తర – పశ్చిమ భాగంలో ఉంది. హైదరాబాద్ నుండి ఇది 66 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఈ జిల్లాలో BHEL, BDL మరియు IIT సంస్థలు భారతదేశం మొత్తం ప్రసిద్ధిగాంచాయి.

వికారాబాద్ : ఇది (వికారాబాద్ జిల్లా) తెలంగాణ పశ్చిమ భాగంలో ఉంది. హైదరాబాద్ నుండి ఇది 76 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఈ జిల్లాలో అనంతగిరి పర్వతాలు మరియు అనంత పద్మనాభస్వామి వారి మందిరం ఉంది. ఇవేకాకుండా రామలింగేశ్వర, భూకైలాశ్, కొడంగల్ వెంకటేశ్వర, ఏకాంబేశ్వర దేవాలయాలు దర్శించదగినవి.

మెదక్ : హైదరాబాద్ నుండి మెదక్ సుమారు 77 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. మెదక్ అనే శబ్దం తెలుగు భాషలోని మెతుకు అనే శబ్దంతో తయారైంది. “మెతుకు అంటే అర్థం – “ధాన్యం”. ఈ జిల్లాలో ధాన్యం అధికంగా పండటం వల్ల మెల్లమెల్లగా ఈ ప్రాంతానికి మెదక్ అనే పేరు పడిపోయింది. ఇక్కడి “డాయోసిస్ చర్చి” ఆసియా ఖండం మొత్తంలో ప్రసిద్ధి. ఇక్కడ జోగినాథ మందిరం, ఏడుపాయల దుర్గాభవాని మందిరం ప్రసిద్ధి చెందినవి.

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 6 तेलंगाना के दर्शनीय स्थल

సిద్ధిపేట : హైదరాబాద్ నుండి సిద్ధిపేట సుమారు 87 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. అధిక జనాభా కలిగిన జిల్లాగా ఇది ప్రసిద్ధిగాంచింది. శరభేశ్వర్ మందిరం, రామ సముద్రం, మినీ ట్యాంక్ బండ్, బోటింట్ పాయింట్ మొదలయినవి పర్యాటక ప్రదేశాలు.

జనగాం : జనగాంకి మరొక పేరు “జనగామ”. జనగాం శబ్దం జైనగాంవ్ నుండి ఉద్భవించింది. ఎపుడో ఇక్కడ జైన ధర్మాన్ని అవలంబించిన వారి సంఖ్య ఎక్కువగా ఉండేది అని చెపుతుంటారు. హైదరాబాదున్నుండి జనగాం సుమారు 87 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. చారిత్రక దృష్టిలో కొలనుపాక ఎంతో ప్రసిద్ధమైన తీర్థ మరియు పర్యాటక స్థలం. ఇది జైనుల ఆరాధ్య స్థలం కావడంతో దూర – దూర ప్రాంతాలనుండి భక్తులు వస్తుంటారు. ప్రపంచ ప్రఖ్యాతమైన రాగి పరిశ్రమ “పెంబర్తి” ఈ జిల్లాలోనే ఉంది. జనగాంలో ప్రభుశ్రీరామచంద్రుడు స్వర్ణజింక (మారీచుడు)ను వెదికేందుకు ఇక్కడకు వచ్చారని
చెపుతుంటారు.

నల్లగొండ : నల్లగొండ దక్షిణ తెలంగాణ ప్రాంతంలో ఉంది. హైదరాబాద్ నుండి నల్లగొండ సుమారు 95 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. నల్లగొండ నల్ల మరియు కొండ శబ్దాలతో ఏర్పడింది. నల్లా అనగా నలుపు మరియు కొండ అనగా పర్వతం. అంటే నల్ల కొండలుగల ప్రాంతం. కృష్ణా, మూసీ ఆలేరు, పెద్దవాగు, పాలేరులాంటి నదులు ఈ ప్రాంతం నుండి ప్రవహిస్తాయి. పానగల్లో త్రికుటాలయం (సోమేశ్వరస్వామి మందిరం) ప్రసిద్ధి చెందిన శైవక్షేత్రం. నాగార్జునసాగర్, నందికొండ, బౌద్ధ సంగ్రహాలయం ప్రసిద్ధి చెందినవి.

మహబూబ్నగర్ : మొదట్లో మహాబూబ్నగర్ పాలమూరు పేరుతో పిలవబడింది. హైదరాబాద్ నుండి మహబూబ్నగర్ సుమారు 110 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఈ ప్రాంతం శాతవాహనుల, చాళుక్యుల మరియు గోల్కొండ శాసకులకు ఆకర్షణ కేంద్రంగా ఉండేది. ఇది ప్రసిద్ధ మందిరాల పుణ్యభూమి. ఇక్కడ 7 వందల సంవత్సరాల పురాతన మర్రిచెట్టు ఉంది. దీని పేరు పిల్లల మర్రి. ఇక్కడి కోయలసాగర్ ఆనకట్ట అందరి మనస్సులను మోహిస్తుంది.

కామారెడ్డి : కొంత కాలం క్రితం వరకు కామారెడ్డి నిజామాబాద్ జిల్లాలోని ఒక భాగం. హైదరాబాద్ నుండి కామారెడ్డి సుమారు 110 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఇక్కడి పోచారం ప్రాజెక్టు తెలంగాణ రాష్ట్రంలో ప్రసిద్ధి చెందిన ప్రాజెక్టు. ఇది అందమైన పర్యాటక జలక్రీడా ప్రాంతం. చలికాలంలో కోవూలా సరస్సు విదేశీ పక్షుల కేంద్రంగా ఉంటుంది. కోవూలా కోట, దోమకొండ చారిత్రాత్మక ప్రదేశాలు.

రాజన్న సిరిసిల్లా : ఈ జిల్లా పేరులో “రాజన్న” శబ్దం రాజ రాజేశ్వర ప్రభువుగా మరియు “సిరిసిల్లా” చేతిమగ్గాల పరిశ్రమకు ప్రతీక / గుర్తు. హైదరాబాద్ నుండి ఈ ప్రాంతం సుమారు 133 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఇక్కడ నుండి ప్రవహించే మానేరు నది అందంగా ఉంటుంది. ప్రసిద్ధ శైవక్షేత్రమైన వేములవాడ ఇక్కడనే ఉంది. దీనిని -తెలంగాణ దక్షిణ కాశీగా పిలుస్తారు. లక్ష్మీనరసింహస్వామి మందిరం మరియు సిరిసిల్లా టెకాయిల్ పార్క్ గొప్ప పర్యాటక ప్రదేశాలు.

నాగర్ కర్నూల్ : తెలంగాణ దక్షిణ ప్రాంతమైన నాగర్ కర్నూల్ హైదరాబాద్ నుండి సుమారు 133 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. దీని చరిత్ర 500 సంవత్సరాల పురాతనమైనది. ఇక్కడ నాగార్జునసాగర్, శ్రీశైలం పులుల సంరక్షణ కేంద్రం ఉంది. ఈ ప్రదేశం ఉమామహేశ్వరస్వామి మందిరానికి ప్రసిద్ధి. సోమశిల మరియు శ్రీశైలం ఆనకట్టలను దర్శించేందుకు ప్రతిరోజు పెద్ద సంఖ్యలో పర్యాటకులు వస్తూ ఉంటారు.

సూర్యాపేట : తెలంగాణ దక్షిణ ప్రాంతంలో ఉన్న సూర్యాపేట హైదరాబాద్ నుండి సుమారు 137 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఈ ప్రాంతం కృష్ణానది పుణ్యమా అని దక్షిణ భారతదేశంలో సిమెంట్ పరిశ్రమకు ప్రముఖ కేంద్రంగా ఉంది. రెండవ వైపు నాగార్జునసాగర్ ఆనకట్ట ద్వారా లభించే నీటితో ఇక్కడి వ్యవసాయం అందంగా కన్పిస్తుంది. ఉండ్రుగొండ, అర్వపల్లి మరియు మట్టపల్లిలోని శ్రీలక్ష్మినరసింహస్వాముల మందిరాలు, సూర్యాపేట వెంకటేశ్వరస్వామి, మిర్యాల సీతారామచంద్రస్వామి వార్ల మందిరాలు బహు చక్కని చూడదగ్గ ప్రదేశాలు.

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వనపర్తి : తెలంగాణ దక్షిణ ప్రాంతంలో ఉన్న వనపర్తి హైదరాబాద్ నుండి సుమారు 147 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. నిజాం శాసన కాలంలో వనపర్తి ఒక సంస్థానంగా ప్రసిద్ధి చెందినది. తెలంగాణలోని ప్రాచీన సంస్థానాల్లో ఇదీ ఒకటి. వనపర్తి మహల్ చూడదగిన పర్యాటక ప్రదేశం. ఈ మహల్ ముస్తఫామహల్ అని కూడా పిలవబడుతుంది. కొంతకాలం తర్వాత దీనిని పాలిటెక్నిక్ విశ్వవిద్యాలయంగా మార్చబడినది. ఇక్కడ నుండి కొద్ది దూరంలో శ్రీరంగపురం ఉంది. ఈ శ్రీరంగపురంలో ప్రసిద్ధి చెందిన శ్రీరంగ నాయకస్వామి మందిరం ఉంది.

వరంగల్ (గ్రామీణ మరియు పట్టణ) : తెలంగాణ ప్రముఖ నగరాల్లో ఈ వరంగల్ ఒకటి. ఇది హైదరాబాదు నుండి 147 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. కాకతీయులు దీనిని రాజధానిగా చేసుకుని పాలన కొనసాగించారు. దీన్ని ‘ఓరుగల్లు’ లేదా “ఏకశిలా నగరం” అని కూడా పిలిచేవారు. ఇక్కడ “వెయ్యి స్థంభాల గుడి”, “భద్రకాళి మందిరము” మరియు “పద్మాక్షీ మందిరము” ముఖ్యంగా చూడదగిన ప్రాంతాలు.

కరీంనగర్ : దీని అసలు పేరు “ఎలగండాల”. ఇది హైదరాబాదు నుండి సుమారు 158 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. నిజాం శాసకుడు “సయ్యద్ కరీముల్లా షాహ్ సాహెబ్ కిలాదార్” పేరు నుండి “కరీంనగర్” పేరు వచ్చింది. ఇక్కడ ‘మానేరు’ అనే ప్రముఖ నది ప్రవహిస్తుంది. ఎలగండాల కోటలో రెండు రాళ్ళతో కూడిన పెద్ద గోడలు, రెండు మసీదులు, రెండు ఆలయాలు చెరసాల, బావి మరియు ఇతర గొప్ప నిర్మాణాలను చూడవచ్చు. దిగువ మానేరు ఆనకట్ట వద్ద రాజీవ్ గాంధీ జింకల పార్క్ ఉంది. శివరామ్ ఉద్యానవనము కూడా చూడదగిన ప్రాంతమే.

నారాయణపేట : 2019 సంవత్సరములో నూతనంగా నిర్మించబడిన జిల్లాల్లో ఇది ప్రముఖమైనది. హైదరాబాదు నుండి దాదాపు 165 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. 1630 సంవత్సరములో మరాఠా ప్రభువైన శివాజీ ఇక్కడికి వచ్చి, ఇక్కడి నేత పనివారి గొప్పదనం చూసి ఆశ్చర్యచకితులైనారు. దానితో మరాఠీలు ఇక్కడ స్థిరపడినారు. నారాయణ పేట యొక్క పట్టుదారంతో నేసిన చీరల్లో తెలంగాణ మహారాష్ట్ర సంస్క ృతుల ప్రభావం కనిపిస్తుంది. నారాయణపేట చీరలు చాలా ప్రసిద్ధి పొందాయి.

నిజామాబాద్ : ఇది తెలంగాణాలో 3వ పెద్ద నగరం. ఇది హైదరాబాదు నుండి రమారమి 170 కి.మీ. ఉంటుంది. హైదరాబాదు రాష్ట్ర నాల్గవ శాసకుడైన “నిజాముల్ ముల్క్” పేరు మీద ఈ ప్రాంతానికి నిజామాబాద్ అని వచ్చింది. ఈ నగరం ధార్మిక మరియు మైత్రి భావనలకు ప్రతీక. నిజామాబాద్ కోట మరియు అశోక్సాగర్ సరస్సు ఆకర్షణీయమైనవి. ఆలీసాగర్ జింకల పార్క్ మరియు సరస్సు, ముల్లారాయ్ వనము మానసికోల్లాస ప్రాంతాలు.

జగిత్యాల: హైదరాబాదు నుండి సుమారు 186 కి.మీ.ల దూరంలో ఉంది. ఇది గోదావరి నది యొక్క అందమైన వరము. శ్రీరాంసాగర్ ప్రాజెక్ట్ పర్యాటకులకు ఆకర్షణగా నిలిచింది. ఓదెలాలో మల్లిఖార్జున స్వామి మరియు కమాన్పూర్లో శ్రీ వరాహస్వామి ఆలయాలు ప్రసిద్ధి చెందాయి. గోదావరి ఒడ్డున ధర్మపురిలో శ్రీలక్ష్మీ ్మనారసింహస్వామి ఆలయం, కోటిలింగాల గ్రామంలో కోటేశ్వర స్వామి గుడి, ఆంజనేయస్వామి గుడి ప్రసిద్ధి చెందినాయి.

పెద్దపల్లి: ఇది హైదరాబాదు నుండి దాదాపు 192 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఇది ఉత్తర మరియు దక్షిణ భారతాన్ని కలిపే ముఖ్య రైల్వే కేంద్రం. రామగుండంలో NTPC నేషనల్ థర్మల్ పవర్ కార్పోరేషన్ ఉంది. గోదావరి నది నుండి లభించే నీటివల్ల ఉత్పత్తి అయ్యే దూది అంతర్జాతీయ స్థాయిలో ప్రఖ్యాతి చెందినది. రామగిరి కోట ఇక్కడి చారిత్రాత్మక కట్టడం. పెద్దపల్లికి భారతదేశ ప్రథమ ISO 14001 ప్రామాణిత యూనిట్గా గౌరవం లభించింది.

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జోగులాంబ – గద్వాల్ : జోగులాంబ – గద్వాల్ హైదరాబాదు నుండి సుమారు -192 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. 17వ శతాబ్దంలో పెదసోమభూపాలుడు గద్వాల్ కోటను నిర్మింపచేసాడు. గద్వాల్ ప్రపంచ ప్రసిద్ధమైన చేతిమగ్గాల (హ్యాండ్లూమ్) జరీ చీరలకు ప్రసిద్ధి. జూరాల కృష్ణానది మీద కట్టబడిన అందమైన ఆనకట్ట. తుంగభద్రా నదీ తీరంలో జోగులాంబ దేవి శక్తిపీఠమందిరం కలదు. ఇది 18 శక్తి పీఠాలలో ఒకటి.

ములుగు : 2019 సంవత్సరములో భూపాలపల్లి జిల్లా నుండి కొన్ని ప్రదేశాలను వేరుచేసి ఏర్పాటుచేసిన జిల్లాయే ములుగు. హైదరాబాదు నుండి ఇది దాదాపు 193 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఈ ప్రాంతంలోనే విశ్వవిఖ్యాత జనజాతి ఉత్సవమైన సమ్మక్క- సారక్క లేదా మేడారం జాతర ప్రతి రెండు సంవత్సరాలకు ఒకసారి జరుపబడుతుంది.

ఖమ్మం : హైదరాబాదు నుండి ఖమ్మం సుమారు 200 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. “ఖమ్మం” అనే శబ్దం “స్తంభాద్రి” శబ్దం నుండి పుట్టింది. ఇక్కడ నరసింహస్వామి మందిరం ఉంది. ఈ పట్టణం పేరు మొదటిగా స్తంభాద్రిగాను ఆ తర్వాత క్రమేణా ఖంభాద్రి, ఖంభమెట్టు అని చివరకు ‘ఖమ్మం’గా స్థిరపడింది. ఈ పట్టణం మున్నేరు నదీ తీరంలో ఉంది. క్రీ.శ. 950లో కాకతీయ రాజులు ఖమ్మం కోటను నిర్మించారు. జమలాపురం అనే చిన్న గ్రామంలో వెంకటేశ్వర స్వామివార్ల ప్రసిద్ధ మందిరం కలదు. కూసుమంచిలో గణపేశ్వరాలయం మరియు ముక్కంటేశ్వరాలయంలాంటి ప్రసిద్ధ శైవక్షేత్రాలు / మందిరాలు

మహబూబాబాద్ : హైదరాబాదు నుండి మహబూబాబాద్ సుమారు 212 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. తెలుగువారు ఈ ప్రాంతాన్ని మనుకోట అంటారు. “మనుకోట” శబ్దం తెలుగు భాషలోని “మ్రను” అనగా చెట్టు మరియు “కోట” అనగా కోట శబ్దాల నుండి ఉద్భవించింది. అంటే కోట అని అర్థం. మహబూబ్ అనే శాసకుని పేరే “మహబూబాబాద్” అయినది. ఇక్కడి బయ్యారం మండలం లోహఖనిజాల ఉత్పత్తికి ప్రసిద్ధి. మూడు నేత్రాలు, పది చేతులు కలిగి రౌధ్ర భంగిమలో ఉన్న వీరభద్రస్వామివారి ఆలయం ఇక్కడి విశేషం.

భూపాలపల్లి (ఆచార్య జయశంకర్) : హైదరాబాదు నుండి భూపాలపల్లి సుమారు 216 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఈ జిల్లా పేరును తెలంగాణ రాష్ట్ర ఆందోళన సిద్ధాంతకర్త ప్రొఫెసర్ జయశంకర్ గారి పేరు మీద పెట్టబడినది. ఈ ప్రాంతంలో అనేక ఆధ్యాత్మిక దర్శనీయ ప్రదేశాలు కలవు. ఇక్కడ ఉన్న కాళేశ్వరాన్ని దక్షిణ త్రివేణి సంగమంగా పిలవబడుతుంది. రామప్ప మందిరం కాకతీయ రాజుల కళాసృష్టికి చక్కటి ఉదాహరణ. ఇక్కడ రామప్ప మరియు లక్నవరం సరస్సులు ప్రకృతి సౌందర్య శోభను వెదజల్లుతాయి.

నిర్మల్ : హైదరాబాదు నుండి నిర్మల్ సుమారు 222 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. ఈ ప్రాంతంలో గోదావరి నది జలాల వల్ల అత్యధిక పంటలు పండించబడతాయి. ఇది వెదురు మరియు కర్రలతో తయారయ్యే బొమ్మలకు ప్రపంచ ప్రసిద్ధి గాంచినది. ప్రకృతి మరియు విద్యా ప్రేమికులు ఈ జిల్లాలోని జ్ఞాన సరస్వతి బాసరని ఎల్లప్పుడు గుర్తు చేసుకుంటారు. గోదావరి నదీ తీరంలో ఉన్న బాసర పర్యాటకులను తనవైపు ఆకర్షించుకుంటుంది.

మంచిర్యాల : మంచిర్యాల హైదరాబాదు నుండి 256 కి.మీ.ల దూరంలో ఉంది. ఇది గోదావరి మరియు ప్రాణహిత నదుల ఆశీర్వాదం వల్ల పచ్చదనంతో నిండినది. ఈ ప్రాంతం సింగరేణి బొగ్గుగనులకు మరియు సిమెంట్ ఉత్పత్తి చేసే అనేక పరిశ్రమల వల్ల ప్రసిద్ధి పొందినది. ఈ జిల్లాలో చెన్నూరులో మొసళ్ళ సంరక్షణా కేంద్రం ఉంది. ఇక్కడ దట్టమైన అడవులలో కవ్వాల్ పులుల సంరక్షణ కేంద్రం చాలా అందంగా ఉంటుంది. ఈ ప్రాంతంలో గుడెంశ్రీ సత్యనారాయణ స్వామి ఆలయం పూజనీయమైనది మరియు దర్శనీయమైనది.

భద్రాద్రి – కొత్తగూడెం: ఇది హైదరాబాదు నుండి 284 కి.మీ.ల దూరంలో ఉంది. గోదావరి నదీ తీరాన ఉన్న భద్రాచలం అతి మనోహరమైన తీర్థము. బొగ్గుగనులకు ప్రసిద్ధి. కిన్నెరసాని, పర్ణశాల మొదలగు స్థలాలు ఆధ్యాత్మిక గొప్ప పర్యాటక స్థలాలు. ఇక్కడి కిన్నెరసాని ఆనకట్ట గోదావరి ఉపనది అయిన కిన్నెరసాని నదిపై నిర్మించారు. పురాణాల ప్రకారం రావణుడు సీతాదేవి అపహరించిన స్థలంగా దుమ్మగూడెం చాలా ప్రసిద్ధి చెందినది.

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ఆసీఫాబాద్ : ఇది ఒక జనజాతి జిల్లా. హైదరాబాదు నుండి 291 కి.మీ. దూరంలో ఉంది. కొమరంభీమ్ అనే పేరుగల జనజాతి యువకుల ద్వారా చేయబడిన నీరు, అడవి, భూమి ఆందోళనలో వీరికి న్యాయం లభించింది. అందుకే ఈ ప్రాంతానికి ఆసీఫాబాద్ కొమరంభీమ్ జిల్లాగా కూడా పేరు ఉంది. ప్రాణహిత నది ఉపనది అయిన పెద్దవాగుపై పెద్దవాగు ప్రాజెక్టు నిర్మించారు. వట్టివాగు లేదా కొమరంభీమ్ ప్రాజెక్టులు, సప్తగుండ, పట్టిగుండ మరియు మట్టినీటి రిజర్వాయర్ మరియు సిరిపురం కాగజ్నగర్ మొదలగునవి చూడదగిన ప్రసిద్ధ స్థలాలు.

ఆదిలాబాద్ : హైదరాబాదు నుండి సుమారు 305 కి.మీ.ల దూరంలో ఉంది. బీజాపూర్ శాసకుడైన అలీఆదిల్షాహ్ పేరు మీద ఈ ప్రాంతానికి ఆ పేరు వచ్చింది. ఈ ప్రాంతం దక్షిణ భారతదేశానికి ప్రవేశద్వారంగా చెప్పబడుతుంది. సహ్యాద్రి పర్వత శ్రేణులు మరియు ఉత్తర – పశ్చిమ పవనాల ప్రభావంతో ఈ ప్రాంతం నిరంతరం ఆహ్లాదంగా ఉంటుంది. కడెం ఆనకట్ట, పాపేశ్వర మందిరము, జైనాథ్ మందిరము మరియు కలవా నరసింహస్వామి ఆలయం ఇక్కడ చూడదగిన ప్రముఖ స్థలాలు.

ఈ విధంగా తెలంగాణ రాష్ట్రంలోని ప్రతీ ప్రాంతం తన మనోహరమైన శోభతో పర్యాటకులను తమవైపు ఆకర్షిస్తాయి.

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