TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 5 बूढ़ी काकी

Telangana TSBIE TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 5th Lesson बूढ़ी काकी Textbook Questions and Answers.

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 5th Lesson बूढ़ी काकी

दीर्घ प्रश्न (దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
‘बूढ़ी काकी’ पाठ का सारांश पाँच-छः वाक्यों में लिखिए ।
उत्तर:
बूढ़ी काकी अपने पति और पुत्र की मृत्यु के बाद सारी संपत्ति भतीजे बुद्धिराम के नाम कर देती है । संपत्ति हायिल करने के बाद बुद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा और दो बेटे बूढ़ी काकी के साथ दुर्व्यवहार करते रहते हैं। लेकिन, बुद्धिराम की बेटी लाड़ली काकी का ख्याल रखती है। उसके बेटे मुखराम के तिलक – उत्सव के दिन स्वादिष्ट भोजन आधी रात को की लालसा में बूढ़ी काकी मेहमानों के जूठे खाना खाने लगती है । इस दृश्य को देखते ही, दया और पाप भीति से रूपा पछताती है और काकी को प्रेम से सभी खाद्यों से सज्जित थाली देती है। सभी भूलकर काकी सहर्ष खाना खाने के स्वर्गीय दृश्य देखकर रूपा आनंदमग्न होती है ।

लघु प्रश्न (లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
प्रेमचंद की कुछ रचनाओं के नाम लिखिए ।
उत्तर:
कथा – सम्राट एंव उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने यथार्थवाद एवं आदर्शवाद से संबंधित लगभग 300 कदानियाँ और एक दर्जन उपन्यास लिखे । पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफेन, बूढी काकी आदि कहानियाँ प्रसिद्ध हैं । गोदान, गबन, प्रेमाश्रम, सेवा सदन, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, प्रतिज्ञा, कायाकल्प आदि प्रसिद्ध उपन्यास हैं । गोदान इनका अंतिम तथा सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है । इनकी श्रेष्ठ वचनाएँ देश- विदेशी भाषाओं में अनूदित हुई और फिल्में भी बनाई गई ।

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प्रश्न 2.
बूढ़े लोगों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए ।
उत्तर:
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है । बूढ़े अपने जीवन काल में अपने परिवार व समाज के लिए अपनी सारी शक्ति खर्च करते हैं और बुढ़ापे में भौद्धिक एवं बौद्धिक शक्ति खो बैठते हैं। इसलिए बूढ़े लोगों के प्रति हमारा व्यवहार अच्छा होना चाहिए। बच्चों की तरह उनकी देख-भाल करनी चाहिए । उनकी समस्याएँ सुनकर, जानकर उन्हें दूर करना चाहिए । उन्हें पूरी तरह भरोसा देनी चाहिए ।

एक वाक्य प्रश्न (ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
बूढ़ी काकी ने अपनी संपत्ति किसके नाम कर दी ?
उत्तर:
भतीजे बुद्धिराम के नाम पर

प्रश्न 2.
बूढ़ी काकी को सबसे अधिक क्या पसंद था ?
उत्तर:
स्वादिष्ट ले-लेकर खाना

प्रश्न 3.
उपन्यास सम्राट किन्हें कहा जाता है ?
उत्तर:
प्रेमचंद को

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प्रश्न 4.
प्रेमचंद का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कौनसा है ?
उत्तर:
गोदान

संदर्भ सहित व्याख्याएँ (సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు)

1. बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है। बूढ़ी काकी में जिला- स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी और न अपने कष्टों की ओर आकर्षित करने का, रोने के अतिरिक्त कोई दूसरा सहारा ही ।

संदर्भ : यह कथा – सम्राट एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की सफल कहानी ‘बूढ़ी काकी’ के आरंभिक उद्धरण है। बुढ़ापा और बचपन में कोई अंतर नहीं, बताते हुए कहानीकार इस कहानी का आरंभ करते हैं ।

व्याख्या : प्रेमचंद कहते हैं कि प्रायः बुढ़ापन और बचपन का कोई अंतर नहीं होता । बुढ़ापन की चेष्टाएँ बचपन की चेष्टाएं जैसी होती हैं। बुढ़ापे में बचपन फिर से आता है। बूढ़ी काकी में जीभ का स्वाद जैसा लेकिन बाकी चेष्टाओं में एक भी न बची थी। उसका सहारा सिर्फ है, कोई दूसरा नहीं है । वह दीन स्थिति में थी ।

विशेषताएँ : आरंभिक पंक्ति एक सूक्ति जैसी है, जो पाठकों को उत्सुकता पैदा करती है। भाषा सरल और सुगम है ।

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2. परमात्मा, मेरे बच्चों पर दया करो। इस अधर्म का दंड मुझे मत दो, नहीं तो मेरा सत्यानाश हो जाएगा ।

संदर्भ : ये वाक्य महान कहानीकार एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की सफल कहानी ‘बूढ़ी काकी’ से दिए गए हैं। रात को रूपा की लड़की लाड़ली अपनी चारपाई में न पाकर इधर उधर ढूँढ़ती और देखती कि । जूठे पत्तलों पर से पूडियों के टुकड़े खा रही बूढ़ी काकी के पास खड़ी है। करुणा और भय से रूपा का हृदय द्रवित होता है। वह सच्चे दिल से अकाश की ओर हाथ उठाकर ये वाक्य कहती है ।

ब्याख्या : हे भगवान ! बूढ़ी काकी से किया जा रहा इस दुर्व्यवहार, इस दुस्थिति का कारण पति महित मैं और बच्चे हैं। इस विधर्म चेष्टा की सजा मुझे और बच्चों को मत दो। हम पर रहम करो ।

विशेषता : यह उद्धरण रूपा में स्थित पाप भीति एवं उससे हुआ हृदय – परिवर्तन का परिचायक है ।

बूढ़ी काकी Summary in Hindi

लेखक परिचय

मुंशी प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में उत्तर प्रदेश में वारणासी के निकट लमही नामक गाँव में हुआ था । आपका असली नाम धनपतराय था । आपको हिंदी और उर्दू साहित्य के महान लेखकों में से एक माना जाता है । हिंदी साहित्य में वे ‘प्रेमचंद’ उपनाम से जाने जाते हैं ।

प्रेमचंद ने नवाबराय नाम से उर्दू में भी लेखन कार्य किया था । सन् 1921 में उन्होंने महात्मा गाँधी के आह्वान पर अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया । मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गयी कहानियाँ और उपन्यासों को बाद में कई फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में प्रसारित किया गया । उन्होंने लगभग 300 कहानियाँ लिखी । गोदान उनका अंतिम और सर्वश्रेष्ठ उपन्यास हैं। सन् 1936 में मुंशी प्रेमचंद का निधन हो गया ।

सारांश

कवि परिचय : आधुनिक हिंदी साहित्य में उपन्यास सम्राट के नाम से प्रसिद्ध कहानीकार प्रेमचंद की कहानी बूढ़ी काकी “मानवीय करुणा” की भावना से ओत-प्रोत कहानी है। इसमें लेखक ने “बूढ़ी काकी” के माध्यम से समाज परिवार की उस समस्या को उठाया है जहाँ वृद्धजनों से उनकी जायदाद – संपत्ति लेने के बाद उनकी उपेक्षा होने लगती है । केवल इतना ही नही, बात-बात पर उन्हें अपमानित और तिरस्कृत किया जाता है, भरपेट भोजन तक भी नही मिलता । सामाजिक यथार्थ के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद ने मनुष्य की स्वार्थी भावनाओं का घृणित एवं बीभत्स रूप चित्रित किया है ।

बूढ़ी काकी कहानी का उद्देश्य : कहानी का प्रारम्भ करते हुए लेखक ने मानव-जीवन के वृद्धावस्था और बाल्यावस्था को एक दृष्टि से देखा है । इसमें कोई शक भी नहीं है । बूढ़ी काकी में जीभ के स्वाद के अलावा अन्य कोई इच्छा नही थी । उसे विधवा हुए पाँच वर्ष का समय व्यतीत हो चुका है। उसके जवान बेटे भी असमय मर चुके थे। इस संसार में ऐसा कोई नही था, जिसे बूढ़ी काकी अपना कह सके था तो केवल उसका दूर का भतीजा बुद्धिराम । भलेमानुष पण्डित बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के सामने लम्बे-चौड़े वायदे कर उसकी सब संपत्ति अपने नाम लिखवाली पैसे का लालची बुद्धिराम बहुत जल्दी ही बदलने लगा । बुद्धिराम की पत्नी रूपा भी व्यवहार से कठोर थी लेकिन ईश्वर से अवश्य उसे डर लगता था । इसलिए वह बूढ़ी काकी से दुरव्यवहार करते समय डरती थी ।

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बूढ़ी काकी कहानी की समीक्षा : बुद्धिराम और उसकी पत्नी का व्यवहार बूढ़ी काकी के प्रति दिनों दिन कठोर होता चला गया। यहा तक कि जिस बुढ़िया की जायदाद से सौ-डेढ़ सौ रुपये प्रतिमाह की आमदनी थी, वह भोजन तक के लिए तरसने लगी । बूढी काकी जीभ के स्वाद के आगे विवश होकर रोने चिल्लाने लगती थी । हाथ-पैरों से लाचार बुढ़िया जमीन पर पड़ी रहती और अपने प्रति उपेक्षा भरे व्यवहार पर चीखती-चिल्लाती । बुद्धिराम के दोनों बेटे भी उसे चिढ़ाने-परेशान करने में खुश होते थे । यहाँ तक कि वे दोनों उस बुढ़िया के ऊपर अपने मुँह का पानी भी उड़ले देते थे। लेकिन बुद्धिराम की बेटी लाडली ‘’बूढ़ी काकी” से बहुत प्यार करती थी । लाडली भाइयों से तंग होकर बूढ़ी काकी की कोठरी में आ जाती थी और चना चबाना जो कुछ भी होता था, मिल बाँटकर बूढ़ी काकी के साथ खाती थी ।

कुछ समय बाद बुद्धिराम के बेटे मुखराम की सगाई थी। जिसमें भाग लेने के लिए काफी मेहमान आए हुए थे। सारे गाँव में खुशी का माहौल था । चारपाइयों पर आराम कर रहे मेहमानों की नाई सेवा कर रहे थे। कहीं भाट प्रशंसा में यश-गान कर रहे थे। रूपा को भी औरतों से फुरसत नही थी । दौड़-दौड़कर इधर से उधर भाग रही थी। हलवाई भट्टियों पर काम कर रहे थे । कही सब्जियाँ पक रही थी तो कई मिठाइया बन रही थी। खाना पकने की सुगन्धि सारे घर में फैल चुकी थी ।

भीतर ही भीतर बूढ़ी काकी का मन भी लालचा रहा था । परन्तु वह सोच रही थी कि जब उसे भरपेट भोजन ही नही मिलता तो मिठाई और कचैड़ी कौन खिलाएगा। रह-रहकर उसकी जीभ लपलपा रही थी । दिन होता तो वह रो – चीखकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लेती लेकिन अपशकुन के भय से वह चुपचाप बैठी थी । धीरे-धीरे उसका मन बेकाबू होता चला गया और उकडू बनकर हलवाई के कहाडे के पास जाकर बैठ गई । अचानक रूपा की नज़र बूढ़ी काकी पर पडी तो आग बबूला हो उठी और बूढ़ी काकी को खूब भला-बुरा कहा । अपमानित होकर भी बूढ़ी काकी कुछ नही बोली और रेंगती हुई चुपचाप अपनी कोठरी में चली गयी ।

काफी समय बीत जाने के बाद भी बूढ़ी काकी की किसी ने सुध नही ली तो उसका मन बेचैन हो उठा । तरह- तरह के विचार उसके मन में आने लगे। सभी लोग खा – पी चुके होंगे। तेरी याद किसी को नहीं आएगी। इसी बीच उसकी भूख जोर पकड़ने लगी और हाथों के बल सरकती हुई लोगों के ‘बीच जाकर पत्तल पर बैठ गयी। लोग आश्चर्य से देख रहे थे कि बुद्धिराम की नजर उस पर पड़ गयी । उस दयनीय बूढ़ी काकी को दोनों हाथों से उठाकर कोठरी में लाकर पटक दिया। कभी कचौडिया याद आती तो कभी स्वादिष्ट रायता, लेकिन लाड़ली से अलावा बूढ़ी काकी के पति किसी के मन में कोई सहानुभूति नही थी ।

रात के ग्यारह बज चुके थे। सभी मेहमान आराम कर रहे थे । रूपा सो चुकी थी, लेकिन लाडली थी जो जाग रही थी। वह उस समय की प्रतीक्षा में थी जब अपने हिस्से का मिला हुआ खाना बूढ़ी काकी को जाकर खिलाए । रूपा को पता लगने पर पिटाई होने का डर था । माँ को सोता देखकर लाडली चुपके से अपनी हिस्से की पूड़िया लेकर काकी के पास पहुँची ।

बेसब्री से इंतजार कर रही बुढिया एक ही झटके में सब खा गयी परन्तु इससे उसकी भूख और बढ़ चुकी थी। उसने लाड़ली से मेहमानों के भोजन करने के स्थान पर ले चलने को कहा परन्तु वहाँ पडे टुकडों को चुन-चुनकर खाने के बाद भी उसकी भूख नही मिटी । अंत में उसने लाडली से जूठी पत्तलों के पास ले चलने को कहा। इसी बीच रूपा की आँख खुल चुकी थी । बेटी पास न रहना देखकर इधर उधर देखा तो वह पत्तलों के पास खड़ी थी ।

रूपा बूढ़ी काकी को पत्तलों की जूठन चाटते देखकर आत्मग्लानि एंव पश्चाताप से भर उठी। आज उसे अपने किये पर भारी पछतावा हो रहा था। उसकी साई आत्मा जाग उठी थी । आज उसने बूढ़ी काकी को धमकाया नहीं अपितु उठकर साथ चलने को कहा। उसने सोचा जिस बुढिया की जायदाद से हमें इतनी आमदनी हो रही है, उसके लिए मैं भरपेट भोजन भी नही दे सकी ।

बूढ़ी काकी कहानी में समाज की ज्वलन्त वृद्ध समस्या का यथार्थ चित्रण : ईश्वर से अपने अपराध के लिए क्षमा मांगती हुई रूपा अपने कमरे में गयी और पकवान तथा मिठाई का थाली, लेकर बूढ़ी काकी के पास पहुँची । कहानीकार कहता है कि भोजन के उस थाल को देखकर काकी का मन आनन्दित हो उठा । रूपा ने बड़े ही प्यार से भोजन करने के लिए कहा और विनती की कि वह ईश्वर से प्रार्थना कर दे कि वह हमारा अपराध क्षमाकर दे । बूढ़ी काकी को उस समय स्वर्गीक आनन्द की अनुभूति हो रही थी ।

बूढ़ी काकी Summary in Telugu

సారాంశము

ఆధునిక హిందీ సాహిత్యంలో ఉపన్యాస చక్రవర్తిగా పేరు పొందిన కథా రచయిత ప్రేమచంద్ ఈ కథ ద్వారా వృద్ధాప్యంలో ముసలివారు తమ జీవితం ఎంతో బాధగా, దీనంగా గడుపుతున్నారు అన్న విషయం మన ముందు తెలియచేస్తున్నారు. ఆ వృద్ధులను ఎంతో అవహేళన చేస్తూ, వారి జీవితాలతో ఏవిధమైన చెలగాటం ఆడుతున్నారని మన కళ్ళకు కట్టినట్లుగా వ్రాశారు. ఇది మన మనస్సులను కదిలివేసేటటువంటి కథ.

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 5 बूढ़ी काकी

ఈ కథలో ప్రారంభం మన “बूढ़ी काकी” మనస్సు చిన్న పిల్లల మనసు వంటిది. ఆమెకు జిహ్వచాపల్యం ఎక్కువ. ఆమెకు అది తప్ప వేరే ఏ ఆశ లేదు. ఆమె యొక్క భర్త చనిపోయి 5 సంవత్సరాలు. భర్త పోయిన కొద్ది రోజులకే కొడుకుని పోగొట్టుకుంది. ఆస్తి ఆమెకు భగవంతుడు చాలా ఇచ్చాడు. డబ్బుకి ఎటువంటి లోటు లేదు. తన అనే మనుషులు ఆమెకు కరువయ్యాడు. “డే మేనల్లుడు బుద్ధిరామ్.

ఒక్కడే తనకు ఇప్పుడు దగ్గరయ్యాడు. ఆమెకు మంచిమాటలు చెప్పి ఆస్తిని తన పేరుతో వ్రాయించుకున్నాడు. బుద్ధిరామ్ భార్య రూప ఆమె చాలా కఠోరమైన హృదయం కలది. కాని దేవుని యందు భక్తి, శ్రద్ధ ఉండేది. భగవంతుడు అంటే చాలా భయం. “बूढ़ी काकी” పట్ల చెడుగా ప్రవర్తించేటప్పుడు ఎంతగానో భయపడేది.

బుద్ధిరామ్, రూపాకి ఇద్దరు మగపిల్లలు, ఒక ఆడపిల్ల. “बूढ़ी काकी ” ని ఇంటి బయట ఒక చిన్న గదిలో ఉంచారు. ఆమెకు సమయానికి తిండి కూడా పెట్టేవారు కాదు. “बूढ़ी काकी” ఆస్తి వారు అనుభవిస్తూ ఆమెను కష్టాలపాలు చేశారు. బుద్ధిరామ్ కూతురుకి “बूढ़ी काकी” అంటే ప్రేమ. తనవంతు తిండి ఆమె దగ్గరకు తెచ్చి ఆమెకు పెట్టి తను తినేది. బుద్ధిరామ్ మగపిల్లలు నోటిలో నీరు పుక్కిలించి (ఆమె) “बूढ़ी काकी” పై ఊసేవారు వారి ఆగడాలకు హద్దు ఉండేది కాదు. బుద్ధిరామ్ పెద్ద కుమారిడికి పెళ్ళి నిశ్చయం అయింది.

ఇంటికి చాలా మంది బంధువులు వచ్చారు. బంధువులతో ఇల్లంతా సందడిగా ఉంది. పెద్ద పెద్ద బాండీలు పెట్టి ఎన్నో రకరకాల తీపి వంటకాలు, కచోరీలు, ఫలహారాలు చేశారు. ఆ వాసన పీల్చిన “बूढ़ी काकी” తన గదిలో ఉండలేక దేకుతూ ఆ ప్రదేశానికి చేరుకుంది. కాని బుద్ధిరామ్ ఆమెను చూసి లాక్కెళ్ళి ఆమె గదిలో పడవేశాడు. ఆమెకు చాలా బాధగా అనిపించింది. బాగా ఆకలి వేస్తుంది, ఎవ్వరు ఆమెను పట్టించుకోవడం లేదు.

పోనీ తను వాళ్ళని తిడదామంటే చుట్టూ వచ్చిన వాళ్ళు తనని తప్పుగా భావిస్తారని భావించి నోరుకట్టుకుని దీనంగా కూర్చుంది. అలా సాయంత్రం అయిపోయింది. బాగా ఆకలివేస్తుంది. తనని పరామర్శించే వ్యక్తులు కరువైపోయారు. ఎవ్వరు ఆమెను పట్టించుకోవడం లేదు. “बूढ़ी काकी” కి ఏడుపు వస్తుంది. రూపకి చుట్టాలతో తీరిక దొరకలేదు. ఆమె “बूढ़ी काकी” ని పూర్తిగా మర్చిపోయింది. రాత్రి చాలా గడిచింది.

రూప, ఇంట్లో అందరు నిద్రించిన తరువాత బుద్ధిరామ్ కూతురు తన వంతు ఆహారాన్ని “बूढ़ी काकी” వద్దకు తెచ్చింది. దానిని అమాంతం తినివేసింది. కాని “बूढ़ी काकी” కి ఆకలి తీరలేదు. బంధువులు తిన్న ప్రదేశానికి తనను తీసుకు వెళ్ళమని ఆ పాపని కోరింది. ఆ ప్రదేశానికి చేరిన తరువాత “बूढ़ी काकी” ఆ విస్తర్లలో మిగిలిన ఆహారాన్ని నాకడం ప్రారంభించింది. గిన్నెలను నాకింది. అయిన ఆకలి తీరలేదు. రూప కూతురు ప్రక్కన లేకపోవడం గమనించి బయటకు వచ్చి చూసింది. ఆ దృశ్యం చూసిన ఆమెకు కన్నీళ్ళు ఆగలేదు. ప్లేటు తీసుకుని అన్ని రకాల తినుబండరాలు “बूढ़ी काकी” కి ఇచ్చింది. తనని క్షమించమని “बूढ़ी काकी” ని, భగవంతుడిని కోరింది.

कठिन शब्दों के अर्थ (కఠిన పదాలు – అర్ధాలు)

पुनरागमन – come back, తిరిగి రావడం.
जिहवां स्वाद – very taste, నాలుకకి రుచించదగిన.
भतीजा – nephew, మేనల్లుడు
अर्धांगिनी – better half, భార్య
सुचेष्टा – well, మంచి
कुल्ली कर देना – Gargle, పుక్కిలించి ఉమ్మివేయు
आर्तनाद – roaring, ఆర్తనాదం
शहनाई – the clarinet, సన్నాయి
भट्टियों – furnaces, అగ్నికుండము
पकवान – puddings, పిండి వంటలు
कोठरी – chamber, గది
शोकमय – woeful, deplorable, దౌర్భాగ్యముగా
पूडियाँ – puri, పూరీలు
कचौडियाँ – pastry, మిఠాయి
अजवाइन – caromseed, వాము
इलायची – cardamom, యాలుకలు
वाटिका – garden, ఉద్యానవనం

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 5 बूढ़ी काकी

उद्विग्न – distraught, విషాదం
भोग – enjoyment, సంతోషకరం
डायन – witch, మంత్రగత్తె
झुंझला – jerk, కుదుపు
पत्तल – leaf on which meal is served, ఆకు
चटकारना – to make a sound while licking, నాకేటప్పుడు చేయు శబ్దం.
तिलमिला – dare, ఆలోచించుకునే శక్తిని పోగొట్టు
बेइमान – dishonest, కపటంతో కూడిన
घसीटना – a drag, లాక్కొనుట
लाडली गुडिया की – tenderling, ప్రియమైన
पिटारी – dolls, బొమ్మలు
टटोला – towel, palpate, స్పర్శద్వారా పరీక్షించు
सदिच्छाएँ – good luck, good desire, మంచి కోరికలు
गुदगुदाना – tickle, చక్కిలిగింత

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