Telangana TSBIE TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 2nd Lesson पहाड़ से ऊँचा आदमी Textbook Questions and Answers.
TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 2nd Lesson पहाड़ से ऊँचा आदमी
दीर्घ प्रश्न (దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు)
प्रश्न 1.
‘पहाड़ से ऊँचा आदमी’ पाठ का सारांश पाँच-छः वाक्यों में लिखिए ।
उत्तर:
मजदूर दशरथ माँझी की अस्वस्थ जीवन संगिनी फागुनी देवी को 90 कि.मी. दूर स्थित नजदीक वजीरगंज अस्पताल ले जाने के दौरान वह दम तोड देती है। तभी वे पहाड़ काट कर रास्ता बनाकर 90 कि.मी. की दूरी को कम करने का निर्णय करते हैं । वे छैनी – हथौड़े से पहाड़ काटकर रास्ता बनाकर यह साबित किया कि कोई असंभव कार्य नहीं है और मनुष्य से ज्यादा ऊँचा कोई नहीं होता। लोग भी उस कार्य में हाथ बँटाते हैं। कर्मवीर के आगे कठोर पर्वत भी अपना सिर झुकाता है। वे अपर प्रोमोथियस और अपर भगीरथ हैं उनसे काटा हुआ । रास्ता ‘पूअर मैंस ताजमहल’ है । वे ‘पहाड़ से ऊँचा आदमी’ और ‘माउन्टिन मैन’ हैं ।
लघु प्रश्न (లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు)
प्रश्न 1.
दशरथ माँझी ने पहाड़ तोड़ने की बात क्यों सोची ?
उत्तर:
‘मजदूर दशरथ माँझी की अस्वस्थ जीवन संगिनी फागुनी देवी को लौर से 90 कि.मी. दूर पर स्थित नजदीक वजीरगंज अस्पताल ले जाने के दौरान वह दस तोड़ देती है। गेलौर और वजीरगंज के बीच पहाड़ है । यदि पहाड़ नहीं तो दोनों गाँवों के बीच की दूरी 13 कि.मी. ही होती और उनकी पत्नी ठीक हो जाती । इसी कारण, दशरथ माँझी ने पहाड़ तोड़ कर रास्ता . बनाने की बात सोची ।
प्रश्न 2.
‘पहाड़ से ऊँचा आदमी’ पाठ से हम क्या सीखते हैं ?
उत्तर:
आत्मनिर्भर, दृढ़ निश्चय और कर्मशील व्यक्ति को असंभव कार्य कोई नहीं होता । ऐसा व्यक्ति जंगल में भी मंगल मचा देता है। ऐसे व्यक्ति के सामने पर्वत भी अपना सिर झुकाता है, सागर भी अपनी तरंगों को पसारकर उसका स्वागत करता है । उसका काम सफल होता है जिससे समाज कल्याण होता है । यही हम ‘पहाड़ से ऊँचा आदमी’ पाठ से सीखते हैं ।
एक वाक्य प्रश्न (ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు)
प्रश्न 1.
दशरथ माँझी ने पहाड़ को किससे काटा ?
उत्तर:
छैनी और हथौड़े से
प्रश्न 2.
दशरथ मांझी की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर:
फागुनी देवी
प्रश्न 3.
गेलौर से वजीरगंज तक जाने की कितने किलोमीटर की दूरी है ?
उत्तर:
पहाड़ तोड़ने के पहले 90 किलोमीटर
प्रश्न 4.
लेखक ने दशरथ मांझी की तुलना किन पौराणिक पुरषों से की है ?
उत्तर:
प्रोमोथियस और भगीरथ से
संदर्भ सहित व्याख्याएँ (సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు)
1. गेलौर से वजीरगंज जाने की 90 किलोमीटर की दूरी को 13 किलोमीटर ला देने वाला यह रास्ता एक श्रमिक के प्यार की निशानी है। एक अंग्रेज पत्रकार ने लिखा :- ‘पूअरमैंस ताजमहल ।’
संदर्भ : प्रस्तुत पाठ्यांश सफल लेखक, संपादक, अनुवादक, सक्रिय सांस्कृतिक विचारक एवं सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गाताडे के पाठ ‘पहाड़ से उँचा आदमी से उद्धृत है । दशरथ माँझी द्वारा पहाड़ काटने के भगीरथ – यत्न में लोग कैसे अपने हाथ बँटाते हैं, उसका विवरण देते लेखक, प्रस्तुत कथन कहते हैं ।
व्याख्या : लेखक कहते हैं कि दशरथ माँझी छैनी और हथौड़ से पहाड़ काटकर गेलौर से वजीरगंज की 90 कि.मी. की दूरी को 13 कि.मी. लाते हैं । यह नया रास्ता कठोर श्रमिक दशरथ माँझी की जीवन संगिनी फागुनी देवी का पवित्र प्रेम – चिह्न है । अस्वस्थ फागुनी देवी को 90 कि.मी. दूर स्थित नदजीक वजीरगंज अस्पताल ले जाने के दौरान वह दम तोड़ देती है । तब दशरथ इस भगीरथ – यत्न का निर्णयकर कार्य सफलता पाते हैं । जैसे शहशाह शाहजहाँ की प्रियतमा मृत मुमताज की यादगार में वे ताजमहल का निर्माण करते हैं, वैसे ही निर्धन श्रमिक दशरथ अपनी जीवन संगिनी फागुनी देवी की यादगार में वे इस नए रास्ते का निर्माण करते हैं। एक अंग्रेज पत्रकार ठीक कहते हैं कि यही रास्ता दरिद्र दशरथ का ताजमहल है ।
विशेषताएँ : ‘यहा रास्ता एक श्रमिक के प्यार की निशानी’ और ‘पूअर मैंस ताजमहल’ शब्दों में लेखक बिंदु में सिंधु भर देते हैं। दोनों उपमाएँ सटीक हैं । ‘आज की तारीख में …. कहकर लेखक पुराने मीलों की याद दिलाते हैं ।
2. पहाड़ मुझे उतना ऊँचा कभी नही लगा जितना लोग बताते हैं । मनुष्य से ज्यादा ऊँचा कोई नहीं होता ।
संदर्भ : प्रस्तुत पाठ्यांश सफल लेखक, संपादक, अनुवादक, सक्रिय सांस्कृतिक विचारक एवं सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गाताडे के पाठ ‘पहाड़ से ऊँचा आदमी से उद्धतृ है । दशरथ माँझी की तुलना प्रोमेथियस और भगीरथ से करते संदर्भ में, पाठ के अंत में, लेखक ये वाक्य करते हैं ।
व्याख्या : लेखक करते हैं कि दशरथ माँझी ने एक पत्रकार से अपने जीवन के दर्शन का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि पहाड़ की ऊँचाई जितनी लोग कहते हैं, मुझे उतनी ऊँचाई कभी नहीं लगी। मनुष्य से अधिक ऊँचाई कोई भी नहीं होती । कर्मशील मनुष्य ही सबसे ऊँचा है ।
विशेषताएँ : यह उद्धरण ‘जहाँ चाह वहाँ राह’ लोकोक्ति की याद दिलाता है और दशरथ का दृढ निश्चय और उनकी आत्मनिर्भरता का परिचायक है। हाँ, कर्मवीर जंगल में भी मंगल मचा देता है। उसे असंभव कार्य नहीं होता ।
पहाड़ से ऊँचा आदमी Summary in Hindi
लेखक परिचय
सुपरिचित लेखक और सक्रिय सांस्कृतिक विचारक के रूप में प्रसिद्ध सुभाष गाताडे का जन्म 24 अक्तूबर 1957 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ । सन् 1981 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की । वे बहुत समय से सामाजिक कार्यों में संलग्न रहे हैं। 1990 से 1999 तक आप ने ” लाक दस्ता” नामक वैचारिक पत्रिका का संपादन किया । वर्ष 2001 से आप “कृति संस्कृति संधान” पत्रिका से संबन्ध रहे हैं। आप सफल सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, सम्पादक, अनुवादक के रूप में जाने जाते हैं। आप के लेख अंग्रेजी, हिन्दी, उर्दू तथा मराठी में देश- विदेश के बहुचर्चित होते रहते हैं और प्रकाशित भी रहते हैं ।
”शाहबाग मूवमेंट,” “तर्क और विचारों से कौन डरता है”, “जब पानी में आग लगी थी’, ‘जाति तोडो – मनुष्य बनो’ तथा ‘समाज संस्कृति और सियासत पर प्रश्नवाचक ‘ आदि आपकि प्रतिष्ठित पुस्तकें हैं ।
सारांश
आपने कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि “अगर इंसान चाहे तो वह पहाड़ को भी हिला कर दिखा सकता है”। और आज हम आपको ऐसी ही व्यक्ति से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने अकेले दम पर सच मुच पहाड़ को हिला कर दिखा दिया है ।
मैं बात कर रहा हूँ गया (Gaya) जिले के एक अति पिछडे गाँव गहलौर में रहनेवाले दशरथ माँझी की। गहलौर एक ऐसी जगह है जहाँ पानी के लिए भी लोगों को तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था, वही अपने परिवार के साथ एक छोटे से झोपंडे में रहनेवाले पेशे से मजदूर श्री दशरथ माँझी ने गहलौर पहाड को अकेले दम पर चीर कर 360 फीट लंबा और 30 फीट चौड़ा रास्ता बन दिया ।
इसकी वजह से गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लाक के बीच कि दूरी 80 किलोमीटर से घट कर मात्र 3 किलोमीटर रह गयी जाहिर है इससे उनके गाँववालों को काफी सहूलियत हो गयी और इस पहाड़ जैसे काम को करने के लिए उन्होंने किसी dynamite या मशीन का इस्तेमाल नही किया, उनहोंने तो सिर्फ अपनी छेनी हथौडी से ही ये कारनामा कर दिखाया, इस काम को करने के लिए उन्होंने ना जाने कितनी ही दिक्कतों का सामना किया, कभी लोग उन्हें पागल कहते तो कभी सनकी, यहाँ तक कि घरवालों ने भी शुरू में उनका काफि विरोध किया पर अपनी धुन के पक्के दशरथ माँझी ने किसी की न सुनी और एक बार जो छेनी हथौडी उठाई तो बाईस साल बाद ही उसे छोडा, जी हाँ सन् 1960 जब वो 25 साल के भी नही थे, तबसे हाथ में छेनी हथौडी लिये ने वे बाईस साल पहाड काटते रहे ।
रात – दिन, आँधी पानी की चिंता किये बिना दशरथ माँझी नामुनकिन को मुमकिन करने में जुटे रहे । अंततः पहाड़ को झुकना ही पडा। 22 साल [1960-1982] के अथक परिश्रम के बाद ही उनका यह कार्य पूर्ण हुआ, पर उन्हें हमेशा यह अफसोस रहा कि जिस पत्नी की परेशानियों को देखकर उनके मन में काम करने का जज्बा आया अब वही उनके बनाये इस रास्ते पर चलने के लिए जीवित नही थी ।
दशरथ जी के इस कारनामे के बाद दुनिया उन्हे Mountain cutter और Mountain Man के नाम से भी जानने लगी, वैसे पहले भी रेल पटरी के सहारे गया से पैदल दिल्ली यात्रा कर जगजीवन राम और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से मिलने का अद्भुत कार्य भी दशरथ माँझी ने किया था, पर पहाड़ चीरने के आश्चर्यजनक काम के बाद इन कामों का क्या महत्व रह जाता है ?
सन् 1934 में जन्म श्री दशरथ माँझी का देहांत 18 अगस्त 2007 को कैंसर की बीमारी से लड़ते हुए दिल्ली के AIMS अस्पताल में हुआ, इनका अंतिम संस्कार बिहार सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ किया गया, भले ही वो आज हमारे बीच न हों पर उनका यह अद्भुत कार्य आनेवाली कई पीढियों को प्रेरणा वेता रहेगा ।
- सफलता पाने के लिए जरूरी है कि हम अपने प्रयास में निरंतर जुटे रहे बहुत से लोग कभी इस बात को नही जान पाते है कि जब उन्होंने अपने प्रयास छोडे तो वह सफलता के कितने करीब थे ।
- सफल होने के लिए संयम बहुत जरूरी है, जिंदगी के बाईस साल तक कठोर मेहनत करने के बाद फल मिला दशरथ माँझी को ।
- कौन कहता है कि “अकेला चना भाड़ नहीं फोड सकता” सकता है ।
पहाड़ से ऊँचा आदमी Summary in Telugu
సారాంశము
మనిషి తలుచుకుంటే ఒక కొండను సైతం కదపగల సామర్థ్యం ఉంటుంది. అని మనం విన్నాము. అటువంటి మహావ్యక్తి గురించి ఈ రోజు మనం తెలుసుకుందాం. ఆ వ్యక్తి ఎవరు అని మీరందరు అనుకుంటున్నారు కదా ? ఆ వ్యక్తి ఎవరో కాదు గయ జిల్లాలో ఒక వెనుకబడిన గ్రామమైన గహలౌరకి సంబంధించిన దశరథమాంజీ గహలౌరి గ్రామం ఎంత వెనుకబడిన గ్రామం అంటే నీరు త్రాగడానికి అక్కడి స్త్రీలు ‘3’ కిలోమీటర్లు నడిచి వెళ్ళి త్రాగునీరు తేవాలి.
అక్కడ తన పరివారంతో ఒక చిన్న గుడిసెలో దశరథమాంజీ నివసించేవాడు. అతను ఒక రోజు కూలి. అతను తన స్వశక్తితో 360 అడుగుల పొడవు మరియు 30 అడుగుల వెడల్పు గల దారిని ఏర్పాటు చేశాడు. దాని కారణంగా గయ జిల్లాలో అత్రి మరియు వజీర్ గంజ్ బ్లాకు మధ్య దూరమైన 80 కిలోమీటర్లు తగ్గి ‘3’ మీటర్లుగా మారిపోయింది. అతని కారణంగా ఊరివాళ్ళకి ప్రయాణం చేసే దూరం తగ్గిపోయింది. కొండను తొలిచేందుకు అతను ఎటువంటి డైనమైటను వాడలేదు.
అతను తన పార, పలుగు, తవ్వుకోల వంటి సామాన్య వస్తువులనే . ఉపయోగించాడు. ఈ పనిని చేయడానికి దశరథ్మాంజే ఎన్నో అవరోధాలను ఎదుర్కొన్నాడు. మొదట్లో అందరు అతనిని పిచ్చివాడిగా భావించేవారు. అతను కొండను త్రవ్వడానికి కారణం అతను ఎంతో ప్రేమగా భావించే తన భార్య మరణం. ఆమెను ఆసుపత్రికి సరియైన సమయంలో తీసుకువెళ్ళలేక ఆమెను ఫాగునీ దేవిని పొగొట్టుకున్నాడు. కొండ చుట్టూ తిరిగి వెళ్ళేటప్పటికి ఆమె ప్రాణం కోల్పోయింది.
అలా ఎవ్వరికి జరగకూడదని భావించి దశరథమాంజీ కొండలోనుండి దారి చేయాలనే ఉద్ధేశ్యంతో కొండను త్రవ్వడం ప్రారంభించాడు. ఇది చాల గొప్ప విషయం. షాజహాను ముంతాజ్ కోసం తాజ్మహల్ కట్టించాడు. దశరథమాంజీ తన ప్రేమ కోసం కొండని తొలచి మార్గం చేశాడు. ఒక ఆంగ్ల పత్రికవారు ఇది ‘Poor Mans Tajmahal’ అని దానిని గురించి గొప్పగా అభివర్ణించారు. 22 సంవత్సరములు (1960 – 1982) దశరథమాంజీ కష్టపడి తను అనుకున్న లక్ష్యం నేరవేర్చాడు. కాని ఎవరి కోసం ఇది చేశాడో (తన భార్య) ఆమె ఇది చూడటానికి ఈ ప్రపంచంలో లేదు అని బాధపడేవాడు.
దశరథమాంజీని ఈ పని తరువాత అందరు “Mountain Cutter” లేక “Mountain Man” అని పిలిచేవారు. 1934వ సంవత్సరంలో పుట్టిన దశరథమాంజీ 18 ఆగష్టు 2007లో కేన్సర్ జబ్బుతో పోరాడి ఢీల్లిలో AIMS ఆసుపత్రిలో చనిపోయాడు. బీహారు ప్రభుత్వం దశరధమాంజీ శవానికి ప్రభుత్వలాంచనాల ప్రకారం అంతిమ సంస్కారాలు జరిపారు. మాంజీ యొక్క ఈ అద్భుత కార్యం రాబోయే తరాల వారికి ఒక గొప్ప మార్గదర్శకం మరియు ప్రేరణ సఫలత పొందడానికి సహనం అవసరం దశరథమాంజీ నిరూపించారు.
कठिन शब्दों के अर्थ (కఠిన పదాలు – అర్ధాలు)
टेक्नोलॉजी – technology, టెక్నాలజీ
निर्भर – dependent on, ఆధారపడు
पहाडी चीरने के लिए – for hill cutting, కొండను చీల్చుట కొరకు
इस्तेमाल – use, ఉపయోగం.
शख्स – the man, మనిషి
अन्जाम – the execution, అమలు
बाजुओं – arms, చేతులు
छैनी – chisel, ఉలి
हथौडा – Hammer, గొడ్డలి
ठान लेना – Intend to, ఉద్దేశ్యము
राहगीरों – passer by, ప్రయాణం చేయువారు.
संगिनी – wife, girl-friend, భార్య, స్నేహితురాలు
धुन के पक्के – tuneful, standard, స్థిరంగా ఉండుట, రాగ మంతట
दौरान – during, సమయంలో
हसरत – wish, కోరిక, అనుకొనుట, ఆశించు.
असामयिक मौत – untimely death, అకాల మరణం.
निशानी – sign, Remembrance, గుర్తుగా
यायावरी – nomad, sannyase, సంచారకులు, దేశదిమ్మరి.
जिजीविषा – strong wish, గట్టి నమ్మకం
धमकाया – to threaten, బెదిరించే
कचोटता – to tease, బాధించటం
फाकाकशी – hungry to die, ఆకలితో మరణించు
मृत्युभोज – death fever, death ritual, మరణ ఆచారాలు
मिथकीय पात्रों – mythical character, పౌరాణిక పాత్ర
कोशिशों – tries, ప్రయత్నాలు
इनसानियत – humanitarian మానవతా దృక్పథం
दुश्मन – enemy, foe, శత్రువు
पलभर – moment, క్షణం
संकल्पशक्ति – resolution power, సంకల్ప శక్తి
तब्दील – changed, మార్పు