Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material उपवाचक 6th Lesson सफलता की कुंजी : टीम वर्क Textbook Questions and Answers.
TS Inter 1st Year Hindi उपवाचक 6th Lesson सफलता की कुंजी : टीम वर्क
अभ्यास
अ. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर तीन चार वाक्यों में दीजिए ।
प्रश्न 1.
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
उत्तर:
ए.पी.जे अब्दुल कलाम को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के तौर पर अधिक जाना जाता है, जो साल 2002 से लेकर साल 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहे। इस से पहले कलाम विज्ञान क्षेत्र में सक्रिय थे । कलाम ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्म लिया और वही पर उनका पालन पोषण भी हुआ ।
शिक्षा के लिहाज से उन्होंने अन्तरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की । अपने करियर के अगले करीब चालीस सालों तक, वह भारतीय रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन यानि संक्षेप में कहें तो डी.आर.डी.ओ. और भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन यानि इसरो में वैज्ञानिक और इंजिनियर के पद पर रहे । इन्हें लोगों के दिल में बहुत सम्मान प्राप्त है ।
प्रश्न 2.
“सफलता अकेले आगे बढने में नहीं है, बल्कि दूसरों को भी साथ लेकर बढने में है ।” इस कथन का समर्थन करते हुए अपने विचार लिखिए ?
उत्तर:
किसी भी संस्था के परिणामों को बेहतर बनाने केलिए टीम वर्क की अहमियत को समझना बेहद जरुरी है। संकटपूर्ण स्थितियों में टीम भावना से किया काम सफलता को सुनिश्चित करता है । यह वह स्थिति होती है, जिसमें सभी की जीत होती है । पारस्परिक मधुर संबंध टीम की सफलता केलिए जरुरी होते है । सदस्यों के बीच भरोसा मजबूत होना चाहिए। टीम वर्क से कोई भी काम कम वक्त में पूरा हो जाता है ।
जब कई लोग किसी एक समस्या का समाधान ढूंढने का कोशिश करते है तो बेहतर विचार सामने आते हैं। टीम वर्क में गलती की संभावनाएं कम होती हैं, क्यों कि एक व्यक्ति का काम दूसरे से जुड़ा होता है, इसलिए प्रत्येक स्तर पर काम की जांच होती रहती है। अच्छा टीम वर्क किसी संगठन को कम समय में बेहतर नतीचे तक पहुंचाता है । सफलता एक व्यक्ति का न होकर समस्त व्यक्तियों के होते तो उसका मजा ही और है । हम उस आनंद बातों में नहीं बता सकते ।
सफलता की कुंजी : टीम वर्क Summary in Hindi
लेखक परिचय
‘भारतरत्न’ अबुल पकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का जन्म सन् 1931 में धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु राज्य में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था । कलाम सात भाई – बहनों में से एक थे । उनके पिता का नाम जैनुलाबश्रान और माता का नाम आशियाम्मा था । कलाम ने तिरुचीरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से अपनी बारहवी की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात वें एयरोनॉटीकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मद्रास इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी आ गए ।
कलाम ने सन् 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ अपनी नौकरी शुरु की। तत्पश्चात वें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में स्थानांतरित हो गए। वहां उन्होंने एसएलवी – 3 ( उपग्रह प्रक्षेपण वाहन – 3) की मदद से रोहिणी – 1 उपग्रह को निम्न- पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया । उनके नेतृत्व में कम दूरी और मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल पृथ्वी और अग्नि भारत के मिसाइल शस्त्रागार में शामिल हुई। सन् 1998 में कलाम ने भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई ।
स्वयं एक गरीब परीवार से आये थे इसलिए सुनहरे भविष्य निर्माण मे शिक्षा की शक्ति के योगदान को अच्छी तरह से जानते थे। कलाम को बच्चों से विशेष लगाव था ।
कलाम को वैसे तो अनगिनत पुरस्कार व सम्मान मिले, किंतु भारतरत्न का सम्मान उनके लिए विशेष था । उन्हें जब कभी समय मिलता लेखन कार्य में जुट जाते । ‘इग्नाइटेड माइंड्स’, ‘इंडिया माय ड्रीम’ उनकी चिंतनपरक रपनाएँ थी, वहीं दूसरी ओर ‘विंग्स ऑफ फायर’ और ‘साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट’ उनकी आत्मकथात्मक पुस्तकें हैं । इन पुस्तकों को पढने के पश्चात पता चलता है कि हौंसला हो तो कुछ भी असंभव नहीं है । इसका उदाहरण स्वयं अब्दुल कलाम हैं जो समाचार पत्र बेचने से लेकर राष्ट्रपति पद तक पहुँचे । महान व्यक्तित्व के धनी कलाम जी का 27 जुलाई 2015 को शिलांग में निधन हो गया ।
प्रस्तुत अंश ए. पी. जी. अब्दुल कलाम की आत्मकथा ‘विंग्स’ ऑफ फायर से लिया गया हैं । इसका हिंदी अनुवाद श्री अरुण तिवारी ने ‘अग्नि की उड़ान’ शीर्षक से किया है। इसमें कलाम जी सामूहिक कार्य के महत्व का विश्लेषण करते हैं ।
‘भारतरत्न’ अबुल पकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का जन्म सन् 1931 में तलिलनाडु में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था । आप महान वैज्ञानिक थे । सन् 1998 में कलाम ने भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण में निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई ।
सारांश
भारत में आज भी ज्यादातर लागों के लिए टेक्नोलॉजी शब्द का अर्थ धुआँ उगलते स्टील कारखानों या झनझनाती मशीनोंवाले कारखाने से हैं । टेक्नोलॉजी शब्द की जो सही – सही अवधारणा है। वह उससे बिलकुल अलग है। टेक्नालॉजी में तकनोकियाँ शामिल होती हैं – ठीक वैसे ही जैसे मशीने, जिन्हें इस्तेमाल करना जरुरी हो भी सकता है और नहीं भी । तकनी हमें यह कभी नहीं भूलवा चाहिए कि टेक्नोलॉजी खुद ही अपनी पोषक होती है। दरअसल टेक्नोलॉजी विकास के तीन चरण मुख्य होते हैं। जो आपस में एक दुसरे से जुड़े हैं। पहला चरण सृजन का होता है। जिसमें उपयुक्त विचार था। फिर यह अपने व्यावहारिक प्रयोग से वास्तविक में इसका अंत हो जाता है। यह प्रक्रिया तब पूरी हो जाती है जब यह टेक्नोलॉजी नए – नए सृजनात्मक विचारों को पैदा करती है ।
टेक्नोलॉजी विज्ञान से भिन्न एक सामुहिक गतिविधि है । यह किसी एक व्यक्ति की बुध्दि या समझ पर आधारित नहीं होती बल्कि कई व्यक्तियों की आपसी बोध्दिक प्रतिभा पर आधारित होती है । एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (आई.जी. एम. डी. पी) Integrated Guided Missile Development Programme की सबसे बड़ी सफलता का तथ्य यह नहीं है कि देश ने रिकॉर्ड समय के भीतर पांच मिसाइल प्रणालियाँ विकसित कर लेने की क्षमता हासिल कर ली, बल्कि तथ्य यह है कि इसके माध्यम से वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की कुछ सर्वश्रेष्ठ टीमें तैयार हो गई । अगर कोई मुझसे भारतीय रॉकेट विज्ञान में मेरी व्यक्तिगत उपलब्दि के बारे में पूछता है तो मैं बताऊँगा कि मैं ने नौजवानों की टीमों के लिए एक ऐसा माहोल तैयार किया जिसमें वे अपने दिल और आत्मा का संघर्ष अपने मिशन में लगा सकें ।
अपने निर्माण के दौर में टीमें बच्चों की तरह ही होती हैं । वे एकदम उत्तेजनशील, ओजस्विता, उत्साह एवा उत्सुक्ता से भरपूर और अपने को विशिष्ट दिखाने की इच्छा लिये होती हैं। अपनी टीमों को हमेशा ऐसा माहौल देना सुनिश्चित किया जिसमें वे कुछ नया कर सकें और जोखिम उठा सकें ।
एस.एल.वी – 3 परियोजना और बाद में एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (आइ.जी.एम.डी.पी.) Integrated Guided Missile Development Programme (I.G.M.D.P) के दौरा न हमने पहले परियोजना टीमें बनानी शुरु कीं तो इन टीमों में काम कर रहे लोगों ने अपने पंक्ति में पाया । चूँकि इन टीमों में एक तरह से मनोवैज्ञानिक निवेश किया गया था, इसलिए वे बहुत ही सुस्पष्ट और अति संवेदनशील बन गई । सामूहिक यश लेने के लिए ने एक – दूसरे से व्यक्तिगत रुप. से विषमानुपात में काम करने की उम्मीद करते ।
जब आप एक परियोजना टीम के रूप में काम करते हैं तो आपको सफलता की कसौटी के लिए मिली जुली दृष्टि विकसित करनी होगी। हर टीम के काम में हमेशा बहुविधि और विरोधाव्यासी उम्मीदें बनी रहती हैं। अच्छी परियोजना टीमें उस मूल तत्व और उन मुख्य लोगों को फौरन पहचात लेने में समर्थ होती हैं, जिनसे सफलता की कसौटी तय कर ली जानी चाहिए। टीम के नेता की भूमिका का एक निर्णायक पक्ष ऐसे मुख्य लोगों से उनकी जरुरतों के बारे में बातचीत कर लेने तथा उनको प्रभावित करने का होता है और टीम नेता को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि जैसे जैसे परिस्थियाँ विकसित हों या बदलें, तत्व पर नज़र जमी रहे, मुख्य लोगों और अन्य लोगों के बीच संवाद नियमित रुप से जारी रहे ।
टीम ने स्वयं ही आंतरिक सफलता की कसौटी विकसित की थी स्वयं ही अपने स्पष्ट मानदंड उम्मीदें और लक्ष्य निर्धारित किए थे ।
किस भी टीम में सफलता की कसौटी तक पहुँचने की प्रक्रिया बहुत ही जटिल एवं कौशलयुक्त होती है, क्यों कि एक ही छत के नीचे काफी कुछ घटित होता है ।
दुसरे स्तर पर परियोजना नेता को टीमों एवं कार्य केंद्रों के बीच संबंध को बढ़ावा देने तथा विकसित करने का काम करना चाहिए । दोनों ही पक्षों को अपनी आपसी समझ के बारे में बहुत ही स्पष्ट होना चाहिए और दोनों को ही परियोजना में बराबर का पूर्णरूप से साझेदार होना चाहिए ।
अब्राहम मैसलो पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने स्व कार्यान्वयत के नए मनोविज्ञान को अवधारणा के स्तर पर बहस के लिए प्रस्तुत किया । युरोप में रुडोल्फ स्टेनर और रेग रेवांस ने इस अवधारणा को व्यक्तिगत शिक्ष की प्रणाली तभा संगठनात्मक नवीनीकरण के रूप में विकसित किया ।
डाँ. होमी जहाँगीर भाभा और प्रा. विक्रम साराभाई ने परमाणु उर्जा पर आधारित उच्च टेक्नोलॉजी एवं अंतरिक्ष कार्यक्रमों की शुरुआत की और साथ ही संपूर्णता व प्रवाह के प्राकृतिक नियमों पर स्पष्ट जोर दिया । डॉ. वर्गीज कुरियन ने सहकारिता आंदोलन को सशक्त बनाकर डेयरी उद्योग में एक नई क्रांति ला दी। प्रो. सतीश धवन ने अंतरिक्ष शोध में मिरान प्रबंधन की अवधारणाओं को विकसित किया ।
तकनीकी प्रबंधन वृक्ष तभी फैलता है जब सफल रुप में जरुरतों, नवीनीकरण, अंतर्निर्भरता और प्राकृतिक प्रवाह का स्व कार्यान्वयन होता है । विकास के प्रतिरुप ही विकास की प्रक्रिया के लक्षण होते हैं । जिनका मतलब यह होता है कि चीजें धीमे परिवर्तन और अचानक रुपांतरण के मिले-जुले रूप में चलती हैं।
हर रुपांतरण या तो एक नई छलंग को जन्म देता है जिससे सोच, ज्ञान अभवा क्षमता के एक और विकसित पटल का प्रादुर्भाव होता है या फिर पुराने किसी पटल पर जा गिरता है । अच्छा प्रबंध ऊपर उठाने तभा पीछे गिराने की प्रक्रिया को इस प्रकार अनवरत जारी रखता है कि ऊपर उठने की आवृत्ति और उसका तान्विक आकार पीछे गिरने की अपरिहार्यता को सदा न सिर्फ संभाले रहे बल्कि निरस्त भी करता चले ।
विशेषताएँ :
- आधुनिक भारत के उन विज्ञान प्रतिष्ठानों की सफलताओं एवं असफलताओं के बारे में बताया है, जो तकनीकी मोरचे पर अपने को स्थापित करने केलिए संघर्ष कर रहे हैं ।
- जितना भी परियोजनाएँ भारत के वैज्ञानिक और इंजनीयर्स ने किया उन सब की सफलता का मंत्र एक ही है – टीमवर्क.
- टीम वर्क सफल होने केलिए बहुत जरुरी है । आज हम चाहे परिवार में देखे, किसी संस्था में (Organisation) देखें या समाज में देखे कही न कही हम एक टीम के रूप में काम कर रहे है । लेकिन सबकी सफलता एक अच्छी और सफल टीम पर निर्भर करती है ।
- टीम वर्क काम करनेवाले लोग जबरदस्त लक्ष्य प्राप्त कर सकते है ।
सफलता की कुंजी : टीम वर्क Summary in Telugu
సారాంశము
ప్రస్తుత అంశం ‘सफलता की कुंजी : टीम वर्क’ అబ్దుల్ కలాం యొక్క ఆత్మకథ ‘వింగ్స్ ఆఫ్’ ఫయర్’ నుండి తీసుకోబడినది. దీనిని అరుణ తివారి గారు హిందీలో ‘అగ్నికీ ఉడాన్’ అను పేరుతో అనువదించారు. ఇందులో కలాంగారు సామూహిక కార్యం యొక్క గొప్పతనాన్ని గూర్చి వివరించారు.
ఏ వ్యక్తి అయిన ఏ రంగంలోనైనా సామూహికంగా కలిసి ఉంటే ఎంత కష్టతరమైన పనిని అయిన తేలికగా చేయవచ్చు అని వివరించారు. అబ్దుల్ కలాం గారు మనకు కొన్ని విషయాలను తెలియచేశారు. భారతదేశంలో ఇప్పటికి చాలా మందికి టెక్నాలజీ అనే శబ్దం యొక్క అర్థం తెలియదు.
వారు టెక్నాలజీ అంటే ఫ్యాక్టరీల నుండి వచ్చే పొగ లేక పెద్ద పెద్ద శబ్దాలు వచ్చే మెషీనులు, కర్మాగారాలు అని అంటారు. టెక్నాలజీ శబ్దం అర్థం ఎన్నో రకాలైన టెక్నిక్స్ కూడుకుని ఉండటం. అనగా రసాయన పదార్థాల వాడకం, రోగులకు చికిత్స చేయడం, చరిత్ర చదవడం, యుద్ధ సమయంలో ఎలా ఉండటం, ఎలా పోరాడటం, ఎలా తప్పించుకోవడం వంటి చాలా విషయాలు ఉంటాయి.
టెక్నాలజీకి తనకంటూ ప్రత్యేకమైన వస్త్రధారణ ఉండదు. టెక్నాలజీకి ముఖ్యంగా కొన్ని అభివృద్ధి పద్ధతులు ఉన్నాయి. ముఖ్యంగా 3 పద్ధతులు కలవు. అవి ఒక దానితో ఒకటి ముడిపడి ఉంటాయి. మొదటిది Creation క్రియేషన్ క్రియేటివిటీ అనేది ఒక వ్యక్తితో కాక ఒక సామూహిక కార్యంవలె పనిచేస్తే ఆ క్రియేషన్ చాలా అద్భుతంగా బయటకు వస్తుంది.
ప్రజల ఆదరణ కూడా పొందుతుంది. ఒక వ్యక్తి అభివృద్ధి వెనుక ఏ రంగంలోనైన అనేక సమూహాల పని దాగి ఉంటుంది. ఉదాహరణకు I.G.M.D.P. మిసైల్ గూర్చి తెలుసుకుందాం. ఈ కార్యక్రమం అభివృద్ధి వెనుక ఎంతో మంది శాస్త్రవేత్తలు మరియు ఇంజనీర్లు ఉన్నారు. వారందరి సహాయ సహకారాలతోనే ఈ మిసైల్ వృద్ధి చెందింది.
ఎవరైన భారతీయ రాకెట్ విజ్ఞానం గురించి నన్ను ప్రశ్నిస్తే ఒకే సమాధానం చెబుతాను. నాకు తోడుగా, నా వెంట ఎంతో మంది నవయువకులు ఉన్నారు. వారి సంఘీభావం, సమిష్టి కృషి వలన నేను గొప్పవాడిని కాగలిగాను. నాతో పనిచేసే నవయువకులను టీమ్స్ గా చేసి వారి మనసుకు నచ్చిన విధంగా వారి అభిప్రాయాలను తెలియచేయమని కోరతాను. వారు సంతోషంతో వారిలోని తెలివితేటలను, ఉత్సాహాన్ని, ఉత్తేజాన్ని పూర్తిగా పనిపై నిమగ్నం చేసి గొప్ప విషయాలు సృష్టిస్తారు. ఏ టీక్కైన ఎటువంటి వాతావరణం కల్పించాలంటే వారు ఏ కొత్త విషయాన్నైనా భయపడకుండా చెప్పగలగాలి.
S.L.V – 3 ప్రాజెక్టు మరియు తరువాత I.G.M.D.P ప్రాజెక్టులలో మా అభివృద్ధి, సఫలతకు కారణం టీమ్ వర్క్ ప్రతి ప్రాజెక్టులో ప్రతి శాస్త్రవేత్త తన అభిప్రాయాలు టీమ్ లోని ప్రతి ఒక్కరితో చర్చించేవారు. అందరి ఆమోదం తరువాత కార్యాచరణ చేసేవారు. ప్రతి టీమ్కి ఒక నాయకుడు ఉండేవారు తన టీమ్ పనిచేసే వ్యక్తుల అభిప్రాయాలు తప్పనిసరిగా తెలుసుకునేవారు. మీరు కూడా ఏ పని చేసిన కొన్ని టీమ్స్ కొందరిని విభజించి పనిచేసి చూడండి. ఆ టీమ్స్్క నాయకుడిని ఇచ్చి వారి ద్వారా పనిచేయిస్తే ఏ పని అయినా త్వరగా అయిపోతుంది. ప్రతి టీమ్ వారికి కొన్ని ఆశయాలు, లక్ష్యాలు, అభిప్రాయాలు ఉంటాయి.
టీమ్ సఫలత రావడం లేదు అంటే ఆ టీమ్ లీడరు వ్యక్తులను పరిశీ లించాలి. కొన్ని ప్రక్రియలలో కొందరు కష్టపడతారు. వ్యక్తులకు వ్యక్తులకు మధ్య సంఘీభావం కల్పించాలి. అబ్రహామ్ మైసలో, యూరప్ రూడోల్ఫ్ సంఘటనాత్మక గూర్చి గొప్పగా తెలియచేశారు. నీ విజయానికి అడ్డుకునేది నీలోని ప్రతికూడా ఆలోచనలే.
క్రింద పడ్డామని ప్రయత్నం ఆపితే చేసే పనిలో ఎన్నటికి విజయం సాధించలేం, నైపుణ్యం ఒక నిరంతర సాధనా ఫలితం అది ఆకస్మాత్తుగా వచ్చేది కాదు. నైపుణ్యం కలిగిన వ్యక్తులు సమూహంగా ఏర్పడి చేసే పని ఒక అద్భుత కార్యంగా చరిత్రలో నిలిచిపోతుంది.
“నీ ధ్యేయంలో నువ్వు నెగ్గాలంటే నీకు ఏకాగ్ర చిత్తంతో కూడిన అంకిత భావం కావాలి”.