TS Inter 1st Year Hindi उपवाचक Chapter 3 धरती को बचायें

Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material उपवाचक 3rd Lesson धरती को बचायें Textbook Questions and Answers.

TS Inter 1st Year Hindi उपवाचक 3rd Lesson धरती को बचायें

अभ्यास

अ. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर तीन चार वाक्यों में दीजिए :

प्रश्न 1.
प्रदूषण को रोकने के कुछ उपाय लिखिए ?
उत्तर:
पृथ्वी ग्रह पर रहने वाले हर एक नागरिक केलिए ‘गो ग्रीन’ प्रेरणादायक वाक्य होना चाहिए । पर्यावरण पहले से ही बहुत प्रभावित हुआ है और हो चुके नुकसान की भरपाई करने का यह उपयुक्त समय हैं । जल संरक्षण, प्राकृतिक तरीके से सड़नशील पदार्थों का उपयोग, ऊर्जा की बचत करनेवाले उत्पादों को चुनना जैसे कुछ उपाय हैं जो हमारे पर्यावरण प्रदूषण को कम करनें में योगदान करने केलिए अपनाए जाने चाहिए |

प्रश्न 2.
वनों को नष्ट करने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में लिकिए ?
उत्तर:
वनों की कटाई से मिट्टी, पानी और वायु क्षरण होता है जिसके परिणामस्वरुप हर साल 16,400 करोड़ से अधिक वृक्षों की कमी देखी जाती है । वनों की कटाई भूमि की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव डालती है कयों कि वृक्ष पहाडियों की सतह को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है तथा तेजी से बढती बारिश के पानी में प्राकृतिक बाधाएँ पैदा करते हैं । नतीजतन नदियों का जल स्तर अचानक बढ़ जाता है जिससे बाढ़ आती है । मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की हानि होती है। वायु प्रदूषण होती है । प्रजातियां विलुप्त हो जाती है । ग्लोबल वार्मिगं हो जाता है । औषधीय वनस्पति प्राप्त करना दुर्लभ हो जाता है । ओजोन परत को नुकसान हो रहा है । जल संसाधन की कमी होती है ।

धरती को बचायें Summary in Hindi

लेखक परिचय

एन. मणिवासकम का पूरा नाम नटराजन मणिवासकम है । वे विश्वप्रसिद्ध जल से जुड़े पर्यावरणीय व प्रदूषण संबंधी विषयों के विशेषज्ञ हैं । उनका नाम तमिलनाडु के इरोड जिले में स्थित पुंजैपुलइमपट्टी नामक ग्राम में सन् 1951 में हुआ । उनके पिता का नाम सी. के. नटराजन और माता का नाम अरुणागिरि अम्माल है । बचपन से ही उनकी दिलचस्पी पर्यावरण संरक्षण के प्रति थी । इसीलिए उन्होंने विज्ञान विषय का चयन किया । मद्रास विश्वविद्यालय से एम एससी की शिक्षा प्राप्त की ।

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उनकी लगन और कड़ी मेहनत ने उन्हें तमिलनाडु सरकर के इंडियन वाटर वर्क्स में जल विश्लेषक के पद पर पहुँचा दिया | उन्होंने पर्यावरण संबंधित कई सारी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुस्तकें लिखि है । ‘प्राक्टिकल बाइलर वाटर ट्रीटमेंट हैंडबुक’, ‘इंडस्ट्रियल इफलुयेंट्स, ट्रीटमेंट ऑफ टेक्सटाइल प्रोसेसिंग इफ्लुयेंट्स’, ‘इंडस्ट्रियल वाटर क्वालिटी रिकवायर-मेंट्स’, ‘इंडस्ट्रियल वाटर एनालिसिस हैंडबुक’ जैसी अमूल्य पर्यावरणीय संरक्षण निधि की उपाय वाली पुस्तकें लिखी । पर्यावरण व प्रदूषण से संबंधित किसी भी विषय का गहन अध्ययन इन पुस्तकों के बिना संभव नही है। इसलिए ये पुस्तकें धरती को हरा-भरा बनाये रखने की कुंजी है ।

‘धरती को बचाये’ नामक इस निबंध के लेखक एन. मणिवासकम जी है। आप तमिलनाडु सरकार के इंडियन वाटर वर्क्स में जल विश्लेषक के पद पर थे । उन्होंने पर्यावरण संबंधित कई सारी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुस्तकें लिखी है। प्रस्तुत निबंध आप की पुस्कत ‘हवा और पानी में जहर’ (We breathe and drink poision) का अंश है। इसमें उन्होंने पर्यावरण व प्रदूषण संबंधी विषय के बारे में सुंदर वर्णन किया । इसका हिंदी अनुवाद श्रीमती सरिता भल्ला ने किया है ।

सारांश

मनुष्य के लालच ने प्राकृतिक भंडारों और संसाधनों को खाली कर दिया है । यदि युद्ध स्तर पर कदम न उठाए गये तो धरती हमारी भरण-पोषण की क्षमता खो देगी और हमें तथा अन्य सभी जीवित प्राणियों को जीनेके साधनों से वंचित कर देगी । स्टाकहोम में 1972 में संपन्न हुए अंतर्राष्ट्रीय मानव पर्यावरण सम्मेलन में स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने कहा था, “रहने अथवा भोजन, पानी, सफाई और सिर छिपाने केलिए स्थान मुहैया कराने, रेगिस्तानों को हरा-भरा करने और पहाड़ों को रहने योग्य बनाने हेतु पर्यावरण में सुधार लाने केलिए विकास एक प्रमुख साधन है ।

हम पृथ्वी से जितना कुछ लेते है, उससे अधिक उसे लौटाना होगा । उदाहरण के लिए वनों को काटने के पश्चात वन लगाए जाने चाहिए । प्रत्येक कटनेवाले वृक्ष के बदले में एक वृक्ष अवश्य लगाँए जहाँ कहीं वायुप्रदूषण अधिक हो वहाँ प्रदूषण फैलानेवाले उद्योगों के आसपास अधिक संख्या में प्रदूषण का मुकाबला करनेवाले पेड़ लगाए जाने चाहिए ।

औद्योगिकीकरण केलिए लोगों ने एक निश्चित सीमा से बढ़कर प्राकृतिक संसाधनों का गलत प्रयोग करना शुरु कर दिया है। लोग वनों के उन्मूलन में शामिल है, जिसके परिणामस्वरुप जंगली जानवरों का विलुप्त होना प्रदुषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दे बढ़े है । विकसित देशों में रहनेवाले लोग बिना किसी रोक-टोक के अपने प्राकृतिक भंडारों का दोहन करते है जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, ओजोन की सुरक्षात्मक परत नष्ट हो रही है । और अम्लीय वर्षा की घटनाएँ बढ़ रही है। समुद्री स्तर का बढना, अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में बर्फ का पिघलना आदि ग्लोबल वार्मिंग के कारण होनेवाले नकारात्मक प्रभाव है ।

ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू इंधन केलिए लकड़ी अथवा कोयला जलाने के स्थान पर बायो-गैस बनाने के बड़े संयंत्र लगाये जा सकते हैं ताकि घरों को खाना बनाने की गैस की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रत्येक नागरिक गलियों में कूड़ा-कचरा न फेंकने और गलियों को कूडादान न समझने का निर्णय लेले तो अधिकांश शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ सुलझ जायेंगी शहरों की वृद्धि, कृषि के प्रसार, बांधों के निर्माण तथा वनों के विनाश से जंगली जीवों के आवास नष्ट हुए हैं। जीवों की बहुत सी प्रजातियों और उपप्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है ।

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जंगली जीवों के आवासों को नष्ट करने के अतिरिक्त हम जानवरों और उनके भोजन को, पीड़क नाशियों तथा दूसरे रसायनो से विषाक्त कर रहे हैं। ये रसायन मछलियों, पक्षियों और लाभदायक कीटों को मार रहे हैं । ये मानव जीवन केलिए भी खतरा उत्पन्न कर रहे हैं । प्रतिवर्ष हजारों व्यक्तियों की मृत्यु हुई है और अनेक व्यक्ति बीमार हुए है।

अब वह समय आ गया है जब हम परिस्थिति की गंभीरता को पहचाने और इस प्रकार से कार्य करे जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों केलिए इस धरती पर जीवन और अधिक जीने योग्य बन सके। यह सच है कि मनुष्य जीवित रहना चाहता है और इसकेलिए उसे चाहिएं सांस लेने योग्य हवा तथा पीने योग्य पानी। उसे चाहिए नीला आसमान, स्वच्छ नदियों तथा हरे-भरे वन । परंतु उसे इसकी कीमत चुकानी होगी ।

पर्यावरण प्रकृति का बेशकीमती उपहार है। पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना हमारा प्रमुख कर्तव्य है । हमें चाहिए कि हम पृथ्वी को हरा-भरा रखे ताकि हम प्रदूषण से मुक्त वातावरण में साथ-साथ रह सकें । हमें स्वयं को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना होगा | अन्यथा वह दिन अब दूर नहीं जब मनुष्य स्वयं एक संकटग्रस्त प्रजाति हो जाएगा । धरती बचाओ, पर्यावरण बचाओ दोनों ही पृथ्वी पर जीवन को बचाने से संबंधित है । एक मनुष्य होने के नाते हमें प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को कम करनेवाली गतिविधियों में सख्ती से शामिल होना चाहिए ।

विशेषताएँ :

  1. पर्यावरण प्रोजेक्ट के अन्तर्गत पृथ्वी को बचाने केलिए 1970 से हर साल : 22 अप्रैल को मनाया जानेवाला दिन पृथ्वी दिवस है ।
  2. इस प्रोजेक्ट (Project) को शुरु करने का उदेश्य लोगों को स्वस्थ वातावरण में रहने केलिए प्रोत्साहित करना है ।
  3. इसके बारे कुछ निनाद है ।
    a) धरती बचाओ – जीवन बचाओ ।
    b) आनेवाली पीढी है प्यारी – तो पृथ्वी को बचाना है हमारी जिम्मेदारी ।
    c) धरती बचाओ – जीवन बचाओ जीवन खुशहल बनाओ ।
    d) सबको आगे आना है धरती को बचाना है ।
    e) पृथ्वी मर रही है, इसको बचाने केलिए एक जुट होना होगा, प्रदूषण दूर भगाना होगा ।
  4. सब लोगों की स्वयं की जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण के अनुकूल गतिविधितों को अपनाकर पृथ्वी को बचाए ।

धरती को बचायें Summary in Telugu

సారాంశము

‘धरती को बचायो’ అను వ్యాసమును యన్. మనివాసకమ్ గారు రచించిరి. దీనిని శ్రీమతి సరితా భల్లా గారు హిందీలోకి అనువదించిరి. దీనిలో వాతావరణం మరియు కాలుష్యంకి సంబంధించిన విషయాలను ఎంతో అందంగా వర్ణించిరి.

మానవులు తమ దురాశ కారణంగా ప్రకృతిలో ఉండే ఎన్నో వనరులను తమ ఇష్టం వచ్చినట్లు వాడుకుంటూ పోతున్నారు. దాని వలన కొద్ది కాలానికి మానవులు మరియు ఇతర జీవులు ఈ భూమిపై ఉండలేరు. ప్రకృతి వనరులను చాలా జాగ్రత్తగా వాడుకోవాలి. 1952లో స్కాట్ హోమ్ లో జరిగిన “అంతర్జాతీయ మానవ పర్యావరణ సమ్మేళనం”లో స్వర్గీయ ఇందిరాగాంధీగారు మాట్లాడారు.

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మనిషికి తినడానికి తిండి, ఉండటానికి ఇల్లు అవసరం. అవి ఎంత శుభ్రంగా ఉంటే అతని ఆయుర్ధాయం అంత ఎక్కువగా ఉంటుందని వివరించారు. భూమి నుండి మనం ఎంత తీసుకుంటున్నామో అంతా దానికి తిరిగి ఇవ్వాలి. ఉదాహరణకు అడవులలోని చెట్లను నరుకుతున్నాము. ఆ చెట్లతో మనకు కావలసిన వస్తువులని తయారు చేసుకుంటున్నాము. ఆ నరికిన చెట్టుకి బదులు ప్రక్కనే వేరొక చిన్న మొక్కను నాటుదాం. చెట్లను అధికంగా నరికివేయడం వలన వాయుకాలుష్యం ఏర్పడుతుంది. కాబట్టి ఆ కాలుష్యాన్ని నివారించడం కోసం మరల మనం మొక్కలను నాటుదాం.

భారతదేశంలో కాగితపు పరిశ్రమల వలన వచ్చే విషవాయువులను నీటిలోకి పంపడం ద్వారా నీటి కాలుష్యం ఏర్పడుతుంది కొన్ని పరిశ్రమల నుండి వచ్చే కలుషిత నీటితో పంటలను సేద్యం చేయవచ్చు. ఇప్పుడే మనం చెత్త ద్వారా మరల మనకు ఉపయోగపడే కొన్ని పదార్థాలను (Recycling) చేయడం తెలుసు కుంటున్నాము. సముద్రపు నీరు మరియు సూర్యశక్తిని ఉపయోగించి కొన్ని ప్రాంతాలలో కరెంటును ఉత్పత్తి చేయడం మన అందరికి అవగతమైన విషయం.

గ్రామీణ ప్రాంతాలలో గ్యాసు వాడకం తెలియక చుట్టు ప్రక్కల చెట్లను నరికి ఇంధనంగా కట్టెలను వాడుతున్నారు. అలాంటి వారికి బయోగ్యాస్ గూర్చి తెలియజేయాలి. కట్టెలను వాడటం వలన దాని నుండి వచ్చే పొగ వలన వాతావరణం కలుషితం అవ్వకుండా గ్యాసు పొయ్యల వాడకం గురించి వారికి తెలియజేయాలి. ప్రతి పట్టణంలో నాగరికులు ప్రతి వాడలో చెత్తా చెదారం వేయకుండా జాగ్రత్తలు తీసుకోవాలి. శుభ్రతకు సంబంధించిన విషయాలు ప్రతి ఒక్కరికి తెలియజేయాలి.

పట్టణాల వృద్ధి, అడవుల నరికివేత, పంట పొలాలకు, నిర్మాణాలకు చాలా భూమిని వాడుతున్నాము. దాని వలన అడవులలో నివశించే జంతువులు నివాసాలను కోల్పోతున్నాయి. చాలా జీవులు ఇప్పటికి మన కళ్ళముందు నుండి కనుమరుగై పోయాయి. ఇంకా అంతే కాక కొన్ని ఫ్యాక్టరీలలో నుండి వచ్చే రసాయనాల వలన ‘నీటిలో ఉండే చేపలు నష్టపోతున్నాయి. కలుషిత నీరు త్రాగి పక్షులు మరియు జంతువులు చనిపోతున్నాయి. చాలా మరణాలకు కారణం నీటి కాలుష్యం. ఇప్పుడు మనం ఈ గంభీర పరిస్థితులను ఎదిరించకపోతే రాబోయే భవిష్యత్ తరాల వారికి వాతావరణ కాలుష్యం లేకుండా భూమిని అందించగలమా?

ప్రశాంత వాతావరణం ప్రకృతి మనకి అందించిన గొప్ప వరం. చాలా వృద్ధి చెందిన దేశాలు ప్రకృతి సంపదను వారికి ఇష్టం వచ్చినట్లు వాడుకుంటున్నారు. దీని వలన కాలుష్యం ఎక్కువై ఓజోన్ పొర దెబ్బతిని సూర్యుని నుండి వచ్చే అతినీలలోహిత కిరణాల వలన మనం ఎన్నో ఇబ్బందులను పడుతున్నాము.

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కొన్ని ప్రాంతాలలో ఆమ్ల వర్షాలు కురుస్తున్నాయి. భూమిని, కాలుష్య వాతావరణం నుండి మనల్ని మనం కాపాడుకుందాం. అలా లేనట్లయితే కాలుష్య వాతావరణంలో మానవ మనుగడ అసాధ్యం. జీవులు నశిస్తున్నట్లు మనం నశించిపోతాము. ప్రకృతిని (పచ్చగా) హరితంగా ఉండేటట్లు చూడడం మన అందరి కర్తవ్యం. ఈ భూమి మనది దీనిని కలుషితం కాకుండా చూసుకునే బాధ్యత మన అందరిది. అలాంటి రోజు రావాలని మనం ఆశిద్దాం.

“వృక్షో రక్షతి రక్షిత:”

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