TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 1 शिष्टाचार

Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material 1st Lesson शिष्टाचार Textbook Questions and Answers.

TS Inter 1st Year Hindi Study Material 1st Lesson शिष्टाचार

दीर्घ समाधान प्रश्न

नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर तीन चार वाक्यों में दीजिए ।

प्रश्न 1.
शिष्टाचार के कितने गुण हैं, वे कौन कौन से हैं ?
उत्तर:
शिष्टाचार के मुख्यतः तीन गुण हैं । वे हैं विनम्रता, दूसरों की निजी बातों में दखले न देना, अनुशासन ।

शिष्टाचार का सबसे पहला गुण है, विनम्रता । हमारी वाणी में, हमारे व्यवहार में विनम्रता धुली होनी चाहिए । इसलिए किसी बड़े के बुलाने पर ‘हाँ’, ‘अच्छा’, ‘क्या’ न कहकर ‘जीहाँ’ (या) जीनही कहना चाहिए । विनम्रता केवल बडों के प्रति नहीं होनी चाहिए । बराबरवालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेहकाभाव होना चाहिए ।

शिष्टाचार का दूसरा विशेष गुण है दूसरों की निजी बातों में दखल न देना । हर व्यक्ति का अपना एक निजी जीवन होता है । इसीलिए हमें अकारण किसी से उसका वेतन, उम्र, जाति, धर्म आदि पूछने से बचाना चाहिए । यदि कोई कुछ लिख रहा है तो झाँक झाँक कर उसे पढ़ने की चेष्टा करना अच्छा नहीं है ।

शिष्टाचार का तीसरा आधार अनुशासन का पालन है । अनुशासन समाज के नैतिक नियमों का भी हो सकता है औरं कानून की धाराओं का भी । जहाँ जाना मना हो, वहाँ न जाना, कानून के अनुशासन का पालन है। ठीक समय पर कहीं पहुँचना अनुशासन भी सिखाता है ।

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 1 शिष्टाचार

प्रश्न 2.
अनुशासन के पालन पर विचार व्यक्त कीजिए ?
उत्तर:
हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण चीज है, । बिना अनुशासन के कोई भी एक खुशहाल जीवन नही जी सकता है । कुछ नियमों और फायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है । अनुशासन सब कुछ है, जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं । ये हमें सही राह पर ले जाता है ।

हम अपने रोजमर्श के जीवन में कई प्रकार के नियमों और फायदों के द्वारा अनुशासन पर चलते हैं, इसके कई सारे उदाहरण हैं, जैसे हम सुबर जल्दी उठते हैं । अनुशासन अपने बड़ों, ऑफिस के सीनियर, शिक्षक और माता पिता के हुक्म का पालन करना है जिससे हम सफलता की ओर आगे बढते हैं । हमें अपने जीवन में अनुशासन के महत्व को समझना चाहिए । जो लोग अनुशासनहीन होते हैं, वह अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं को झेलते हैं साथ निराश भी होते हैं ।

एक शब्द में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
समाज में सभ्य बनकर रहने केलिए कौन से नियम जानना आवश्यक है ?
उत्तर:
शिष्टाचार ।

प्रश्न 2.
शिष्टाचार का सबसे पहला गुण क्या है ?
उत्तर:
विनम्रता ।

प्रश्न 3.
शिष्टाचार का दूसरा विशेष गुण क्या है ?
उत्तर:
दूसरों की निजी बातों में दखल न देना ।

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 1 शिष्टाचार

प्रश्न 4.
शिष्टाचार का तीसरा ( विशेष गुण) आधार क्या है ?
उत्तर:
अनुशासन ।

प्रश्न 5.
कृतज्ञता प्रकट करने का सबसे सरल तरीका क्या है ?
उत्तर:
धन्यवाद देना ।
बच्चों पर निवेश करने की
सबसे अच्छी चीज हैं
अपना समय और अच्छे संस्कार ।
ध्यान रखे, एक श्रेष्ठ बालक का निर्माण
सौ विद्यालय को बनाने से भी बेहतर है ।
– स्वामी विवेकानंद

संदर्भ सहित व्याख्याएँ

प्रश्न 1.
विनम्रता केवल बड़ों के प्रति नहीं होती। बराबरवालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नोह का भाव होना चाहिए ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘शिष्टाचार’ नामक पाठ से लिया गया है। यह पाठ एक सामाजिक निबंध है । इसके लेखक समाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ जी हैं। वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे । हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से उन्होंने ‘अवधी’ शब्द कोश का निर्माण किया था । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं।

व्याख्या : विनम्रता शिष्टाचार का लक्षण है । किसी के द्वारा बुलाए जाने पर हाँ जी, नहीं जी, अच्छा जी कहकर उत्तर देना चाहिए । कुछ लोग विनम्रता केवल बड़ों के प्रति ही दिखाते हैं । अपने से छोटों और बराबर वालों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए । बड़ों का आदर-सम्मान करना, अपने मित्रों एवं सहयोगियों के प्रति सहयोगात्मक श्वैया, छोटों के प्रति स्नेह की भावना, स्थान विशेष के अनुकूल व्यवहार इत्यादि शिष्टाचार के उदारहण है । हमारे मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार केलिए अत्यंत आवश्यक है ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत निबंध ‘शिष्टाचार’ एक उपदेशात्मक निबंध है । उम्र में बड़े व्यक्तियों को ‘आप’ कह कर संबोधित करना, बोले तो मधुर बोलो सत्य बोलो, प्रिय बोलो । किसी की निंदा न करना चाहिए । औरतों के प्रती श्रद्धा और गौरभाव रहनी चाहिए । शिष्टाचार व्यक्ति सबसे प्रशंसनीय पात्र बनपाता है ।

प्रश्न 2.
यदि कोई कुछ कष्ट या असुविधा उठाकर हमारेलिए कोई काम करता है तो हमें उसके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य प्रकट करनी चाहिए ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘शिष्टाचार’ नामक पाठ से लिया गया है । यह पाठ एक सामाजिक निबंध है । इसके लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ जी हैं। वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे। हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से उन्होंने ‘अवधी’ शब्दकोश का निर्माण किया था। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई कुटकल रचनाएँ भी की हैं।

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व्याख्या : कुछ लोग खुद मुसीबतों में रहने पर भी, हम को सहायता करने आते हैं । उन लोगों के प्रति हम अपनी कृतज्ञता अवश्य प्रकट करनी चाहिए। कृतज्ञता कैसा प्रकट करना है यह बात हमारी मन में आता है। इसका सबसे सरल तरीका है उसे धन्यवाद देना । ‘धन्यवाद’ शब्द बोलते समय ऐसा लगना चाहिए कि हम उसे हृदय से धन्यवाद दे रहे हैं, केवल ऊपर-ऊपर से नहीं। जिस आदमी कष्ट में हमारी सहायता किया है उसको याद रखकर कभी उस आदमी को काम आने पर हमें भी उसकी सहायता करनी चाहिए !

विशेषताएँ : प्रस्तुत निबंध ‘शिष्टाचार’ एक उपदेशात्मक निबंध है । धन्यवाद तभी बताना चाहिए कि जब किसी मे आपकेलिए कछ किया हो । जो किसी बात आपको मालुम नहीं, उसी बात को आप को समझाएँ तो धन्यवाद बताकर कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए। शिष्टाचार का सबसे महान गुण जो आज हम बच्चों को जरुर समझाना चाहिए कि राष्ट्रगान का आदर करना चाहिए ।

शिष्टाचार Summary in Hindi

लेखक परिचय

रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ का जन्म सन् 1902 में अम्लिया जिला फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ । वे सीतापुर के मूल निवासी थे । वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे । इनका सबसे बड़ा योगदान अवधी भाषा में निर्मित ‘अवधी शब्दकोश’ था । इसमें उन्होंने 15,000 शब्दों का संग्रह किया था । इसका प्रकाशन हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध प्रकाशक हिंदुस्तानी अकादमी, इलाहाबाद में सन् 1955 में किया था ।

हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से अन्होंने अवधी शब्दकोश का निर्माण किया था। हिंदी की उपभाषाओं में ऐसे कई शब्द हैं जिनके सामानार्थी वर्तमान मानक हिंदी में नहीं मिलते । इनको व्यापक रूप में प्रयोग में लाने से हिंदी की अभिव्यक्ति की क्षमताएँ बढ़ेंगी। इस दृष्टि से उन्होंने हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । आज भी हिंदी की उपभाषा अवधी से संबंधित किसी भी रचना को अच्छी तरह से समझने के लिए इस शब्दकोश का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं ।

शिष्टाचार’ निबंध का लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ है । आप ‘समीर’ उपनाम से साहित्यक रचनाएँ करते थे । इनका सबसे बड़ा योगदान अवधी भाषा में निर्मित ‘अवधी शब्द कोश’ था । आज भी हिंदी की उपभाषा अवधी से संबंधित किसी भी रचना को अच्छी तरह से समझने के लिए इस शब्दकोश का उपयोग किया जाता है । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं।

सारांश

‘शिष्टाचार’ दो शब्दों ‘शिष्ट’ एवं ‘आचार’ के मेल से बना है । शिष्ट का अर्थ होता है – ‘सभ्य, उचित अथवा सही’ तथा आचार का अर्थ होता है – ‘व्यवहार’ । व्यक्ति को हर समय इस बात ध्यान रखना चाहिए कि वह किससे बात कर रहा है, कहाँ बात कर रहा है एवं क्यों बात कर रहा है । सामान्य व्यवहार ही नही बातचीत करने के ढंग से भी व्यक्ति के व्यवहार का पता चल जाता है। इसलिए किसी भी बातचीत में शिष्टाचार के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए । यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अलग अलग समाजों में शिष्टाचार के नियम भिन्न – भिन्न है यद्यपि उनके आधार प्रायः समान ही हैं ।

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शिष्टाचार का सबसे पहला गुण है विनम्रता । हमारी वाणी में, हमारे व्यवहार में विनम्रता घुली होनी चाहिए । इसलिए किसी बड़े के बुलाने पर ‘हाँ’, ‘अच्छा’, ‘क्या’ न कहकर ‘जी हाँ’ या ‘जी नहीं’ कहना चाहिए । किसी की बात का उत्तर ऐसे नहीं देना चाहिए कि सुननेवालों के लगे कि लट्ठ मारा जा रहा है। विनम्र केवल बड़ों के प्रति नही होती । बराबर वालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए।

सभी से बोलते हुए हमारी वाणी में मिठास रहनी चाहिए, कटुता या कर्कशता नहीं । विनम्र केवल भाषा की वस्तु नहीं । हमारे कर्म में भी विनम्रता होनी चाहिए। अपने से बड़े व्यक्तियों के बैठ जाने के बाद ही हमें बैठना चाहिए । महिलाओं के प्रति हमारे व्यवहार में और भी विनम्रता का होना आवश्यक है। बस या रेल में किसी महिला को खड़ी देखकर अपनी सीट उन्हें बैठने केलिए दे देना शिष्ट आचरण है। बड़े लोगों के साथ चलते समय उनके आगे चलना भी अशिष्टता है । हाँ, उनके लिए झट से आगे होकर दरवाज़ा खोल देना या राह दिखाना शिष्ट व्यवहार है ।

शिष्टाचार का दूसरा विशेष गुण है दूसरों की निजी बातों में दखल न देना । हर व्यक्ति का अपना एक निजी जीवन होता है । इसलिए हमें अकारण किसी से उसका वेतन, उम्र, जाति, धर्म आदि पूछने से बचना चाहिए । यदि कोई कुछ लिख रहा है, तो झाँक-झाँककर उसे पढ़ने की चेष्टा करना उजड्डपन कहा जाएगा। किसी के घर या दफतर जाने पर उसकी वस्तुओं को बिना पूछे उलटने पुलटमे लगना अशिष्टता है ।

किसी का नाम लेने या लिखने के पहले श्री श्रीमती या कुमारी लगाना अच्छी आदत है । कुछ लोग इनके स्थान पर पंडित, डॉक्टर, बाबू, लाला, मियाँ, मिर्ज़ा – जब जैसी आवश्यकता होती है । लगाते हैं । इसी तरह कुछ लोग नाम के बाद ‘जी’ लगाते हैं । यदि कोई कुछ कष्ट या असुविधा उठाकर हमारे लिए कोई काम करता है तो हमें उसके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य प्रकट करनी चाहिए । इसका सबसे सरल तरीका है उसे धन्यवाद देना । यदि बस या रेल में कोई अपनी जगह हमें बैठने के लिए देता है तो उसे धन्यवाद अवश्य देना चाहिए ।

शिष्टता का तीसरा आधार अनुशासन का पालन है । अनुशासन समाज के नैतिक नियमों का भी हो सकता है और कानून की धाराओं का भी । किसी मंदिर, गुरुद्वार या मस्जिद में जाने के पहले जूते उतार देना धार्मिक अनुशासन का पालन है। सड़क पर बाई ओर चलना या जहाँ जाना मना हो, वहाँ न जाना, कानून के अनुशासन का पालन है । हमें हर तरह के अनुशासनों का सामान्य ज्ञान होना ही चाहिए। जैसे किसी सभा में शोर मचाना अनुचित है । किसी वक्ता को अपनी बात कहने का मौका न देना अशिष्टता है । राष्ट्रगान के अवसर पर बैठे रहना या चलना या झूमना अशिष्ट व्यवहार है। जहाँ सब लोग बैठे हो वहाँ लेट जाना या पैर फैलाकर बैठना बहुत अनुचित है । अपने मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार केलिए अत्यंत आवश्यक है ।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि शिष्टाचार वह व्यवहार है जिसके करने पर दूसरों के तथा अपने मन को प्रसन्नता होती है । इसके विपरीत अशिष्ट व्यवहार से दूसरों का दिल दुखता है और उससे अंत में हानि भी होती है। एक बेहतरीन इसान अपनी जुबान से ही पेहचाना है ।

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 1 शिष्टाचार

विशेषताए :

  1. बड़ों का आदर सम्मान करना, अपने मित्रों एवं सहयोगियों के प्रति सहयोगात्मक श्वैया, छोटों के प्रति स्नेह की भावना, सकारात्मक विचारधारा, स्थान-विशेष के अनुकूल व्यवहार इत्यादि शिष्टाचार के उदाहरण है । शालीनता एवं विनम्रता शिष्टाचार के ही घटक हैं ।
  2. सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान, किसी व्यक्ति से गाली-गलौज, अपने साथियों से अकड़कर बात करना, राह चलते किसी सेबिना वजह झगड़ना इत्यादि अशिष्ट आचरण के उदाहरण हैं ।

Good manners and soft words have brought many a difficult thing to pass.

शिष्टाचार Summary in Telugu

సారాంశము

ప్రస్తుతం మనం చదువుకున్న ఈ పాఠం. రామాజ్ఞ ద్వివేదీ సమీర్ గారు వ్రాసిన ఒక సామాజిక వ్యాసం. ఈనాడు సమాజంలో నైతిక విలువలు కనుమరుగై పోతున్నాయి. సమాజంలో వ్యక్తుల మధ్య మంచి ఆచరణ కనిపించడం లేదు. ఈ మంచి నడవడికను ఎలా అలవరచుకోవాలో కూడా ఆయన ఈ వ్యాసంలో విశదీకరించాడు. మంచి నడవడికను కొన్ని గుణాలు ఉంటాయని తెలిపారు.

హిందీలో ‘శిష్టాచార్’ అనగా మంచి ఆచరణ (లేక) మంచి నడవడిక అని అర్థం. ఏ సమాజమైనా అభివృద్ధి చెందాలంటే ఈ లక్షణం తప్పనిసరి. శిష్టాచార్ రెండు శబ్ధముల యొక్క కలయిక అవే శిష్ట్, ఆచార్. శిష్ట్ అనగా మంచి, ఆచార్ అనగా (వ్యవహారం) ఆచరణ అని అర్ధం.

మనం ఎవరితో మాట్లాడుతున్నాం, ఎక్కడ మాట్లాడుతున్నాం, ఎందుకు మాట్లాడుతున్నాం అనే విషయాలు ఎల్లప్పుడు గుర్తుంచుకోవాలి. మనం మాట్లాడే విధానం ద్వారా మనం ఎలాంటి వారము అని ఎదుటి వారు మనల్ని అంచనా వేస్తారు. కాబట్టి ఎవరితో మాట్లాడిన కొన్ని నియమాలను మనం గుర్తుపెట్టుకోవాలి కొన్ని, కొన్ని సమాజాలలో వారి ఆచరణలు, మాట్లాడే తీరు, నడవడిక భిన్నంగా ఉంటుంది.

మంచి ఆచరణకు ఉండవలసిన మొదటి గుణం వినమ్రత, ఎదుటివారితో మనం మాట్లాడే విధానం చక్కగా ఉండాలి. ఎదుటి వారిని ఆకర్షించునట్లు తియ్యని మాటలు మాట్లాడాలి. పరుషమైన మాటలు మాట్లాడకూడదు. పెద్దవారితో మాట్లాడే టప్పుడు అలాగేనండి, కాదండి, అవునండి ఇలా గౌరవంగా మాట్లాడాలి. వినేవారు మనల్ని మెచ్చుకునేటట్లుగా ప్రవర్తించాలి.

వినమ్రత కేవలం పెద్దవారితోనే కాదు మన తోటి వారితో సమవయస్కులతో కూడా అదే భావన కలిగి ఉండాలి. స్నేహభావన కలిగి ఉండాలి. కఠినమైన, కర్కశమైన మాటలకు మన మనసులో తావు ఇవ్వరాదు. వినమ్రత మాటలలోనే కాక చేతలలో కూడా ఉండాలి. మనకన్నా పెద్దవారు ఉన్నప్పుడు వారు ఆసీనులు అయిన తరువాతే మనం కుర్చీలో కూర్చోవాలి. స్త్రీల పట్ల కూడా గౌరవభావన కలిగి ఉండాలి.

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 1 शिष्टाचार

బస్సు మరియు రైళ్ళలో ఎవరైన స్త్రీలు మరియు పెద్దవారు నిలబడి ఉంటే వారిని వచ్చి మన సీటులో కూర్చోమని చెప్పడం మంచి ఆచరణ. పైవారితో నడిచేటప్పుడు వారి వెనుక నడవడం ఒక మంచి పద్ధతి. తలుపు వద్దకు రాగానే తలుపు తీయడం చిన్నవారి కర్తవ్యం. పెద్దలను తప్పక గౌరవించాలి.

మంచి నడవడిక యొక్క రెండవ గుణం ఇతరుల సొంత వ్యవహారంలో తలదూర్చక పోవడం. ప్రతి వ్యక్తికి వారి యొక్క సొంత ఆలోచనలు, పనులు ఉంటాయి. అందుకే మనం ఎవరిని వారి యొక్క జీతం, వయస్సు, మతం, కులం గురించి అడుగరాదు. ఎవరైనా ఏదైనా వ్రాస్తున్నప్పుడు దాన్ని తొంగితొంగి చూడరాదు. ఎవరి ఇంటికైన వెళ్లినప్పుడు వారి అనుమతి లేకుండా వారి వస్తువులను ముట్టుకోవడం లేక మార్చడం చేయరాదు.

ఎవరి పేరు అయినా వ్రాసేటప్పుడు శ్రీ, శ్రీమాన్, శ్రీమతి, కుమారి లాంటివి ఉపయోగించాలి. కొందరు పేరు చివర ‘జీ’ అని ఉంచుదురు. ఎవరైన మన కోసం కష్టపడి ఏదైనా పనిచేస్తే వారికి మనం కృతజ్ఞత తెలియచేయాలి. అన్నింటికంటే సులువైన పద్ధతి ధన్యవాదములు తెలియచేయడం. బస్సులో లేక రైలులో ఎవరైన మనల్ని కూర్చోమని స్థానం చూపినట్లయితే వారికి ధన్యవాదములు తెలియచేయుట మన కర్తవ్యం.

మంచినడవడిక మూడవ లక్షణం క్రమశిక్షణ. క్రమశిక్షణ అనేది ప్రతి సమా జంలో, చట్టంలో, పనులలో ఉంటుంది. ఏదైనా గుడికి, మసీదు, చర్చికి వెళ్ళినప్పుడు సాదరక్షణలు బయట వదిలి పెట్టడం ఒక క్రమశిక్షణ నియమం. ఇది ఎవరు మనకు చెప్పకపోయినా మనం ఆచరిస్తున్నాము. క్రమశిక్షణ మన సమాజంలో జీర్ణించుకుపోయింది.

ఏదైనా సభకు వెళ్ళినప్పుడు, బహిరంగ ప్రదేశాలలో పెద్దగా అరవడం వంటి పనులు చేయరాదు. రోడ్డుపై వెళ్ళేటప్పుడు నియమాలని పాటించడం మనకు మంచిది. పెద్దవారి ముందు కాళ్ళు చాపుకోవడం మంచి అలవాటు కాదు. ఎదుటివారు మాట్లాడేటప్పుడు మాటను ఖండిచకూడదు. రాష్ట్రీయగీతం పాడేటప్పుడు కూర్చోవడం, ఊగడం, నవ్వడం వంటివి చేయరాదు. మనం మనసులో సహనం పాటించడం అత్యవసరం.

చివరగా ఒకటే మాట మీకు తెలుపదలచినది ఏమిటంటే మంచి ఆచరణ అనగా మనం చేయడం వలన పాటించడం వలన మనకు మరియు ఎదుటి వారికి మనసులో సంతోషం కలగాలి. చెడు ఆచరణతో ఎవరి మనసు కష్టపెట్టకూడదు. ఎవరికి హాని చేయవద్దు.

“నీలో ఎన్ని లోపాలున్నా, బలహీనుతలున్నా, నిన్ను నువ్వు ఎలా ప్రేమిస్తావో, సమర్ధించుకుంటావో అలాగే ఎదుటివారి లోపాలను, బలహీనతలను అర్థం చేసుకుంటే అందరూ మంచిగానే కనిపిస్తారు. అందరూ నీవారవుతారు”.

कठिन शब्दों के अर्थ

शिष्टाचार = Etiquette, Good manners, ప్రవర్తనా విలువలు, మంచి నడవడిక, మంచి ఆచరణ
मृदुल = Mild, soft, సున్నితము, శాంతమైన
प्रशंसा = Admiration, compliment, పొగడ్తలు
आसपास = Around, చుట్టుప్రక్కల
अपेक्षा = Expectation, deep desire, ధృడమైన కోరిక
स्वास्थ्य = Health, ఆరోగ్యం
व्यवहार = Behavior, communication, వ్యవహారం సంభాషించే విధానం.
विनम्रता = Modesty, Politeness, వినమ్రముగా ఉండటం, మంచి ప్రవర్తన.
घुली होना = To know (while talking to other persons none can degrade anyone’s feelings), తెలుసు కోవడం.
लट्ठ मारना = = Cruel person, fencer, మనసునొచ్చుకోకుండా మాట్లాడే పద్ధతి.
वाणी = Speech, language, మాట్లాడే విధానం

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 1 शिष्टाचार

स्नेह का भाव = Friendship, స్నేహం
बराबर = Equivalent, సమానం.
मिठास = Sugariness, Sweetness, తియ్యని
कटुता = wickedness, bitterness, క్రూరంగా
सत्कार = Honour, Hospitality, గౌరవం, జాలి
आचरण = Behaviour, వ్యవహారం.
ठहाका लगाकर हसना = loud laughter, వెకిలిగా నవ్వడం.
अनुचित = Improper, అనుచితమైన, సరికాని
दीनता = pitiable, దీనత్వం
चापलूसी = flattery, మంత్రముగ్ధులుగా చేయడం
महसूस = felt, స్పర్శ
विनती = Request, Pray, ప్రార్థన
तिरस्कार = Condemnation, తప్పిదముగా ఎంచుట.
उजड्डपन = Ignorance, అజ్ఞానము
उलट-पुलटने = Opposite, Change, మార్పు
आवश्यकता = Necessity, need, అవసరం.
असुविधा = Inconvenience, అసౌకర్యం
कृतज्ञता = Acknowledgment, gratitude, thanks giving, ఒప్పుకొనుట, కృతజ్ఞతలు తెలపడం.
धन्यवाद = Gratitude, కృతజ్ఞత
अधीरता = Impatient, unsteady, అసహనం
ज़बरदस्ती = Willynilly, Force, బలవంతము చేయుట.
अनुशासन = Discipline, క్రమశిక్షణ
कानून = Law, legislation, న్యాయం
शोरमचाना = To shout, to clamour, అరవడం
अशिष्टता = Mamerless, impolite, దుష్ప్రవర్తన
निढाल होना = Dispirited, అధైర్యపడుట
उपस्थिति = Present, ఉండటం
प्रसन्नता = Pleasure, ఆహ్లాదము

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