Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material 3rd Poem समता का संवाद Textbook Questions and Answers.
TS Inter 1st Year Hindi Study Material 3rd Poem समता का संवाद
दीर्घ समाधान प्रश्न
प्रश्न 1.
समता का संवाद कविता का सारांश लगभग पाँच छे वाक्यों में लिखिए ।
उत्तर:
समता का संवाद कविता श्री मैथिलिशरण गुप्त के द्वारा लिखी गयी है। इसमें भारत के सभी धर्मो, संस्कृतियों, आचार-विचारों को समान रूप से दिखाकर देश में एकता स्थापित किया गया है । हमारा देश भारत माता का मंदिर है। हम सब उनके संतान है । सबलोग मिलकर सुख दुखों को बाँट देंगे और सब में शत्रुता छोडकर प्रेम की भावना को फैलाएँगे । भारत माता के लिए जपगान करेंगे और उनके प्रति हमारा कर्तव्य निभाएँगे । इससे हमसब का कल्याण होगा और हम सब की इच्छाएँ पूरी जाएँगी ।
प्रश्न 2.
गुप्त जी के अनुसार भारत देश की विशेषता क्या है ?
उत्तर:
गुप्त जी के अनुसार भारत देश अनेक धमों, सस्कृतियों, आचारगुप्त – विचारों का संगम स्थान है। यहाँ सब लोग मिलकर समता का संवाद करते है । सबलोग मिलजुलकर भारत माता की आराधना करते है और प्रेम भावना के साथ अपने – अपने चरित्र का निर्माण करते है । हम सब उन्ही के सलान है । इसलिए हम सब को साथ रहकर सुख दुखों को बांटना चाहिए और देश के लिए अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। तभी हम सब का कल्याण होगा और भारत माता की कृपा से सब की इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।
प्रश्न 3.
मैथिली शरण गुप्त का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
उत्तर:
मैथिलिशरण गुप्त जी का जन्म सन् 1886 में झांसी के चिरगाँव गाँव में हुआ । वे राष्ट्र कवि के रूप में प्रसिद्ध थे । उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनो में भी भाग लिया । भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण आधि से भी सम्मानित किया। सन् 1964 में उनकी मृत्यु हो गयी । साकेत, जयभारत, यशोधरा, भारत-भारती, उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है । उन्होंने मानवता को अपनी कविता का आदर्श बनाया । त्याग और प्रेम को उन्होंने महानता दी । प्रस्तुत ‘समता का संवाद’ कविता में उन्होंने भारत में सभी धर्मों, संस्कृतियों, आचार-विचारों आदि को समान रूप में बलदेकर देश में एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
एक शब्द में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
समता का संवाद कविता के कवि कौन है ?
उत्तर:
समता का संवाद कविता के कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त जी है ।
प्रश्न 2.
भारत माता के मंदिर में किसका व्यवधान नही है ?
उत्तर:
भारत माता के मंदिर में जाति – धर्म या संप्रदाय का भेदभाव नही है ।
प्रश्न 3.
मैथिलीशरण गुप्त का प्रमुख महाकाव्य कौन सा है ?
उत्तर:
साकेत मैथिलीशरण गुप्त का प्रमुख महाकाव्य है ।
प्रश्न 4.
समता शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
समता शब्द का अर्थ समानता या बराबरी है ।
संदर्भ सहित व्याख्याएँ
प्रश्न 1.
भारत माता का मंदिर यह, समता का संवाद जहाँ सबका शिव कल्याण यहाँ है । पावे सभी प्रसाद यहाँ ।
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है ।
इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है। इसमें देश की एकता पर बल दिया गया है ।
कविकां कहना है कि हमारा यह देश भारत माता का मंदिर हैं। यहाँ समता का संवाद किया जाता है । अर्थात् सभी जाति, मत, संप्रदाय में एकता दिखायी पडता है । ऐसे इस देश में हम सब का शुभ होता है। हम सबकी ऊँछाएँ पूरी होती हैं और हम सब पर समान रूप से कृपा दिखायी जाती है । कवि की भाषा सरल खडी – बोली है ।
प्रश्न 2.
सब तीर्थों का एक तीर्थ यह … एक चरित्र बना ले हम ।
उत्तर:
यह पंद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है। सब को आदर्शमय जीवन बिताने का सन्देश कवि देते हैं ।
कवि का कहना है कि हमारे देश मे अनेक तीर्थ स्थल है । उनके समान हमारे हृदय को भी पवित्र बनाएंगे। हम अजातशत्रु बनकर सबसे मित्रता करेंगे। हमारे मनोभावों को एक निश्चित रूप देंगे और उनसे हमारे चरित्र आदर्श बनाएंगे। कवि की भाषा सरल खडीबोली है ।
समता का संवाद Summary in Hindi
कवि परिचय
मैथिलिशरण गुप्त जी का जन्म सन् 1886 में झांसी के चिरगाँव गाँव में हुआ । वे राष्ट्र कवि के रूप में प्रसिद्ध थे । उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनो में भी भाग लिया । भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण आधि से भी सम्मानित किया । सन् 1964 में उनकी मृत्यु हो गयी । साकेत, जयभारत, यशोधरा, भारत-भारती, उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है। उन्होंने मानवता को अपनी कविता का आदर्श बनाया । त्याग और प्रेम, को उन्होंने महानता दी । प्रस्तुत ‘समता का संवाद’ कविता में उन्होंने भारत में सभी धर्मों, संस्कृतियों, आचार-विचारों आदि को समान रूप में बलदेकर देश में एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया । उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
कविता का सारांश
हमारा देश भारत माता का मंदिर है । यहाँ सबलोग समान है और सबकी वाणी एक ही है । यहाँ पर सबका शुभ हो जाएगा और सभी को भारतमाता की कृपा मिलेगी ।
इसदेश में जाति, धर्म, संप्रदाय का कोई भेदभाव नही है । सभी को समान रूप में स्वागत किया जाता है और सब का समान आदार मिलजाता है। राम रहीम, बुद्ध, ईसा का सबकी पूजा की जाती है । भिन्न – भिन्न संस्कृतियां होने पर भी सभी का समान गौरव और सभी से समान ज्ञान प्राप्त होता है । सभी लोग प्रेम को चाहते है, पर शत्रुता को नहीं । इसदेश में सभी का शुभ मंगल होगा और सबकी इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।
इसदेश में अनेक तीर्थस्थल है । पर हम अपने हृदय को ही पवित्र बनाकर तीर्थस्थल बनाएँगे । यहाँ पर हम अजातशत्रु बनकर सब को मित्र बनाएँगे । हम अपने मन की रेखाओं से एक मित्र बनाते है । अनेक आदर्शों से हम अपने चरित्र का निर्माण करते है ।
भारत माता के समक्ष रहने वाले हम सब भाई बहन है ! हम सब उसी माँ के गोद से पले सन्तान है । हम सब लोग मिलकर सुख – दुख को बाँट देंगे। सभी का कल्याण होगा और सभी की ऊँछाएँ पूरी हो जाएँगी ।
भारत माँ की सेवा में हम पूजारी है । उन्ही के कहने पर सब काम करते है । इस जीवन से लाभ उठाकर मुक्ति पाना हमारा कर्तव्य है । हम सब उसके अनुचर है । इस देश के करोडों लोग मिलकर भारतमाता का जयगान करेंगे । इस देश में हम सब का कल्याण होगा और हम सब पर उनकी कृपा रहेगी ।
इसप्रकार भारतदेश की महानता और भारतमाता को एक देवी के रूप में चित्रण करके उसके प्रति हमारा कर्तव्य निभाने का सन्देश कवि दे रहे हैं उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।