TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 2 समय पर मिलने वाले

Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material 2nd Lesson समय पर मिलने वाले Textbook Questions and Answers.

TS Inter 1st Year Hindi Study Material 2nd Lesson समय पर मिलने वाले

दीर्घ समाधान प्रश्न

नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर तीन चार वाक्यों में दीजिए ।

प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई की रचनाओं के नाम लिखिए ?
उत्तर:
हरिशंकर परसाई की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं ।

निबंध संग्रह : तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, पगडंडियों का जमाना, सदाचार का तावीज, वैष्णव की फिसलन, माटे कहे कुम्हार से शिकायत मुझे भी है और अंत में, अपनी अपनी बिमारी, आवारा भीड के खतरे ऐसा भी सोचा जाता है आदि उनके उल्लेखनीय निबंध संग्रह हैं ।

कहानी संग्रह : जैसे उसके दिन फिरे, दो नाकवाले लोग, हसते हैं रोते हैं, भोलाराम का जीव ।

उपन्यास : तट की खोज, रानी नागफनी की कहानी, ज्वाला और जल उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं ।

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प्रश्न 2.
हरिशंकर परसाई के अनुसार आदमी कितने तरह के होते हैं ?
उत्तर:
हरिशंकर परसाई के अनुसार आदमी तीन तरह होते हैं ।
1) समय पर घर न मिलने वाले ।
2) समय पर किसी के घर न जानें वाले और ।

3) न समय पर घर पर मिलते वाले और न किसी के घर जाने वाले कुछ लोग समय पर घर मिलते है और समय पर दूसरों के घर भी जाते हैं । सज्जनतावश हम उन्हें भी ‘आदमी’ कह देते हैं । वह असल में टाइमपीस हैं। ये घर में रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर रहेंगे तो हाथ घड़ी देखते रहेंगे ।

एक शब्द में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
परसाई जी के मित्र ने उन्हें कितने बजे खाने पर बुलाया ?
उत्तर:
परसाई जी के मित्र ने उन्हें 11 बजे खाने पर बुलाया ।

प्रश्न 2.
परसाई जी को समय तथ कर के भी नही मिलने वाले लोग कैसे मालूम होते हैं ?
उत्तर:
भगवान के एजेंट मालुम होते हैं ।

प्रश्न 3.
परसाई जी के अनुसार इंतजार से क्या बढ़ता है ?
उत्तर:
इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।

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प्रश्न 4.
परसाई जी काम पूरा करने केलिए अगले जन्म में कौन सा चोला लेने की बात करते हैं ?
उत्तर:
मेंढ़क के चोला लेने की बात करते हैं ।

प्रश्न 5.
परसाई जी के मत का अनुसार ज्ञानी लोग क्या जानते हैं ?
उत्तर:
काम अनंत हैं और आत्मा अमर है ।
समय उन लोगों के लिए लंबी होती है जो उसका सही – इस्तेमाल करते हैं ।
– लिथानार्डो दा विंसी

संदर्भ सहित व्याख्याएँ

प्रश्न 1.
आखिर हम उठते हैं। लड़के से कहते हैं, “अच्छा अब हम जाते हैं । कह देना कि हम आए थे ।”
उत्तर:
संदर्भ : ये वाक्य ‘समय पर मिलने वाले’ नामक पाठ से दिये गये हैं । इस पाठ के लेखक ‘हरिशंकर परसाई जी हैं। आप हिंदी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में अग्रगण्य हैं । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर अपना लेख लिखता हैं । परसाई जी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं ! प्रस्तुत पाठ एक व्यंग्य रचना है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के समय कैसा बरबाद करते है, इसका व्यंग्यपूर्ण चित्रण मिलता है ।

ब्याख्या : एक दिन लेखक के मित्र लेखक से सुबह आठ बजे अपना घर पर मिलने का वाद किया था; पर मित्र घर पर नही हैं । लेखक मित्र केलिए उस का घर में इंतजार कर रहे हैं। मित्र के. पुत्र लेखक के पास बैठकर पुस्तक पढ रहा है । बहुत देर तक रहने पर भी मित्र नही आता है । घर के अंदर से स्त्रियाँ लेखक के बारे में भला-बुरा कहता है। लेखक सभी बातें सुनकर लज्जित हो जाता है । अखिर उठ कर मित्र के पुत्र से कहते है, अच्छा मै अब जा रहा हूँ। तुम्हारे पिताजी आने के बाद कहदेना कि आपसे मिलने आपका दोस्त आया था ।

विशेषताएँ:

  1. सामान्य आदमी समय को काटने के बारे में सोचता है, जबकि महान व्यक्ति सोचते हैं इसके उपयोग के बारे में।
  2. दुनिया में जितनी भी चीजे हैं, उन सभी में समय समाया हुआ है ।

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प्रश्न 2.
मित्र ने कहा “आजकल मेरा बिलकुल अनिश्चित है । इसलिए समय तथ करना ठीक नही होगा। मैं किसी भी दिन आ जाऊँगा।”
उत्तर:
संदर्भ : ये वाक्य ‘समय पर मिलनेवाले’ नामक पाठ से दिये गये है । इस पाठ के लेखक श्री ‘हरिशंकर परसाई जी है । आप हिन्दी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में अग्रगण्य हैं । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर अपना लेख लिखता है । परसाईजी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते है । प्रस्तुत पाठ एक व्यंग्य रचना है । जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के समय कैसा बारबाद करते हैं, इसका व्यग्यपूर्ण चित्रण मिलता है ।

व्याख्या : लेखक के दूसरा मित्र को तबादला हो गया । तब पहला मित्र ने लेखक और दूसरे मित्र दोनों को भोजन पर बुलाया । लेखक और दूसरे मित्र दोनों दूसरे दिन शाम को मित्र के घर पहुँच गए । मित्र घर में नही थे । लेखक ने मित्र के लडके से पूछा कि क्या तुम्हारा पापा तुम से कुछ कह गए है ? लड़का बोला ‘जी नहीं’ वे तो कुछ नही कह गए हैं ।

लेखक और दूसरा मित्र घर से बाहर आकर उस मित्र की व्यवहार से दुखित हो गए । हम दोनों जीते समय पहला मित्र मिलकर कहाँ ” हे मित्र तुम जाने के पहले हमारे साथ भोजन जरूर करना” । तब दूसरा मित्र ने कहा कि अब मेरे पास ( वक्त ) समय नही हैं, मै किसी भी दिन आ जाऊँगा । तब पहला मित्र ने कहा जरूर आना। तुम्हारा तो घर है और मै तो हमेशा घर पर ही रहता हूँ । लेखक और दूसरा मित्र इस वाक्य सुनकर मुस्कुराते हैं ।

विशेषताएँ : समय तथ करके दूसरों को भोजन पर बुलाकर घर परन रहनेवालों को लेखक ज्ञानी कहते हैं । ऐसे लोगों की निंदा भी होती है ।

समय पर मिलने वाले Summary in Hindi

लेखक परिचय

हरिशंकर परसाई का जन्म मध्यप्रदेश के होरंगाबाद जनपद में इटारसी के निकट स्थित जमानी नामक ग्राम में सन् 1924 में हुआ था। इनकी प्रारंम्भिक शिक्षा से स्नातक तक की शिक्षा मध्यप्रदेश में हुई । तदुपरान्त इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एम. ए. हिंदी की परिक्षा उर्त्तीर्ण की ! इसके पश्चात् कुछ वर्षो तक उन्होंने अध्यायन – कार्य किया ।

हरिशंकर परसाई जी ने बाल्यावस्था से ही कला एवं साहित्य में रुचि लेना प्रारम्भ कर दिया था । वे अध्यापन के साथ- साथ साहित्य सृजन भी करते रहे । दोनों कार्य साथ – साथ न चलने के कारण अध्यापन – कार्य छोडकर साहित्य साधना और व्यंग्य समसामयिक पत्र पत्रिकाओं में प्रकशित होते रहते थे, लेकिन इन्होंने नियमित रूप से धर्मयुग और साप्ताहिक हिन्दुस्तान के लिए अपनी रचनाएँ कीं । सन 1995 में इनका स्वर्गवास हो गया ।

हिंदी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में हरिशंकर परसाई अग्रगण्य थे । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैलि विसंगतियों पर आप की दृष्टि सदैव रहती है। समसामयिक जीवन में समय पर मिलना सब के लिए महत्वपूर्ण होता है। परसाई जी के व्यग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं और अपने जीवन व्यवहार को सुधारने की दिशा में प्रेरित करते हैं । व्यंग्य के अतिरिक्त इन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं पर भी अपनी लेखनी चलाई थी, परन्तु इनकी प्रसिद्धि व्यंग्यकार के रूप में ही हुई ।

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हरिशंकर परसाई की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं – निबंध संग्रह – तब की बात और थी,
भूत के पाँव पीछे,
अपनी अपनी बीमारी आदि उनके उल्लेखनीय निबंध संग्रह हैं ।
कहानी संग्रह : जैसे उसके दिन फिरे, दो नाकवाले लोग, हँसते हैं रोते हैं । भोलाराम का जीवे ।
उपन्यास : तट की खोज, रानी नागफनी की कहानी, ज्वाला और जल उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं।

हिंदी गद्य साहित्य के व्यंग्यकारों में हरिशंकर परसाई अग्रगण्य थे । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर आप की दृष्टि सदैव रहती है । समसामयिक जीवन में समय पर मिलना सब के लिए महत्वपूर्ण होता है । परसाई जी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं और अपने जीवन व्यवहार को सुधारने की दिशा में प्रेरित करते हैं । व्यंग्य के अतिरिक्त इन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं पर भी अपनी लेखना चलाई थी, परन्तु इनकी प्रसिद्ध व्यंग्यकार के रूप में ही हुई ।

सारांश

समय पर मिलने वाले हरिशंकर परसाई की गद्य साहित्य से ली गयी व्यंग्यात्मक निबंध है ।
आदमी तीन तरह के होते हैं – 1) समय पर घर न मिलने वाले 2) समय पर किसी के घर न जाने वाले और 3) समय पर घर पर मिलने वाले और किसी के घर जाते वाले ।

इसके बाद कुछ मुट्ठी भर जीवधारी बचते हैं, कुछ लोग जो समय पर घर मिलते हैं और समय पर दूसरों के घर भी जाते हैं | सज्जनतावश हम उन्हें भी ‘आदमी’ कह देते हैं । वह असल
टाइमपीस हैं । ये घर में रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर रहेंगे तो हम घड़ी देखते रहेंगे। इन्हें हम बदरित कर लेते हैं, मगर इनकी चर्चा करता व्यर्थ है ।

रमारा लेखका एक मित्र है, हमें चर्चा उनकी करनी है, जिन्होंने सुबह आठ बजे घर पर मिलने का वादा किया था, पर वे घर पर नहीं हैं। हम उनकी बैठक में इंतजार कर रहे हैं । हम तनाव कम करने के लिए उसके बड़े सडके से पढाई के बारे में पूछ लेते हैं, खेल के बारे में बात कर लेते हैं । वह हमारे सवाल का छोटा सा जवाब देता है । हम अखबार पढने लगते हैं । समाचार पढ़कर विज्ञापन पढ़ने लगते हैं। बीच बीच में पूछ लेते हैं, “कहाँ गए हैं ?”
वह जवाब देता हैं, “पता नहीं ।”
‘कब तक आएँगे’ ?
“पता नहीं ।”
“कुछ कह गए थे ?”
“कुछ नहीं ।”

हम फिर अखबार देखने लगते हैं। लड़का ऊब उठा है । वह चाहता है कि हम टलें । मगर हमें जरूरी काम है ।

पास ही दरवाजा है । भीतर औरतों की बातें सुनाई पड़ती है। सबेरे से आकर बैठ गया है, तो उठने का नाम ही नहीं लेता । अरे, कह दिया कि घर पर नहीं हैं तो जाता क्यों नहीं है ?” हमारा चेहरा लाल हो जाता है। कान की लोरियाँ जलने लगती हैं। मगर हमें जरूरी काम है ।

आखिर हम उठते हैं । लड़के से कहते हैं,
अच्छा अब हम जाते हैं । कह देना कि हम आए थे।”
लडका बहुत कम खुश होकर नमस्ते करता है और हमें विदा देता है ।

दूसरे दिन आठ बजे हम फिर पहुँचते हैं। बड़ा लड़का फाटक पर आकर हमारे पूछने से पहले ही कह देता हैं, ” घर में नहीं – हैं” ।

वह फाटक तक इसलिए भागता आया है कि हम वहीं से लौट जाएँ।

मगर हमें काम है और हम खुद फाटक खोल कर भीतर आ जाते हैं ।

हम बैठक में बैठ जाते हैं। बड़ा लड़का किताब पढ़ने लगा है ! हम कल का अखबार पढ़ने लगते हैं। लड़का मुँह छिपाकर हँसता है ।

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छोटे बच्चे दरवाजे पर आकर हमें देख जाते हैं ।
भीतर औरतों की बातचीत सुनाई देती है ।
“लो, वह फिर आकर बैठ गया ।”
“काम काम कुछ हो तो देखें ।” ( सब हँसती हैं) छोटा लड़का सारे परिवार की भावना समझकर दरवाजे पर आकर कहता है । ” ए. पापा बाहर गए हैं ।”

हम उठते हैं, कहते हैं, “पता नहीं वे कब आएँगे । अच्छा, हम चलते हैं ।”

सारा परिवार खिड़की और दरवाजे पर है और बड़ी दिलचस्पी से हमें जाते देख रहा है ।

इतनी तपस्या के बाद अगर वे कभी घर मिल गए तो लगता है भगवान को पा लिया । जो लोग समय तथ करके भी घर नहीं मिलते वे मुझे भगवान के एजेंट मालूम होते हैं ।

भगवान के दरवाजे पर तो कई जन्म इंतजार करना पड़ता है । अगर इधर कुछ अभ्यास हो गया, तो उधर आसानी पड़ेगी।

दूसरी बात यह है कि इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।

मेरे एक दोस्त हैं। उनसे मैं मिलने का समय तथ कर लेता । पर उस वक्त हरगिज़ उनके घर नहीं जाता । यह निश्यित कि वह घर नहीं होंगे ।

जब उनके मिलने की बिल्कुल संभावना नहीं है और वे मिल जाते हैं । वे किसी कमेटी के सदस्य हैं, जिसकी बैठक में उन्हें होना चाहिए । मगर उस वक्त ने घर मिल जाएँगे ।

जब मेरा उनसे नया परिचय या और कुछ औपचारिकता बाकी थी तब उन्होंने मुझे इसरे दिन ” बजे खाने पर बुलाया । मैं ठीक ” बजे पहुँच गया 12 बज गए तो मैं ने उनके लड़के से पूछा, “कहाँ गए हैं ?” उसने कहा, “कुछ पता नहीं हैं ?” उसने कहा, ‘“कुछ नहीं बता गए ।”

मैं बैठा रहा । जब । बज गया तब लड़के ने कहा, “आपको कुछ जरूरी काम होगा ?”

मैं उसे कैसे बताता कि क्या काम है । इतना मैं अलबन्ता समझ गया कि रस परिवार में मेरे भोजन का कोई सिलसिला नहीं है । मैं भोड़ी देर और बैठ कर उठ गया । शाम को मालूम कि, जब मैं उनके घर बैठा था, तब वे खुद दूसरों के घर भोजत कर रहे थे । मुझे मिले तो बहुत दुखी हुए । कहने लगे अरे बड़ी गलती हो गई । मैं भूल ही गया ।

कई सालों के उनके साथ के अनुभवों से सावधानी की दीवार मैं ने अपने आसपास खड़ी कर ली थी । जब वे मेरे घर आने की बात करते तब मैं बेखटके बाहर धूमता । मुझे विश्वास था, वे उस वाक्य नहीं आएँगे ! शाम को 7 बजे आने को उन्होंने कहा है तो सुबह 8 बजे तक भी आ सकते हैं । वे घर से इधर आने के लिए ही निकलेंगे, पर रास्ते में जो मिल जाएगा उसी के हो जाएँगे, वहाँ खाना लेंगे और तब उन्हे याद आएगा कि किसी से मिलने का वक्त तथ किया था ।

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हमारे एक मित्र का तबादला हो गया । जो मेरा पहला मित्रता उसने इस मित्र को भी भोजन पर बुलाया । मुझे भी आने के लिए कहा। दूसरे दिन शाम को उनके घर पहुँचे । वे घर नहीं थे । हम दोनों अब सचेत हो गये । मित्र ने कहा कि तुझे उसके बारे में मालूम हैं ना ? मुझसे क्यों नहीं बताया। मैं उस मित्र के लडके से पूछा आप का पापा कहाँ हैं । लडके ने बोला मुझे मालूम नहीं है । तबादले हुए मित्र चले गये । पहला मित्र ने इस विषय के बारे में भूल गया ।

ऐसे लोगों की निंदा भी होती है कि वह समय का कोई खमाल नहीं रखते और अपना तथा दूसरे का वक्त खराब करते हैं । मेरा मत दूसरा है, ऐसे लोग ज्ञानी हैं । वे जानते हैं कि काम अनंत हैं और आत्मा अमर है। जो काम इस जन्म में पूरे नहीं हु उन्हें अगले जन्म में पूरे कर लेंगे था उसके बाद वाले में । इस बार आत्मा ने मनुष्य का चोला लिया है । अगली बार वह मेंढक का चोला भी ले सकती है । तब मेंढ़क के रूप में हम काम पूरे कर लेंगे ।

विशेषताए :

  1. समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना ह ।
  2. समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है ।
  3. समय किसी की प्रतीक्षा नही करता ।

समय पर मिलने वाले Summary in Telugu

సారాంశము

హిందూ గద్య సాహిత్యం వ్రాసిన రచయితలలో హరిశంకర్ పరసాయి గారు అగ్రగణ్యులు. వీరి రచనలలో వ్యంగ్యాత్మకత కనిపిస్తుంది. సమాజంలో మరియు రాజకీయాలలో ఉన్న చెడుని, లోపాలను దృష్టిలో ఉంచుకొని ఈ రచనలను చేసేవారు. ప్రస్తుతం మనం చదువుతున్న ‘समय पर मिलनेवाला’ అనే ఈ పాఠంలో వ్యక్తుల గురించి వారు ఎటువంటి సమయాలలో ఎలా ఎలా ప్రవర్తిస్తారో మనకు తెలియజేశారు.

మనిషి ముఖ్యంగా 3 రకాలుగా ఉంటారు. 1) సమయానికి ఇంటిలో లభించని వారు 2) ఏ సమయంలో వేరే వారి ఇంటికి వెళ్ళని వారు 3) చెప్పిన సమయంలో వారి ఇంటిలో ఉండరు, వేరు వ్యక్తుల ఇంటిలో కూడా ఉండరు. మనిషి ఎవరు అంటే చెప్పిన సమయానికి ఇంటిలో ఉండేవారు మరియు చెప్పిన సమయానికి వేరే వారి ఇంటికి వచ్చేవారు. వారిని టైమ్పీస్ అని అంటారు. వారు ఇంటిలో ఉన్నంతసేపు గడియారాన్ని చూస్తు ఉంటారు.

బయటకు వెళితే చేతి గడియారాన్ని చూస్తు ఉంటారు. వీరిని మనం భరించవచ్చు. కాని ఇప్పుడు మనం మాట్లాడవలసింది ఎవరి గురించి అంటే సమయం చెప్పి ఇంటికి రమ్మని ఇంట్లో దొరకనటువంటి వ్యక్తులు. రచయిత యొక్క స్నేహితుడు మన రచయితను ఉదయం 8 గంటలకు తన ఇంటి వద్దకు రమ్మని చెప్పి, తాను మాత్రం ఇంటిలో లేడు. అతని కోసం రచయిత ఎదురు చూస్తూ తన టెన్షన్ తగ్గించుకోవడానికి స్నేహితుని పెద్దకుమారుడితో మాట్లాడడం ప్రారం భించాడు.

“బాబు నువ్వు ఏ క్లాసు చదువుతున్నావు, ఏ ఆటలు అంటే ఇష్టం ఇలా పిల్లవాడిని ప్రశ్నలు రచయిత అడగగా ఆ పిల్లవాడు చాలా నెమ్మదిగా, చిన్నగా సమాధానం చెప్పాడు. ప్రక్కనే ఉన్న వార్తాపత్రిక చదువుతూ స్నేహితుని కోసం రచయిత ఎదురు చూస్తున్నారు. మరల పిల్లవాడిని మీ నాన్న ఎప్పుడు వస్తారు ? ఎక్కడికి వెళ్ళారు ? ఏదైనా చెప్పి వెళ్ళారా అని అడుగగా ఆ పిల్లవాడు లేదండి అని సమాధానం చెప్పాడు.

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ఆ పిల్లవాడికి నా ఎదురు కూర్చొని విసుగు అనిపించింది. నేను ఎప్పుడు వెళతానా అని ఇంటిలోపల ఆడవారు మాట్లాడుకోవడం నా చెవిన పడింది. ఎప్పుడో వచ్చాడు, ఇంకా వెళ్ళడేమిటి, పనిపాట లేదా ప్రొద్దున్నే వచ్చి ఇలా విసిగిస్తున్నాడు అని ఆ ఇంటి స్త్రీలు వేళాకోళంగా అనసాగారు. కాని (నాకు) రచయితకు స్నేహితునితో చాలా ముఖ్యమైన పని ఉంది కనుక ఇంతసేపు ఉండవలసి వచ్చింది. రచయితకు సిగ్గు అనిపించి లేచి పిల్లవాడితో మీనాన్న వచ్చాక నేను వచ్చి వెళ్ళానని చెప్పు అని బయటకు వచ్చేశాను.

రెండవ రోజు మరల అదే పరిస్థితి. స్నేహితుని చిన్నకొడుకు నన్ను చూచి మళ్ళా వచ్చాడు అని పెద్దగా అరుస్తూ లోపలికి వెళ్ళిపోయాడు. కొద్దిసేపటి తరువాత నా వద్దకు వచ్చి మా నాన్న లేరు వెళ్ళిపో అని అనగా పెద్ద అబ్బాయి వాళ్ళ తమ్ముడిని మందలించి లోపలికి పంపాడు. నిన్నటి వార్తాపత్రిక తీసుకొని రచయిత చదవడం చూసి స్నేహితుని కొడుకు నవ్వసాగాడు. మరల లోపల నుండి ఆ ఇంటి స్త్రీలు తిట్టడం ప్రారంభించారు.

సిగ్గులేదు ప్రొద్దున్నే వచ్చాడు అని అంటుండగా (నాకు) రచయితకు చాలా బాధ అనిపించి మీ నాన్న వస్తే చెప్పు వచ్చి వెళ్ళాను అని పెద్ద కుమారుడితో చెప్పి బయలుదేరి బయటకు వచ్చేశారు. స్త్రీలు కిటికీలో నుండి నేను (రచయిత) వెళ్ళడం చూసి చాలా సంతోషించారు. ఇంత కష్టపడిన తరువాత స్నేహితుడు కలిస్తే భగవంతుని సాక్షాత్కారం పొందినట్లు అనిపిస్తుంది.

సమయం చెప్పి ఇంటికి రమ్మని, ఇంట్లో ఉండని వారు భగవంతుని ఏజెంట్లులాగా అనిపిస్తారు. భగవంతుని సాక్షాత్కారం కోసం చాలా సేపు అనగా చాలా జన్మలు ఎదురుచూడాలి. దానినే ఇక్కడ నేర్చుకుంటున్నట్లుగా అనిపించింది. రెండవది ఎదురుచూపుల వలన తెలియని ప్రేమ, ఆత్మీయత కలుగుతాయి.

రచయిత యొక్క మరొక స్నేహితుడు ఏ సమయంలో దొరుకుతాడంటే ఏదైనా మీటింగుకి అతను వెళ్ళాల్సివుంటే అది మానేసి ఇంట్లో కూర్చొంటాడు. సంభవం కాని వేళలో అతను సంభవంగా ఉంటాడు. నాకు మొదటిసారి కలిసినపుడు కొన్ని సంతకాలకు ఉదయం 11 గంటలకు తన ఇంటి వద్దకు రమ్మని, అక్కడే భోజన ఏర్పాట్లు చేస్తానని వాగ్దానం చేసి వెళ్ళిపోయాడు.

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రచయిత స్నేహితుని ఇంటికి 11 గంటలకు వెళ్ళగా అక్కడ లేడు. గంట, రెండు గంటలు ఎదురు చూసి వాళ్ళ అబ్బాయిని అడగగా నాకు తెలియదు అని సమాధానం చెప్పాడు. ఒంటిగంట వరకు ఎదురుచూస్తూ ఉండిపోయాను. స్నేహితుని కుమారుడు మీకు ఏమైనా పని ఉందా అని నన్ను ప్రశ్నించగా నాకు (రచయిత) అర్థం అయినది. ఇంకా ఇక్కడ ఎక్కువసేపు ఉండకూడదు, భోజనానికి సంబంధించి ఎటువంటి ప్రయత్నాలు జరగలేదు అని తెలిసింది.

రచయితని రమ్మని చెప్పిన ఆ స్నేహితుడు ఆ సమయంలో వెళ్లే వాళ్ళ ఇంటికి భోజనానికి వెళ్ళాడు. అని సాయంత్రం తెలిసింది. స్నేహితుడు రచయితను క్షమించమని, తాను ఆ విషయం మరచిపోయానని చెప్పాడు. చాలా సంవత్సరాలు ఆ స్నేహితునితో కలిసి ఉండి నాకు గురించి అర్థం అయింది. ఆ స్నేహితుడు రచయిత ఇంటికి వస్తాను అని చెబితే రచయిత అతని కోసం ఇంటి వద్ద ఉండి ఎదురు చూడడు.

ఎందుకంటే అతను సమయానికి రాడు అని అర్ధమయింది. సాయంత్రం 7 గంటలకు వస్తా అంటే తర్వాత రోజు 8 గంటలకు వస్తాడు. అప్పుడు దారిలో వేరే మిత్రులు కనబడితే వారి ఇంటికి వెళ్ళి భోజనం చేసిన తరువాత తాను రచయిత ఇంటికి వస్తానన్న విషయం గుర్తుకువస్తుంది.

రచయిత యొక్క వేరొక మిత్రునకు ట్రాన్స్ఫర్ అవుతుంది. ఆ మిత్రుణ్ణి రచయితని తన ఇంటికి భోజనానికి రమ్మని మొదటి మిత్రుడు ఆహ్వానిస్తాడు. రచయిత, ఆ స్నేహితుడు ఇంటికి వెళ్ళగా అతను ఉండడు. వారిద్దరు ఆ మిత్రుని పోకడ తెలిసినవారు కనుక తిరిగి వెళ్ళిపోతారు.

రచయిత దృష్టిలో అటువంటి మిత్రులు వారి సమయాన్ని, ఇతరులు సమయాన్ని వృధా చేసేవారు అని అభిప్రాయం. అటువంటి వారు ఏమని చెబుతారంటే పని అనంతమైనది మరియు ఆత్మ అనురం. ఈ జన్మలో కాని పని వేరే జన్మలోనైనా పూర్తి చేయవచ్చు అని అంటారు. ఈ జన్మలో మనుషులుగా పుట్టాము. వేరే జన్మలో కప్పగా అయినా పుట్టి మిగిలిన పని పూర్తి చేయవచ్చు అంటారు.

कठिन शब्दों के अर्थ

मिलना = To meet, కలుసుకొనుట
मुट्ठी भर मात्रा = A handful of countable, లెక్కింపదగిన
सज्जन = Good person, మంచి వ్యక్తి
टाइमपीस = Timepiece a clock or watch, గడియారం
बरदाश्त = To bear, to tolerate, భరించుట
व्यर्थ = Waste, వ్యర్థము
इंतजार = Wait, వేచి ఉండుట
शिष्टता = Cultured, polite, గౌరవభావం
तनाव = Stress, ఒత్తిడి.

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बचकानी = Childish, childly, చిన్నపిల్లల మనస్తత్వం
ऊब उठा = Feeling of a version disgust, విసుగుచెందుట
टलें = To be postponed, వాయిదావేయడం
आदत = Habit, అలవాటు
लोरियाँ = Lullaby,జోలపాట
विदालेना = Take leave, వీడ్కోలు తీసుకొనుట
चौकंकर = Alert, హెచ్చరిక
परेशानी = Distress, complication, ఉపద్రవం, బాధ
अफसोस = Sorry, reriorse, క్షమించడం, పశ్చాత్తాపం
चिल्लाना = Stream, అరుచుట, కేకవేయుట
छिपाना = Hide, దాచుట
बातचीत = Speech, conversation, ఉపన్యాసం, సంభాషణ
गट्टरआदमी = Bale of man, మొండి మనిషి
डाँटना = Castigare, శిక్షించుట
दिलचस्पी = Interest in, ఆసక్తికరమైన
एजेंट = Representative, ప్రతినిధి
फाटक = Gate, portal, ఇంటి ముఖద్వారం
हरगिज़ = Neverwill, ఎప్పుడూ రెడీ
पाबंदी = Restricts, పరిమితులు
अलबत्ता = Ofcourse, సరే, అలాగే
सिलसिला = Continuation, కొనసాగింపు
तबादला = Transfer, బదిలీ
प्रबंध = Arrangement, అమరిక
शिकायत = Complaint, ఫిర్యాదు
निंदा = Denigration, taunt, కించపరచడం
चोलालेना = Taking too, చాలా తీసుకోవడం

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