TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 6 बतुकम्मा

Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material 6th Lesson बतुकम्मा Textbook Questions and Answers.

TS Inter 1st Year Hindi Study Material 6th Lesson बतुकम्मा

दीर्घ समाधान प्रश्न

प्रश्न 1.
बतुकम्मा का अर्थ क्या है और यह त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है ?
उत्तर:
बतुकम्मा तेलुगु भाषा के दो शब्दों से बना है- ‘बतुकु’ और ‘अम्मा’, यहाँ ‘बतुकु’ का अर्थ ‘जीवन’ और ‘अम्मा’ का अर्थ ‘माँ’ है । इस तरह बतुकम्मा का अर्थ है- ‘जीवनप्रदायिनी माता’ । यह त्यौहार तेलंगाणा राज्य की वैभवशाली संस्कृति का प्रतीक है । बतुकम्मा त्यौहार दशहरे की नवरात्रियों में मनाया जाता है । यह कुल नौ दिनों का त्यौहार है । इसका आरंभ भाद्रपद अमावस्या यानी महालया अमावस्या या पितृ अमावस्या से होता है और सहुला बतुकम्मा या पेद्दा बतुकम्मा तक चलता है । विशेष रुप से इसे स्त्रियाँ मनाती हैं। इसे मनाने की विशेष विधि है। नौ दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार का हर दिन एक विशेष नैवेद्य रूपी नाम से जाना जाता है ।

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 6 बतुकम्मा

प्रश्न 2.
बतुकम्मा त्यौहार में किन किन फूलों का उपयोग होता है ? उनके नाम लिखिए ।
उत्तर:
बतुकम्मा बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले फूल जैसे तंगेडु (दातुन – तेलंगाण का राष्ट्र पुष्प), गुम्मडि पुव्वु (कोहडे का फूल), बंती (गेंदा), मंदारम (गुड़हल), गोरिंटा (गुल मेहंदी), पोकाबंती (गुलमखमलं), कट्लपाडु (जडीबूटी पुष्प), गुंट्लागरगर ( भृंगराज ), कोड़िजुट्टु पुव्वुलु (श्री आई पुष्प), मयूरशिखी (मयूरशिखा), चामंती (गुलदाउदी), तामरा (कमल), गन्नेरु ( कनेर), नित्य मल्ले (पटसन के पुष्प ), गुलाबी (गुलाब), वज्रदंतीपुव्वु (वज्रदंतीपुष्प) गड्डी पुव्वु (घांस का फूल ) आदि का उपयोग करते हैं ।

एक शब्द में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
तेलंगाणा का राज्य पर्व क्या है ?
उत्तर:
बतुकम्मा ।

प्रश्न 2.
राजा धर्मागंद की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर:
सत्यवती ।

प्रश्न 3.
किस त्यौहार को फूलों का त्यौहार भी कहते हैं ?
उत्तर:
बतुकम्मा ।

प्रश्न 4.
बतुकम्मा का विसर्जन कहाँ करते हैं ?
उत्तर:
तालाबों, जल स्त्रोतों में ।

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प्रश्न 5.
जहाँ स्त्रियों का सम्मान और आदर होता है वहाँ साक्षात कौन निवास करते है ?
उत्तर:
भगवान ।

प्रश्न 6.
तेलंगाणा का राष्ट्र पुष्प क्या है ?
उत्तर:
दातुन ( तंगेडु) ।

प्रश्न 7.
बतुकम्मा विशेषकर किसका त्यौहार है ?
उत्तर:
स्त्रियों ।

प्रश्न 8.
बोड्डुम्मा की प्रतिमा को किस की मिट्टी से बनाया जाता है ?
उत्तर:
तालाब ।

संदर्भ सहित व्याख्याएँ

प्रश्न 1.
भारत त्यौहारों का देश है । यहाँ लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘बतुकम्मा’ नामक पाठ से दिया गया है। यह पाठ एक निबंध है। त्यौहार समय समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्ते करते हैं। ये किसी राष्ट्र एवं जाति वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करनेवाले जीवित तत्व के रूप में प्रकट हुआ करते हैं ।

व्याख्या : भारत महान और विशाल देश है। भारत में कई धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं । त्यौहार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- (1) राष्ट्रीय त्यौहार और (2) धार्मिक त्यौहार । भारत त्यौहारों का देश है। भारत में लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व है। सभी त्यौहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है। सभी जन त्यौहारों के आगमन से प्रसन्न होते हैं । प्रत्येक त्योहार में अपनी विधि व परंपरा के साथ समाज, देश व राष्ट्र के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है। जैसे ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है । तेलंगाणा के लोग बतुकम्मा धूम-धाम, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं ।

विशेषताएँ :

  1. त्यौहार मनुष्य के जीवन को हर्षोल्लास से भर देते हैं ।
  2. लोग संपूर्ण आलस्य व नीरसता को त्याग कर पूरे उत्साह के साथ त्यौहारों की तैयारी व प्रतीक्षा करता है ।
  3. भूखे को भोजन, निर्धनों को वस्त्र आदि बाँटकर लोग सामाजिक समरसता लाने का प्रयास करते हैं ।

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प्रश्न 2.
तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । बतुकम्मा के बिना तेलंगाणा राज्य की कल्पना करना असंभव है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘बतुकम्मा’ नामक पाठ से दिया गया है। यह पाठ एक निबंध है । त्यौहार समय समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्त करते हैं । ये किसी राष्ट्र एंव जाति-वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करने वाले जीवित तत्व के रुप में प्रकट हुआ करते है ।

व्याख्या : भारत में लगभग हर राज्य के अपने- अपने राज्य पर्व हैं । उसी तरह ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है । बतुकम्मा त्यौहार विश्व का एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें एक मंच पर 9,292 स्त्रियों ने भाग लेकर अपनी श्रद्धा और भक्ति का अनूठा प्रस्तुत किया है। 8 अक्तूबर, 2016 को तेलंगाणा राज्य का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में सुनहरे अक्षरों से लिखा गया । बतुकम्मा त्यौहार स्त्री शक्ति को पहचानने उनका आदर करने और समाज में उचित स्थान देने पर बल देता है । ‘बतुकम्मा’ त्योहार के द्वारा ‘तेलंगाणा’ विश्व मे प्रसिद्ध हुवा है । इसलिए लोग कहते है कि तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । “आत्मा के बिना मनुष्य जीवित नही रह पाते । इसी तरह बतुकम्मा के बिना ‘तेलंगाणा’ राज्य की कल्पना करना असंभव है ।

विशेषताएँ :

  1. त्यौहार मनुष्य के जीवन में उल्लास लाता है ।
  2. बतुकम्मा त्यौहार भारतीय समाज में स्त्रियों के गौरवशाली वैभव का गुणगान करता है ।
  3. गरीब – अमीर जैसे भेद – भाव के बिना बतुकम्मा त्यौहार मनाते हैं ।

बतुकम्मा Summary in Hindi

सारांश

रुपरेखा :
1. प्रस्तावना – बतुकम्मा का अर्थ क्या है ।
2. पौराणिक गाथाएँ ।
3. बतुकम्मा पर्व का महत्व ।
4. बतुकम्मा पर्व कैसे मनाता और आचरण करता है ।
5. आनंद का पर्व ।
6. उपसंहार ।

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 6 बतुकम्मा

1. प्रस्तावना (बतुकम्मा का अर्थ क्या है) :
भारत त्यौहारों का देश है । यहाँ लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं । उसी तरह ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है । तेलंगाणा राज्य सरकार ने 24 जुलाई, 2014 के दिन सरकारी आदेश संख्या 2 के अनुसार इसे राज्य पर्व के रुप में गौरवान्वित किया है। हर वर्ष धूम-धाम, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाये जाने वाले त्योहार ही बतुकम्मा ।

बतुकम्मा तेलुगु भाषा के दो शब्दों से बना है- ‘बतुकु’ और ‘अम्मा’ । यहाँ ‘बतुकु’ का अर्थ ‘जीवन’ और ‘अम्मा’ का अर्थ ‘माँ’ है । इस तरह बतुकम्मा का अर्थ है- ‘जीवन प्रदायिनी माता’ । बतुकम्मा त्यौहार तेलंगाणा राज्य की वैभवशाली संस्कृति का प्रतीक है । बतुकम्मा त्यौहार दशहरे की नवरात्रियों में मनाया जाता है । यह कुल नौ दिन का त्यौहार है । इसका आरंभ भाद्रपद अमावस्या यानी महालया अमावस्या या पितृ अमावस्या से होता है ।

2. पौराणिक गायाएँ :
वेमुलवाडा चालुक्य राजा, राष्ट्रकूट राजा के उप-सामंत थे, चोला राजा और राष्ट्रकूट के बीच हुए युद्ध में चालुक्य राजा ने राष्ट्रकूट का साथ दिया था । 973 AD में राष्ट्रकूट राजा के उपसामंत थैलापुटु द्वितीय ने आखिरी राजा कर्कटु द्वितीय को हरादिया और अपना एक आजाद कल्याणी चालुक्य साम्राज्य खड़ा किया, अभी जो तेलंगाणा राज्य है, वो यही राज्य है ।

वेमुलवाड़ा के साम्राज्य के समय राजा राजेश्वर का मंदिर बहुत प्रसिद्ध था । तेलंगाणा के लोग इनकी बहुत पूजा आराधना करते थे । चोला के राजा परान्तका सुंदरा, राष्ट्रकूट राजा से युद्ध के समय घबरा गए थे । तब उन्हें किसी ने बोला कि राजराजेश्वर उनकी मदद कर सकते थे, तो राजा चोला उनके भक्त बन गए । उन्होंने अपने बेटे का नाम भी राजराजा रखा ।

राजराजा चोला ने 985- 1014 AD तक शासन किया। उनके बेटे राजेन्द्र चोला जो सेनापति थे, सत्यास्त्राया में हमला कर जीत हसिल की। अपनी जीत की निशानी के तौर पर उसने राजा राजेश्वरी मंदिर तुड़वा दिया और एकबड़ी शिवलिंग अपने पिता को उपहार के तौर पर दी। 1006 AD में राजराजा चोला इस शिवलिंग के लिए एक बडे मंदिर का निर्माण शुरु करते है, 1010 में बृहदीश्वर नाम से मंदिर की स्थापना होती है, वेमुलावाडा से शिवलिंग को तन्जावूरु में स्थापित कर दिया गया, जिससे तेलंगाणा के लोग बहुत दुखी हुए ।

तेलंगाणा छोड़ने के बाद बृहदम्मा (पार्वती) के दुःख को कम करने के लिए बतुकम्मा की शुरुवात हुई, जिस में फूलों से एक बड़े पर्वत की आकृति बनाई जाती है। इसके सबसे ऊपर हल्दी से गौरम्मा बनाकर उसे रखा जाता है। इस दौरान नाच, गाने होते है । बतुकम्मा का नाम बृहदम्मा से आया है । शिव के पार्वती को खुश करने के लिए थे त्यौहार 1000 साल से तेलंगाणा में बडी धूम धाम से मनाया जा रहा है ।

इसके अतिरिक्त एक पौराणिक कहानी भी है – कहा जाता है कि चोल नरेश धर्मागंद और उनकी पत्नी सत्यवती के सौ पुत्र थे । वे सभी पुत्र एक महायुद्ध में मारे गए। इस दुख से उबरने के लिए राजा धर्मांगद और रानी सत्यवती ने कई पूजा- पाठ, यज्ञ आदि पूजन कार्य किए । फलस्वरुप उनके घर में साक्षात लक्ष्मीदेवी का जन्म हुआ । बचपन में घटी कई दुर्घटनाओं के बावजूद वह सुरक्षित बची रही । इसीलिए माता पिता ने उसका नाम ‘बतुकम्मा’ रख दिया । सभी लोग उसकी पूजा करना आरंभ किया ।

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3. बतुकम्मा पर्व का महत्व :
बतुकम्मा पर्व के पीछे एक खास उद्देश्य है, वर्षा ऋतु में सभी जगह पानी आ जाता है, जैसे नदी, तालाब एंव कुँए भर जाते हैं, धरती भी गीली महिम सी हो जाती है और इसके बाद फूलों के रुप में पर्यावरण में बहार आती है । इसी कारण प्रकृति का धन्यवाद देने के लिए तरह- तरह के फूलों के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है, इसमें फोक रीजनल साँग अर्थात क्षेत्री गीत गाये जाते है । इन दिनों पूरे देश में ही उत्साह के पर्व मनाये जाते हैं, इन सबका उद्देश्य प्रकृति का अभिवादन करना ही होता है ।

4. बतुकम्मा पर्व कैसे मनाता और कैसे आचरण करता है :
इस त्यौहार को मनाने के लिए नव विवाहित अपने मायके आती है । ऐसा कहा जाता हैं उनके जीवन में परिवर्तन के लिए यह प्रथा शुरु की गई,
a) पर्व के शुरुवाती पाँच दिनों में महिलाएँ अपने घर का आँगन स्वच्छ करती है, गोबर से आंगन को लिपा जाता है ।
b) सुबह जल्दी उठकर उस आँगन में सुंदर-सुंदर रंगौली डालती है ।
c) कई जगह पर एपन से चौक बनाया जाता है जिसमें सुंदर कलाकृति बनाई जाती है, चावल के आटे से रंगोली का बहुत महत्व है ।
d) इस उत्सव में घर के पुरुष बाहर से नाना प्रकार के फूल एकत्र करते हैं जिसमें तंगेडु, गुम्मडि पुव्वु, बंती, मंदारम, गोरिंटा, पोकाबंती, कट्लपाडु, गुंलागरगरा, चामंती, तामरा, गन्नेरु, गुलाबी, वज्रदंती, गड्डी पुव्वु आदि फूलों को एकत्र किया जाता हैं ।
e) फूलों के आने के बाद उनको सजाया जाता हैं। तरह-तरह की लेयर बनाई जाती हैं, जिसमें फूलों की पत्तियों को सजाया जाता है । इसे तांबालम (Thambalam) के नाम से जाना जाता है ।
f) बतुकम्मा बनना एक लोक कला है। महिलाएँ बतुकम्मा बनाने की शुरुवात दो पहर से करती है ।

आचरण (Celebration) :
a) नौ दिन इस त्यौहार में शाम के समय महिलाएँ, लड़कियाँ एकत्र होकर इस त्यौहार को मनाती हैं । इस समय ढोल बजाये जाते हैं ।
b) सब अपने- अपने बतुकम्मा को लेकर आती है ।
c) महिलाएँ पारंपरिक साड़ी और गहने पहनती है । लडकियाँ लहंगा चोली पहनती है ।
d) सभी महिलाएँ बतुकम्मा के चारों ओर गोला बनाकर क्षेत्रीय बोली में गाने गाती हैं, यह गीत एक सुर में गाये जाते हैं, इस प्रकार यह त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता हैं। महिलाएँ अपने परिवार की सुख, समृद्धि, खुशहाली के लिए प्रार्थना करती है ।
e) हर एक दिन का अपना एक नाम है, जो नैवैद्यम (प्रसाद) के अनुसार रखा गया है ।
f) बहुत से नैवैद्यम बनाना बहुत आसान होता है, शुरु के आठ दिन छोटी बड़ी लडकियाँ इसे बनाने में मदद करती है ।
g) आखिरी दिन को सहला बतुकम्मा कहते है, सभी महिलाएँ मिलकर नैवैद्यम बनाती है । इस अंतिम दिन बतुकम्मा को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है ।

5. आनंद का पर्व :
बतुकम्मा महीने भर समाज आनन्द मग्न रहता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में स्त्रियों के करताल से सारा वातावरण गूंज उठता है। नीरस भी सरस बन जाता है। चारों तरफ हरियाली, पानी की भरपूर मात्रा, घर – आँगन में खुशियों का वातावरण बनाये रखे। जीवन में महीने भर मानों आनन्द ही आनन्द बना रहता है ।

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6. उपसंहार :
भारत के सारे पर्वदिन आनन्द के ही त्योहार है । बतुकम्मा अधिक आनंदप्रद त्योहार है। रंक से लेकर रईस तक इसे मनाते हैं । बतुकम्मा त्योहार भारतीय समाज में स्त्रियों के गौरवशाली वैभव का गुणगान करता है। इस त्योहार से हमें यह पता चलता है, कि स्त्रियाँ न केवल ममता, प्रेम, समर्पण, त्याग की प्रतीक है, बल्कि समय आने पर समाज के हितों के लिए अपना सर्वस्व थौछावर करने के लिए तत्पर रहती है । यह त्योहार उस रूढिवादिता का विरोध करता है । जहाँ पुरुष को प्रधान माना जाता है । यह त्योहार स्त्री शक्ति को पहचानने, उनका आदर करने और समाज में उचिन स्थान देने पर बल देना है !

” तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । बतुकम्मा के बिना तेलंगाणा राज्य की कल्पना करना असंभव है ” !

बतुकम्मा Summary in Telugu

సారాంశము

ఆశ్వయుజ మాసం వచ్చేస్తుందంటే బతుకమ్మ పండుగ కూడా వచ్చేసినట్లే. భాద్రపద అమావాస్య నుంచి తొమ్మిది రోజుల పాటు జరిగే ఈ పండుగ తెలంగాణాతో పాటు ఆంధ్రప్రదేశ్ రాష్ట్రంలో కూడా జరుపుకుంటారు. అయితే ఆంధ్రప్రదేశ్లో కంటే తెలంగాణాలో ఈ పండుగకి ఎంతో ప్రాముఖ్యత ఉంది. ఎంత ప్రాముఖ్యత అంటే రాష్ట్ర పండుగగా అధికారికంగా జరిపేంత. దసరాకు రెండు రోజుల ముందు వచ్చే ఈ పండుగను బతుకమ్మ పండుగ, బతకమ్మ పండుగ, గౌరి పండుగ, సద్దుల పండుగ అనే పేర్లతో వ్యవహరిస్తారు.

బతుకమ్మ వెనుక కథ :
బతుకమ్మ పండుగ వెనుక అనేక కథలు ప్రాచుర్యంలో ఉన్నాయి. వాటిలో ముఖ్యంగా పేర్కొనే కథ ఇది. ఒక బాలిక భూస్వాముల ఆకృత్యాలను భరించలేక ఆత్మహత్య చేసుకుంది. అప్పుడు ఆ ఊరి ప్రజలు అందరూ ఆమెను కలకాలం “బతుకమ్మా” అని దీవించారట. అప్పటి నుంచి ఆ బాలికను కీర్తిస్తూ, గౌరమ్మని పూజిస్తూ స్త్రీలకు సంబంధించిన పండుగగా ‘బతుకమ్మ’ ప్రాచుర్యం పొందింది.

బతుకమ్మ వేడుక సందర్భంగా స్త్రీలందరూ తమకు ఎలాంటి ఆపదలు రాకూడదని, తమ భర్తకు, పిల్లలకు ఎలాంటి ఆపద రాకూడదని గౌరమ్మని వేడుకుంటారు. అలాగే బతుకమ్మ పండుగకి సంబంధించి మరో వృత్తాంతం కూడా ప్రచారంలో ఉంది. ఇంకొక వృత్తాంతములో దక్షిణ భారతదేశాన్ని పాలించిన చోళ వంశ చక్రవర్తి ధర్మాంగదుడు సంతానం కోసం పూజలు చేయగా ఆయన భార్య లక్ష్మీదేవి అనుగ్రహముతో ఒక కూతుర్ని కన్నది. ఆమెకు లక్ష్మీ అనే పేరు పెట్టారు. పసిబిడ్డ అయిన లక్ష్మీ అనేక గండములను ఎదుర్కొంది. అప్పుడు తల్లిదండ్రులు ఆమెకి ‘బతుకమ్మ’ అని పేరు పెట్టారు. అప్పటి నుండి యువతులు మంచి భర్తను ప్రసాదించాలని కోరుతూ బతుకమ్మను ఆనవాయితీగా జరుపుకుంటున్నారు.

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బతుకమ్మ పండుగ – వివరాలు:
సెప్టెంబర్, అక్టోబర్ నెలల్లో తెలంగాణాలో పండుగ వాతావరణం కనిపిస్తూ ఉంటుంది. ఈ మాసంలో తెలంగాణ ప్రాంతం అంతా పండుగ కోలాహలంతో కనిపిస్తూ ఉంటుంది. ఈ రెండు నెలల్లో వచ్చే అన్ని పండుగలలో బతుకమ్మ పండుగకు ఒక విశిష్టమైన స్థానం ఉంది. దసరా పండుగకు ఎంత ప్రాధాన్యం ఉందో బతుకమ్మ పండుగకు కూడా అంతే ప్రాధాన్యం ఉంది. అయితే బతుకమ్మ పండుగ మాత్రం మహిళలకు సంబంధించిన పండుగ. వర్షాకాలం ముగుస్తూ, శీతాకాలం ప్రవేశిస్తున్న సమయంలో తెలంగాణలోని వాతావరణం మొత్తం పచ్చగా ఉంటుంది. ప్రకృతి మాత ఆకుపచ్చ చీర కట్టుకున్నట్లుగా ఉంటుంది.

చెరువులన్నీ తాజా నీటితో నిండి ఉంటాయి. అనేక రకాలైన పూలు రకరకాల రంగుల్లో విరబూసి ఆకట్టుకుంటాయి. వీటిలో గునుగు, తంగేడి పూలు ప్రథమ స్థానంలో నిలుస్తాయి. అలాగే సీతాఫలాలు కూడా విరగకాస్తాయి. మొక్కజొన్న పంట కూడా కోతకు సిద్ధమై ఉంటుంది. ప్రకృతి రమణీయతతో పాటు రైతులకు కూడా సంతృప్తికరంగా ఉండే వాతావరణం తెలంగాణా అంతటా ఉంటుంది. ఇలాంటి వాతావరణంలో తెలంగాణా ఆడపడుచులు ప్రకృతి సౌందర్యాన్ని అద్భుతమైన రంగు రంగుల పువ్వులతో కీర్తిస్తూ బతుకమ్మ పండుగను వైభవంగా జరుపుకుంటారు.

బతుకమ్మ అంటే సంబరమే సంబరం :
బతుకమ్మ పండుగకు ఒక వారం ముందు నుంచే ఇళ్ళలో హడావిడి మొదలవుతుంది. బతుకమ్మ పండుగ కోసం ఎదురు చూస్తున్న తెలంగాణ ఆడపడుచులు పండుగకు వారం రోజుల ముందే పుట్టింటికి చేరుకుని ఆనందోత్సాహాలతో పండుగ సన్నాహాలు చేసుకుంటారు. ప్రధాన పండుగకు వారం రోజుల ముందు నుంచే తెలంగాణ ఆడపడుచులు చిన్న చిన్న బతుకమ్మలు తయారు చేసి ప్రతిరోజు సాయంత్రం ఆ బతుకమ్మ చుట్టూ తిరుగుతూ బతుకమ్మ పాటలు పాడతారు.

ఆ తర్వాత చెరువులో బతుకమ్మని నిమజ్జనం చేస్తారు. బతుకమ్మ పండుగ చివరిరోజు జరిగే వేడుకలను, ఆ వైభవాన్ని చూడటానికి రెండు కళ్ళు చాలవు. నయన మనోహరంగా ఉంటుంది ఆ సన్నివేశం. ఆ రోజున పురుషులంతా పచ్చిక బయళ్ళలోకి పోయి తంగేడు, గునుగు, కలువ పూలను కోసుకుని వస్తారు. ఆ తర్వాత ఇంట్లో అందరూ గునుగ, తంగేడు, కలువ పువ్వుల్ని, మరికొన్ని పువ్వుల్ని కలిపి బతుకమ్మను తయారు చేస్తారు. బతుకమ్మలో మిగతా ఎన్ని పూలు ఉన్నా గునుగు పూలు, తంగేడు పూలదే ఆధిపత్యం ఉంటుంది.

బతుకమ్మ చేసే విధానం :
గునుగు, తంగేడు పూలతోపాటు మిగతా పూలు ఒక రాగి పళ్ళెంలో వలయాకారంగా పేర్చుకుంటూ వస్తారు. ఒక రంగు పువ్వు తర్వాత మరో రంగు పువ్వును పేరుస్తూ ఆకర్షణీయంగా ఉండే విధంగా బతుకమ్మని తయారుచేస్తారు. ఆ తర్వాత తంగేడు పువ్వులను కట్టగా కట్టి వాటి మీద పేర్చుతారు. మధ్యలో రకరకాల పూలను ఉపయోగిస్తారు. ఈ పూల అమరిక ఎంత పెద్దగా ఉంటే బతుకమ్మా అంత పెద్దగా, అంత అందంగా రూపొందుతుంది.

పూలను చక్కగా పేర్చడం అయిన తర్వాత బతుకమ్మ మీద పసుపుతో చేసిన గౌరీమాతను పెట్టి చుట్టూ దీపాలతో అలంకరిస్తారు. ఇలా తయారుచేసిన బతుకమ్మను ఇంట్లోని పూజా గదిలో అమర్చి పూజిస్తారు. ఆ తర్వాత బతుకమ్మని బయటకి తీసుకువచ్చి ఆడపడుచులు బతుకమ్మ చుట్టూ తిరుగుతూ పాటలతో గౌరి దేవిని కీర్తిస్తూ పాటలు పాడుతారు. ఆడపడుచులు కొత్త బట్టలు కట్టుకుని, వారికి ఉన్న అన్ని రకాల ఆభరణాలను ధరిస్తారు.

ఇలా చాలా సేపు ఆడాక మగవారు వాటిని చెరువులో నిమజ్జనం చేస్తారు. ఆపై ఆ పళ్ళెంలో తెచ్చిన నీటితో ఆడవారు వాయినమమ్మా వాయినం అంటూ వాయినాలు ఇచ్చి పుచ్చుకుంటారు. తరువాత ఇంటి నుండి తీసుకువచ్చిన పెరుగన్నం, మొక్కజొన్నలు లేదా వేరుశనగ లేదా పెసర విత్తనాలను దోరగా వేయించి పిండి చేసి బెల్లం లేదా పంచదార కలిపిన సత్తుపిండి ఒకరికొకరు ఇచ్చి పుచ్చుకుని ప్రసాదంలా స్వీకరిస్తారు.

TS Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 6 बतुकम्मा

బతుకమ్మ వేడుకలు చివరి రోజు సాయంత్రం ఆడపడుచులు అందరూ చక్కగా దుస్తులు, ఆభరణాలు ధరించి బతుకమ్మను వాకిలిలో పెడతారు. చుట్టుపక్కల ఉన్నవారు కూడా వారి బతుకమ్మలను ఇదేవిధంగా అమర్చి వాటి చుట్టూ పెద్ద వలయాకారంలో చేరుతారు. ఐక్యత, ప్రేమతో మానవహారంలా బతుకమ్మ చుట్టూ తిరుగుతూ పాటలు పాడుతారు. ఒకరు ముందుగా పాట మొదలు పెడితే మిగిలినవారు వారితో గొంతు కలుపుతూ పాడుతారు.

ఈ జానపద గీతాలు ప్రత్యేకమైన తెలంగాణా సంస్కృతిని ఆవిష్కరిస్తాయి. చీకటి పడే వేళకి తలపై పెట్టుకుని పెద్ద చెరువుగానీ, తటాకం వైపు గానీ ఊరేగింపుగా వెళ్తారు. ఈ ఊరేగింపు అందంగా అలంకరించుకున్న స్త్రీలు బతుకమ్మలతో, వాయిద్యాలతో, కన్నుల పండుగగా ఉంటుంది. జలాశయం చేరుకున్న మహిళలు బతుకమ్మలను పాటలు పాడుతూ ఆడుతూ నీటిలో జారవిడుస్తారు. ఆ తరువాత చక్కెర రొట్టెతో చేసిన ‘మలీద’ అనే వంటకాన్ని బంధువులకు పంచిపెట్టి తింటారు. ఆ తర్వాత ఖాళీ పళ్లెం (తాంబళం) తో ఇంటికి చేరుతారు.

कठिन शब्दों के अर्थ

त्यौहार = Festival, పండుగ
नैवेद्य = Naivedyam, Prasaadam, నైవేద్యం
महत्वपूर्ण = Essential, Important, ముఖ్యమైన
प्रतिमा = Idol, Image, ప్రతిరూపం
दातुन = daatun, తంగేడు
कोहडे काफूल = pumpkin flower, గుమ్మడి పువ్వు
भृंगराज = Bhridagraj, గుంట్ల గరగర
कनेर = kaner, గన్నేరు
कमल = lotus, తామర
गुलदाउदी = Chrysanthemum, చేమంతి
रक्तचाप = Blood pressure, రక్తపోటు
गोबर = dung, పేడ
खाद = Fertilizer, ఎరువు
क्षमता = ability, సామర్థ్యం
जल प्रजूषण = water pollution, నీటి కాలుష్యం.
स्वच्छ पर्यावरण = clean environment, శుభ్రమైన పర్యావరణం
पुलकित होना = feel happy, సంతోషించుట
उय्याला = swing, ఊయల

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ऐतिहासिक = Historic, చారిత్రాత్మకమైన
धमासान युद्ध = Pitched battle, భయంకర యుద్ధం.
स्थापना = Establishment, స్థాపించుట
भेंट = gift, బహుమానం
शुरुआत = Beginning, ప్రారంభం
प्रचलन = Currency, కరెన్సీ
परंपरा = Tradition, సంప్రదాయం
दुर्घटना = Accident, ప్రమాదం
थकान = Fatigue, అలసట
मान्यता = Values, Accreditation, విలువలు
गुणगान = Chanting, స్తుతించుట
विसर्जन = Immersion, disposal, విసర్జించుట
आत्मविश्वास = Self confidence, ఆత్మవిశ్వాసం
आत्मसम्मान = Self respect, ఆత్మగౌరవం
प्रतीक = symbol, చిహ్నం
न्यौछावर = Sacrifice, త్యాగం
करताल = Claps, కరతాళములు, చప్పట్లు
मुस्कान = Smile, నవ్వు
बरसात = Rainy season, వర్ష ఋతువు
खुशियाँ = Pleasure, Happiness, సంతోషం
हरियाली = Greenness, పచ్చదనం
निर्जीव = Life less, నిర్జీవం, పార్థివ

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