Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material 5th Lesson गिल्लू Textbook Questions and Answers.
TS Inter 1st Year Hindi Study Material 5th Lesson गिल्लू
दीर्घ समाधान प्रश्न
प्रश्न 1.
गिल्लू किसका नाम है ? उसके बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
गिल्लू एक ‘गिलहरी’ का नाम है। सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी। बचपन में लेखिका गिल्लू को कौओं से बचाती हैं । अपना घर में गिल्लू को रखती थी । गिल्लू केलिए एक हलकी डलिया लेकर, उसके अंदर रूई बिछाकर उसे तार से खिडकी पर लटका दिया । यह रही गिल्लू का घर । गिल्लू डलिया को स्वयं हिलाकर झूलता रहता था ।
गिल्लू की झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखे सबको विस्मित करते थे । जब लेखिका लिखने बैठती तब पैर तक आकर शोर मचाती थी । लेखिका गिल्लू को लंबे लिफाफे में रख देती थी। दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघुगात लिफाफे के भीतर बंद रहता । बाहर सी गिलहरियों से खेलने जाती थी । लेखिका बाहर जाने के लिए गिल्लू के लिए मार्ग बनाती थी। गिल्लू दो वर्ष तक लेखिका के साथ रहती थी । परंतु एक दिन प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने केलिए सो गया। सुबह होते – होते गिल्लू की मृत्यु हो गई ।
प्रश्न 2.
महादेवी वर्मा ने गिल्लू की किस प्रकार से सहायता की थी ?
उत्तर:
लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरें में ले आई उसका घाव रूई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई किर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की । परन्तु उसका मुँह खुल नही सका, कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया । तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे – धीरे स्वस्थ हुआ । गिल्लू को अंत तक याने मरण तक लेखिका अपने साथ ही रखी। बडे प्रेम से पालन पोषण किया ।
एक शब्द में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
‘गिल्लू’ नामक पाठ की लेखिका कौन है ?
उत्तर:
श्रीमती महादेवी वर्मा जी है।
प्रश्न 2.
परिचारिका की भूमिका कौन निभा रहा था ?
उत्तर:
गिल्लू ।
प्रश्न 3.
गिल्लू किसका बच्चा है ?
उत्तर:
गिलहरी का बच्चा है ।
प्रश्न 4.
गिल्लू का प्रिय खाद्य क्या था ?
उत्तर:
काजू ।
प्रश्न 5.
लेखिका लिखते समय गिल्लू को कहाँ बंद करके रखता था ?
उत्तर:
लिफाफे में ।
जीव जन्तुओं की करोगे रक्षा तभी होगी पर्यावरण की रक्षा । सच्ची मानवता को जगाओ जीव जंतुओं को बचाओ ।
संदर्भ सहित व्याख्याएँ
प्रश्न 1.
काकद्वय की चोंचों के दो घाव उस लघुप्राण केलिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘गिल्लू’ नामक पाठ से दिया गया है । इस पाठ की लेखिका ‘श्रीमती महादेवी वर्मा हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं रव्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका हैं। आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है। ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सान्ध्यगीत’ आदि आपके काव्य हैं। ‘स्मृति की रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘रटंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य पर भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रस्तुत पाठ में एक छोटी जीव की जीवन का चित्रण करती हैं।
व्याख्या : महादेवी वर्मा के घर में एक दिन बरामदे में (शब्द) तेज आवाज़ आने लगा। तब लेखिका बाहर आकर देखा, दो कौवे एक गमले के चारों और चोंचों से छूआ छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। क्यों कि गमले और दीवार की संधि में एक छोटे जीव है। उस छोटे जीव पर लेखिका की दृष्टि पडी। निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा सा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं । काकद्वय की चोंचों के दो घाव से उस लघुप्राण भयभीत होकर, गमले से चिपटा पड़ा है। उस छोटे जीव जीवित रहेगी (था) नहीं देखनेवाले सब यही सोच रहे हैं ।
विशेषताएँ :
- छोटे लघुप्राण ‘गिल्लू’ है। हमारी लेखिका ने उस को यह नाम दिया ।
- किसी भी प्राणी मुसीबत में अपने आप को बचाने केलिए ज़गह ढूँ है । काकद्वय से बचाने केलिए गिल्लू भी गमले से चिपटा पडा है ।
प्रश्न 2.
रूई की पतली पत्ती दूध से भिगोकर जैसे- जैसे उसके नन्हें से मुँह में लगाई पर मुँह खुल न सका और दूध की बूँदे दोनों ओर दुलक गई।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘गिल्लू’ नामक पाठ से दिया गया है। इस पाठ की लेखिका ‘श्रीमती महादेवी वर्मा है । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं ख्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका है । आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है । ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सन्ध्यागीत’, आदि आपके काव्य है। ‘स्मृति की रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘रटंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं । आपको ‘यामा’ काव्य पर भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ । प्रस्तुत पाठ में एक छोटी जीव की जीवन का चित्रण करती हैं।
व्याख्या : महादेवी वर्मा के घर में एक दिन बरामदे से तेज आवाज आने लगा । तब लेखिका बाहर आकर देखती है । दो कौए गिलहरी को खाने का प्रयत्न करते हैं । लेखिका उस छोटे जीव को कौओं से बचाकर घर के अंदर ले आती है। गिलहरी के शरीर पर हुए घावों पर पेंसिलिन मरहम लगाती है । उसे खिलाने या पिलाने की प्रयत्न करती है । दूध पिलाने केलिए रूई को दूध से भिगोकर, उसके नन्हे से मुँह में लगाती है, पर मुँह खुला सका। तब दूध की बूँदे ढुलक जाती है । अंत मैं कई घंटे के बाद उसके मुँह में टपकाया जाता है। गिलहरी को बचाने के लिए बहुत प्रयास करती है ।
विशेषताएँ :
- किसी भी प्राणी आपत्ति में रहने पर उसकी सहायता करना हमारा कर्तव्य है ।
- छोटे जीवों के प्रती भी लेखिका के मन में करुण भावना है ।
- कई घंटे उस छोटी जीव की उपचार करती रही, अंत में सफल हुई ।
गिल्लू Summary in Hindi
लेखिका परिचय
हिन्दी साहित्य में ‘आधुनिक मीरा’ नाम से महादेवी वर्मा का जन्म 1907 ई. में उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद में हुआ था । आपके पिता का नाम गोविंदप्रसाद वर्मा था और माता हेमरानी थी। बचपन से आप भारतीय संस्कृति की ओर उन्मुख हुई तथा बाद में दर्शनशास्त्र के अध्ययन ने आपको सर्वागीण प्रतिभाशाली बनाया । आपने अपना सारा श्रम काव्य सृजन के साथ साथ प्रयाग महिला विद्यापीठ के सुयोग्य संचालन में लगाया । आपने संस्कृत तथा दर्शनशास्त्र में एम.ए. की उपाधि हासिल की । तर्कशास्त्र आपका अत्यंत प्रिय विषय था । आपने चाँद मासिक पत्र का संपादन भी किया ।
‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, सांध्यगीत, ‘दीपशिखा’, ‘यामा’, ‘सप्तपर्णा’ और ‘हिमालय’ आदि आपके काव्य हैं । ‘स्मृति की ‘रखाएँ’ ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कडियाँ’, ‘मेरा परिवार’, ‘स्मृतिचित्र ‘ आदि संस्मरण और रेखाचित्र विधाओं से संबंधित रचनाएँ हैं। आपकी एक और गद्य-रचना ‘साहित्यकार की आस्था’ है। ‘यामा’ काव्य संकलम पर आपको भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ । भारत सरकार की ओर से ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित महादेवी जी का निधन 1988 ई. में हुआ । श्रेष्ठ कवयित्री के अतिरिक्त महादेवी वर्मा गद्य लेखिका के रूप में अपना विशिष्ट स्थान बना चुकी है ।
प्रस्तुत पाठ ‘गिल्लू’ की लेखिका श्रीमति महादेवी वर्मा हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं ख्यातिप्राप्त गद्य लेखिका हैं। आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है । नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सन्ध्यागीत’ आदि आपके काव्य हैं । ‘स्मृति की ‘रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य परभारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ । प्रस्तुत पाठ में आप एक ‘गिलहरी’ छोटे जीव के बारे में चित्रण करती है ।
सारांश
सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है, इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुंचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था, तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज है, परंतु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो ।
अचानक एक दिन सबेरे कमरे से बरामदे में आकर मैने देखा, दो कौवे एक गमले के चोरों ओर चोचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल रहे हैं । गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रफक गई, निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं।
काकद्वय की चोचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था, सबने कहा, कौए की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नही सकता, अतः इसे ऐसे ही रहने दिया जावे । परंतु मन नही माना- उसे हौंले से उठाकर अपने कमरे में लाई, रुई की पतली बत्री दूध से भिगोकर जैसे तैसें उसके नन्हे मुँह में लगाइ पर मुँह खुल न सका और दूध – की बूँदें दोनों ओर दुल गई ।
उसी बीच मुझे (लेखिका) मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा, उन दिनों दरवाज़ा खोला जाता तब दूसरों को देखकर अपने घर में जा बैठता । सब उसे काजू दे आते, परंतु अस्पताल से लौटकर जब मैं ने उसके झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिनसे ज्ञात होता था कि वह उन दिनों अपना प्रिय खाहा कितना कम खाता रहा। मेरी अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे – नन्हे पंजों से मेरे सिर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता ।
गर्मियों में वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता । गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नही होती, अतः गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया। एक रात झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी वही उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि मैं ने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया । परंतु प्रभाव की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जगाने के लिए सो गया। सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि दी गई है – इसलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी ।
विशेषताएँ :
- सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी ।
- लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हे पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता । इस प्रकार वह सच्चे अर्थों मे परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ।
- कुछ लोग छोटे प्राणियों को भी अपने बच्चों की तरह पालता हैं ।
- ‘गिल्लू’ एक ऐसा पाठ है जिसे पढने से मन में आकर्षित भाव पैदा होता है ।
- गिल्लू और लेखिका के बीच की रिश्ता बडी प्रशंसनीय है और सराहनीय है ।
गिल्लू Summary in Telugu
సారాంశము
ప్రస్తుతం మనం చదువుతున్న (ఈ పాఠం) ఇ శ్రీమతి మహాదేవి వర్మగారు రచించిరి. ఆమె ఈ పాఠంలో తను పెంచుకున్న ఒక ఉడుత గురించి ఎంతో చక్కగా వర్ణించిరి.
మన రచయిత్రి ఇంటిలోపల ఉద్యానవనంలో బంతి మొక్కకి ఒక మొగ్గ వచ్చింది. దానిని చూడగానే మన రచయిత్రికి తను పెంచుకున్న ఉడుత జ్ఞాపకం వచ్చింది. ఆ మొక్క క్రింద దాని సమాధి ఉంది. మట్టిలో ఇప్పుడు ఆ ఉడుత పూర్తిగా కలిసిపోయి ఉండవచ్చు. దాని జ్ఞాపకాలను మనతో ఇప్పుడు పంచుకొనుచున్నారు. ఒకరోజు అకస్మాత్తుగా వరండాలో కాకుల శబ్దం విని నేను, చుట్టుప్రక్కల వాళ్ళు వచ్చి చూశాం.
అక్కడ పూలకుండీ మధ్యలో ఒక చిన్నప్రాణి దాని గూటిలో నుండి క్రింద పడిపోయింది. దాన్ని భుజించడానికి కాకులు అరుస్తున్నాయి. దగ్గరకు వెళ్ళి చూడగా ఆ చిన్ని ప్రాణి ఒక ఉడుత పిల్ల. నాకు దానిపై జాలి కలిగి రెండు చేతులతో నెమ్మదిగా పైకి తీసి ఇంటిలోపలికి తీసుకువచ్చాను. కాకులు వాటి ముక్కుతో దీనిని గాయపరిచాయి. గాయపడిన ఉడుత బ్రతకదని అందరూ అన్నారు. కాని నేను ఆ మాటలను వినదలచుకోలేదు.
దాని శరీరంపై రక్తం దూదితో తుడిచి పెన్సిలిన్ మందు పూశాను. దూదిని పాలలో ముంచి నోటి వద్దకు తెచ్చి నోటిలో పడేటట్లు చుక్కలు, చుక్కలుగా పోయడం ప్రారంభించాను. చాలాసేపటి తరువాత రెండు, మూడు చుక్కలు నోటిలోకి వెళ్ళాయి. ఇలా రెండు రోజులు శ్రమపడ్డాను. మూడవ రోజు అది కళ్ళు తెరచి నన్ను చూడటం ప్రారంభించింది. మూడు నెలలకు అది చూడటానికి ఎంతో అందంగా ఉంది.
దాని తోక చాలా ఒత్తుగా, కళ్ళు నీలమణులు లాగా మెరిసిపోతున్నాయి. అది ఉండటానికి పూలబుట్టలో దూదిని ఉంచి, ఆ బుట్టను కిటికీకి తీగతో కట్టాను. దానిలో చక్కగా ఊగుతా ఉండేది. దాని పనులు చూపరులను ఆకర్షించే విధంగా ఉండేవి. నేను వ్రాయడానికి కూర్చోగానే దానిని పట్టించుకోవడం లేదని నాపై నుండి క్రింది వరకు, కట్టెను రాడ్లపై తిరుగుతూ ఉండేది. దానిని పట్టుకొని ఒక్క పెద్ద కవరులో ఉంచేదాన్ని. అలా చాలా సేపు రెండు చిన్ని చిన్న చేతులు, ముఖం బయటకు పెట్టి నన్ను వీక్షిస్తుండేది.
ఆకలి వేయగానే చిక్-చిక్ అని శబ్దం చేసేది. నేను అర్ధం చేసుకొని జీడిపప్పు, బిస్కెటు పెట్టేదానిని. దానికి ఇష్టమైన ఆహారం జీడిపప్పు. దానికి ముద్దుగా ‘గిల్లూ’ అని పేరు పెట్టాను. దాని జీవితంలో మొదటి వసంతం వచ్చింది. బయట కిటికీలోంచి ప్రకృత్తిని చూస్తూ ఉండేది. దాని తోటి జీవులు దానిని గ్రహించి కిటికీ వద్దకు వచ్చి శబ్దం చేసేవి. నాకు ‘గిల్లూ’పై జాలి కలిగి కిటికీ చివర తెరను కొంచెం పైకి ఎత్తి ఉంచాను. దాని నుండి బయటకు వెళ్ళి స్నేహితులతో ఆడుకునేది.
చెట్లపై ఎక్కి గెంతులు వేసేది. సాయంత్రమునకు మరల తన ఇంట్లోకి వచ్చేసేది. ఒకసారి నాకు మోటారు ప్రమాదం జరిగింది. చాలా రోజులు ఆసుపత్రిలోనే ఉన్నాను. ఆ సమయంలో ‘గిల్లు’కి ఆహారం ఇవ్వడానికి ఎందరో ప్రయత్నించారు. కాని నాపై ఉన్న ప్రేమ కారణంగా ఏమి తినేది కాదు. తనకు ఇష్టమైన జీడిపప్పు కూడా వదిలేసేది. నేను ఇంటికి తిరిగి వచ్చిన తరువాత నన్ను చూసి సంతోషపడింది. నా మంచం వద్దకు వచ్చి దాని సున్నితమైన చేతులతో నా తలను ఒత్తుతూ ఉండేది. ఒక పనిమనిషి వలె సేవలు చేసేది.
ఎన్ని ప్రాణులు నా వద్ద ఉన్నా ‘గిల్లు’కి ప్రత్యేక స్థానం ఉండేది. కుక్కలు, పిల్లుల నుండి జాగ్రత్తగా ఉండమని చెప్పేదాన్ని. నేను నా (కాగీతాల కోసం) సామగ్రికోసం బయటకు వెళుతూ ఉండేదాన్ని. నేను రచయిత్రిని కావడం వల్ల చాలాసేపు బల్ల వద్ద కూర్చొని వ్రాస్తూ ఉండేదాన్ని. వేసవిలో ఒక కుండ నా బల్ల వద్ద ఉండేది. వేసవి తాపాన్ని భరించలేక ‘గిల్లూ’ దానిపై కూర్చుని ఉండేది. ఎన్నో గంటలు నన్ను చూస్తూ ఉండిపోయేది. ఉడుత జీవితకాలం 2 సంవత్సరాలు మాత్రమే.
ఒకరోజు ప్రొద్దున నుండి ‘గిల్లు’ తిండి తినలేదు, దాని స్నేహితులతో ఆడుకోవడానికి వెళ్ళలేదు. సాయంత్రం కాగానే నావద్దకు వచ్చి దాని చిన్నతనంలో నా ఏ వ్రేలుని పట్టుకుందో ఆ వ్రేలు పట్టుకుంది. దాని మరణం ఆసన్నమయింది అని దానికి తెలిసినట్లుంది. దాని శరీరం చల్లగా అయిపోయింది. నేను వేడికలిగించడానికి చాలా ప్రయత్నం చేశాను. హీటరు కూడా ఆన్ చేశాను.
కాని ‘గిల్లూ’ అప్పటికి ప్రాణం వదిలేసింది. నాకు ఎంతో బాధ కలిగింది. ఈ రోజు దాని సమాధిపై వచ్చిన బంతిపూవు మొగ్గ చూడగానే నాకు దాని జ్ఞాపకం వచ్చింది. నా జీవితంలో ‘గిల్లు’ని మరవలేకపోతున్నాను. “ప్రతి జీవి భగవంతుని సృష్టిలో అద్భుతం.”
कठिन शब्दों के अर्थ
सोनजुही = Sonjuhi flower, బంతిపువ్వు
कली = Bud, blossom, మొగ్గ
स्मरण होना = Memory, Remembrance, గుర్తు తెచ్చుకొనుట.
चौकन्ना / चौंका देना = Alert, watchful, జాగ్రత్తగా ఉండుట
लघुप्राण = Small animal, చిన్నప్రాణి
बरामदे = Veranda, వరండా
कौवे = Crows, కాకులు
पितरपक्ष = Pitru paksha, పితృపక్షం
घाव लगना = Wounds, దెబ్బలు
गमला = Flowerpot, పూలకుండీ
हौला = While waving hands in the air, రెండు చేతులతో పైకి ఎత్తుట.
मरहम = Ointment, Lotion, క్రీము
रुई = Cotton, దూది
भिगोना = To drench, తడుపుట
मीले काँच के मोतियाँ = Neelkanth pearls, నీలమణులు
झब्बेदार पूँछ = Thick tail, (లావైన, చిక్కని) తోక
चमकीली = Shining, మెరియుచున్న
डलिया = Small basket, చిన్నబుట్ట
लटकना = Hanging, వేలాడుతున్న
हिलाना = Shake, move, కదిలించుట
समझदारी = Sensibly, తెలివిగల
कालाप = Doing, Activity, action, పనిచేసుకొనుట.
आश्चर्य = Surprise, ఆశ్చర్యం
आकर्षितकरना = To attractive, good looking, ఆకర్షితమైన.
लिफाफे = Cover, కవరు, సంచి
काजू = Cashewnut, జీడిపప్పు
बिस्कुट = Biscuit, బిస్కెట్
कुतरना = Nibble, కొరుకుట.
गंध = Smell, సువాసన.
मुक्तकरना = Let fly, release, విడుదల చేయు
उछलना कूदना = To Jump, to skip, గంతులు వేయుట
झूला = Swing, ఊయల
दुर्घटना = Accident, ప్రమాదం
अस्पताल = Hospital, ఆసుపత్రి
परिचारिका = Servant, పనిమనిషి
सुराही = Pot, కుండ
खोज निकालना = Looking to get, కనిపెట్టుట
उष्णता = Warmth of something is the heat produces, వేడికలిగించు