Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material 4th Poem बालिका का परिचय Textbook Questions and Answers.
TS Inter 1st Year Hindi Study Material 4th Poem बालिका का परिचय
दीर्घ समाधान प्रश्न
प्रश्न 1.
‘बालिका का परिचय कविता का सारांश पांच छेः वाक्यों मे लिखिए ।
उत्तर:
‘बालिका का परिचय कविता श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान जी से लिखी गयी है | संपूर्ण कविता मे कवइत्री का हृदय बोलता है। एक माँ के लिए उसकी अपनी संतान हो सब कुछ होती है । इसकविता की विषयवस्तु एक और उसकी पुत्री पर आधारित है माँ के लिए वह बालिका ही गोद की शोभा होती है और अपना सौभाग्य | उसी की चेष्टओं में कवइत्री अपना बचपन की स्मृतियों को देख रही है । उसी को अपना मंदिर, मसजिद, काबा, काशी, समझाती है । कृष्ण की बाल लीलाओं को और कौसल्या की ममता को अपनी और बेटी के बीच में देख रही है ईसा की क्षमाशीलता, नबी महम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा सभी बेटी मे देख रही है । कवइत्री यही मान्ती है कि जिसके पास सच्ची माँ जी ममता होती है, उस एक बालिका का परिचय मिल जाता है ।
प्रश्न 2.
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ देश प्रेम, वीर भावना और उइबोधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है । आधुनिक काव्य मे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट मुखरित होती है । उनके काव्य मे एक ओर नारी की भावुकता तथा कोमलता के दर्शन होते है और दूसरी ओर राष्ट्रीय चेतना स्पष्ट रूप से दिखायी पडती है । प्रस्तुत कविता की विषय वस्तु एक माँ और उसकी पुत्री पर आधारित है। संपूर्ण कविता में कवइत्री का हृदय बोलता है यह समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश होता है ।
प्रश्न 3.
माँ के लिए बेटी किसके समान है ?
उत्तर:
माँ के लिए बेटी गोद की शोभ है और सौभाग्य प्रदान करती है । वह अपने अंधकारमय जीवन के लिए दीपशिखा की तरह है । माँ जीवन मन उषा की पहली किरण है। नीरस मन में की अमृत धारा और रस भरने वाली है – वह बालिका नष्ट नयनों की ज्योति है और तपस्वी को मन की सच्चीलगन है । एक माँ के लिए उसकी अपनी संतान है सबकुछ होती है । माँ और बेटी में भेद न करने की भावना समाज को उन्नति के शिखर पर पहुँचा सकती है ।
एक शब्द में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
गोदी की शोभा कौन है ?
उत्तर:
माँ की गोदी की शोभा अपनी बेटी ही है ।
प्रश्न 2.
माँ की मनोकामना कैसी है ?
उत्तर:
माँ की मनोकामना मन को मस्त देने वाली है ।
प्रश्न 3.
सुभद्रा कुमारी चौहान के लिए मंदिर – मस्जिद कौन है ?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान के लिए मंदिर – मस्जिद अपनी बेटी ही है।
प्रश्न 4.
किसका दिल बेटी को समझ सकता है ?
उत्तर:
जिसके पास माता का दिल है । वही बेटी को समझ सकता है ।
संदर्भ सहित व्याख्याएँ
प्रश्न 1.
यह मेरी गोदी की शोभा …..
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है । इसकी कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी है। इसमे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट होती है ।
कवइत्री कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है । वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है । माँ जितनी सम्पन्न होने पर भी बालिका के सामने भिखारिन ही है । वह अन्धकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल भौरों में उषा की पहली किरण जैसी है। अपनी बालिका हो जीवन का सूर्योदय है। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
प्रश्न 2.
कुष्णचंद्र की क्रीडाओं को ……
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है । इसकी कवइत्री सुभद्राकुमारी चौहान जी है। इसमें नारी चेतना और बालिका के प्रति माँ की ममता का स्पष्ट चित्रण किया गया है ।
कृष्ण की बाललीलाएँ, कौशल्या की ममता सभी का दर्शन मै अपनी बालिका के देखकर अनुभव करती है। ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा इसी बालक मे दिखाई पड रहा है मेरी बालिका इतनी महान है कि सारे सद्गुण उसमें है उनकी भाषा है सरल खडीबोली है ।
बालिका का परिचय Summary in Hindi
कवइत्री परिचय
भारत कोकिला सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन् 1905 में इलाहाबाद में हुआ ! उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भी भाग लिया । उनकी रचनाओं में देश-प्रेम, वीर भावना स्पष्ट होते है । सन् 1948 में उनकी मृत्यु हो गयी । इनकी रचनाओं में मुकुल, त्रिधारा, बिखरे मोती, उन्मादिनी आदि प्रमुख है। ‘मुकुल’ काव्य संग्रह के लिए उन्हें साहित्यं सम्मेलन प्रयाग द्वारा सेक्सरिया पुरस्कार प्रदान किया गया । आधुनिक काव्य में नारी चेतना का स्वर मुखरित होता है। इस कविता में माँ का ह्रदय और सन्तान के प्रति उसकी ममता का स्पष्ट चित्रण मिलता है ।
कविता का सारांश
इसकी विषय वस्तु एक माँ और उसकी पुत्री पर आधारित है । माँ अपनी के रूप में अनुभव करती हुई । पुत्री को देखकर पुलकित होती है और कवइत्री अपने को कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है। वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है। उसके सामने वह जितना सम्पन्न होने पर भी अपने को भिखारिन मानती है ।
वह अधिकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल भौरो में उषा की पहली किरण जाती है । नीरस मन मे ऊमृत धारा का रस भरने वली अन्धे नयनो में ज्योति और तपस्वी के मन की सच्ची लगन है। मेरा बीता बचपन जहाँ जीवन के बगीचे में किलकिलाकर हँसना मचलना, क सभी मेरे सामने बचपन की घटनाएँ दिखाई पड़ रहे है। मेरे लिए मंदिर, मसजिद, काबा, काशी वही है।
हर प्रकार का तीर्थ, पूजा, पाठ, जप, तह, अपनी बालिका के रूप में ही कवइत्री देख रही है । कृष्ण की बाल लीलाएँ कौशल्या की ममता सभी को वह स्पर्श कर रही है । ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा उसी बालिका में देख रही है । उस बालिका का परिचय देने में भी वह असमर्थ है । क्यों कि कवइत्रि का माननी है कि जिसके पास माँ का हृदय रहता है। वह इस बालिका का परिचय महसूस कर लेते है ।
इस प्रकार इन्हें नारी की भावुकता और कोमलता स्पष्ट हलकती है। संपूर्ण कविता मे कवइत्री का हृदय बोलना थी भाषा सरल खडीबोली है ।