TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 जो बीत गयी

Telangana TSBIE TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 4th Poem जो बीत गयी Textbook Questions and Answers.

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material 4th Poem जो बीत गयी

दीर्घ प्रश्न (దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్న)

प्रश्न 1.
“जो बीत गयी” पाठ का सारांश पाँच-छः वाक्यों में लिखिए ।
उत्तर:
सारांश कवि परिचय : हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद के समीप प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी गाँव में हुआ था । उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी. हेच.डी पूरी की। ये हालावादी कवि हैं। दो चट्टानें रचना केलिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ

सारांश : प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को अप्रिय बातें भूलकर जीवन में आगे बढने की प्रेरणा दी। जो चीज समाप्त हो गयी उस पर निरंतर शोकाकुल होना व्यर्थ है । कवि संदेश देते हैं कि जीवन में कष्टों के समय धीरज बाँधना चाहिए। जैसे कि रोज आकाश की ओर एक बार देखिये । शाम को अनेक तारें आकाश में आती हैं। फिर सबेरे एक एक होकर छूट जाते हैं । रात के समय अनेक तारों के आने पर आकाश आनंदित नहीं होता और सबेरे एक – एक छूट जाने से दुखी नहीं होता । एक के छूट जाने पर उसकी जगह दूसरे नये तारें आसकती हैं। इस धीरज के कारण आकाश हमेशा निर्मल और निश्चिंत रहता है। उसी प्रकार हम को भी अपने प्यारे व्यक्तियों या चीजों के खो जाने पर चिंतित नहीं होना चाहिए। उनकी जगह नयी नयी आयगी । इस तरह धीरज से आगे बढना चाहिये।

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 जो बीत गयी

कुसुमों के सूखे जाने पर, अनेक कलियों के और बल्लरियों के मुरझाने पर मधुवन नहीं शोर मचाता । क्यों कि वह इस आशा में बना रहता है कि मौसम आने पर वे कलियाँ, फूल, पत्ते और बल्लरियाँ फिर खिलेंगे । इस धीरज के कारण मधुवन हमेशा बहार छा जाता है। उसी प्रकार हम को भी हमारे प्रिय व्यक्तियों तथा चीजों के खो जाने पर अधीर नहीं बनना चाहिये ।

संदेश : इस पाठ से हम यह सीखना चाहिए कि कष्ट और सुख में एक ही तरह रहना । (या)
जो व्यक्ति जीवन की नश्वरता को समझलेता है वह हर दुःख से ऊपर उठ जाता है ।

लघु प्रश्न (లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
हरिवंशराय बच्चन का संक्षिप्त परिचय दीजिए ।
उत्तर:
हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद के समीप प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में हुआ था । इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था । उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी. हेच.डी पूरी की। ये हालावादी कवि हैं । 18 जनवरी सन् 2003 को मुंबई में आपका निधन हो गया ।

प्रश्न 2.
“जो बीत गयी सो बात गयी” कविता में प्रकृति के माध्यम से क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
जो बीत गयी सो बात गयी कविता में प्रकृति के माध्यम से यह प्रेरणा मिलती है कि जिस प्रकार आकाश के कई तारे छूट जाने पर भी आकाश उन पर शोक नहीं मानता और उपवन में कितनी कलियाँ, फूल, पत्ते मुरझा जानेपर भी वह निराश नहीं होता । उसी प्रकार मनुष्य को अप्रिय बातें भूलकर जीवन में आगे बढें ।

एक वाक्य प्रश्न (ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు)

प्रश्न 1.
हालावाद के प्रवर्तक कौन थे ?
उत्तर:
श्री. हरिवंशराय बच्चन

प्रश्न 2.
टूटे तारों पर कौन शोक नहीं मानता ?
उत्तर:
आकाश

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 जो बीत गयी

प्रश्न 3.
कवि किन बातों को भूलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं ?
उत्तर:
अप्रिय बातों को

प्रश्न 4.
हरिवंशराय बच्चन का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर:
इलाहाबाद के समीप प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी नामक गाँव में ।

संदर्भ सहित व्याख्याएँ (సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు )

1. कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है !
जो बीत गई सो बात गई !

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ “जो बीत गयी” कविता पाठ से दी गयी हैं । इसके कवि श्री हरिवंशराय बच्चन जी हैं। ये हालावादी कवि । इस कविता के द्वारा कवि कहते हैं कि बीती हुई बातें कभी भी नहीं लौटते। इसलिए उनको भूलकर धीरज के साथ आगे बढने का संदेश देते हैं ।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहना चाहता है – शाम होते ही नयी नयी तारें आती हैं । सबेरे होते ही कई छूट जाती हैं । तो भी आकाश छूटनेवालों की चिंता नहीं करता । क्यों कि वह इस आशा में बना रहता है कि शाम को सबेरे डूबे हुए सितारों की जगह नये – नये सितारें आयेंगे। इस धीरज के कारण आकाश हमेशा निर्मल और निश्चिंत रहता है ।”

विशेषता : प्रस्तुत पंक्तियों में “आकाश के कई तारे टूट जाने पर भी आकांश उन पर शोक नहीं मनाता ।

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 जो बीत गयी

2. सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ,
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है ।
जो बीत गई सो बात गई !

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ “जो बीत गयी’ कविता पाठ से दी गयी हैं । इसके कवि श्री हरिवंशराय बच्चन जी हैं। ये हालावादी कवि हैं । इस कविता के द्वारा कवि करते हैं कि बीती हुई बातें कभी भी नहीं लौटते । इसलिए उनको भूलकर धीरज के साथ आगे बढने का संदेश देते हैं ।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहना चाहता है – “कुसुमों के सूखे जाने पर, अनेक कलियों के और लताओं के मुरझाने पर मधुवन नहीं शोर मचाता । क्यों कि वह इस आशा में बना रहता है कि समय (मौसम) आने पर वे कलियाँ, फूल; पत्ते फिर खिलेंगे । इस धीरज के कारण मधुवन हमेशा बहार छा जाता है ।

विशेषता : कुसुमों के सूख जाने पर, अनेक कलियों के और लताओं के मुरझाने पर मधुवन शोर नहीं मचाता ।

जो बीत गयी Summary in Hindi

कवि परिचय

हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद से सटे प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में हुआ था । इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था । उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी. हेच.डी पूरी की। 18 जनवरी सन् 2003 को मुंबई में आपका निधन होगया । ये हालावादी कवि हैं ।

साहित्यिक योगदान : बच्चन की प्रमुख रचनाओं में ‘मधुशाला’, “मधु कलश’, ‘मधु बाला’, “निशा निमंत्रण”, “मिलन यामिनी, ” ‘प्रणय पत्रिका’, “दो चट्टानें’ प्रमुख हैं । “दो चट्टानें’ रचना के लिए 1968 में उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ । विषय और शैली की दृष्टि से स्वाभाविकता इनकी कविताओं का उल्लेखनीय गुण है । इन्हें हालावाद का प्रवर्तक माना जाता है ।

हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद के समीप प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी गाँव में हुआ था । उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी. हेच.डी पूरी की। ये हालावादी कवि हैं। दो चट्टानें’ रचना केलिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ ।

सारांश

प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को अप्रिय बातें भूलकर जीवन में आगे बढने की प्रेरणा दी । जो चीज समाप्त हो गयी उस पर निरंतर शोकाकुल होना व्यर्थ है । कवि संदेश देते हैं कि जीवन में कष्टों के समय धीरज बाँधना चाहिए। जैसे कि रोज आकाश की ओर एक बार देखिये । शाम को अनेक तारें आकाश में आती हैं। फिर सबेरे एक एक होकर छूट जाते हैं।

TS Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 जो बीत गयी

रात के समय अनेक तारों के आने पर आकाश आनंदित नहीं होता और सबेरे एक – एक छूट जाने से दुखी नहीं होता। एक के छूट जाने पर उसकी जगह दूसरे नये तारें आसकती हैं। इस धीरज के कारण आकाश हमेशा निर्मल और निश्चिंत रहता है । उसी प्रकार हम को भी अपने प्यारे व्यक्तियों या चीजों के खो जाने पर चिंतित नहीं होना चाहिए। उनकी जगह नयी-नयी आयोंगी । इस तरह धीरज से आगे बढना चाहिये ।

कुसुमों के सूखे जाने पर, अनेक कलियों के और बल्लरियों के मुरझाने पर मधुवन नहीं शोर मचाता । क्यों कि वह इस आशा में बना रहता है कि मौसम आने पर वे कलियाँ, फूल, पत्ते और बल्लरियाँ फिर खिलेंगे । इस धीरज के कारण मधुवन हमेशा बहार छा जाता है। उसी प्रकार हम को भी हमारे प्रिय व्यक्तियों तथा चीजों के खो जाने पर अधीर नहीं बनना चाहिये ।

संदेश : इस पाठ से हम यह सीखना चाहिए कि कष्ट और सुख में एक ही तरह रहना । (या)
जो व्यक्ति जीवन की नश्वरता को समझलेता है वह हर दुःख से ऊपर उठ जाता है ।

जो बीत गयी Summary in Telugu

కవి పరిచయం

హరివంశరాయ్ బచ్చన్ ఇలాహాబాద్క సమీపంలోని ప్రతాపగడ్ జిల్లాకు చెందిన బాబూ పట్టీ అనే చిన్న గ్రామంలో 27 నవంబర్, 1907 లో జన్మించారు. ఈయన ప్రయాగ విశ్వవిద్యాలయం నుండి ఇంగ్లీష్ లో ఎం.ఏ మరియు క్యాంబ్రిడ్జ్ విశ్వవిద్యాలయం నుండి పి.హెచ్.డి పూర్తి చేశారు. ఈ హాలావారికి చెందిన కవి. ఈయనకు “దో చట్టానేం” అనే రచనకు సాహిత్య అకాడమీ పురస్కారం లభించింది.

సారాంశము

ప్రస్తుత ఈ కవితా పాఠంలో కవి మనిషిని అప్రియమైన విషయాలను మరిచిపోయి జీవితంలో ముందుకు సాగాలని ప్రేరణ కల్గించారు. ఏ వస్తువులైతే దూరమై పోయిందో దానిని గురించి శోకించడం వ్యర్థం. కాబట్టి కష్ట సమయంలో ధైర్యాన్ని కూడగట్టుకోవాలని కవి సందేశాన్నిస్తున్నారు. రోజు ఆకాశం వైపు ఒకసారి చూడండి. సాయంత్రం చీకటి పడేటప్పటికి ఆకాశంలో అనేక తారలు (నక్షత్రాలు) వస్తాయి. మరలా ఉదయానికి ఒక్కొక్కటిగా నక్షత్రాలు మాయమైపోతాయి.

రాత్రి సమయంలో అనేక తారలు వచ్చినందున ఆకాశం సంతోషించదు ఉదయానికి అవి మాయమైపోయినందుకూ చింతించదు. ఒక తార దూరమైనా అదేచోట మరొక క్రొత్త తారవస్తుంది. ఈ ధైర్యం కారణం చేతనే ఆకాశం ఎల్లప్పుడు నిర్మలంగాను మరియు నిశ్చింతగాను ఉంటుంది. అదే విధంగా మనంకూడ మన ప్రియమైన వ్యక్తులుగాని వస్తువులు గాని కోల్పోయినప్పుడు చింతించకూడదు. వారి స్థానంలో క్రొత్త క్రొత్త వారు వస్తారు. ఈ ధైర్యంతోనే ముందుకు వెళ్ళాలి.

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పూలు ఎండిపోయినప్పటికీ, అనేక మొగ్గలు మరియు లతలు లేదా తీగలు ముడుచుకొని/వాడిపోయిన్నటికి పూతోట అల్లరి సృష్టించదు. ఎందుకంటే సమయం (ఋతువు) వచ్చినపుడు మరలా మొగ్గలు, పూలు, లతలు/తీగలు చిగురిస్తాయి/వికసిస్తాయి. అనే ఆశతో ఎప్పుడు ధైర్యంగా తన సౌందర్యాన్ని వ్యాపింపచేస్తుంది. అదే విధంగా మనం కూడా ప్రియమైన వ్యక్తులు, వస్తువుల్ని కోల్పోయినపుడు అధైర్యపడకూడదు.

సందేశం : కష్ట సుఖాలలో ఎల్లప్పుడు ఒకే విధంగా ఉండాలన్నదే ఈ పాఠం యొక్క సందేశం.

कठिन शब्दों के अर्थ (కఠిన పదాలు – అర్ధాలు)

अम्बर – आकाश, नभ, ఆకాశం, అంబరం, గగనం
आनन – चेहरा, मुख, శ్రీతా, ముఖము
शोक – दुःख, దుఃఖం, బాధ
कुसुम – फूल, పుష్పం, పూలు
निछावर – समर्पित, త్యాగం
मधुवन – उपवन, बाग, ఉద్యానం, తోట
मुरझाना – सूख जाना, ఎండిపోవుట, వాడిపోవుట
वल्लरी – लता, లత, తీగ

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