Telangana TSBIE TS Inter 1st Year Hindi Study Material 2nd Poem तुलसी के दोहे Textbook Questions and Answers.
TS Inter 1st Year Hindi Study Material 2nd Poem तुलसी के दोहे
दीर्घ समाधान प्रश्न
प्रश्न 1.
तुलसी के अनुसार विपत्ति के साथी कौन हैं ?
उत्तर:
“तुलसी जी के अनुसार विपत्ति के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे :
आपका ज्ञान या शिक्षा, आप की विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास” ।
प्रश्न 2.
तुलसी के अनुसार मीठे वचन बोलने से क्या लाभ है ?
उत्तर:
तुलसी के अनुसार मीठे वचन बोलने से चारों ओर खुशियाँ फैल जाती हैं सब कुछ खुशहाल रहता है। मीठी वाणी से कोई भी इँसान किसी को भी अपने वश में कर सकता है । शत्रु को भी अपना मित्र बनाते है ।
मधुर वाणी सभी ओर सुख प्रकाशित करती है और यह हर किसी को अपनी ओर सम्मोहित करने का कारगर मंत्र है । इसलिए हर मनुष्य को कटु वाणी त्याग कर मीठे बोल बोलना
चाहिए !
एक शब्द में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
तुलसी का अमर काव्य कौनसा है ?
उत्तर:
रामचरित मानस ।
प्रश्न 2.
तुलसीदास के गुरु कौन थे ?
उत्तर:
नरहरिदास ।
प्रश्न 3.
तुलसी के अनुसार वशीकरण मंत्र क्या है ?
उत्तर:
मीठे वचन ।
प्रश्न 4.
तुलसी ने काया की तुलना किससे की है ?
उत्तर:
खेत से की है ।
प्रश्न 5.
पावस ऋतु में कौन लते हैं ?
उत्तर:
मेंढ़क
प्रश्न 6.
तुलसीदास के माता पिता का नाम लिखिए ?
उत्तर:
हुलसी और आत्मराम दुबे ।
प्रश्न 7.
तुलसी के दृष्टि में ज्ञानी और गुणी कौन है ?
उत्तर:
ईर्ष्या का त्याग करने वाला ।
प्रश्न 8.
विपत्तियों में किस पर भरोसा रखना है ?
उत्तर:
भगवान (या) ईश्वर पर ।
प्रश्न 9.
तुलसी के अनुसार नाव किससे मित्रता करती है ?
उत्तर:
नदी से ।
प्रश्न 10.
तुलसी के अनुसार संत के दृष्टी में कौन कौन समान है ?
उत्तर:
मित्र और शत्रु ।
संदर्भ सहित व्याख्याएँ
प्रश्न 1.
तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर । बसीकरन इक मंत्र है, परिहरु बचन कठोर ।।
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत दोहा ‘तुलसीदास के दोहे’ नामक पध्य भाग से दिया गया है । गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में सगुण भक्तिधारा की राम भक्तिशाखा के प्रतिनिधि कवि हैं । आप हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि है । हिन्दी का रामकाव्य ‘रामचरित मानस’ आपकी अत्यंत प्रसिद्ध कृति है । आप श्रीराम के महाभक्त थे । ‘राम चरित मानस’ अवधी में लिखित महा काव्य है। ‘दोहावली’, ‘कवितावली’, ‘गीतावली’, ‘जानकी मंगल’, ‘पार्वती मंगल’ आदि आपके अन्य काव्य हैं । आपकी भाषा अवधी और बृज है ।
व्याख्या : इस दोहे में गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि मीठे वचन बोलने से चारों ओर खुशियाँ फैल जाती हैं। सब कुछ खुशहाल रहता है। मीठी वाणी से कोई भी व्यक्ति किसी को भी अपने वश में कर सकता है । कठोर वचन को छोडने का सलाह देते हैं । कठोर वचन से सब का मन दुखी हो जाता हैं ।
विशेषता :
- दुसरों को अपने वश में करने केलिए एक ही मंत्र है, वह है ‘मीठे वचन’ ।
- मीठे वचनों से चारों ओर खुशियाँ फैलती हैं ।
- कठोर वचन कभी किसी से नही बात करना चाहिए ।
- मीठे वचनों से शत्रु भी मित्र बन जाते हैं ।
प्रश्न 2.
तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान ।
पाप-पुण्य दोउ बीज है, दुवै सो लुनै निदान ॥
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत दोहा ‘तुलसीदास के दोहे’ नामक पध्य भाग से दिया गया है । गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में सगुण भक्तिधारा की रामभक्तिशाखा के प्रतिनिधि कवि हैं । आप हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि है । हिन्दी का रामकाव्य ‘रामचरित मानस’ आपकी अत्यंत प्रसिद्ध कृति है । आप श्रीरामचन्द्र के महान भक्त थे । ‘रामचरित मानस’ अवधी में लिखित महाकाव्य है । ‘दोहावली’, ‘कवितावली’, ‘गीतावली’, ‘जानकीमंगल’, ‘पार्वती मंगल’ आदि आपके अन्य काव्य हैं । आपकी भाषा अवधी और ब्रज है ।
व्याख्या : इस दोहे में गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि मानव शरीर खेत के समान है और मन किसान के समान है । पाप – पुण्य दो बीज है, जो बोया जाता है, उसी को प्राप्त करते हैं । किसान अच्छा बीज बोये तो अच्छे फसल मिलता है । बूरा (याने) सस्तै वालै बीज बोये तो बुरा फसल उगता है। हम भी याने मानव पाप कर्म किया तो पापात्मा और पुण्य कर्म किया तो पुण्यात्मा बनते है ।
विशेषता :
- इस दोहे में तुलसी शरीर को खेत के समान और मन को किसान के तरह बताना सही है ।
- यह एक लोक विश्ष्यात दोहा है ।
- मानव के मन में पाप कार्य करने का विचार आते ही एक बार इस दोहे को रटना चाहिए। कभी पाप वह नही करेगा ।
प्रश्न 3.
तुलसी साभी विपत्ति के, विध्या, विनय, विवेक ।
साहस, सुकृति, सुसत्य, व्रत, राम भरोसो एक ॥
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत दोहा ‘तुलसीदास के दोहे’ नामक पध्य – भाग से दिया गया है । गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में सगुण भक्तिधारा की रामभक्तिशाखा के प्रतिनिधि कवि हैं । आप हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं । हिन्दी का रामकाव्य ‘रामचरित मानस’ आपकी अत्यंत प्रसिद्ध कृति है । आप श्रीरामचन्द्र के महान भक्त थे । ‘राम चरित मानस’ अवधी में लिखित महाकाव्य है । ‘दोहावली’, ‘कवितावली’, ‘गीतावली’, ‘जान की मंगल’, ‘पार्वती मंगल’ आदि आपके अन्य काव्य हैं । आपकी भाषा अवधी और ब्रज है ।
व्याख्या : तुलसीदास जी कहते हैं कि किसी भी विपदा से यह सात गुण आपको बचाएंगे,
- आपकी विध्या, ज्ञान
- आपका विलय, विवेक
- आपके अंदर का साहस, पराक्रम
- आपकी बुद्धि, प्रज्ञा
- आपके भले कर्म
- आपकी सत्यनिष्ठा
- आपका भगवान के प्रति विश्वास ।
हमेशा ये सात गुण विपत्ति के समय हमको बचायेंगे ।
विशेषता :
- विपत्ति के समय शिक्षा, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सच्चाई की आवश्यकता पड़ती है ।
- विपत्ति में हमें धैर्य रखना चाहिए और अधिक मेहनत करनी चाहिए ।
- विपत्ति को देखकर कभी नही डरना चाहिए । धैर्य से इसका सामना करना चाहिए ।
दोहों के भाव
प्रश्न 1.
तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग ।
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग ।।
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास जी इस दोहे “मिल जुलकर ” रहने से क्या लाभ होते है, इसके बारे में हमें बता रहे हैं। इस दुनिया में तरह- तरह के लोग रहते हैं, यानी हर तरह के स्वभाव और व्यवहार वाले लोग रहते है, आप हर किसी से अच्छे से मिलिए और बात करिए । जिस प्रकार नाव नदी से मित्रता कर आसानी से उसे पार कर लेती है, वैसे ही अपने अच्छे व्यवहार से आप भी इस भव सागर को पार कर लेंगे ।
భావం : ఈ దోహాలో తులసీదాసు కలసి మెలసి ఉండటం వలన కలిగే లాభాలను గురించి మనకు వివరించుచున్నారు. ఈ ప్రపంచంలో రకరకములైన ప్రజలు నివశిస్తున్నారు. వారి యొక్క స్వభావం మరియు వారియొక్క ఆచరణ భిన్నంగా ఉంటుంది. అటువంటి భిన్న స్వభావం మరియు వ్యవహారం ఉన్న వ్యక్తులతో చక్కగా, వారి మనసు సంతోషపెట్టే విధంగా మంచి మాటలు మాట్లాడాలి. ఏవిధంగానైతే నావ నదితో స్నేహం చేసి ఒడ్డుని (తీరాన్ని) తేలికగా చేరుకుంటుంది. అదేవిధంగా మంచి నడవడికతో, వ్యవహారంతో మీరు కూడా ఈ భవసాగరాన్ని దాటవచ్చు అని తెలియచేసిరి.
प्रश्न 2.
तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर ।
बसीकरन इक मंत्र है, परिहरु वचन कठोर ।।
उत्तर:
भावार्थ : इस दोहे में तुलसीदास “मधुर वाणी” के महत्व के बारे में हमें बता रहे हैं । तुलसीदास कहते हैं कि मीठे वचन सब ओर सुख फैलाते हैं। किसी को भी वश में करने का ये एक मन्त्र होते हैं । इसलिए मानव को चाहिए कि कठोर वचन छोडकर मीठा बोलने का प्रयास करे । मीठे वचन बोलने से सब का मन प्रसन्न रहता हैं और शत्रु भी मित्र होते है । कठोर वचन बोलने से सब हमसे घृणा करते हैं ।
భావం : ఈ దోహానందు తులసీదాసు మంచి మాటల యొక్క గొప్పతనమును మనకు వివరించుచున్నారు. మంచి మాటలు మాట్లాడితే మన చుట్టు ప్రక్కల అంతా సుఖంగా ఉంటుంది. నాలుగువైపుల సంతోషమైన వాతావరణం కనిపిస్తుంది. ఇతరులను మన వశం చేసుకోవాలంటే ‘మధురమైన మాటలు’ ఒక మంత్రంవలె పనిచేస్తాయి. అందువలన కఠినంగా మాట్లాడటం మాని తియ్యని మాటలు మాట్లాడటం నేర్చుకోవలెను. మధురమైన మాటల వలన అందరూ మన మిత్రులు అవుతారు. కఠినమైన మాటల వలన శత్రువులు అగుదురు.
प्रश्न 3.
सोई ज्ञानी सोई गुनी जन सोई दाता ध्यानी ।
तुलसी जाके चित्त भई, राग द्वेष की हानि ॥
उत्तर:
भावार्थ: तुलसीदास इस दोहे में ‘ईर्ष्या का त्याग करने के लिए कहते हैं । तुलसीदास कहते है कि जिसके मन में अनुराग होती है। वहीं गुणवान, ज्ञानी और ध्यानी होता है। अगर मन में ईर्ष्या होती तो वह कभी गुणवान नही होता । मन में ईर्ष्या को अंत करके दुनिया को देखने से सब कुछ हमें समझ में आता हैं। तभी हम ज्ञानवान बनते हैं ।
భావం : తులసీదాసు ఈ దోహానందు ఈర్ష్యను మన మనస్సు నుండి త్యజించవలెను అని తెలియచేసినారు. ఎవరి మనస్సునందు అనురాగం ఉండునో వారు గుణవంతులు, జ్ఞానవంతులు మరియు ధ్యానవంతులు కాగలరు అని చెప్పుచున్నారు. ఒకవేళ మనసు నందు ఈర్ష్య ఉన్నట్లయితే వారు ఎప్పటికి జ్ఞానవంతులు, గుణవంతులు కాలేరు. మనసులోని ఈర్ష్య తొలగించి ప్రపంచమును చూసినట్లయితే అంతా మనకు అర్థమగుతుంది. అప్పుడే మనము జ్ఞానవంతులు కాగలము.
प्रश्न 4.
तुलसी या संसार में, सबसे मिलिए धाय ।
न जाने किस रूप में, नारायण मिल जाय ।।
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास इस दोहे में “प्रेम की भावना” के बारे में हमें बता रहे हैं । तुलसीदास जी कहते है कि सारे संसार में मै दौड़कर भगवान से मिलने गया लेकिन इस दुनिया में भगवान कितना दौड़ने पर भी किसी जगह नही मिला । अंत में मैने नारायण को एक जगह देखा, जहाँ प्रेम होता है वही भगवान का दर्शन होता है । जिसके मन में ‘प्रेम की भावना होती है उसके अंदर भगवान वास करते हैं ।
భావం : తులసీదాసు ఈ దోహానందు ప్రేమతత్వం యొక్క గొప్పతనమును వివరించెను. ఈ ప్రపంచంనందు భగవంతుని దర్శనం కొరకు అంతటా నేను పరుగుతీసి అలసిపోయేంత వరకు వెతికాను. ఎంతో వెతికినా నాకు ఏ ప్రదేశంలో భగవంతుడు దర్శనము దొరకలేదు. కాని ఏ ప్రదేశంలో ‘ప్రేమ’ ఉన్నదో ఆ ప్రదేశంలో నాకు నారాయణుడు దర్శనం ఇచ్చినాడు. ఎవరి మనసునందు ప్రేమతత్వం ఉండునో వారి చిత్తమునందు భగవంతుడు నివాసం ఉండును అదే ఈ దోహా యొక్క అర్థం.
प्रश्न 5.
तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान ।
पाप-पुण्य दोउ बीज है, बुवै सो लुनै निदान ॥
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास इस दोहे में “नीति की बात” हमें बता रहे हैं । तुलसीदास जी कहते है कि हमारा शरीर खेत के समान है और मन किसान के समान है। पाप – पुण्य दो बीज हैं, जो बोया जाता है उसी को प्राप्त करना पड़ता है। हम अपने मन में पाप के बारे में सोचकर पाप कार्य करे तो हम पापात्मा बनते है । अगर इसके विपरीत पुण्य कार्य करे तो पुण्यात्मा बनते है । लोग हमें आदर से देखकर इज्जत करते है ।
భావం : తులసీదాసు ఈ దోహానందు “నీతి” యొక్క గొప్పతనమును వివరించెను. మానవ శరీరం తులసీదాసు దృష్టిలో పొలముతో సమానం. మనసు రైతుతో సమానం. పాపపుణ్యములు రెండు విత్తనములు. వేటినైతే నాటతామో అదే ఫలితమును పొందును. మన చిత్తమునందు పాపము . గురించి ఆలోచించి పాపం పనులు చేస్తే పాపాత్ముడు అని, దానికి వ్యతిరేకంగా మంచి పనులు చేస్తే పుణ్యాత్ముడు అని అంటారు. పుణ్యాత్ములను గౌరవంగా చూస్తారు. గౌరవాన్ని మనకు ఎక్కడకు వెళ్లినా ఇస్తారు.
प्रश्न 6.
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या, विनय, विवेक ।
साहस, सुकृति, सुसत्य क्रत, राम भरोसो एक ॥
उत्तर:
भावार्थ: तुलसीदास इस दोहे में “विधा, विनय, विवेक जैसे गुणों के महत्व” के बारे में बता रहे हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में ये चीजे मनुष्य का साथ देती है, वे है ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम । विपत्ति के समय शिक्षा, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सच्चाई ही साथ देते हैं । ये सभी मुश्किलों से हमें बचाते हैं ।
భావం : తులసీదాసు ఈ దోహానందు విద్య, వినయం మరియు వివేకము వంటి గుణముల గొప్పతనమును వివరించెను. జ్ఞానము, వినమ్రతతో కూడిన వ్యవహారం, వివేకం, సాహసం, మంచి పనులు, మన యొక్క సత్యము మరియు భగవంతుని నామస్మరణ. ఇవి అన్నియు కష్టకాలం నందు మనకు సహాయముగా ఉండును. కష్టకాలము నందు శిక్ష, వినయం, వివేకం, సాహసం, నిజాయితీ మన తోటి ఉండును. కష్టము నుండి కాపాడును.
प्रश्न 7.
तुलसी पावस के समै, धरी कोकिला, मौन ।
अब तो दादुर बोलि है, हमें पुछि है कौन ॥
उत्तर:
भावार्थ : इस दोहे में तुलसीदास हमें “समयानुसार बोलने का महत्व” के बारे में बात रहै हैं । तुलसीदास जी कहते है कि वर्षा ऋतु के समय पर कोकिला मौन धारण कर लेती है । अब मेंढक ही बढ़कर बोलने लगते है। यह सोचते हुए कि ‘हमें अब पूछनेवाला कौन है’ । तुलसीदास विद्वानों के स्वभाव का संकेत देते हैं । जहाँ मूर्ख लोग बोलने लगते हैं, वहाँ विद्वान लोग चुप हो जाते हैं । वे जानते हैं कि उनकी बात अब कोई नहीं सुनेगा । विद्वान को समय और परिस्थिति को देखकर भाषण करना चाहिए ।
భావం : ఈ దోహాలో తులసీదాసు ఇలా చెబుతున్నారు. “వర్షాకాలం వచ్చిందంటే ఇక కోయిలలు కూయడం మానేసి మౌనంగా ఉంటాయి. కానీ ఈ సమయంలో కప్పలు మాత్రం తమను అడిగే వారెవరన్నట్లు ఇష్టం వచ్చినట్లు మాట్లాడటం మొదలు పెడతాయి”. వర్షాకాలంలో కప్పల బెకబెకలను తులసీదాసు పామరుల మాటలతో పోలుస్తున్నారు. విద్వాంసులు తమ మాట చెల్లదని భావించిన సమయంలో మౌనం వహిస్తారనీ, అదే అదనుగా పామరులు అధిక ప్రసంగం చేస్తారనీ ఈ దోహా అంతరార్ధం. అదను చూసి మాట్లాడే వారే నిజమైన విద్వాంసులని కవి చెబుతున్నారు.
प्रश्न 8.
सम कंचन काँचौ गिनत सत्रु मित्र सम होई ।
तुलसी या संसार में कहत संतजन सीइ ॥
उत्तर:
भावार्थ : इस दोहे में तुलसीदास हमें “सत्पुरुष की महानता’ के बारे में बता रहे हैं। इस संसार में महान लोग सोना और काँच को एक ही तरह मानते है । याने सोना मुल्यवान और काँच साधारण मुल्यवाली धातु हैं। लेकिन दोनों भगवान की दिया हुइ चीज़ है । दोनों धातुओं को समान द्वष्टि से देखना चाहिए। उसी तरह इस दुनिया में शत्रु और मित्र दोनों सत्पुरुषों की द्वष्टि में समान है । सत्पुरुषों की द्वष्टि में सब लोग समान है ।
భావం : ఈ దోహానందు తులసీదాసు మనకు సత్పురుషుల యొక్క గొప్పతనమును మనకు వివరించుచున్నారు. ఈ ప్రపంచం నందు బంగారం మరియు గాజు (అద్దం) రెండు మహాత్ముల దృష్టిలో సమానమే అనగా బంగారం విలువైనది అని గాజు సాధారణ వెలగలది అని రెండు ధాతువులు గురించి చెబుతున్నారు. ఈ రెంటిని భగవంతుడు సృష్టించాడు. దేవుని దృష్టిలో ఈ రెండు ధాతువులు సమానం. అలాగే సత్పుర్షుల దృష్టిలో ఈ ప్రపంచం నందు మిత్రులు మరియు శత్రువులు ఒక్కరే సత్పురుషుల దృష్టిలో మానవులంతా సమానమే.
कवि परिचय
गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में सगुण भक्तिधारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि है | आप हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं । हिन्दी का रामकाव्य ‘रामचरित मानस’ आपकी अत्यंत प्रसिद्ध कृति है । आपका जन्म संवत् 1554 में उत्तर प्रदेश के में हुआ। ‘पिताजी का नाम आत्माराम दुबे और माताजी का नाम हुलसी था । आपके गुरूजी नरहरिदास थे । तुलसीदास पहले भोग-विलासी एवं मोह में लिप्त थे किन्तु पत्नी रत्नावली के कारण उनका ज्ञानोदय हुआ । आप श्रीरामचन्द्र के महाभक्त थे !
‘रामचरित मानस’ अवधी में लिखित महाकाव्य है । ‘दोहावली’, ‘कवितावली’, ‘गीतावली’, ‘जानकीमंगल’, पार्वतीमंगल आदि आपके अन्य काव्य है । आपकी भाषा अवधी और ब्रज है । संवत् 1680 में आपका स्वर्गवास हो गया ।
कठिन शब्दों के अर्थ
1.
संसार = जगत्, जग्, world, ప్రపంచం
भांति-भांति = तरह-तरह के कई प्रकार के, so many types, రకరకములైన.
लोग = जन, व्यक्ति, people, జనులు
ह्स = हसते हुए, laugh, నవ్వుతూ
संजोग = मिलाप, unity, కలయిక
2.
वचन = बोली, speech, మాట.
उपजत = पैदा होना, उत्पन्न होना, born, పుట్టుట, ఉద్భవించుట
चहुँओर = चारों ओर, foursides, నలుదిక్కులు
वसीकर = वश में करने वाला, enchantment, వశము చేసుకొనుట.
परिहरु = हरण करना, avoidance, విడిచిపెట్టు.
कठोर = कटु शब्द, hard words, కఠిన పదాలు.
3.
सोई = वही, in tracks, ఎవడైతే
गुनी = गुणवान, talented worthy, గుణవంతుడు
जाके = जिसके, whose, ఎవని యొక్క,
चित्त = मन, heart, మనస్సు
भई = में, भीतर, Inside, లోపల
राग = अनुराग, love, ప్రేమ, ఆప్యాయత.
द्वेष = ईर्ष्या, hatred, ద్వేషం
हानि = अंत, समाप्त होना, an end, conclude, అంతము.
4.
मिलिए = मिलना, to join to be mingled, కలుసుకొనుట
धाय = दौड़कर भागकर, to run, పరుగెత్తుకొని
नारायण = ईश्वर, god, ఈశ్వరుడు
5.
काया = शरीर, body, శరీరము
मनसा = मन, heart, మనస్సు
भयो = होना, to continue became, అగుట
दोउ = दोनों, two sides, ఇరువైపుల
बुवै = बोना, to cause to sow, నాటుట
सो = जैसा, such as, అదే విధంగా.
लुनै = लेना, मिलना काटना, फसल कटाई, obtain, పొందుట
निदान = समाधान, diagnose, సమాధానం
6.
साथी = मित्र, दोस्त, friend, స్నేహితుడు
विपत्ति = मुसीबत, कष्ट, a calqnity, కష్టకాలం
विनय = विनम्रता, decency, humility, modesty, వినయం, వినమ్రత.
विवेक = बुद्धि, wisdom, తెలివి, వివేకము.
साहस = धैर्य, courage, సాహసము
सुकृति = अच्छे कर्म, good works, auspicious, మంచి పనులు.
सुसत्य व्रत = सत्य का पालन, truth telling, సత్యమును అనుసరించుట.
भरोसो = विश्वास, faith, నమ్మకం
7.
पावस = वर्षा, बरसात, rainy season, వర్షాకాలం
समै = समय, time, సమయం
मौन = चुप, silent, మౌనం
दादुर = मेंढ़क, frog, కప్ప
बोल है = बोलते है, आवाज करते है, to talk, make sounding, శబ్దం చేయుట
पूछि है = पूछना, सम्मान करना (या) आदर करना, to ask, give respect, గౌరవించుట, అడుగుట,
8.
सम = के समान, equal, సమానంగా
कंचन = सोना (मूल्यवान), gold, బంగారం
काँचौ = (काँच) साधारण मूल्यवाली, mirror, గ్లాసు (అద్దం)
गिनत = गिनता है, counting, లెక్కించుట
सत्रु = शत्रु, दुश्मन, enemy, శత్రువు
मित्र = दोस्त, friend,స్నేహితుడు
या = इंस, or, లేక
सोइ = वही, ibidem (verb), అదేవిధంగా