Telangana SCERT TS 8th Class Hindi Guide Pdf 9th Lesson मैं सिनेमा हूँ Textbook Questions and Answers.
TS 8th Class Hindi 9th Lesson Questions and Answers Telangana मैं सिनेमा हूँ
प्रश्न :
प्रश्न 1.
चित्र में क्या – क्या दिखायी दे रहे हैं?
उत्तर :
चित्र में एक नाटक प्रदर्शन, उसको देखने वाले बचे और बडे – बडे लोग आदि दिखायी दे रहे हैं।
प्रश्न 2.
वे क्या – क्या कर रहे हैं ?
उत्तर :
कुछ छात्र नाटक प्रदर्शन कर रहे हैं। और बाकी सभी लोग नाटक को देख रहे हैं।
प्रश्न 3.
नाटक में क्या बताया जा रहा होगा ?
उत्तर :
यह नाटक विश्व साक्षरता दिवस के उपलक्ष्य में प्रसारित कर रहे हैं। इसीलिए इसमें साक्षरता का संदेश ही बताया जा रहा होगा।
सुनो – बोलो :
प्रश्न 1.
चित्र के बारे में बातचीत कीजिए।
उत्तर :
गौतम और सुरेश के बीच में इस चित्र के बारे में बातचीत चल रहा है। वह इस प्रकार है
- गौतम : सुरेश, क्या तुमने इस चित्र को देखा ?
- सुरेश : हाँ, खूब देख लिया।
- गौतम : तो बताओ कि चित्र में क्या है ?
- सुरेश : एक सिनेमाघर है।
- गौतम : बहुत अच्छा। तुमने सचमुच ठीक कहा।
- सुरेश : सिनेमा घर में पर्दा बहुत अच्छा दिखाई देता है न ?
- गौतम : हाँ ! वह तो चाँदी से बनाया गया है।
- सुरेश : अरे गौतम सिनेमाघर में कुर्सियाँ बहुत अच्छी नज़र आ रही है न ?
- गौतम : हाँ ! वे तो कीमती कुर्सियाँ है।
प्रश्न 2.
सिनेमा देखना आपको कैसा लगता है? क्यों ?
उत्तर :
सिनेमा देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि सिनेमा आजकल के मनोरंजन साधनों में एक है। इसके द्वारा समय का सदुपयोग होता है। मानसिक थकावट दूर हो जाती है।
पढ़ो :
अ. पाठ में आये अंग्रेजी शब्दों के अर्थ शब्दकोश में ढूँढ़िए। वाक्य में प्रयोग किजिए।
उत्तर :
जैसे : प्रोजेक्टर = प्रक्षेपक ; प्रक्षेपक की सहायता से परदे पर सिनेमा दिखायी देता है।
पाइरेटेड – चोरी की हुई फ़िल्म – पाइरेटेड सिनेमा मत देखो।
पैरेसी – चोरी – पुलीस पैरेसी सिनेमा को पकड लेते हैं।
फ़्लिम – सिनेमा – यह नयी फ़िल्म है।
सी.डी – कैसेट ड्राइव – रामू हमेशा सी.डी देखता रहता है।
आ. राजा हरिश्चंद्र भारत की पहली मूक फ़िल्म थी । उसी तरह पहली बोलती फ़िल्म थी – ‘आलम आरा।’ अब नीचे दिखाये गये पोस्टर के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
उत्तर :
1. सिनेमाघर का नाम मैजेस्टिक सिनेमाघर है।
2. जुबेदा, विट्ठल, पृथ्वीराज कपूर तथा अन्य पात्र हैं।
3. सिनेमा देखने का समय प्रतिदिन शाम को 5.30,6.00 और रात 10.30 . बजे है।
4. मूक चित्र केवल मूकी होते हैं। बोलती फ़िल्में बातचीत या टाकी के होते हैं।
लिखो :
अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
निर्देशक और सिनेमा एक – दूसरे से कैसे जुडे रहते हैं?
उत्तर :
निर्देशक और सिनेमा एक – दूसरे से जुडे रहते हैं। निर्देशक के बिना सिनेमा और सिनेमा के बिना निर्देशक नही हैं। वार्तव में सिनेमा का केंद्रबिंदु निर्देशक ही है। वह सिनेमा के निर्माण से जुडे सभी लोगों, जैसे नायक-नायिका, पात्र, संगीत निर्देशक, कथाकार, संवाद लेखक, कैमरामेन आदि को एक सूत्र में बाँधकर सिनेमा को साकार रूप देता है। सिनेमा बनाने में हजारों लोगो की मेहनत जुडी होती है। सिनेमा से उनके जीविका चलती है। उनकी मेहनत पर ही सिनेमा का भविष्य निर्भर रहता है।
प्रश्न 2.
पाइरेटेड सिनेमा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
चोरी की हुई फ़िल्म को पाइरेटेड सिनेमा कहते हैं।
आ. इस पाठ का सारांश अपने शद्दों में लिखिए।
उत्तर :
सभी को सिनेमा देखना अच्छा लगता है। छुट्टियों के समय में तो सब सिनेमा देखते हैं। इसे देखने में उत्सुक रहते हैं। सिनेमा हमें आनंदित करता है। यह हमारे मनोरंजन का साधन है।
सिनेमा का जन्म विदेश में हुआ है। भारत में इसे लाने का श्रेय श्री दादा साहेब फ़ाल्के को जाता है। सन् 1913 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र नाम से एक सिनेमा का निर्माण किया। यही भारत का पहला सिनेमा है।
सिनेमा बनाने वाले को निर्माता कहते हैं। सिनेमा पहले-पहले मूक थे। बाद में टाकी आ गये। उसके बाद में रंगों के सिनेमा आये। सिनेमा हास्य तथा दुख दोनों भावों के होते हैं।
सिनेमाओं में कल्पना तथा प्रेरणा दोनों हैं। सिनेमा को बनाने में कई लोगों का योगदान है। कहानीकार कहानी लिखता है। निर्माता, उस कहानी को खरीदकर सिनेमा बनाता है।
निर्माता की निर्देशक सहायता करता है। यूँ तो केंद्रबिंदु निर्देशक ही है। नायक – नायिका, पात्र, संगीत निर्देशक, कथाकार, संवाद लेखक कैमरामेन आदि भी सिनेमा के प्राण हैं।
सिनेमां के बुरे और अच्छे दोनों रूप होते हैं। अच्छाई को ग्रहण करें। बुराई को छोड़ दे। पाइरेटेड चित्र न देखें। इन्हें देखना – दिखाना दोनों शासन अपराध है।
शब्द अंडार :
अ. निम्न लिखित शब्दों को वाक्य में प्रयोग कीजिए।
- मनोरंजन : सिनेमा से मनोरंजन मिलता है।
- उत्सुक : वह गीत गाने में उत्सुक है।
- विदेश : आम फल को विदेश लोग भी बहुत पसंद करते हैं।
- श्रेय : तंदुरुस्ती के लिए टहलना श्रेय है।
- प्रशंसा : अच्छे काम करने वालों की प्रशंसा करनी चाहिए।
- भविष्य : आज के बच्चे ही भविष्य के नागरिक हैं।
- उज्ञल : उज्चल भविष्य के लिए खूब परिश्रम करना चाहिए।
सृजनात्मक अभिव्यक्ति :
अ. नीचे दी गयी जानकारी से एक पोस्टर बनाइए।
फ़िल्म का नाम – (अपने मनपसंद पात्रों के नाम लिखो।)
प्रारंभ करने की तिथि – (अपना मनपसंद दिनांक डालो।)
पात्रों के नाम – (अपने मनपसंद पात्रों के नाम लिखो।)
निर्देशक का नाम – (अपने मनपसंद निर्देशक का नाम लिखो।)
सिनेमाघर का नाम – (अपने मनपसंद सिनेमाघर का नाम लिखो।)
सिनेमा की विशेषता – (अपनी ओर से सिनेमा की विशेषता लिखो।)
उत्तर :
प्रशंसा :
अ. अपने मनपसंद सिनेमा के बारे में लिखिए।
उत्तर :
मैं ने तेलुगु का एक सिनेमा देखा। नाम था ‘भक्त प्रहल्लाद।’ यह भक्त प्रहल्लाद की कहानी है। भक्त प्रहल्लाद राक्षस राजा हिरण्य कश्यप का पुत्र का नाम था।
हिरण्य कश्यप तीन लोकों में वही राजा और देव मानता था। और सबको मानने को कहता था। लेकिन उसका बेटा प्रहल्काद भगवान विष्णु के सिवा और किसी को भगवान या देव नहीं समझता है।
इसलिए राजा हिरण्य कश्यप अपने बेटे को कई दंड देता है। एक बार साँप से काटवाने का आदेश देता है। साँप काटने से भी भगवान विष्णु की कृपा से वह जीवित होता है। दूसरी बार सागर में फेंक दिये जाते हैं तो इस बार लक्ष्मी देवी उसकी रक्षा करती है।
एक बार हाथी के पैरों के नीचे दबा दिया जाता है। लेकिन उसे विष्णु की कृपा से कुछ नहीं होता और एक बार विष पिलाया जाता है फिर भी भगवान श्री महाविष्णु की कृपा से प्रहल्लाद को कुछ नही होता।
अंत में प्रहल्लाद के पिता हिरण्य कश्यप भगवान विष्णु को कंभे में दिखाने को कहता है तो प्रहल्ताद कहता है कि भगवान विष्णु अवश्य ही कंभे में है।
तो हिरण्य कश्यप ने गदे से कंभे को मारता है तो श्रीविष्णु नरसिंह के अवतार में प्रकट होकर उसे मार देते हैं।
भषा की बात :
अ. नीचे दिया गया अनुच्छेद पढ़िए।
“प्रोजेक्टर से मैं चलता हैँ
परदे पर में दिखता हूँ।
मनोरंजन सबका करता हूँ
जल्दी बताओ कौन हैँ में?
ऊपर दिये गये अनुच्छेद में चलता हूँ, दिखता हूँ, करता हूँ, बताओ, हूँ ये सारे शब्द किसी काम का होना प्रकट करते हैं। ऐसे शब्द ही क्रिया शब्द कहलाते हैं। क्रिया के दो प्रकार हैं। वे है –
1. अकर्मक क्रिया 2. सकर्मक क्रिया
1. अकर्मक क्रिया : जहाँ कर्ता के व्यापार का फल कर्ता पर पड़े उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे : मैं प्रोजेक्टर से चलता हुँ। ‘चलता हूँ’, क्रिया का व्यापार ‘में’ पर पड़ रहा है। जैसे:
लड़का हँसता है।
लड़का दौड़ता है।
2. सकर्मक क्रिया : जहाँ कर्ता के व्यापार का फल कर्म पर पडे उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे : निर्माता उस कहानी को खरीदता है। ‘खरीदता है’ क्रिया का व्यापार कर्म ‘कहानी’ पर पड़ रहा है।
जैसे:
राकेश चित्र बनाता है।
लड़की रोटी खाती है।
आ. पाठ में आये हूए अन्य तीन क्रिया शब्द ढूँढ़िए। वाक्य प्रयोग कीजिए।
जैसे : देखना – में सिनेमा देखना चाहता हूँ।
उत्तर :
- पहचानना – अब मुझे कोई भी पहचान नहीं सकते हैं।
- करना – सिनेमा सबका मनोरंजन करता है।
- बताना – वह कुछ बताना चाहता है।
- लाना – तुम मेरे लिए क्या लाते हो?
- लिखना – राम पाठ लिखता है।
- खरीदना – में कलम खरीदना चाहता हूँ।
- देना – आज रवि सभा में सेमिनार देनेवाला है।
- बेचना – मैं इसे बेचना चाहता हूँ।
परियोजना कार्य :
अ. हिदी समाचार चैनल के पाँच मुख्य समाचार लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी कृत्य।
Essential Material for Examination Purpose :
1. पढ़ो
पठित – गद्यांश
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
1. मेरा जन्म विदेश में हुआ। किंतु भारत में मुझे लाने का श्रेय मेरे पितामह दादा साहेब फाल्के को जाता है। सन् 1913 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र के नाम से मुझे आपके सामने लाया। देश – विदेश के समाचार पत्रों में मेरे लाड़ले दादा साहेब फाल्के की खूब प्रशंसा की गयी। मेरी खुशी का ठिकाना न रहा । उन्होंने मेरा भविष्य उज्जवल कर दिया ।
प्रश्न :
1. किसका जन्म विदेश में हुआ?
2. भारत में सिनेमा कौन लाया ?
3. पहली भारतीय फ़िल्म का नाम क्या था ?
4. भारतीय सिनेमा के पितामह कौन हैं?
5. यह गद्यांश किस पाठ से है?
उत्तर :
1. सिनेमा का जन्म विदेश में हुआ।
2. भारत में सिनेमा दादा साहेब फाल्के लाये।
3. पहली भारतीय फ़िल्म का नाम राजा हरिश्चंद्र था।
4. भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहेब फाल्के हैं।
5. यह गद्यांश ‘मैं सिनेमा हूँ’ पाठ से है।
II. कहानीकार एक अच्छी कहानी लिखता है। निर्माता उस कहानी को खरीदता है। निर्माता मुझे बनाने से लेकर सिनेमाघरों तक पहुँचाने वाला महत्वपूर्ण व्यक्ति है।
प्रश्न :
1. एक अच्छी कहानी कौन लिखता है ?
2. सिनेमा बनानेवाले को क्या कहते हैं ?
3. कहानी को कौन खरीदता है?
4. दुनिया में अच्छाई और बुराई दोनों भी है। (भाववाचक संज्ञा पहचानिए।)
5. यह गद्यांश किस पाठ से है?
उत्तर :
1. एक अच्छी कहानी कहानीकार लिखता है।
2. सिनेमा बनानेवाले को निर्माता कहते है।
3. कहानी को निर्माता खरीदता है।
4. अच्छाई, बुराई।
5. यह गद्यांश ‘मैं सिनेमा हूँ’ पाठ से है।
अपठित – गद्यांश :
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
I. उसके घर में पिता थे, माँ थी और एक गुडिया – सी बहन थी । वह सारे घर का दुलारा था। एक दिन की बात है। बह बीमार पडा। माँ ने उसका खाना बिलकुल बंदकर दिया। पर उसका बार-बार कुछ खाने को माँगना छोटी बहन से न सहा गया। बह चुपके से गुड और चने चुरा लाई और खिला दी अपने भैया को । उसके बाद भिया का बुखार बढ़ गया पर वह तो खिला ही चुकी थी । अपने भाई के संतोष के लिए वह माँ – बाप का गुस्सा भी सहने को तैयार थी ।
प्रश्न :
1. उसके घर में कितने लोग और कौन – कौन थे ?
2. एक दिन उसे क्या हुआ ?
3. बीमार पडने से मॉ ने क्या किया ?
4. उसकी बहन ने क्या किया ?
5. गुड और चने खाने से क्या परिणाम हुआ?
उत्तर :
1. उसके घर में तीन लोग पिता, मौं और बहन थीं।
2. एक दिन वह बीमार हो गया।
3. बीमार पडने से माँ ने उसका खाना बिलकुल बंद कर दिया।
4. उसकी बहन ने उसे चुपके से गुड और चने खिलाये।
5. गुड और चने खाने से भैया का बुखार और बढ़ गया।
II. खेलकूद और व्यायाम से हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहता है। खुली हवा के बिना तो मनुष्य शरीर स्वस्थ नहीं बन सकता। इसके लिए घर हवादार होना चाहिए। प्रातः काल खुली हवा में टहलना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
यह हमेशा याद रखना चाहिए कि अच्छा स्वास्थ्य ही सुखमय जीवन का आधार है। एक प्रचलित कहावत है – “मन चंगा तो कटौती में गंगा।”
प्रश्न :
1. हमारा शरीर और मन किनसे स्वरथ रहता है ?
2. किसके बिना तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ नहीं बन संकता ?
3. घर कैसा होना चाहिए ?
4. सुखमय जीवन का आधार क्या है?
5. प्रचलित कहावत क्या है?
उत्तर :
1. खेलकूद और व्यायाम से हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहता है।
2. खुली हवा के बिना तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ नहीं बन सकता।
3. घर हवादार होना चाहिए।
4. स्वारथ्य सुखमय जीवन का आधार है।
5. प्रचलित कहावत है – “मन चंगा तो कटौती में गंगा।”
III. प्रथम पृष्ठ पर मुख्य – मुख्य समाचार होते हैं। व्यापार और खेलकूद के समाचार दूसरे – तीसरे पृष्ठों पर दिये जाते हैं। साथ ही व्यंग्य चित्र और विज्ञापनों के चित्र भी होते हैं, जिससे समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है। प्रायः सभी समाचार – पत्रों में बच्चों का भी पृष्ठ होता है, जिसमें मनोरंजक कहानियाँ, कविताएँ तथा चुटकुले आदि होते हैं। बच्चों के लिए समाचार भी दिये जाते हैं। कभी – कभी बच्चों के चित्रों के साथ उनके द्वार लिखी गयी रचनाएँ भी छापी जाती हैं।
प्रश्न :
1. मुख्य – मुख्य समाचार किस पृष्ठ पर होते हैं ?
2. दूसरे – तीसरे पृष्ठों पर किसके समाचार दिये जाते हैं ?
3. किनसे समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है?
4. सभी समाचार पत्रों में किनके लिए भी पृष्ठ होते हैं ?
5. इस अनुच्छेद में किसके बारे में बताया गया है ?
उत्तर :
1. मुख्य – मुख्य समाचार प्रथम पृष्ठ पर होते हैं।
2. दूसरे – तीसरे पृष्ठों पर व्यापार और खेलकूद के समाचार दिये जाते हैं।
3. व्यंग्य और विज्ञापनों के चित्रों से समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है।
4. सभी समाचार पत्रों में बच्चों के लिए भी पृष्ठ होते हैं।
5. इस अनुच्छेद में समाचार पत्रों के बारे में बताया गया है।
II. लिखो :
लघु प्रश्न :
प्रश्न 1.
सिनेमा का हमसे क्या निवेदन है?
उत्तर :
सिनेमा हम से इस प्रकार निवेदन करता है कि “मेरी अच्छाई को स्वीकार करो । मुझे सिनेमा घरों में ही देखो। पाइरेटेड (चोरी की हुई फ़िल्म) बिलकुल मत देखो। पैरेसी सी.डी को न तो खरीदे और न ही बेचे’।
प्रश्न 2.
हमें सिनेमा कहाँ देखना चाहिए? क्यों ?
उत्तर :
हमें सिनेमा केवल सिनेमाघरों में ही देखना चाहिए। क्योंकि निर्माता कई करोडों रुपये खर्च करके सिनेमाओं का निर्माण करते हैं। इसलिए पैरेसी फ़िल्म न देखना चाहिए। यह शासन विरुद्ध भी है।
प्रश्न 3.
सिनेमाघर कैसा होता है? बताओ।
उत्तर :
सिनेमाघर बहुत अच्छा होता है। सिनेमाघर बहुत बडा तथा विशाल होता है। सिनेमाघरों में जमीन टिकट, बेंच टिकट, कुर्सी टिकट, बाल्कनी टिकट और रिजर्वड टिकट आदि होते हैं। अंदर के चारों ओर के दीवारों को स्पीकर भी होते हैं।
प्रश्न 4.
दादा साहेब फ़ाल्के कौन थे ?
उत्तर :
भारत में सिनेमा को लाने का श्रेयकर्ता श्री दादा साहेब फ़ाल्के थे। इन्होंने सन् 1913 में भारत में राजा हरिश्चंद्र नामक एक सिनेमा बनाया।
प्रश्न 5.
सिनेमा में कैसे भाव देखने को मिलते हैं ?
उत्तर :
सिनेमा में सभी भाव देखने को मिलते हैं। सिनेमा में हास्य है तो दुख भी है। इसमें कल्पना है तो प्रेरणा भी है।
लघु निबंध प्रश्न :
प्रश्न 1.
किसी देखे हुये सिनेमा की कहानी सुनाओ।
उत्तर :
में ने तेलुगु का एक सिनेमा देखा। नाम था ‘भक्त प्रहल्लाद।’ यह भक्त प्रहल्लाद की कहानी है। भक्त प्रहल्लाद राक्षस राजा हिरण्य कश्यप का पुत्र का नाम था।
हिरण्य कश्यप तीन लोकों में वही राजा और देव मानता था। और सबको मानने को कहता था। लेकिन उसका बेटा प्रहल्लाद भगवान विष्णु के सिवा और किसी को भगवान या देव नहीं समझता है।
इसलिए राजा हिरण्य कश्यप अपने बेटे को कई दंड देता है। एक बार साँप से काटवाने का आदेश देता है। साँप काटने से भी भगवान विष्णु की कृपा से वह जीवित होता है। दूसरी बार सागर में फेंक दिये जाता है तो इस बार लक्ष्मी देवी उसकी रक्षा करती है।
एक बार हाथी के पैरों के नीचे दबा दिया जाता है। लेकिन उसे विष्णु की कृपा से कुछ नहीं होता और एक बार विष पिलाया जाता है फिर भी भगवान श्री महाविष्णु की कृपा से प्रहल्गाद को कुछ नहीं होता।
अंत में प्रहल्भाद के पिता हिरण्य कश्यप भगवान विष्णु को कंभे में दिखाने को कहता है तो प्रहक्काद कहता हैं कि भगवान विष्णु अवश्य ही कंभे में हैं।
तो हिरण्यकश्यप गदे से कंभे को मारा तो श्रीविष्णु नरसिंह के अवतार में प्रकट होकर उसे मार देते हैं।
III. सृजनात्मक अभिव्यति :
प्रश्न 1.
किसी एक विज्ञान यात्रा का वर्णन करते हुये अपने पिताजी का नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
हैदराबाद,
दि. ××××
पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम । मैं यहाँ कुशल हूँ। आशा करता हूँ कि आप सब वहाँ कुशल हैं। मैं यहाँ खूब पढ रहा हूँ।
पाठशाला की ओर से पिछले सप्ताह हम विज्ञान यात्रा के लिए विशाखपट्टणम गये। इसे वैजाग भी कहते हैं। यह एक सुन्दर और बडा शहर है। सागर के किनारे पर है। यहाँ अनेक दर्शनीय स्थान हैं। हम नौकाश्रय में गये और अनेक विज्ञानदायक बातें जानलीं। कैलासगिरि उद्यानवन, विमानाश्रय आदि हमने देखे। सिंहाचलम, अरकु आदि प्रदेशों में हम गये। हमें बहुत आनंद मिला है।
माताजी को मेरे प्रणाम और बहन रम्या को आशीश कहना।
आपका प्रिय पुत्र,
××××
पता :
जी. माधवराव,
घ.नं 31-8-4/9,
वरंगल।
సారాంశము :
ప్రియమైన పిల్లల్లారా ! నమస్తే ఎలా ఉన్నారు ?
నన్ను గుర్తుపట్టలేదా ? ఏమీ విషయం లేదులే. “ప్రొజెక్టర్తో నేను నడుస్తాను.
తెరపై నేను కనిపిస్తాను.
అందరి మనస్సులను రంజింపచేస్తాను.
(అందరికీ మనోరంజనం కల్గిస్తాను)
త్వరగా చెప్పండి, నేనెవరిని?
శభాష్. మీరు సరిగా చెప్పారు. నేను సినిమాను. మీ అందరికీ నన్ను చూడడం బాగుంటుంది కదా! నాకు కూడా మిమ్మల్ని కలవడం బాగుంటుంది. సెలవు దినాలలో నన్ను మీరు చూడడానికి ఉత్సాహం చూపిస్తారు కదా ! నాకు కూడా మిమ్మల్ని ఆనందింపజేయడం చాలా బాగుంటుంది.
నేను విదేశంలో జన్మించాను. కానీ భారతదేశంలోకి తీసుకువచ్చిన ఘనత నా తండ్రిగారైన దాదాసాహెబ్ ఫాల్కే గారికి చెందుతుంది. 1913 సం॥లో ఆయన “రాజా హరిశ్చంద్ర’ పేరుతో నన్ను మీ దగ్గరికి తెచ్చెను. దేశవిదేశాలకు చెందిన వార్తాపత్రికల్లో నా ప్రియమైన గారాల దాదాసాహెబ్ ఫాల్కే గారిని బాగా ప్రశంసించిరి. సంతోషానికి అవధులు లేవు. ఆయన నా భవిష్యత్తును ఉజ్వలింపచేసిరి.
నన్ను ఎంతగా పొగిడినా నన్ను నిర్మించినది మానవుడే కదా. ఆయనే నిర్జీవంగా ఉన్న నాకు ప్రాణం పోసెను. ఒకప్పుడు నేను మూగదాన్ని. కానీ ఆయన నాకు మాట్లాడే శక్తినిచ్చెను. రంగులు నింపెను. నా జీవితంలో వసంతాన్ని
నింపెను.
నాలో అన్ని భావాలు చూడడానికి లభిస్తాయి – నాలో హాస్యం ఉన్నది – దుఃఖం (ఏడుపు) ఉన్నది. నాలో కల్పన ఉన్నది. ప్రేరణ కూడా ఉన్నది. కాని నన్ను నిర్మించడంలో ఎంతోమంది ప్రజల ప్రమేయం (భాగస్వామ్యం) ఉంటుంది.
కథా రచయిత ఒక చక్కని కథ వ్రాస్తాడు. నిర్మాత ఆ కథను కొంటాడు. నిర్మాత అనునతడు నన్ను కొనుగోలు చేసిన దగ్గరి నుండి సినిమా హాళ్ళకు పంపించే వరకు ఉన్నటువంటి మహత్వపూర్ణమైన వ్యక్తి.
నిర్మాత తన ఈ పనిని పూర్తి చేయుటకు దర్శకుని సహాయం తీసుకుంటాడు. వాస్తవంగా నా కేంద్రబిందువు దర్శకుడే. అతడు నా నిర్మాణంలో ముడిపడియున్న ప్రజలందరినీ – నాయకుడు, నాయకురాలు, ఇతర పాత్రధారులు, సంగీత దర్శకుడు, కథా రచయిత, డైలాగ్ రైటర్, కెమేరామెన్ మొ॥గు వారిని ఒకే సూత్రంలో బంధించి నాకు సాకార రూపాన్ని కల్గిస్తారు. నన్ను నిర్మించడంలో వేలకొలది ప్రజల కృషి జోడించబడి యుంటుంది. నాతో వారికి జీవనోపాధి కలుగుతుంది. వారి కృషి మీదనే నా భవిష్యత్తు ఆధారపడి ఉంటుంది.
–
పిల్లల్లారా ! నాది ఒకటే కోరిక. అది ఏమనగా అందరినీ సంతోషపెట్టడమే. ప్రపంచంలో మంచి-చెడు రెండూ ఉంటాయి. అదే విధంగా నాకు మంచి చెడు రెండు రూపాలు ఉన్నాయి. నేను మీతో విన్నవించుకునేది ఏమనగా నాలోని మంచిని గ్రహించండి. నన్ను సినిమా థియేటర్లలోనే చూడండి. ఈ రోజున కొంతమంది ప్రజలు నన్ను దొంగిలించి (పైరసీ) చూస్తున్నారు. నన్ను ఇలాగ చూడవద్దు. ఈ విధంగా చూడడం మరియు చూపడం రెండూ చట్టరీత్యా నేరమే. అందువలన పైరసీ సీడీలు కొనవద్దు, అమ్మవద్దు.
పిల్లల్లారా ! మీరు నన్ను ఎంత చూస్తే ఆనందం లభిస్తుందో అంతవరకే చూడండి. మీరు నా మాట తప్పనిసరిగా అంగీకరిస్తారని ఆశిస్తున్నాను.
वचन :
- बच्चा – बच्चे
- वह् – वे
- छुट्टी – छुट्टियाँ
- मनुष्य – मनुष्य
- सूत्र – सूत्र
- मैं – हम
- इस – ये
- पत्र – पत्र
- क्षमता – क्षमताएँ
- यह – ये
- परदा – परदे
- खुशी – खुशियाँ
- घर – घर
उल्टे शब्द :
- बच्चे × बूढे
- अच्छा × बुरा
- देश × विदेश
- खुशी × दुखी
- मूक × बोल
- खरीदना × बेचना
- वास्तव × अवार्तव
- स्वीकार × अस्वीकार/इनकार
- पहचचान × भूल
- आनंद × दुख
- सामने × पीछे
- जीव × निर्जीव
- क्षमता × अक्षमता
- महत्वपर्ण × महत्वहीन
- साकार × निराकार
- आशा × निराशा
- जलि × धीरे
- जन्म × मृत्य/मरण
- प्रशंसा × निदा
- दनाना × बिगाइना
- हास्य × दुख
- सहायता × हानि
- अच्छाई × पुराई
- अवश्य × अनावश्य
उपसर्ग :
- मनोरंजन – मन:
- निर्माता – निर
- योगदान – योग
- कथाकार – कथा
- निवेदन – नि
- विदेश – वि
- निर्जीव – निर
- सिनेमाघर – सिनेमा
- साकार – सा
- स्वीकार – स्वी
- उज्ञवल – उ
- सजीव – स
- महत्वपूर्ण – महत्व
- निर्भर – नि
प्रत्यय :
- अच्छाई – ई
- पैरेसी – ई
- जीविका – इका
- निर्जीव – जीव
- प्रेरणा – आ
- महत्त्वपूर्ण – पूर्ण
- ठिकाना – आ
- पितामह् – मह
- बुराई – ई
- कथाकार – कार
- निर्भर – भर
- सजीव – जीव
- योगदान – दान
- पहुँचानेवाला – वाला
- मनोरंजन – रंजन
- सिनेमाधर – घर्
- कैमेरामेन – मेन
- खुशी – ई
- क्षमता – ता
- कहानीकार – कार
- सहायता – ता
- आनंदित – इत्त
लिंग :
- बच्ता – बची
- मामा – मामी
- भाई – बहिन
- अभिनेता – अभिनेत्री
- लेखक – लेखिका
- संवाद लेखक – संवाद लेखिका
- प्यारा – प्यारी
- चाचा – चाची
- नायक – नायिका
- राजा – रानी
- सेवक – सेविका
- कैमेरा मेन – कैमेरा र्त्री
- दादा – दादी
- काका – काकी
- नेता – नेत्री
- पिता – माता
- निर्देशक – निर्देशिका
पर्यायवाची शब्द :
- बच्चे – लडके
- छटी – विराम
- मनुष्य – आदमी
- संवाद – वार्तालाप
- व्यक्ति – आदमी
- आनंद – संत्रोष
- समाचार – खबर
- नायक – अभिनेता
- कानून – शासन
- मदट – सदायता
- प्रशंसा – स्तुति
- खुशी – संतोष
- नायिका – अभिनेत्री
- कहानी – कथा
संधि विच्छेद :
- सिनेमाघर = सिनेमा + घर
- आनंदित = आनंद + इत
- कहानीकार = कहानी + कार
- कैमेरामेन = कैमेरा + मेन
- कहानीकार = कहानी + कार
- पितामह = पिता + मह
- महत्वपूर्ण = महत्व + पूर्ण
वाक्य प्रयोग :
1. खरीदना – में आम खरीदना चाहता हूँ।
2. निर्देशक – निर्देशक के आदेशों के अनुसार नायक को चलना है।
3. साकार – वह सत्य का साकार रूप है।
4. आनंद – सिनेमा से हमें आनंद मिलता है।
5. प्रशंसा – अध्यापिका जी ने लडकी की प्रशंसा की।
मुहावरे वाले शब्द :
1. प्रशंसा करना = स्तुति करना ; बच्चों के भाषण सुनकर अध्यापिका ने उनकी बड़ी प्रशंसा की।
2. जी लगना = मन लगना ; मुझे सिनेमा पर जी नहीं लगता।
3. जीविका चलाना = जीवन चलाना, रोटी कमाना ; जीविका चलाने के लिए कई मार्ग हैं।
4. खुशी का ठिकाना न रहना = अति प्रसत्न होना ; यह बात सुनकर उसके खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
शब्दार्थ (అర్ధములు) (Meanings) :