Telangana SCERT 8th Class Hindi Study Material Telangana Pdf 2nd Lesson राजा बदल गया Textbook Questions and Answers.
TS 8th Class Hindi 2nd Lesson Questions and Answers Telangana राजा बदल गया
प्रश्न :
प्रश्न 1.
चित्र में क्या – क्या दिखायी दे रहे हैं ?
उत्तर :
चित्र में एक लडका, लडके के दाये हाथ में ग्लोब, बाये हाथ में किताब दिखायी दे रहे हैं।
प्रश्न 2.
लडका क्या कर रहा है ?
उत्तर :
लडका खुशी से ग्लोब के देशों को दिखाने के लिए दौड कर आ रहा है।
प्रश्न 3.
यह लडका हमें क्या बताना चाहता है ?
उत्तर :
यह लडका हमें बताना चाहता है कि ज्ञान से दुनिया बदल सकते हैं।
सुनो – बोलो :
प्रश्न 1.
पाठ में दिये गये चित्रों के बारे में बातचीत कीजिए।
उत्तर :
पाठ में दिये गये चित्रों में पहले चित्र में जंगल का वातावरण दिखायी देता है। रास्ते में एक सोने का सिक्का पडा रहता है। एक लडका जाता रहता है। वह सोने का सिक्का देखकर लेता है। और वह एक साधु से मिलता है।
दूसरे चित्र में राजा सैनिकों के साथ आ रहे हैं। लडका राजा को सिक्षा दे रहा है।
प्रश्न 2.
इस पाठ का कोई दूसरा नाम क्या हो सकता है?
उत्तर :
इस पाठ का दूसरा नाम ‘परिवर्तन’ हो सकता है।
पढ़ो :
अ. ‘भाई ! आपके राजा इतनी बड़ी सेना लिये कहाँ जा रहे हैं?”‘ यह वाक्य जिस अनुच्छेद में है, उसे पढ़ो और बताओ कि राजेश ने यह वाक्य किस उद्देश्य से कहा ?
उत्तर :
राजेश ने इस वाक्य को इस उद्देश्य से कहा कि “ज़रूर कोई बात रही होगी, जो राजा अपनी सेना को लिये जा रहे हैं, वह् बात क्या है? उसे जान लें।”
आ. नीचे दिये गये वाक्य पढ़कर पाठ के आधार पर सही क्रम में लिखिए।
1. “लीजिए महाराज! आप इसे रख लीजिए।”
2. “में राजा हूँ, राजा! में तुझे गरीब लगता हूँ?”
3. “बेटा! मुझे क्यों देना चाहते हो?”
4. “भाई ! आपके राजा इतनी बड़ी सेना लिये कहाँ जा रहे हैं?”
5. “इसे तो किसी गरीब को दे दो ताकि वह अपना पेट भर सके।”
उत्तर :
1. “इसे तो किसी गरीब को दे दो ताकि वह अपना पेट भर सके।”
2. “भाई ! आपके राजा इतनी बड़ी सेना लिये कहाँ जा रहे हैं?”
3. “लीजिए महाराज! आप इसे रख लीजिए।”
4. “बेटा! मुझे क्यों देना चाहते हो?”
5. “में राजा हूँ, राजा! मैं तुझे गरीब लगता हूँ?”
लिखो :
अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
कभी – कभी लोग किसी व्यक्ति को चिढ़ाकर या ताने कसकर तंग करते हैं? क्या तुमने या तुम पर किसी ने इस तरह का व्यवहार किया है ?
उत्तर :
समाज में विभिन्न गुणों के लोग रहते हैं। हर आदमी को अपने कुछ अधिकार और कर्तव्य होते हैं। अपने जन्म सिद्ध गुणों के अनुरूप कुछ लोग सदा चिढाते या ताने कसते तंग करते हैं। यह तो बहुत बुरी बात है। अधर्म आचरणवाले, कामचोर, आलसी लोग ही सदा ऐसा करते हैं। इससे उनके मन को शंति मिलती है।
मैं तो सबका आदर करनेवाला हुँ। अपना काम स्वयं करते हुए सबसे मिलजुलकर रहनेवाला हूँ। में ने तो अब तक किसी व्यक्ति को चिढ़ाना, ताने कसकर तंग करना नहीं किया है। साथ ही ऐसे बुरे बरताव करनेवालों से दूर ही रहता हूँ। इसीलिए किसी ने भी अब तक मुझ पर ऐसा बुरा व्यवहार नहीं किया है।
प्रश्न 2.
हमारे व्यवहार से हमारे स्वभाव का पता चलता है। राजा का स्वभाव कैसा था ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
हम सब मानव हैं। सब विचारशील हैं। सर्व जीव व प्राणियों में श्रेष्ठ हैं मानवा हम में अच्छे और बुरे स्वभाववाले लोग ज़रूर हैं। लोग अपने-अपने स्वभावों के अनुसार व्यवहार करते रहते हैं। स्वार्थी और निष्ठुर लोगों के व्यवहार से सभी को दुःख और दर्द मिलते हैं।
अपने साथी जनों की चिंता करना हमारा धर्म और कर्तव्य है। सबकी यथा शक्ति भलाई करना ही मानवता है। अपने व्यवहार से ही हमारे स्वभाव का पता चलता है। सदा सद्व्यवहार करते हुए अच्छा आचरण करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
राजा तो दयालू, ईमानदार और बुद्धिमान था। अपनी जनता की सुख, समृद्धि और हित ही चाहनेवाला था। लेकिन अज्ञानता के वशीभूत होकर दूसरे देश पर आक्रमण करने निकल पडा। राजेश की बातों से सच्चाई जानकर अपने को बदल दिया। अपनी सारी संपत्ति जनता की सेवा में खर्च करना आरंभ किया।
आ. ‘राजा बदल गया’ कहानी अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
एक लड़का था। उसका नाम था राजेश। वह बड़ा ईमानदार तथा बुद्धिमान था। वह एक बार जंगल से जा रहा था। उसे एक सोने का सिक्का मिला। वह उसका नहीं था। इसलिए वह उसे खोये हुए व्यक्ति को ही पहुँचाना चाहा।
उसे रास्ते में एक साधु महाराज मिला। राजेश ने उस सिक्के को उसे दिखाया तो उसने कहा कि वह मुझे नहीं चाहिए। उसको किसी गरीब को दे दो। ताकि वह अपना पेट भर सके।
इतने में उसे एक राजा की बड़ी सेना आती दिखायी दी। राजा भी उसमें था । तो राजेश ने यह पता जान लिया कि वह राजा शूरसिंह था और पडोसी देश पर आक्रमण करके उसे लूटने जा रहा था।
तो सीधे राजेश राजा के पास गया। उसे उस सोने के सिक्के को देने लगा। तो राजा ने उससे पूछा कि “यह मुझे क्यों दे रहे हो?” तब लडका राजेश ने उत्तर दिया कि मुझे साधु ने बताया कि किसी गरीब को दे दो। तब राजा क्रोध में आकर कहा कि क्या मैं तुझे गरीब लगता हुँ? यह सुनकर राजेश ने कहा कि महाराज यदि आप अमीर है तो लूटने, दूसरे देश पर क्यों आक्रमण करना चाहते हैं? तब राजा को उसका अहसास हुआ। राजा ने लड़के राजेश की प्रशंसा की और वह अपनी भारी सेना को वापस लेकर अपना राज्य लौट गया।
उस दिन से राजा ने अपनी संपत्ति गरीबों के सेवा में ही खर्च करना आरंभ कर दिया।
शब्द अंडार :
अ. उदाहरण देखिए और समझिए । इसी तरह आगे कुछ शब्द लिखिए ।
उदाहरण : सैनिक – कम – मन – नल – लगन
उत्तर :
आ. नीचे दिये गये शब्द पढ़िए । नीचे दिये गये शब्दों के विलोम शब्द लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उदाहरण : पास × दूर
मक्का मसजिद, चारमीनार के पास है। बिरला मंदिर दूर है।
उत्तर :
बडा × छोटा; खजूर पेड़ बडा होता है। नीबू का पेड़ छोटा होता है।
गरीब × अमीर ; वह गरीब आदमी है। उसका भाई अमीर है।
देश × विदेश ; हम अपने ही देश में रहते हैं। कभी-कभी विदेश भी जाते हैं।
सृजनात्मक अभिव्यक्ति :
इस कहानी की किसी एक घटना को संवाद रूप में लिखिए ।
उत्तर :
जंगल में राजेश और साधु के बीच में घटी घटना :
राजेश : (अपने आप में) अरे वाह! इतने घने जंगल में चमकता हुआ सोने का सिक्का! किसका होगा? (इतने में एक साधु आ रहे थे ।)
राजेश : प्रणाम साधु महाराज!
साधु : आयुष्मान भव! बेटा! तुम कौन हो ?
राजेश : मेरा नाम राजेश है। मुझे रास्ते में यह सिक्का मिला। यह मेरा नहीं है। आप ले लीजिए।
साधु : अरे बेटा ? मैं तो साधु हूँ। मैं यह सिक्का ले कर क्या करूँगा? तुम ही रास्ते में कोई गरीब आदमी को दे दो। उनके लिए बहुत उपयोग होता है।
राजेश : ठीक है साधु महाराज। में वैसा ही करूँगा। प्रणाम !
राजा : जीते रहो बेटा।
पशंसा :
अपने मित्र के व्यवहार या स्वभाव की प्रशंसा करते हुए एक घटना के बारे में बताइए। जिसमें मित्र का गुण या कौशल सामने आया हो।
उत्तर :
अच्छा मित्र मिलना दुर्लभ है। आजकल अच्छा और सहदयी मित्र पाना एक वरदान जैसा ही है। इस विषय में मैं बडा भाग्यशाली हुँ। मेरे कई मित्र हैं, उनमें सबसे सहददयी सदाचारी और परिश्रमी है गोपाल।
गोपाल एक होनहार छात्र है। कक्षा में सदा प्रथम आता है। उसकी स्मरण शक्ति तेज है। उसे लेश मात्र भी अभिमान नहीं है। पढने – लिखने में वह सदा मेरी और मेरे मित्रों की सहायता करता है। शिक्षा संबंधी विष्ों पर ही हमारी बातचीत होती रहती है। मुझे और उसे बागवानी का शौक है। अपने घरों के आसपास सदा हरियाली बनाये रखने का प्रथल हम करते हैं। हम दोनों खूब जानते हैं कि पर्यावरण ही हमारा रक्षा कवच है। अपने खाली समय में हम नये पेड – पौधों को लगाते उनका संरक्षण करते रहते हैं।
गोपाल का बडा दयालू स्वभाव था। वह सदा दूसरों का कष्ट दूर करना चाहता था। एक बार हमारी पाठशाला में एक अंधा और विकलांग लडका सहायता के लिए आया। गोपाल उसे देखकर दुःखी हुआ। उसकी हालत जानकर भरोसा देते हुए, परीक्षा शुल्क भरने लाये पूरे पैसे उसे दे दिया। इतना ही नहीं सब छात्रों को उसकी सहायता करने बाध्य किया। इससे उस विकलांग लडके को थोडा सा धन मिला। गोपाल की सहायता पर वह रो बैठा। गोपाल उसे धीरज देते हुए बिदा किया। वास्तव में गोपाल के अच्छे गुण और शालीनता से ही यह सत्कार्य संपन्न हुआ।
भाषा की बात :
अ. इस वाक्य को पढ़िए।
इतनी बडी सेना को देखकर वह सोचने लगा कि ज़रूर कोई बात रही होगी, जो राजा अपनी सेना को लिए जा रहे हैं। उसने एक सैनिक से पूछा – ‘भाई ! आपके राजा इतनी बड़ी सेना लिये कहाँ जा रहे हैं?”
ऊपर दिये अनुच्छेद में कुछ चिहन आये हैं, जैसे – (,), (।), (-), (” “), (!), (?) इन चिहनों को ‘विराम चिह्न’ (Punctuation) कहते हैं। बोलते अथवा पढ़ते समय अपनी बात को ठीक ढ़ग से कहने के लिए कुछ देर रुकना पड़ता है। रुकने की यह क्रिया व्याकरण की भाषा में “विराम” कहलाती है। कहानी, लेख, निबंध आदि लिखते समय इस प्रकार के रुकने के स्थलों की स्पष्टता के लिए जिन चिहनों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिहन कहते हैं। विराम चिहनों के उचित प्रयोग से ही भावों में स्पष्टता आती है।
आ. अव इनमें से जो चिहन पाठ में आये हैं, उन्हें ढूँढकर रेखांकित कीजिए।
उत्तर :
एक बार एक जंगल में राजेश नामक लड़का जा रहा था। रास्ते में उसे एक सोने का सिक्का मिला। वह सोचने लगा – ‘यह सिक्का मेरा तो है ही नहीं, इसें क्या करूँ लेकर … जाने किस बेचारे का सिक्का यहाँ गिर गया है। अब न तो इसे रख ही सकता हूँ और न फेंक सकता हूँ, आखिर सोना जो है’‘!
यही सब सोचते हुए वह आगे बढ़ा चला जा रहा था! रास्ते में माला जपते हुए एक साधु महाराज से मिले! उसने सोचा, क्यों न यह सिक्का साधु को ही दे दूँ।
राजेश ने जब वह सिक्का साधु को दिया तो सोने के सिक्के को देखकर साधु ने आश्चर्य से कहा – “बेटा ! यह सिक्का हमारे जैसे साधुओं के लिए नहीं है। इसे तो किसी गरीब को दे दो ताकि वह अपना पेट भर सके ”
साधु की बात मानकर राजेश आगे चला तो उसने देखा कि किसी राजा की सेना चली जा रही है। लिये जा रहे हैं। उसने एक सैनिक से पूछा-“भाई ! आपके राजा इतनी बड़ी सेना लिये कहाँ जा रहे हैं”
“यह हमारे राजा शूरसिंह हैं, जो पड़ोसी देश पर आक्रमण कर उसे लूटने जा रहे हैं”- उसने जवाब दिया।
राजेश राजा के पास गया! सोने का सिक्का उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा – “लीजिए महाराज! आप इसे रख लीजिए। ”
“बेटा ! मुझे क्यों देना चाहते हो।” – राजा ने आश्चर्य के साथ पूछा।
“महाराज! एक साधु ने कहा था कि जो सबसे गरीब दिखे उसे यह सिक्का दे देना”- राजेश करुण स्वर
में बोला।
“मैं राजा हूँ, राजा ! मैं तुझे गरीब लगता हूँ?”- राजा क्रोध में बोला।
„महाराज! यदि आप अमीर होते तो दूसरे देश को लूटने के लिए इतनी बड़ी सेना लेकर क्यों जाते ?”
राजेश की बात राजा की समझ में आ गयी। उन्हें अपनी ग़लती का अहसास हुआ! राजेश की प्रशंसा करते हुए उन्होंने सेना को वापस लौटने का आदेश दिया।
उस दिन से राजा ने अपनी संपत्ति गरीबों की सेवा में खर्च करना आरंभ कर दिया।
परियोजना कार्य :
अपनी मनपसंद कहानी कागज पर लिखकर दीवार पत्रिका पर चिपकाइए।
उत्तर :
एक गडरिया रहता था। वह भेडों को चराकर जीवन यापन करता था। वह हर दिन सुबह भेडों को चराने एक जंगल में जाता था।
एक दिन अपने भेडों के साथ जा रहा था। उसे रास्ते में एक अंगूठी दिखायी दी। उस पर कुछ लिखा हुआ था। उसने सोचा कि शायद यह अंगूठी राजा की होगी। इस प्रकार सोचकर वह तुरंत राजा अमृत सेन के यहाँ गया।
वह सचमुच राजा अमृत सेन का ही था। राजा जब शिकार के लिए जंगल आया तब इसे खो दिया था। इसे देखते ही राजा को बहुत संतोष लगा।
वह गडरिये की ईमानादारी से बहुत मुग्ध हो गया। उसे इनाम के रूप में पाँच गाँव दे दिया। सब ने गडरिये की ईमानदारी की प्रशंसा की।
विचार – विमर्श :
अपना दुःख, दर्द, निराशा,समस्या अपने माता – पिता, अध्यापक या दोस्त को बताने से कम हो जाता है और कई बार समस्या का समाधान भी मिल जाता है।
Additional Questions :
1. पढ़ो :
पठित – गद्यांश :
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
1. एक बार एक जंगल में राजेश नामक लड़का जा रहा था। रास्ते में उसे एक सोने का सिक्का मिला। बह सोचने लगा “यह सिक्छा मेरा तो है ही नहीं इसे क्या करुँ लेकर …. जाने किस बेचारे का सिक्का यहाँ गिर गया है। अब न तो इसे रख सकता हूं और न फेंक सकता हूँ आखिर सोना जो हैं“ ‘ रास्ते में माला जपते हुए एक साधुु महाराज उसे मिले । उसने सोचा क्यों न यह सिका साधु को ही दे दूँ।
प्रश्न :
1. अनुच्छेद में लडके का नाम क्या है ?
2. राजेश एक बार कहाँ पर जा रहा था ?
3. राजेश को रास्ते में क्या मिला ?
4. रास्ते में उसे कौन मिला ?
5. राजेश ने क्या सोचा ?
उत्तर:
1. अनुच्छेद में लड़के का नाम राजेश है।
2. राजेश एक बार जंगल से जा रहा था।
3. राजेश को रास्ते में सोने का सिक्का मिला।
4. रास्ते में उसे साधु मिला।
5. राजेश ने सोचा कि क्यों न यह सिक्का साधु को दे दूँ।
II. साधु की बात मानकर राजेश आगे चला तो उसने देखा कि किसी राजा की सेना चली जा रही है। इतनी बड़ी सेना को देखकर बह सोचने लगा की ज़रुर कोई बात रही होगी, जो राजा अपनी सेना लिये जा रहे हैं। उसने एक सैनिक से पूछा – “भाई ! आपके राजा इतनी बड़ी सेना लिये कहाँ जा रहे हैं?”
“ये हमारे राजा शूर सिंह हैं, जो पड़ोसी देश पर आक्रमण कर उसे लूटने जा रहे हैं।
प्रश्न :
1. साधु ने सिक्का किसे देने को कहा ?
2. राजेश किसकी बात मानकर आगे चला ?
3. राजा का नाम क्या था ?
4. राजा कहाँ जा रहा था ?
5. यह गद्यांश किस पाठ का है?
उत्तर:
1. साधु ने सिक्का गरीव को देने को कहा ।
2. राजेश साधु की बात मानकर आगे चला।
3. राजा का नाम शूर सिंह था।
4. राजा पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करने जा रहा था।
5. यह गद्यांश ‘राजा बदल गया’ पाठ का है।
III. राजेश राजा के पास गया। सोने का सिक्का उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा – “लीजिए महाराज आप इसे रख लीजिए। ”
“बेटा मुझे क्यों देना चाहते हो ?”‘ – राजा ने आश्चर्य के साथ पूछा
“महाराज एक साधु ने कहा था कि जो सबसे ग़रीब दिखे उसे यह सिका दे देना।” – राजेश करुण स्वर में बोला ।
प्रश्न :
1. राजेश ने सिक्का किसे देना चाहा ?
2. सिक्का किस धातु से बना था ?
3. राजेश ने सबसे गरीब किसे समझा ?
4. ‘राजा’ का विलोम शब्द क्या है?
5. राजेश को सिक्का गरीब को देने के लिए किसने कहा था ?
उत्तर:
1. राजेश ने सिक्का राजा को देना चाहा।
2. सिक्षा सोने धातु से बना था।
3. राजेश ने सबसे गरीब राजा को समझा।
4. ‘राजा’ का विलोम शब्द रंक है।
5. राजेश को सिक्का गरीब को देने के लिए साधु ने कहा था।
IV. “ममें राजा हूँ, राजा ! मैं तुझे गरीब लगता हूँ?” – राजा क्रोध में बोला।
“महाराज ! यदि आप अमीर होते तो दूसरे देश को लूटने के लिए इतनी बड़ी सेना लेकर क्यों जाते ?”,
राजेश की बात राजा की समझ में आ गयी। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। राजेश की प्रशंसा करते हुए उन्होंने सेना को बापस लौटने का आदेश दिया।
उस् दिन से राजा ने अपनी संपत्ति जनता की सेबा में खर्च करना आरंभ कर दिया।
प्रश्न :
1. ‘गरीब’ का उल्टा शब्द क्या है?
2. किसे अपनी गलती का अहसास हुआ ?
3. राजा ने अपनी संपत्ति किसके लिए खर्च की ?
4. राजा ने किसकी प्रशंसा की ?
5. सेना को वापस लौटने का आदेश किसने दिया ?
उत्तर :
1. ‘गरीब’ का उल्टा शब्द अमीर है।
2. राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ।
3. राजा ने अपनी संपत्ति जनता की सेवा के लिए खर्च की।
4. राजा ने राजेश की प्रशंसा की।
5. सेना को वापस लौटने का आदेश राजा ने दिया।
अपठित – गद्यांश :
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
I. मनुष्य के लिए स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है। तंदुस्त्त रहने से मन प्रसन्न रहता है। मनुष्य दुगुने उत्साह के साथ अपने काम में लग सकता है। इसके विपरीत अस्वस्थ रहने से बह उदास हो जाता है। मन नीरस रहता है। इसलिए कहा गया है कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन और मस्तिष्क का निवास होता है।
प्रश्न:
1. मनुष्य के लिए क्या आवश्यक है?
2. मन प्रसन्न कैसे रहता है?
3. तंदुरुस्त मनुष्य अपने काम में कैसे लग सकता है ?
4. किस कारण से मनुष्य उदास हो जाता है ?
5. स्वस्थ तन में किसका निवास होता है ?
उत्तर :
1. मनुष्य के लिए स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है।
2. तंदुरुस्त रहने से मन प्रसन्न रहता है।
3. तंदुरुस्त मनुष्य अपने काम में दुगुने उत्साह के साथ लग सकता है।
4. अस्वस्थ रहने से मनुष्य उदास हो जाता है।
5. स्वस्थ तन में स्वस्थ मन और मस्तिष्क का निवास होता है।
II. “प्राचीन काल के गाँव स्वावलंबी और धन – धान्य संपन्न हुआ करते थे। गाँव के लोग प्रेम से मिल – जुलकर रहते थे और अतिथियों का सत्कार करते थे। नगरों के कोलाहल से दूर शांत वातावरण में रहते थे। गाँब में मुख्य रूप से किसान रहते थे। उनकी सहायता करने के लिए बढई, कुम्हार, सुनार, लोहार, नाई, जुलाहे वैद्य, पुजारी आदि रहते थे। पैसे का लेन देन कम था। किसान की सभी ब्यवसायी सहायता करते थे।
प्रश्न :
1. प्राचीन काल में गाँव कैसे रहते थे ?
2. गाँव के लोग कैसे रहते थे ?
3. शहर का वातावरण कैसा होता था ?
4. गाँव में किसका लेन देन कम था ?
5. किसान की सहायता कौन करते थे ?
उत्तर :
1. प्राचीन काल में गाँव स्वावलंबी और धनधान्य संपन्न हुआ करते थे।
2. गाँव के लोग प्रेम से मिलजुलकर रहते थे और अतिथियों का सत्कार करते थे।
3. शहर का वातावरण कोलाहल युक्त होता था।
4. गाँव में पैसे का लेन – देन कम था।
5. किसान की सभी व्यवसायी सहायता करते थे ।
II. लिखो :
लघु प्रश्न :
प्रश्न 1.
साधु ने सिक्का गरीब को देने के लिए क्यों कहा ?
उत्तर :
साधु लोग भिक्षा माँगकर अपने जीवन यापन करते हैं। उनको किरी (दूसरों के) चीज़ पर आशा नहीं होती वे सब कुछ त्यागने से ही साधु बन जाते है। साधु परोपकारी हाते हैं। इसलिए साधु ने सिक्का गरीब को देने के लिए कहा।
प्रश्न 2.
अगर हमें किसी की कोई चीज़ मिलती है, तो हम क्या करेंगे?
उत्तर :
अभर हमें पाठशाला में कोई चीज़ मिलती है, तो हम उसे कार्यालय में दे देंगे। सडक पर को चीज़ मिली तो हम उसके बारे में पूछ-ताछ करके वह जिसका है उसे दे देंगे।
प्रश्न 3.
राजेश ने सोने के सिक्के का क्या किया ?
उत्तर :
राजेश ने सोने के सिक्के को पहले साधु को दिया । साधु ने कहा कि इसे किसी गरीब को दे दो ताकि वह अपना पेट भर सके। तब राजेश ने दूसरी बार उसे राजा को दिया।
प्रश्न 4.
राजा का नाम क्या था? वह कैसा था ?
उत्तर :
राजा का नाम शूरसिंह था। वह वीर और शूर था। लेकिन वह बहुत लालची था। वह क्रूर भी था। वह धन के लिए दूसरे राज्यों को लूटता था।
प्रश्न 5.
राजेश को जगंल में क्या – क्या दिखायी दिये होंगे ?
उत्तर :
राजेश को जंगल में पेड – पौधे, पशु – पक्षी, जानवर, झरने आदि दिखायी दिये होंगे।
II. सृजनात्मक अभिव्टति
प्रश्न 1.
अपने यहाँ के किसी पर्व का वर्णन करते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
वरंगल,
ता. ×××
प्रिय मित्र रवि,
तुम्हारा पत्र अभी मिला। पढ़कर खुश हुआ । दशहरे की छुट्टियाँ समाप्त हो गयी। यहाँ कल दीपावली भी खूब मनायी गयी। दीपावली हिन्दुओं का मुख्य त्योहार है। इसे सभी लोग मनाते हैं। प्राचीन काल में श्रीकृष्ण ने सत्यभामा समेत जाकर दुष्ट नरकासुर का वध किया। तब से उसके उपलक्ष्य में लोग दीपावली खुशी से मनाते आ रहे हैं। उस दिन घर की सफ़ाई की जाती है। अभ्यंगन स्नान करते है। बन्धु लोग आते हैं। पकवान खाते है। बच्चे फुलझडियाँ और पटाखे जलाते हैं। लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ब्यापारी लोग अपने पुराने हिसाब ठीक करके नये हिसाब शुरू करते हैं। तुम्हारे माँ-बाप को मेरे प्रणाम कहना।
तुम्हारा,
के. मणि कुमार,
आठर्वी कक्षा।
पता :
वि. रवि कुमार,
हिन्दू हाईस्कूल,
आठवी कक्षा,
कोत्तपक्ळि, करीमनगर।
సారాంశము :
ఒకసారి ఒక అడవి గుండా రాజేష్ అను ఒక పిల్లవాడు వెళుతూ ఉండెను. దారిలో అతనికి ఒక బంగారు నాణెము లభించినది. అప్పుడు ఆ బాలుడు ఈ నాణెం నాది కానేకాదు కదా ! దీనిని తీసుకుని నేను ఏమి చేసుకోను ? పాపం ఎవరి నాణెం పడిపోయిందో తెలుసుకుందాం. ఇప్పుడు దీన్ని నేను ఉంచుకోనూ. లేను, పారవేయనూ లేను. ఇది బంగారు నాణెం కదా! అని ఆలోచించుచుండెను.
ఈ విధంగా ఆలోచిస్తూ అతడు ముందుకు నడవసాగెను. దారిలో జపమాల తిప్పుకుంటూ అతడికి ఒక సాధువు ఎదురు వచ్చెను. అతడు ఈ నాణెమును ఈ సాధువుకు ఎందుకు ఇవ్వకూడదు ? అని ఆలోచించెను.
రాజేష్ ఆ నాణెమును సాధువుకు ఇవ్వగా ఆ సాధువు ఆశ్చర్యంతో “కుమారా ! ఈ నాణెము మా లాంటి సాధువులకు అవసరం లేదు. దీనిని ఎవరైనా పేదవారికి ఇచ్చినట్లయితే వారు దీంతో పొట్ట నింపుకుంటారు.” అని చెప్పెను.
సాధువు మాటలు విని రాజేష్ ముందుకు నడిచెను. అతనికి ఎవరిదో ఒక రాజసైన్యం వెళ్ళడం కన్పించినది. ఇంత పెద్ద సైన్యాన్ని చూసిన అతడు బహుశ ఏదో ఒక కారణం ఉండే ఉండి ఉంటుంది, అందుకే రాజుగారు తన సైన్యాన్ని తీసుకుని వెళ్ళుచున్నారు అని ఆలోచించెను. అతడు ఒక సైనికుడిని “సోదరా ! ఇంత పెద్ద సైన్యం తీసుకుని (వెంట పెట్టుకుని మీ రాజుగారు ఎక్కడికి వెళ్ళుచున్నారు ?” అని అడిగెను.
ఇతడు మా రాజుగారైన “శూరసింహుడు”. ఆయన “పొరుగు రాజ్యంపై దాడిచేసి ఆ రాజ్యాన్ని దోచుకోవడం కోసం వెళ్ళుచున్నారు” అని అతడు సమాధానం చెప్పెను.
రాజేష్ ఆ రాజుగారి వద్దకు వెళ్ళెను. బంగారు నాణెమును రాజుగారికి అందిస్తూ “తీసుకోండి మహారాజా, దీనిని మీరు ఉంచుకోండి” – అని చెప్పెను.
దానికి ఆ రాజుగారు “కుమారా! దీన్ని నాకు ఎందుకు ఇవ్వకోరితివి?” అని ఆశ్చర్యంగా అడిగిరి.
“మహారాజా ! ఒక సాధువు నీకు ఎవరైనా అందరికంటే పేదవాడు కనిపిస్తే అతనికి ఈ నాణెమును ఇవ్వమని చెప్పిరి” అని రాజేష్ కరుణ స్వరంతో రాజుగారితో చెప్పెను.
“నేను రాజును. నేను నీకు పేదవాడిగా అనిపిస్తున్నానా?” – అని రాజు కోపంతో అన్నాడు..
“మహారాజా ! మీరు ధనవంతులైతే రెండవ రాజ్యాన్ని (పొరుగు/వేరొక/మరొక) దోచుకోవడానికి ఇంత పెద్ద సైన్యం తీసుకొని ఎందుకు వెళతారు ?”
రాజేష్ మాటలు రాజుగారికి అర్థమైనవి. వారికి తన తప్పు తెలిసినది. రాజేషన్ను ప్రశంసిస్తూ తన సైన్యాన్ని వెనుకకు మళ్ళించుటకు ఆజ్ఞాపించెను.
ఆ రోజు నుండి రాజు తన సంపదనంతా పేదవారి సేవలో ఖర్చుపెట్టడం ప్రారంభించెను.
वचन :
- जंगल – जंगल
- सिक्का – सिक्षे
- बेटा – बेटे
- राजा – राजा लोग
- सेवा – सेवाएँ
- लडका – लडके
- बेचारा – बेचारे
- साधु – साधु लोग
- बात – बातें
- बस्ती – बस्तियाँ
- रास्ता – रास्ते
- माला – मालाएँ
- सेना – सेनाएँ
- गलती – गलतियाँ
- रुपया – रुपये
लिंग :
- बालक – बालिका
- लडका – लडकी
- महाराज – महारानी
- पडोसी – पडोसिन
- सेवक – सेविका
- बचा – बची
- गरीब – गरीबिनी
- देवर – देवरानी
- राजा – रानी
- बेटा – बेटी
- भाई – बहन
- युवक – युवती
उल्टे शब्द :
- लेना × देना
- साधु × क्रूर
- बड़ी × छोटी
- क्रोध × शांत
- आरंभ × अंत
- रखना × फेंकना
- गरीब × अमीर
- जवाब × प्रश्न
- समझ × ना समझ
- खर्च × बचत
- आखिर × शुरू
- आगे × पीछे
- पास × दूर
- प्रशंसा × निंदा
पर्यायवाची शब्द :
- लडका – बालक, बच्चा
- सोना – हेम, कंचन
- जवाब – उत्तर
- राजा – नृप, शासक
- रास्ता – मार्ग, पथ
- प्रश्न – सवाल
- जंगल – वन
- साधु – संत
- प्रशंसा – स्तुति
प्रत्यय :
- महाराज – राज
- गरीबी – ई
- खुशी – ई
- पडोसी – ई
- दुखी – ई
- ग़लती – ई
- सुखी – ई
संधि विच्छेद :
- महाराज = महा + राज
- संग्रहालय = संग्रह + आलय
- सचिवालय = सचिव + आलय
- राजेश = राजा + ईश
- ग्रंथालय = ग्रंथ + आलय
- मंत्रालय = मंत्र + आलय
उपसर्ग :
- महाराज – महा
- सुविशाल – सु
- अहसास – अह
- सक्रिय – स
- सुस्वागत – सु
- सप्रेम – स
- कुसंग – कु
वाक्य प्रयोग :
- आश्चर्य – इसमें आश्चर्य क्या है?
- ज़रूर – मुझे एक ज़रूरी काम पर आज हैदराबाद जाना है।
- पडोसी – पडोसी देश वालों से भी दोस्ती करनी चाहिए।
- आक्रमण – भारत पर कई विदेशी राजाओं का आक्रमण हुआ।
- अमीर – क्या अमीर लोगों को दिल नहीं होता ?
- आरंभ – उसने चित्र खींचना आरंभ किया।
मुहावरे वाले शब्द :
1. आश्चर्य में पडना = विस्मय में पडना, विस्मित होना
राजा आश्चर्य में पड गये।
2. आश्चर्य में डालना = चकित करना
छात्रों के प्रश्न अध्यापक जी को आश्चर्य में डाल दिये।
3. आश्चर्य का टिकाना न रहना = अत्यधिक आश्चर्य चकित होना
इस वैज्ञानिक चित्र को देखकर छात्रों का आश्चर्य का कोई
ठिकाना न रहा।
4. समझ लेना = निश्चय या निर्णय कर लेना।
अंत में राजा को समझ लेने में अधिक समय नहीं लगा।
5. समझा जाना = निपटना
बालकों से इस बात को समझा जाना है।
6. समझ में आना = निश्चय में आना
बात मेरी समझ में आयी।
7. आगे बढ़ जाना = उत्रत और समृद्ध हो जाना
राजा की सेना आगे बढ़ गयी।
8. पेट भरना = दाल रोटी मिलना, खाना मिलना
रुपयों से कोई पेट भर सकता है?
9. लूटने जाना = सब कुछ छीनने जाना
राजा किसी देश को लूटने जा रहा है।
10. प्रशंसा करना = तारीफ़ करना
अध्यापक जी ने रामू की प्रशंसा की ।
शब्दार्थ (అర్ధములు) (Meanings) :