Telangana SCERT TS 8th Class Hindi Guide Pdf 11th Lesson हार के आगे जीत है Textbook Questions and Answers.
TS 8th Class Hindi 11th Lesson Questions and Answers Telangana हार के आगे जीत है
प्रश्न :
प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है ?
उत्तर :
चित्र में अपाहिज लोगों का फुटबॉल खेल दिखायी दे रहा है।
प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं ?
उत्तर :
वे सभी फुटबॉल खेल खेल रहे हैं।
प्रश्न 3.
इसे देखने पर हमारे मन में क्या विचार उठते हैं ?
उत्तर :
इसे देखने पर हमारे मन में यह विचाए उठते हैं कि अपाहिजों को भी मन होता है, कुछ आशाएँ ओर आकांक्षाएँ होती हैं। उन आशाओं और आकांक्षाओं को सफल बनाने में हमें उन्हें सहयोग देना चाहिए।
सुनो – बोलो :
प्रश्न 1.
पाठ का शीर्षक कैसा लगा और क्यों?
उत्तर :
पाठ का शीर्षक “हार क आगे जीत है” सही लगा। क्योंकि हर हार के आगे जीत अवश्य होता है। यदि आज हारे तो कल गा एक न एक दिन जरूर जीत मिलेगी।
प्रश्न 2.
शारीरिक रूप से कमः गोर लोगों को किन कठिनाइयों का सामना करना पडता है ?
उत्तर :
शरीरिक रूप से कमज़ो लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पडता है। वे किसी काम को नहीं कर सकते। न फिर सक। हैं। न चल सकते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो न सुन सकते हैंन बोल सकते और न देख सकते हैं। से लोग कहीं न जा सकते हैं।
पढ़ो :
अ. नीचे दिये गये वाक्य पढ़िए। किसने कहा बताइए।
वाक्य | किसने कहा ? |
अ. मैं क्या कर सकती हूँ जबकि मैं चल ही नहीं पाती हूँ? | विल्मा |
आ. दौड़ की कला मैं तुम्हें सिखाऊँगा। | टेंपल |
इ. जमीन पर अपने कदम सीधे नहीं रख पायेगी। | डॉक्टर |
आ. चित्र देखिए। उससे जुडे वाक्य पाठ में दूँढ़िए। रेखांकित कीजिए।
उत्तर :
…………. उसको चार वर्ष की उम्र में पोलियो हो गया था। तब से वह बैसाखियों के सहारे चलती थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था कि वह कभी भी ज़मीन पर अपने कदम सीधे नहीं रख पायेगी।
…………. पहली दौड़ 100 मीटर की थी। इसमें विल्मा ने जुत्ता को हराकर अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। दूसरी दौड़ 200 मीटर की थी। इसमें भी विल्मा ने जुत्ता को दूसरी बार हराया और उसने दूसरा स्वर्ण पदक जीता।
………… विल्मा ने गिरी हुई बेटन उठायी और यंत्र की तरह तेज़ी से दौड़ी तथा जुत्ता को तीसरी बार भी हराया और अपना तीसरा स्वर्ण पदक जीता।
………….. यह उसके कठोर परिश्रम का ही परिणाम था कि उसने 1960 के के रोम ओलम्पिक में 100 व 200 मीटर की दौड़ और 400 मीटर की रिले दौड़ में स्वर्ण पदक जीते । और एक ही ओलम्पिक में तीन स्वर्ण पदक जीते । और एक ही ओलम्पिक में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली अमेरिकी एथलीट बनी।
लिखो :
अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
विल्मा की माँ ने उसे प्रेरणा नहीं दी होती तो क्या होता ? सोचकर लिखो।
उत्तर :
विल्मा की माँ प्रेरणा नहीं दी होती तो विल्मा ऐसी अपाहिज की तरह् ही रह जाती थी। विल्मा की सफलता में उसकी माँ का बडा हाथ था। माँ सदा उसके साथ रहकर उसमें आत्मविश्वास जगाती रही। इस प्रकार विल्मा की सफलता में उसकी माँ की प्रेरणा अधिक थी।
प्रश्न 2.
विल्मा का जीवन प्रेरणादायक है। कैसे?
उत्तर :
विल्मा का जीवन बडा प्रेरणादायक है। पोलियो से पीडित होकर बैसाखियों से चलनेवाली होने पर भी ओलंपिक क्रीडाओं में भाग लेकर एक ही ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक पायी।
इसलिए हम कह सकेंगें कि विल्मा का जीवन प्रेरणादायक है।
आ. इस पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
विल्मा ग्लोडियन रुडाल्फ़ का जन्म सन् 1940, जून 23 को अमेरिका के टेनेसी प्रांत में एक रेलवे मजदूर के घर में हुआ। विल्मा की माँ घर-घर जाकर झाडू पोछा लगाती थी। विल्मा नौ वर्ष तक ज़मीन पर कभी पाँव रखकर नहीं चल सकी। क्योंकि उसको 4 वर्ष की उम्र में पोलियो हो गया था। तब से वह बैसाखियों के सहारे चलती थी। उसकी माँ बडी धर्मपरायण और सकारात्मक मनोवृत्ति वाली साहसी महिला थी।
विल्मा दुनिया की सबसे तेज़ धावक बनने की इच्छा व्यक्त की। तो माँ ने उसे प्रोत्साहन दी। माँ ने उससे कहा कि “ईश्वर में विश्वास, स्वयं पर भरोसा, मेहनत और लगन से तुम सब कुछ प्राप्त कर सकते हो।”
माँ की प्रेरणा व हिम्मत से 9 वर्ष की उम्र में बैसाखियाँ उतार फेंकी और चलना प्रारंभ किया। इस प्रयन्न में कई बार ज़ख्मी हुई, दर्द झेली। उसने हिम्मत नहीं हारी। आखिर वह बैसाखियों के बिना चलने में कामयाब हो गयी।
इस प्रकार वह पहली दौड प्रतियोगिता में, उसके बाद दूसरी, तीसरी और चोथी दौड प्रतियोगिताओं में भी आखिरी स्थान पायी।
15 वर्ष की उम्र में विल्मा टेनेसी स्टेट विश्वविद्यालय गयी। वहाँ वह एड टेंपल नाम के एक कोच से मिली। उससे दौड की कला सीखने लगी।
आखिर वह दिन आया। विल्मा ओलंपिक में हिस्सा ली। 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर की रिले रेस में जुत्ता से मुकाबला करके तीनों में ख्वर्ण पदक पाया। इस प्रकार 1960 के रोम ओलंपिक में दुनिया की सबसे तेज़ धावक बन गयी। वह उसके कठोर परिश्रम का परिणाम था।
शब्द भंडार :
अ. अर्थ लिखिए।
जैसे – धावक – जो तेज़ दोड़ता है, उसे धावक कहते हैं।
ओलंपिक, रिले दौड़, बेटन, पोलियो
अर्थ | |
धावक | जो तेज़ दौडता है, उसे धावक कहते हैं। |
ओलंपिक | सन् 776.सी. ने ग्रीक देश में ओलंपिया प्रांत में ओलंपिक प्रारंभ हुआ । |
रिले दौड़ | दो या दो से अधिक प्रतियोगी एक दल बनकर निश्चित दूरी को बाँटते हुए दौड़ पूरा करते हैं। |
बेटन | रिले दौड़ में काम आनेवाला लोहे का कोखला ड़ंडा |
पोलियो | यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से चल नहीं सकते। |
आ. भारतीय ओलंपिक विजेताओं के चित्र देखो। किसी एक के वारे में लिखिए।
उत्तर :
1. कसाबा दादू साहेब जादव :कसाबा दादू साहेब जादव” भारत देश की ओर से प्रथम ओलम्पिक विजेता।
2. लिएंडर एड्रियन पेस : लिएंडर एड्रियन पेस (बंगाली 17 जून) 1973 में ज़न्मे एक भारतीय पेशेवर टेनिस खिलाडी है जो वर्तमान में सुविधाओं डबल्स में घटनाओं एटीपी दूर और डेविस कप टूर्नामेंट, सात युगल और छह मिश्रित युगल ग्रेंड स्लैंम खिताब जीता है वह भारत का सर्वोच खेल सम्मान के प्राप्तकर्ता है। राजीव गाँधी खेल रत्र पुरसकार 1996-1997 में, अर्जुन पुरस्कार, 1990 में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत में टेनिस और पद्म पुरखकार 2001 में, पेस पुरुष युगल में 2012 में ओंस्ट्रेलियन ओपन जीतने के बाद करियर ग्रेंड स्लैम पूरा किया।
3. कर्णम मलेश्षरी : एक भारतीय भारोत्तोलक। उसे पहली बार वह ‘राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियनशिप वज़न उठाने भाग लिया, और पहले खड़ी थी।
4. राजवर्धन सिंह राठौर: राजवर्धन सिंह राठौर (29 जनवरी 1970 में जन्म, जैसलमेर, राज्यस्थान) एक भारतीय शूटर जो पुरुषों में रजत पदक जीता डबल ट्रैप में 2004 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक।
5. विजयेंदर : भारतीय स्टार मुक्केबाज़ विजयेंदर सिंह 75 किलोग्राम वर्ग के कार्टर फ़ाइनल में पहुँच गए हैं। विजयेंदर … पहले राउंड में विजयेंदर सिंह ज़्यादा आक्रमक नही रहे बल्कि उन्होंने विरोधी को पढ़ते हुए जवाबी हमलों पर ध्यान दिया।
परियोजना कार्य :
तुम अपने मनपसंद खिलाड़ी के बारे में नीचे दी गयी जानकारियाँ लिखो।
1. खिलाड़ी का नाम, 2. खेल, 3. कितने वर्षों से खेल रहा है?, 4. सम्मान, 5. क्यों पसंद है?
1. खिलाड़ी का नाम | सचिन रमेश टोडूल्कर |
2. खेल | क्रिकेट |
3. कितने वर्षों से खेल रहा है ? | पच्चीस – तीस |
4. सम्मान | संसद सदस्यता दी गयी । |
5. क्यों पसंद है ? | क्रिकेट की दुनिया में सौ शतक पाये। |
प्रशंसा :
खेल में हार – जीत लगी रहती है। हार के प्रति आप कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करोगे?
उत्तर :
खेल में हार – जीत लगी रहती है। हार के प्रति मैं इस प्रकार अपनी प्रतिक्रिया को व्यक्त करूँगा – खेल में दो पक्ष होते हैं। एक जीतेगा और दूसरा हारेगा। इसमें नाराज़गी या वैर भाव की क्या बात ? इस बार हार जाए तो अगली बार जीतूँगा। जीतने की कोशिश करूँगा। विपक्षी अगर जीतता है तो उसके खेल को समझूँगा और उसकी सराहना करूँगा। अपनी हार से भी सीखूँगा और अपनी जीत से भी सीखूँगा।
सृजनात्मक अभिव्यक्ति :
विल्मा का साक्षात्कार लेने के लिए एक प्रश्नावली तैयार कीजिए।
उत्तर :
1. क्या आपकी माता जी से ही आपको प्रेरणा मिली है ?
2. आप किस कक्षा से चलने योग्य बने ?
3. आपका पहला धावक कब शुरू हुआ?
4. आप किस साल के ओलिंपिक में भाग ली थी ?
5. आप जैसे अपाहिजों को आपका संदेश क्या है ?
6. ख्वर्ण पदक जीतने पर आपकी अनुभव कैसी थी ?
भाषा की बात :
रेखांकित शब्द के स्थान पर बेटा, भाई, वहन, मित्र, छात्र शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य फिर से लिखिए।
“मेरी बेटी, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकती हो।”
जैसे : “मेरे बेटे, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।”
उत्तर :
“मेरे भाई, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।”
” मेरी बहन, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकती हो।”
“मेरे मित्र, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।”
“मेरे छात्र, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।”
Essential Material for Examination Purpose :
1. पढ़ो :
पठित – गद्यांश
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
माँ की प्रेरणा व हिम्मत से 9 वर्ष की विल्मा ने बैसाखियाँ उत्तर फेंकी ब चलना प्रारम्भ किया। अचानक बैसाखियाँ उतार देने के बाद चलने के प्रयास में कई बार ज़ख्मी होती रही, दर्द झेलती रही, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और कोई सहारा नहीं लिया गया। आखिरकार एक साल के बाद बह बिना बैसाखियों के चलने में कामयाब हो गयी। इस प्रकार आठयीं कक्षा में आते आते उसने अपनी पहली दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और बह सबसे पीछे रही।
प्रश्न :
1. किसकी प्रेरणा से विल्मा ने बैसाखियाँ फेंक दीं ?
2. विल्मा क्यों ज़स्मी होती रही ?
3. विल्मा को बिना बैसाखियों के चलना सीखने में कितना समय लगा ?
4. विल्मा ने किस कक्षा में पहली दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया ?
5. यह गद्यांश किस पाठ से है ?
उत्तर :
1. माँ की प्रेरणा से विल्मा ने बसाखियाँ फेंक दी।
2. बिना बैसाखियों के चलने के प्रयास में विल्मा ज़ख्मी होती रही।
3. विल्मा को बिना बैसाखियों के चलना सीखने में एक साल लगा।
4. विल्मा ने आठवी कक्षा में पहली दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया।
5. यह गद्यांश ‘हार के आगे जीत है’ पाठ से है।
II. यह उसके कठोर परिश्रम का ही परिणाम था कि उसने 1960 बे रोम ओलिम्पिक में 100 व 200 मीटर की दौड़ और 400 मीटर की रिले दौड़ में स्वर्ण זदक जीते । और एक ही ओलिम्पिक में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली अमेरिकी एथलीट बनी। रोम से लौटने पर पूरा अमेरिका उस लड़की के स्वागत में खड़ा था, जो कभी अपने पैरों पर भी खड़ी नहीं हो सकत्ती थी। उन्हीं के बीच में थी उसकी माँ, जिसकी बजह से आन वह इस मुकाम पर पहुँची थी ।
प्रश्न :
1. उपर्युक्त पंक्तियाँ किसके बारे में है?
2. विल्मा किस देश की रहने वाली थी?
3. विल्मा ने ओलंपिक में कितने स्वर्ण पदक जीते ?
4. 1960 में ओलंपिक खेल कहाँ हुए थे ?
5. विल्मा को सफलता किसकी वजह से मिली थी ?
उत्तर :
1. उपर्युक्त पंक्तियाँ विल्मा के बारे में हैं।
2. विल्मा अमेरिका की रहने वाली थी।
3. विल्मा ने ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक जीते।
4. 1960 में ओलंपिक खेल रोम में हुए थे।
5. विल्मा को सफलता उसकी माँ की वजह से मिली थी।
III. अमेरिका के टेनेसी प्रान्त में एक रेलवे मज़दूर के घर में 23 जून, 1940 में बिल्मा ने जन्म लिया, जिसकी माँ घर – घर जाकर झाडू – पोछा लगाती थी। वह नौ वर्ष तक ज़मीन पर कभी पाँव रख कर नहीं चल सकी, क्योंकि उसको चार वर्ष उम्र में पोलियो हो गचा था। तब से बह बैसाखियों के सहारे चलती थी।
प्रश्न :
1. अमेरिका के किस प्रान्त में विल्मा का जन्म हुआ?
2. विल्मा का जन्म कब हुआ है?
3. विल्मा की माँ क्या करती थी ?
4. विल्मा को किस उम्र में पोलियो हो गया था ?
5. विल्मा किसके सहारे चलती थी ?
उत्तर :
1. अमेरिका के टेनेसी प्रान्त में विल्मा का जन्म हुआ।
2. विल्मा का जन्म 23 जून, 1940 में हुआ।
3. विल्मा की माँ घर – घर जाकर झाडू – पोछा करती थी।
4. विल्मा को चार वर्ष की उम्र में पोलियो हो गया था।
5. विल्मा बैसाखियों के सहारे चलती थी।
अपठित – गद्यांश :
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
I. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहता है और समाज में ही जीवन यापन करता है। एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के साथ पारस्परिक संबंध होते हैं। कई व्यत्तियों के आपसी व्यवहार से एक समाज का निर्माण होता है। अतः व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र, राष्ट्र से राज्य और राज्य से विश्व की परिकल्पना होती है। इसीलिए हमारे यहाँ प्राचीन काल से ‘बसुधैब कुटुंबकमू’ की धारणा मान्य रही है। विश्य में मनुष्य के अपने आपसी ब्यवहार से व्यत्तितात संबंध बनते और बिगड़ते रहे हैं। मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध है लैंगिक संबंधा यह मनुष्य में एड्रस रोग का प्रमुख कारण है। विश्व को एड्स की बीमारी से दूर रखने के लिए आघश्यक है कि इस रोग के बारे में समाज में जागरूकता लाई जाए।
प्रश्न :
1. मनुष्य कहाँ रहता है और वह कहाँ जीवन यापन करता है ?
2. एक समाज का निर्माण कैसा होता है?
3. प्राचीन काल से किसकी धारणा मान्य रही है ?
4. मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध क्या है?
5. विश्व की परिकल्पना कैसी होती है?
उत्तर
1. मनुष्य समाज में रहता है और वह समाज में ही जीवन यापन करता है।
2. कई व्यक्तियों के आपसी व्यवहार से एक समाज का निर्माण होता है।
3. प्राचीन काल से “वसुधैव कुटुंबकम” की धारणा मान्य रही है।
4. मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध लैंगिक संबंध है।
5. व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र, राष्ट्र से राज्य और राज्य से विश्व की परिकल्पना होती है।
II. हमें तीन चीज़ों की ज़रूरत है – खाना, कपडा और मकान। खाने की चीज़े जैसे अनाज, तरकारी आदि हमें किसान देते हैं। किसान गाँवों में रहते हैं। बे पहले खेत जोतते हैं। बाद में पानी सींचते हैं और बीज बोते हैं। थोडे दिनों के बाद फ़सल काटते हैं और गाडियों में लादकर दुकानों को भेजते हैं। बहाँ से हम अनाज को खरीदकर खाते हैं। वे ही किसान तरकारी भी पैदा करते हैं।
प्रश्न :
1. किसान कहाँ रहते हैं?
2. हमें किन – किन चीज़ों की जरूरत हैं?
3. खाने की चीजें हमें कौन देते हैं?
4. हम अनाज को कहाँ से खरीदकर खाते हैं?
5. हमें किसान क्या – क्या देते हैं?
उत्तर :
1. किसान गाँव में रहते हैं।
2. हमें तीन चीजों की ज़रूरत है – खाना, कपडा और मकान।
3. खाने की चीज़ें हमें किसान देते हैं।
4. हम अनाज को दुकानों से खरीदकर खाते हैं।
5. हमें किसान खाने की चीज़ें जैसे अनाज, तरकारी आदि देते हैं।
II. लिखो :
लघु प्रश्न :
प्रश्न 1.
विल्मा की तुम्हें कौन – सी बात सबसे अच्छी लगी और क्यों ?
उत्तर :
विल्मा को चार वर्ष की उम्र में पोलियो हो गया था। डॉक्टरों ने अपनी निस्सहायता प्रकट करने पर भी उसने स्वयं पर भरोसा रखकर मेहनत और लगन से धैर्य के साथ बैसाखियाँ उतारकर चलना आरंभ किया। इस प्रयास में कई बार ज़खी होने पर भी अपने लक्ष्य को नहीं छोडना मुझे बहुत अच्छी लगी। क्योंकि वह अपनी माँ की बातों पर और खुद अपने पर विश्वास रखते हुए आगे बढी। और कामयाब हो गई।
प्रश्न 2.
पोलियो का विज्ञापन ‘दो बूँद ज़िंदंगी की’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
“दो बूंद ज़िंदगी की’ यह विज्ञापन बहुत सोच समझकर रखा गया है। पोलियो को समूल निर्मूलन करने की उद्देश्य से सरकार मुफ़्त में वैक्सिन दे रहा है। पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए दो बूँद देने से ज़िंदगी भर पोलियो से मुक्त रह सकते हैं।
प्रश्न 3.
अपने पैरों पर खडे होने का अर्थ पता लगाकर, दो वाक्य लिखो।
उत्तर :
अपने पैरों पर खडे के दो अर्थ बता सकते हैं। एक तो अपने पैरों पर खडे होने का अर्थ बिना सहारे अपने आप अपने पाँव पर खडे रहना। दूसरा तो यह है कि किसी दूसरों की सहायता के बिना अपने आप का पालन – पोषण करलेना भी अपने पैरों पर खडे होने का अर्थ है।
लघु निबंध प्रश्न :
प्रश्न 1.
ओलंपिक में विल्मा का मुकाबला किससे था ? इस मुकाबले में उसका प्रदर्शन कैसा था?
उत्तर :
ओलंपिक में विल्मा का मुकाबला दुनिया के सबसे तेज़ दौडनेवालों में एक “जुत्ता हेन” से था जिसे कोई भी हरा नहीं पाया था। पहली दौड 100 मीटर में विल्मा ने जुत्ता को हराकर अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। दूसरी दौड 200 मीटर में भी उसने दूसरी बार हराकर स्वर्ण पदक जीता। तीसरी दौड 400 मीटर की रिले रेस थी और विल्मा का मुकाबला एक बार फिर जुत्ता से ही था। रिले में रेस का आखरी हिस्सा टीम का सबसे तेज़ खिलाडी ही दौडता है। जब अंत में विल्मा की दौडने की बारी आई उससे बेटन छूट गयी। लेकिन विल्मा ने देख लिया कि दूसरे छोर पर जुत्ता हेन तेज़ी से दौडी चली आ रही है। विल्मा ने गिरी हुई बेटन उठाई और यंत्र की तरह तेज़ी से दौडी तथा जुत्ता को तीसरी बार भी हराया और अपना तीसरा स्वर्ण पदक जीता।
సారాంశము :
శారీరకంగా, మానసికంగా, ఆత్మపరంగా ఎవరైతే బలవంతులుగా ఉంటారో వారి అడుగులను (పాదాలను) విజయం (సఫలత) ముద్దు పెట్టుకుంటుంది. శక్తి కోసం శారీరక ఆరోగ్యం అవసరం. నిశ్చిత పరిస్థితుల్లో సమయంపై మన ప్రదర్శన కోసం మానసిక సమతౌల్యం కావాలి. విలువలకు అనుగుణంగా జీవించుటకు ఆత్మబలం కావాలి. ఈ మూడింటి శక్తి సామర్థ్యాలకు మరో పేరే విల్మా గ్లోడియన్ రుడాల్ఫ్,
అమెరికాలోని టెనెసీ ప్రాంతంలో ఒక రైల్వే కూలి వాని ఇంట 23 జూన్, 1940లో విల్మా జన్మించింది. ఆమె తల్లి ఇంటింటికి వెళ్ళి కసువు ఊడ్చే ఉద్యోగం చేసేది. ఆమె (విల్మా) 9 సం॥ల వయస్సు వచ్చేవరకు నేలపై ఎప్పుడూ కాలుపెట్టి నడవలేదు. ఎందుకనగా తన నాల్గవయేట తనకు పోలియో వ్యాధి సోకినది. అప్పటి నుండి ఆమె చేతికర్రల సహాయంతో నడవసాగింది. వైద్యులు ఆమె ఎప్పటికీ తన అడుగులను నేలపై సక్రమంగా వేయలేదని చెప్పిరి.
ఆమె తల్లి చాలా ధర్మపరాయణురాలు (ఆధ్యాత్మిక చింతన కల్గిన స్త్రీ). సకారాత్మక మనోవృత్తి కల్గిన సాహస వనిత (మహిళ), తల్లి ఆదర్శవాద మాటలు విన్న విల్మా “అమ్మా ! నేనేమి చేయగలను నడవనే లేనప్పుడు?” అని అన్నది.
“నా కుమార్తె ! నీవు ఏది కోరుకుంటే దాన్ని పొందగలవు” అని అమ్మ ఆత్మవిశ్వాసంతో చెప్పింది. అప్పుడు విల్మా “మరి నేను ఈ ప్రపంచంలో అందరికంటే వేగవంతంగా పరుగెత్తు అథ్లెట్ను కాగలనా ?” అని వెంటనే ప్రశ్నించినది. అది విన్న తల్లి ఎందుకు కాలేవు కుమారి ?. నీపై నాకు పూర్తి విశ్వాసం (నమ్మకం) ఉంది” అని చెప్పింది “దృఢ విశ్వాసం.
“ఎలాగమ్మా? వైద్యులు చెప్పే మాటలను బట్టి నేను నడవడం అసంభవం కదా! ” – అని విల్మా కరుణ స్వరంతో తన తల్లితో చెప్పింది.
“భగవంతునిపై నమ్మకం (విశ్వాసం), తన మీద భరోసా, పరిశ్రమ పట్ల ఇష్టంతో నీవు ఏది కోరుకుంటే అది పొందగలవు” అని తల్లి విల్మాతో అంటూ విల్మాను తన ఒడిలోకి తీసుకుంది.
తల్లి ఇచ్చిన ప్రేరణ మరియు ధైర్యంతో 9 సం॥ల విల్మా చేతికర్రలను తీసివేసి నడవడం ప్రారంభించింది. అకస్మాత్తుగా (ఒక్కసారిగా) చేతికర్రలను తీసివేసి నడిచే ప్రయాసలో ఎన్నోసార్లు గాయపడినది. నొప్పిని ఓర్చుకున్నది. కానీ ఆమె
ఎన్నడూ ధైర్యం వీడలేదు ఎవరి సహాయం (ఊతం) తీసుకోలేదు. చివరకు ఒక సం॥రం తర్వాత ఆమె చేతికర్రలు లేకుండానే నడవడంలో విజయం పొందింది. ఈ విధంగా 8వతరగతిలోనికి ప్రవేశిస్తూనే పరుగు పందెంలో పాల్గొని చివరి స్థానాన్ని పొందింది. తర్వాత రెండవ, మూడవ, 4వ పరుగు పందెములలో పాల్గొన్నది. వాటిలో కూడా చివరి స్థానాన్నే పొందింది. కానీ ఆమె వెనుతిరగలేదు. నిరంతరం పరుగుపందెంలో పాల్గొంటూనే ఉన్నది. చివరకు ఆమె ఒకరోజున పరుగు పందెంలో ప్రథమ స్థానాన్ని పొందినది.
15 సం॥ల వయస్సులో విల్మా టెనెసీ విశ్వవిద్యాలయం వెళ్ళినది. ఆమె అక్కడ ఎడ్ టెంపల్ అను పేరు గల ఒక కోచ్్ను కలసినది. ఆమె అతనితో తన కోరిక ప్రపంచంలో అందరికంటే బాగా పరుగెత్తు అథ్లెట్గా అవతరించ కాంక్షిస్తున్నట్లు చెప్పినది. అప్పుడు ఆయన “నీ ఈ కోరికను (కోరిక శక్తిని) ఎవ్వరూ ఆపలేరు, అంతేకాదు నేను కూడా నీకు తోడుగా ఉండి సహాయం చేస్తాను, నీకు నేను పరుగు పందెంలోని మెలకువలను నేర్పుతాను” అని చెప్పెను.
చివరకు ఆ రోజు రానే వచ్చింది. విల్మా ఒలింపిక్లో పాల్గొనబోవుచున్నది. ఒలింపిక్స్లో ప్రపంచంలోని బాగా పరుగెత్తు వాళ్ళతో తలపడవలసి ఉంటుంది. విల్మా జుత్తాహేన్ తో తలపడవలసి ఉన్నది. ఆమెను ఎవరూ ఓడించలేకపోయిరి. మొదటి పరుగు 100 మీటర్లది. దీనిలో ఆమె జుత్తాహేన న్ను ఓడించి తన మొదటి స్వర్ణ పతకమును పొందినది. రెండవ పరుగు 200 మీటర్లది. దీనిలో కూడా విల్మా, జుత్తాను రెండవసారి కూడా ఓడించినది. రెండవ స్వర్ణ పతకాన్ని కూడా పొందినది. మూడవ పరుగు 400 మీటర్ల రిలే పరుగు పందెం. మరలా విల్మా, జుత్తాతోనే పోటీ పడనున్నది. రిలే పరుగు పందెంలో చివరి భాగం టీంలోని అందరి కంటే వేగంగా పరుగెత్తు ఆటగాడే పాల్గొనును. విల్మా టీంలోని ముగ్గురూ రిలే పరుగు పందెంలో ప్రారంభపు మూడు భాగాలలో పరుగెత్తి తేలికగా బేటన్ మార్చుకున్నారు. విల్మా వంతు వచ్చినపుడు ఆమె చేతిలోని బేటన్ క్రింద జారిపడిపోయింది. కానీ విల్మా రెండవ వైపున జుత్తాహేన్ వేగంగా పరిగెత్తుకు రావడం చూసెను. విల్మా క్రింద పడిన బేటన్ తీసికొని యంత్రం వలే వేగంగా పరుగెత్తెను. ఆమె జుత్తాను మూడవసారి కూడా ఓడించెను. మూడవ బంగారు పతకాన్ని కూడా సాధించెను. ఈ విషయం చరిత్ర పుటల్లో నమోదు చేయబడినది. ఒక పోలియో పీడితులైన మహిళ 1960లో జరిగిన రోమ్ ఒలింపిక్స్ క్రీడల్లో ప్రపంచం మొత్తంలో వేగవంతమైన అథ్లెట్ అయినది.
ఇది ఆమె కఠోర పరిశ్రమ పరిణామానికి తార్కాణం. 1960లో జరిగిన రోమ్ ఒలింపిక్ లో 100 మీ. 200 మీ. మరియు 400 మీ. రిలే పరుగులో స్వర్ణపతకం మొత్తం 3 స్వర్ణ పతకాలు సాధించిన మొట్టమొదటి అమెరికన్ అథ్లెట్ అయినది. రోమ్ నుండి తిరిగి వచ్చిన తర్వాత అమెరికా యావత్తూ తన కాళ్ళపై తాను నిలబడలేని ఆ బాలికకు నిలబడి స్వాగతం పలికినది. వారి మధ్యలోనే విల్మా అమ్మగారు (ఎవరి ప్రేరణ వల్ల ఈ ఉన్నత స్థితిని పొందినదో) కూడా ఉన్నది.
वचन :
- सफलता – सफलताएँ
- घर – घर
- बात – बातें
- इच्छा – इच्छाएँ
- पन्ना – पन्ने
- परिश्थिति – परिस्थितियों
- बैसाखी – बैसाखियाँ
- बेटी – बेटियाँ
- हिस्सा – हिस्से
- क्षमता – क्षमताएँ
- महिला – महिलाएँ
- प्रतियोगिता – प्रतियोगिताएँ
- खिलाडी – खिलाडियाँ
लिंग :
- मॉं – बाप
- कवि – कवइत्री
- ईश्वर् – ईश्वर्र
- आदमी – औरत
- महिला – पुरुष
- बेटा – बेटी
- माता – पिता
- लडकी – लडका
- धावक – धाविका
- नौकर – नौकरानी
उपसर्ग :
- निश्चित – नि:
- संतुलन – सं
- प्रतियोगिता – प्रति
- परिस्थिति – परि
- अनुरूप – अनु
- निर्त्तर – निर
- प्रदर्शन – प्र
- धर्मपरायण – धर्म
- शुरुआत – शुरु
प्रत्यय :
- परिश्रम – श्रम
- शुरुआती – ई
- शारीरिक – इक
- अनुरूप – रूप
- आदर्शवादी – वादी
- तीसरी – ई
- आसानी – ई
- तंदुरस्ती – ई
- साहसी – ई
- प्रेरणा – आा
- खिलाडी – ई
- प्रतियोगिता – ता
- मार्निक – इक
- मनोवृत्ति – वृत्ति
उल्टे शब्द :
- मजचूत × कमज़ोर
- जवाब × प्रश्न
- साहसी × डरपोक
- पूरा × अधूरा
- मेहनत × आलस
- हार × जीत
- सफलता × विफलता
- सीधा × टेढा
- प्राप्त × अप्राप्त
- विश्वास × अविश्वास
- हिम्मत × डर
- आसानी × मश्किल
- जन्म × मृत्यु
- सकारात्मक × नकारात्मक
- तेज़ × मंद
- संभव × असंभव
- पहली × आखिरी
- कठोर × कोमल
पर्यायवाची शब्द :
- तन – शरीर, काय
- समय – काल
- ज़मीन – पृथ्वी, धरती
- महिला – स्त्री, औरत
- मेहनत – परिश्रम
- सफलता – कामयाब
- आखिरी – अंतिम
- पन्ना – पृष्ठ
- सफलता – विजय
- घर – मकान
- डॉक्टर – वैद्य
- बेटी – पुत्री
- स्वयं – खुद
- हिस्सा – भाग
- इच्छा – चाह
- स्वागत – निमंत्रण
- तंदुरस्त – स्वारथ्य
- मॉं – माता, जननी
- जवाब – उत्तर
- दुनिया – विश्व, संसार
- हिम्मत – धैर्य
- प्रतियोगिता – होड
- स्वर्ण – हैम, कांचन
- मुकाम – स्थान
संधि विच्छेद :
- शारीरिक = शरीर + इक
- सकारात्मक = सकार + आत्मक
- आदर्शवादी = आदर्श + वादी
- विद्यालय = विद्या + आलय
- धार्मिक = धर्म + इक
- मनोवृत्ति = मनः + वृत्ति
- साह्सी = साहस + ई
- आत्मविश्वास = आत्म + विश्वास
- धाविका = धावक + इका
वाक्य प्रयोण :
1. हिम्मत – वह बड़ा हिम्मत वाला है।
2. मुकाबला – को – कभी हमें कष्टों से भी मुकाबला करना पडता है।
3. र्वागत – जो जीतेगा उसे ही स्वागत मिलेगा।
4. हमेशा – हमेशा सच ही बोलना चाहिए।
5. हिस्सा लेना – हर प्रतियोगिता में वह हिस्सा लेती रहती है।
मुहावरे वाले शब्द :
1. कदम रखना = प्रवेश पाना, किसी रथान पर पहुँचना
वह तहाँ कदम रखता है वहाँ पदक अवश्य मिलता है।
2. जवाज दे देना = डॉक रों द्वारा रोगी का अन्य जगह ले जाने को कहना।
डॉक्त रों ने जवाब दे दिया कि वह कभी भी ज़मीन पर कदम नहीं रख पायेगी।
3. जवाब देना = नौकी से अलग करना
उसदे: मालिक ने उसे नौकरी से जवाव दे दी।
4. हिस्सा लेना = भागञ, शामिल होना
हर ईतियोगिता में वह हिस्सा लेती रही।
5. मुकावले होना = तुल्य या बराबरी होना
उसके मुकाबले में कौन खड़े हो सकते हैं ?
6. हार चुकाना = विफ़न होना
वह हार प्रतियोगिता में हरा जा चुकता है।
7. हार मानना = अपर य या पराजय स्वीकार करना
वह। सपना हार न मानने वाला है।
8. कदम चूमना = पाँव छूना, चरण स्पर्श करना, सम्मान करना
जो विजय होते हैं सब उसके कदमों को चूमते हैं।
शब्दार्थ (అర్ధములు) (Meanings) :