Telangana SCERT TS 8th Class Hindi Guide Pdf 10th Lesson अनमोल रत्न Textbook Questions and Answers.
TS 8th Class Hindi 10th Lesson Questions and Answers Telangana अनमोल रत्न
प्रश्न :
प्रश्न 1.
चित्र में क्या – क्या दिखाई दे रहे हैं?
उत्तर :
चित्र में अध्यापिका और छात्र – छात्राएँ दिखाई दे रहे हैं।
प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं ?
उत्तर :
अध्यापिका हिन्दी पाठ पढ़ा रही हैं। छात्र ध्यान से सुन रहे हैं।
प्रश्न 3.
श्यामपट पर लिखे सुवचन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर :
हर एक अच्छी बात अधिक मूल्यवान होती है। अर्थात अच्छी बातों का अधिक मह्त्व होता है।
सुनो – बोलो :
प्रश्न 1.
पाठ में दिये गये चित्र के बारे में बातचीत कीजिए।
उत्तर :
इस चित्र में एक हीरा है। इसके बारे में दो मित्रों के बीच में बातचीत इस प्रकार चल रहा है।
अशोक : यह क्या है ? इसे क्या कहते हैं ?
कुमार : यह हीरा है।
अशोक : मैं ने सुना था कि हीरा बहुत मूल्यवान होता है।
कुमार : हाँ, तुमने सच ही सुना । हीरा बहुत मूल्यवान होता है। इसका मूल्य लाखों या करोडों रुपये होता है।
अशोक : इसके बारे में एक कहावत भी है। उसे मैं भूल गया। एक बार याद करो।
कुमार : हीरे का परख जौहरी ही जानते हैं।
प्रश्न 2.
पाठ का शीर्षक आपको कैसा लगा और क्यों ?
उत्तर :
पाठ का शीर्षक अनमोल रव्भ मुझे अच्छा लगा। क्योंकि ये दोहे नीति से युक्त हैं। नीतिपरक हैं। सचमुच अनमोल रन्न हैं।
पढ़ो :
अ. नीचे दिये गये वाक्यों के भाव बतलाने वाले अंश दोहों में पहचानकर उत्तर – पुस्तिका में लिखिए।
प्रश्न 1.
हमारा शरीर खेत के समान है।
उत्तर :
तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान।
प्रश्न 2.
लाख प्रयन्न करने पर भी बात नहीं बनती है।
उत्तर :
बिगरी बात बनै नहि, लाख करो किन कोय।
आ. नीचे दी गयी पंक्तियों के बाद आनेवाली पंक्ति लिखिए।
1. तुलसी साथी विपत्ति- विदया – विनय – विवेक।
2. रहीमन हीरा कब कहै – लाख टका मेरो मोल।
लिखो :
अनीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
तुलसीदास ने शरीर की खेत व मन की किसान से तुलना क्यों की होगी ?
उत्तर :
तुलसीदास ने शरीर की तुलना खेत से और मन की तुलना किसान से की है। क्योंकि पाप और पुण्य दो बीजों में मन रूपी किसान, शरीर रूपी खेत में जो बोये जाते हैं, उसीके फल को हम प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 2.
रहीम के दोहों के भाव अपने शब्दों में लिखिए।
रहीम के अनुसार जब बात बिगड जाती है तो किसी के लाख प्रयद्न करने पर भी बनती नहीं हैं। इसके लिए रहीम यह उदाहरण दिये कि एक बार दूध फट जाता है तो उसे कितने बार मथने पर भी मक्खन नहीं बनता।
रहीम के दूसरे दोहे के अनुसार जो सचमुच बडे होते हैं वे अपनी बंडाई कभी नहीं किया करते। बडे – बडे बोल बोला नहीं करते। इसके लिए रहीम यह उदाहरण दिये कि हीरा कभी भी अपने बारे में स्वयं नहीं कहता कि उसका मोल लाख टके का है। इस प्रकार तुलसी और रहीम अपने – अपने दोहों के माध्यम से अमूल्य रत्नों को दिये।
आ. “अनमोल रव्न” दोहों का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
तुलसीदास जी के अनुसार शरीर खेत के समान है। और मन किसान के समान। पाप और पुण्य दो बीउत्तर – हैं, जो बोया जाता है, उसी को प्राप्त करना पडता है।
तुलसीदास जी के अनुसार विपति के समय शिक्षा, विनय, विवेक, साहस अच्छे कार्य और सच्चाई ही साथ देते हैं।
रहीम जी के अनुसार जब बात बिगड जाती है तो किसी के लाख प्रयन्न करने पर भी बनती नहीं है। जिस तरह एक बार दूध फट जाते हैं तो उसे मथने पर भी मकखन नहीं बनता।
रहीम जी के अनुसार जो सचमुच बडे होते हैं। वे अपनी बडाई नहीं किया करते। बडे-बडे बोल नही बोला करते । हीरा स्वयं कभी नहीं कहता कि उसका मोल ताख टके का है।
शब्द भंडार :
अ. दोहे में आये कुछ शब्द नीचे दिये गये हैं। इन शब्दों से एक – एक वाक्य बनाइए।
उत्तर :
खेत | किसान खेत में काम करते हैं। |
विपत्ति | विपत्ति में धीरज के साथ रहना चाहिए। |
विनय | सदा विनय से बडों से बातें करना चाहिए। |
दूध | बच्चा दूध पीता है। |
हीरा | वस्तु संग्रहालय में कई हीरे हैं। |
आ. नीचे दी गयी पंक्ति पढ़िए। समझिए।
‘लाख टका मेरो मोल।’
इस पंक्ति में ‘टका’ शब्द का प्रयोग विशेष अर्थ के लिए हुआ है। पुराने समय में टके का बड़ा महत्व था। अंग्रेजों के समय यह भारत की मुद्रा थी, जिसका मूल्य दो आना था। इसी शब्द पर कई मुहावरे भी हैं, जैसे –
1. टका-सा मुँह लेकर रह जाना। (उदास होना)
2. टके-टके को मोहताज होना। (गरीब होना)
3. टका पास न होना। (धन की कमी होना)
अब तुम पता लगाइए कि टका को इन भाषाओं में क्या कहते हैं?
उत्तर :
1. तेलुगु – बेडा
2. कन्नड़ – टका
3. तमिल – बेडा
4. मराठी – बेडा
सृजनात्मक अभिव्यत्ति :
अ. पाठ में बताई गयी नीतियों के आधार पर नारे बनाइए।
उत्तर :
1. जैसी करनी वैसी भरनी।
2. विद्या विपत्ति में साथ रहती है।
3. लाख प्रयत्न से भी बिगडी बात नहीं बनती।
4. बडे लोग अपने बडप्पन की प्रशंसा कभी नही करते।
प्रशंसा :
अ. तुलसीदास और रहीम के दोहों का हमारे जीवन में क्या महत्व है ?
उत्तर :
तुलसीदास जी के दोहे भगवान श्रीराम से संबंधित और नीतिपरक होते हैं। रहीम के दोहे नीतिपरक और उपदेशात्मक होते हैं। उनकी कविता में कल्पना की प्रचुरता के साथ – साथ भावुकता की अधिकता भी है।
भवा की बात :
अ. पढ़िए – समझिए।
उत्तर :
आ. ऊपर दिये गये शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।
किसान – गाँवों में किसान रहते हैं।
विवेक – नायक को विवेक से रहना चाहिए।
बोल – बच्चों के बोल में मिठास होती है।
परियोजना कार्य :
तुलसी और रहीम के अन्य दोहे ढूँढ़ए। उन्हें लिखिए और कक्षा में लगाइए।
तुलसीदास :
1. तुलसी रा के कहत ही, निकसत पाप पहार।
फिरि भीतर आवत नहीं, देत मकार विकार॥
2. जड़ चेतन गुन दोषमय, विस्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहि पय, परिहरि वारि विकार।।
रहीम :
1. सर सूखे पंछी उड़ै, और सरन समाहि।
दीनमीन बिन पच्छ के, कहु रहीम कहँ जाहि॥
2. रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करे तरवारि।।
Essential Material For Examination Purpose :
I. पढ़ो :
पठित – पद्यांश
नीचे दिये गये पद्यांश को पढ़कट प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
I. तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान।
पाप – पुण्य दोक बीज है, बुवै सो लुनै निदान।
प्रश्न :
1. शरीर किसके समान है?
2. मन किसके समान है ?
3. दो बीज क्या है?
4. अनमोल रत्न कैसा पाठ है?
उत्तर :
1. शरीर संत के समान है।
2. मन किसान की समान है।
3. पाप और पुण्य दो बीज हैं।
4. कविता पाठ है।
II. तुलसी साथी विपत्ति, विद्या – विनय – विवेक।
साहस, सुकृति, सुसत्य व्रत, राम भरोसे एक।।
प्रश्न :
1. तुलसी के अनुसार विपत्ति के समय हमारे साथ कौन देते हैं?
2. “सुकृति” का अर्थ क्या है?
3. विवेक का उल्टा शब्द क्या है ?
4. इस दोहे के कवि कौन है?
उत्तर :
1. शिक्षा, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सचाई हमारे साथ देते हैं।
2. अच्छे कार्य
3. अविवेक
4. तुलसीदास
III. बिगरी बात बनै नहि, लाख करो किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होया।
प्रश्न :
1. रहीम के अनुसार फटे दूध से क्या नहीं बनता है?
2. लाख करो किन कोय। इसका भाव क्या है?
3. “कोय” का अर्थ क्या है?
4. रहीम का पूरा नाम क्या है?
उत्तर :
1. माखन नहीं बनता।
2. लाख प्रयत्न करने पर भी बात नहीं बनती है।
3. कोय का अर्थ ‘कोई’ है।
4. रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना है।
IV. बडे बड़ाई न करैं, बड़ो न बोलैं बोल।
रहीमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल।।
प्रश्न :
1. बडे क्या नहीं करते हैं?
2. बडे क्या नहीं बोलते हैं?
3. लाख टका मेरो मोल का अर्थ लिखिए।
4. कौन अपना मोल स्वयं नहीं कहता ?
उत्तर :
1. बडे बड़ाई नहीं करते हैं।
2. बडे बडे – बडे बोल नहीं बोलते हैं।
3. मेरा मोल लाख टके का है।
4. हीरा अपना मोल स्वयं नही कहता।
अपठित – पद्यांश :
नीचे दिये गये पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
1. श्रमर छूटकर पंकज दल से,
करने लगे विहार।
आनुकरों ने खोल दिया है,
कारावृह का द्वार।
कल किरणें हैं शयन सदन की,
मंजुल बंदनवार।
सजनी। रजनी की सुख स्मृति ही।
बस अब है आधार।
प्रश्न :
1. भ्रमर छूटकर क्या करने लगे हैं?
2. भानुकरों ने क्या किया है?
3. शयन सदन की बंदनवार क्या है?
4. सजनी ! अब आधार क्या है?
5. बंदनवार की क्या विशेषता है?
उत्तर :
1. भ्रमर छूटकर विहार करने लगे हैं।
2. भानुकरों ने कारागृह का द्वार खोल दिया।
3. कल किरणें शयन सदन की बंदनवार है।
4. सजनी ! रजनी की सुख स्मृति ही अब आधार है।
5. बंदनवार की विशेषता है कि वे मंजुल हैं।
II. बह वाई उस काल एक ऐसी हवा।
बूँद समुंदर की ओर आई अनमनी।
एक सुंदर सीप का मुँह था खुला।
वह उसी में जा पडी मोती बनी।
लोग यों ही हैं इिझकते सोचते।
जब कि उनको छोडना पडता है घर।
किन्तु घर को छोडना अकसर उन्हें।
बूँद सा कुछ और हीं देता है कर।
प्रश्न :
1. बूँद समुंदर की ओर कैसी आयी ?
2. किसका मुँह खुला हुआ था ?
3. बूँद किसके मुँह में जा पडी और क्या बनी ?
4. लोग घर छोडते समय क्या करते हैं?
5. घर को छोडने से उनको क्या मिलता है?
उत्तर :
1. बूँद समुंदर की ओर अनमनी आयी।
2. एक सीप का मुँह खुला हुआ था।
3. बूँद सीप के मुँह में जा पडी और मोती बनी।
4. लोग घर छोडते समय सोचते हैं।
5. घर को छोडने से उनको बूँद सा कुछ और ही मिलता है।
III. मेरे घर के पास लठा है
पेड नीम का हरा – भरा,
उसकी डाली झुक – झुक छूतीं
मेरे रहले का कमरा।
अभी – अभी निकली फुनगी में,
नयी – नयी प्यारी कोंपल,
लाल, बैंगनी रंग देखकर
मेरा मन बनता शीतल।
प्रश्न :
1. नीम का पेड कैसा है?
2. नीम की डाली क्या करती है?
3. नयी – नयी प्यारी कोंपल कहाँ निकल पडी है?
4. कोंपल किस रंग में हैं?
5. लाल, बैंगनी रंग देखकर मन कैसे बनता है?
उत्तर :
1. नीम का पेड हरा – भरा है।
2. नीम की डाली झुकती कवि के कमरे को छूती है।
3. नयी – नयी प्यारी कोंपल फुनगी में निकल पडी है।
4. कोंपल लाल और बैंगनी रंग में हैं।
5. लाल, बैंगनी रंग देखकर मन शीतल बनता है।
IV. मेरा भारत है महान
चाँद सितारों से शोभित है आसमान
यह रहा नदियों का संगम पुण्य स्थान
मन्दिर, मसजिद, विरजाघर एक समान
रंग, बिरंगो, फूलों से है विराजमान
लोगों का है विविध परिधान
होता है सब धर्मों का सम्मान
मेरा भारत है महान।
प्रश्न :
1. आसमान किस प्रकार शोभित है ?
2. नदियों का संगम पुण्य स्थान क्या है?
3. भारत किस तरह विराजमान है?
4. लोगों का विविध परिधान कहाँ होता है?
5. भारत में किसका सम्मान होता है?
उत्तर :
1. आसमान चाँद, सितारों से शोभित है।
2. नदियों का संगम पुण्य स्थान भारत है।
3. भारत रंगबिरंगे फूलों से विराजमान है।
4. लोगों का विविध परिधान भारत में होता है।
5. भारत में सब धर्मो का सम्मान होता है।
I. लिखो :
लघु प्रश्न :
प्रश्न 1.
तुलसी और रहीम के समय की स्थिति कैसी रही होगी ?
उत्तर :
तुलसीदास और रहीम भक्ति काल के प्रमुख कवि थे। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार भक्ति काल का समय सन् 1375 से 1700 तक माना है। तत्कालीन भारतीय समाज में हिंदु – मुर्लिम दो संस्कृतियों व विचार धाराओं का पारस्परिक संघर्ष हो रहा था। साहित्य की दृष्टि से हिंदी साहित्य के भक्ति काल को उसका स्वर्णयुग मानते हैं। ज्ञानाश्रयी – प्रेमाश्रयी, सगुण – निर्गुण, राम भक्ति – कृष्ण भक्ति, संत – सूफ़ी इस प्रकार के तरह तरह की भक्ति धाराओं से समाज प्रभावित होने लगा।
प्रश्न 2.
तुलसीदास ने शरीर और मन की तुलना किसके साथ की है?
उत्तर :
तुलसीदास ने शरीर की तुलना खेत से और मन की तुलना किसान से की है।
प्रश्न 3.
रहीम के अनुसार फटे दूध से क्या नहीं बनता है?
उत्तर :
रहीम के अनुसार फटे दूध से मक्खन नहीं बनता है।
प्रश्न 4.
हीरा अपने बारे में क्या नहीं कहता ?
उत्तर :
हीरा अपने बारे में स्वयं कभी नहीं कहता कि उसका मोल लाख टके का है।
प्रश्न 5.
विपत्ति के समय हमारा साथ कौन देता है ?
उत्तर :
वेपत्ति के समय शिक्षा, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सच्चाई ही हमारा साथ देते हैं।
प्रश्न 6.
तुम विपत्ति का सामना कैसे करोगे ? क्यों ?
उत्तर :
में विपत्ति का सामना विद्या, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सच्चाई से करूँगा। क्योंकि ये सभी विपत्ति का सामना करने के लिए आवश्यक हैं।
लघु निबंध प्रश्न :
प्रश्न 1.
तुलसीदास जी के बारे में लिखो।
उत्तर :
तुलसीदास जी का जन्म सन् 1532 में राजापुर नामक गाँव में हुआ था। उनकी मृत्यु सन् 1623 में काशी में हुयी। माता का नाम हुलसी तथा पिता का नाम आत्माराम दुबे था। गुरु का नाम नरहरिदास था। उनकी पन्नी का नाम रत्नावली था। तुलसीदास भक्तिकाल के कवि थे।
तुलसीदास राम भक्त थे। अवधी और ब्रज भाषा दोनों में उन्होंने काव्य रचना की। उन्होंने दर्जनों काव्य ग्रंथ लिखें। उनका सुप्रसिद्ध ग्रंथ का नाम था रामचरितमानस।
उनके अन्य ग्रंथ थे – कवितावली, दोहावली, विनय-पत्रिका, बरवै रामायण, पार्वती मंगल और जानकी मंगल आदि।
సారాంశము :
तुलसीदास (తులసీదాస్) :
ఈ పద్యంలో కవి తులసీదాస్ శరీరమును వ్యవసాయ క్షేత్రం (పొలము)తో, మనస్సును రైతుతో పోల్చుచున్నాడు. పాపం పుణ్యం అనునవి రెండు విత్తనములు. మనం ఈ రెండు విత్తనాలలో దేనిని నాటితే వాటినే పొందుతాము.
తులసీదాస్ గారు ఈ పద్యంలో ఆపదల వేళ మనల్ని రక్షించే సాధనములను గురించి పేర్కొనుచుండెను. మనల్ని ఆపదల నుండి విద్య, వినయము, వివేకము (మంచి, చెడు విచక్షణాగుణము) సాహసము, మంచి పనులు, నీతి-నిజాయితీ అనునవి రక్షించును. ఇవన్నియు ఆపదల వేళలలో మనకు తోడుగా ఉండును.
रहीम (రహీమ్) :
ఈ పద్యంలో కవి రహీమ్ చెడిపోయిన (పాడైపోయిన) పనుల స్వభావాన్ని గురించి వివరించుచుండెను. ఏదైనా పని చెడిపోయి (పాడైపోయి)నప్పుడు మనం లక్షలకొలది ప్రయత్నాలు చేసినా ఆ పనిని చేయలేము. అదెట్లనగా ఒకసారి పాలు విరిగిపోయినట్లయిన వాటిని చిలికి వెన్నతీయలేము కదా !
కవి రహీమ్ గారు ఈ పద్యంలో పెద్దవారి (గొప్పవారి) యొక్క లక్షణాలను తెలియజేయుచున్నారు.
ఎవరైతే గొప్పవారో వారు తమ గొప్పతనాన్ని గురించి గొప్పలు చెప్పుకోరు. (పెద్దవారు గొప్పవారు కానివారే గొప్పలు చెప్పుకుంటారు) అదెట్లనగా వజ్రం ఎప్పుడూ తన విలువ లక్ష టంకములు ఉంటుందని స్వయంగా మనతో చెప్పదు కదా!
वचन :
- खेत – खेत
- किसान – किसान
- पाप – पाप
- पुण्य – पुण्य
- बीज – बीज
- साथी – साथी
- विपत्ति – विपत्तियाँ
- कृति – कृतियाँ
- व्रत – व्रत
- बात – बातें
- हीरा – हीरे
उल्टे शब्द :
- पाप × पुण्य
- साहसी × डरपोक
- बनना × बिगडना
- विनय × घमंड
- सुकृति × दुष्कृति
- बडा × छोटा
- विवेक × अविवेक
- सत्य × असत्य/झूठ
- साथी × शत्रु
उपसर्ग :
- निदान – नि
- सुसत्य – सु
- सज्जन – सत्
- विविध – वि
- सुसंगति – सु
- अनुसार – अनु
- सुकृति – सु
- दुर्जन – दुर
प्रत्यय :
- मनसा – सा
- बिगरी – ई
- महात्मा – आत्मा
- सुकृति – कृति
- बड़ाई – आई
- सुसत्य – सत्य
- दुर्जन – जन
पर्यायवाची शब्द :
- काया – शरीर
- विद्या – शिक्षा
- मोल – मूल्य, दाम, भाव
- किसान – कृषक
- साहस – धैर्य
- बड़ाई – बडप्पन
- साथी – मित्र
- दूध – क्षीर
वाक्य प्रयोग :
1. किसान – किसान खेतीबारी करके जीते हैं।
2. विवेक – सदा विवेक के साथ रहना चाहिए।
3. माखन – माखन में विटमिन ए मिलता है।
4. बड़ाई – बडे लोग जो होते कभी बडाई बातें नहीं करते।
मुहावरे वाले शब्द :
1. बात बनाना = प्रयोजन सिद्ध होना ; उसने टेलीफ़ोन से बात बनायी।
2. बात आना = चर्चा होना ; वहाँ इसी विषय पर बात आयी।
3. बड़े आदमी = प्रतिष्ठावान ; बड़े आदमी ऐसी बातें नहीं करते।
4. बडी – बडी बातें करना = बडाई करना, बढ-चढकर बातें करना
वह हमेशा बडी – बडी बातें करता रहता है।
शब्दार्थ (అర్ధములు) (Meanings) :